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रायपुर, 14 अक्टूबर। व्यापारिक संगठन कन्फेडरेशन ऑफ ऑल इंडिया ट्रेडर्स (कैट) के राष्ट्रीय वाइस चेयरमैन एवं राष्ट्रीय व्यापारी कल्याण बोर्ड (भारत सरकार) के सदस्य श्री अमर पारवानी, प्रदेश चेयरमेन श्री मगेलाल मालू, प्रदेश चेयरमेन श्री विक्रम सिंहदेव, प्रदेश एक्जीक्यूटिव चेयरमेन श्री जितेन्द्र दोशी, प्रदेश अध्यक्ष श्री परमानंद जैन, प्रदेश महामंत्री श्री सुरेन्दर सिंह एवं प्रदेश कोषाध्यक्ष श्री अजय अग्रवाल ने बताया कि दीपावली भारत का सबसे बड़ा पर्व है, जिसे देश भर में श्रद्धा और भक्ति भाव से मनाया जाता है।
श्री पारवानी ने बताया कि देश भर के व्यापारियों के लिए दीपावली पर्वों की श्रृंखला का विशेष महत्व है। इस वर्ष दिवाली को लेकर काफ़ी भ्रांति है और दिवाली 20 अथवा 21 अक्टूबर को मनाई जाये इसको लेकर बेहद मत विभिन्नता है। प्रत्येक भारतीय पर्व को उसकी तिथि गणना एवं धर्मशास्त्र के नियमों के अनुसार ही मनाने का शास्त्र निर्देश करता है, किंतु आधुनिक समाज में शास्त्र की जानकारी के अभाव में कई बार भ्रम उत्पन्न हो जाता है। यही कारण है कि अनेक अवसरों पर दो-दो तिथियों के चलते विवाद की स्थिति बन जाती है। इस वर्ष दीपावली की तिथि को लेकर भी इसी प्रकार की भ्रांति और असमंजस का वातावरण बना हुआ है।
श्री पारवानी ने बताया कि यद्यपि शास्त्र सम्मत दीपावली मनाने का निर्णय धर्माचार्यों द्वारा किया जाना चाहिए, किंतु देश भर के व्यापारियों में बने भ्रम को दूर करने की दिशा में कैट ने अपनी वेद एवं ज्योतिष कमेटी के संयोजक तथा महाकाल की नगरी उज्जैन के प्रसिद्ध ज्योतिषाचार्य आचार्य श्री दुर्गेश तारे से इस विषय पर स्थिति स्पष्ट करने का आग्रह किया, ताकि देशभर के व्यापारियों को सही सलाह दी जा सके।
श्री तारे ने विक्रम संवत 2082 के दीपोत्सव पर्व के संबंध में स्वयं शास्त्रों का अध्ययन किया और देश के अन्य प्रकांड विद्वानों से विमर्श के पश्चात कहा कि -इस वर्ष दीपावली 20 अक्टूबर को ही मनाया जाना शास्त्र सम्मत है। उन्होंने बताया कि-चन्द्रोदयव्यापिनी ग्राह्या तत्पूर्वदिनेव चन्द्रोदयत्याप्तौ पूर्वा। नरकचतुर्दशी 20-10-2025 प्रात: 5 बजे अरुणोदय काल अभ्यंग स्नान, तत्पश्चात कार्तिक स्नान, यमतर्पण, दीपदान आदि करना श्रेष्ठ है। 20-10-2025, कार्तिक कृष्ण अमावस्या को प्रदोष काल में दीपावली मनाना शुभ है। शास्त्रों में दीपावली लक्ष्मी पूजन प्रदोष व्यापिनी अमावस्या के अनुसार करने का निर्देश प्राप्त होता है। इस वर्ष 20 अक्टूबर को अमावस्या तिथि प्रदोष काल में ही है तथा मध्यरात्रि व्यापिनी भी उसी दिन प्राप्त हो रही है।


