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व्यावहारिक जीएसटी परेशानियों को जीआरसी मीटिंग में रखा छग चेंबर ने
31-Oct-2025 2:25 PM
व्यावहारिक जीएसटी परेशानियों को जीआरसी मीटिंग में रखा छग चेंबर ने

रायपुर, 31 अक्टूबर। छत्तीसगढ़ चेम्बर ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्रीज के प्रदेश अध्यक्ष सतीश थौरानी ने बताया कि  वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) विभाग द्वारा नया रायपुर स्थित न्यू सर्किट हाउस में आयोजित तीसरी ग्रीवेंस रिड्रेसल कमेटी (जीआरसी) मीटिंग में चेम्बर प्रतिनिधिमंडल ने सक्रिय रूप से भाग लिया। यह बैठक जीएसटी से संबंधित विभिन्न व्यावसायिक शिकायतों, तकनीकी मुद्दों और नीतिगत अस्पष्टताओं पर चर्चा करने और उनके त्वरित समाधान हेतु आयोजित की गई थी।

चेम्बर वाइस चेयरमेन सी.ए. चेतन तारवानी ने बताया कि जीएसटी भारत की अर्थव्यवस्था का एक महत्वपूर्ण स्तंभ है। हम लगातार यह सुनिश्चित करने के लिए प्रतिबद्ध हैं कि जीएसटी प्रणाली व्यापार-अनुकूल हो। जीआरसी मीटिंग में हमारी भागीदारी यह दर्शाती है कि हम अपने सदस्यों की चिंताओं को सीधे सरकारी मंचों पर उठाकर उनके समाधान के लिए प्रयासरत हैं।

श्री तारवानी ने बताया कि निम्नलिखित सुझाव/मांग रखी:- जीएसटी कम्पोजीशन 3 करोड़ तक होना चाहिए क्योकि इंकम टैक्स में 3 करोड़ तक खाता बही रखने से छूट दी गई। जीएसटी की नोटिस किसी कंपनी के बजाय गवर्नमेंट डोमेन से होना चाहिए। जब देरी का कारण वास्तविक हो तो अपील की समय सीमा 3 माह से बढ़ानी चाहिए। अपील का ऑर्डर  विभाग द्वारा एक वर्ष के अंदर अनिवार्य रूप से करना चाहिए जबकि वर्तमान में 18 से 24 माह तक पेंडिंग है। धारा 122 में चाहे गलती 100 रुपए की लेकिन न्यूनतम पेनल्टी 10000 की लगती है, जबकि पेनाल्टी गलती की सीमा तक होनी चाहिए।

 

जीएसटी नोटिस मेल आईडी के साथ साथ व्हाटअप में भी आनी चाहिए ताकि व्यापारी समय सीमा में जवाब दे सके। चेंबर कार्यकारी अध्यक्ष जसप्रीत सिंह सलूजा ने सुझाव दिया कि माल बेचने वाले सप्लायर द्वारा किसी कारण से अगर जीएसटी रिटर्न समय पर नहीं भरा जाता तो उसको जवाबदारी माल खरीदने वाले की होती है, एवं माल खरीदने वाले से जीएसटी टैक्स वसूली जाती है, इससे माल खरीदने वाले की गलती न होने पर भी टैक्स का दोहरा भुगतान करना पड़ता है, जबकि माल बेचने वाला जो कि एक रजिस्टर्ड टैक्स पेयर है, वह गलती करने के बाद भी बरी रहता है, इस नियम में सुधार होना चाहिए ।


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