कारोबार
रायपुर, 23 सितंबर। हिदायतुल्लाह राष्ट्रीय विधि विश्वविद्यालय, रायपुर ने बताया कि उभरती न्यायशास्त्र दृष्टि: कृत्रिम बुद्धिमत्ताका सामाजिक-वैधानिक प्रभाव विषय पर एक दिवसीय ऑनलाइन अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन का सफल आयोजन किया। यह सम्मेलन, एचएनएलयू के सेंटर फॉर इंटरनेट गवर्नेंस एंड एआई, स्कूल ऑफ लॉ एंड टेक्नोलॉजी तथा सेंटर फॉर प्राइवेसी एंड डाटा प्रोटेक्शन, स्कूल ऑफ लॉ एंड पब्लिक पॉलिसी के संयुक्त प्रयास से आयोजित किया गया।
विश्वविद्यालय, रायपुर ने बताया कि इसका उद्देश्य कानून और एआई के बीच तेजी से विकसित हो रहे अंतर्संबंध की पड़ताल करना था, विशेषकर इसके नैतिक, विनियामक और सामाजिक चुनौतियों पर ध्यान केंद्रित करते हुए।
विश्वविद्यालय, रायपुर ने बताया कि सम्मेलन में माननीय न्यायमूर्ति एस. मुरलीधर, पूर्व मुख्य न्यायाधीश, उड़ीसा उच्च न्यायालय, मुख्य अतिथि रहे। अपने उद्बोधन में उन्होंने कहा कि राज्य और निजी कंपनियाँ आवश्यकताओं से कहीं अधिक डेटा एकत्र और उपयोग कर रही हैं, जिससे डेटा प्राइवेसी एक मिथक बन गई है।
विश्वविद्यालय, रायपुर ने बताया कि उन्होंने ईरान पर इजऱाइल के हमले का उदाहरण देते हुए बताया कि किस प्रकार डेटा को हथियार बनाया जा सकता है और व्यक्तिगत डेटा की सुरक्षा पर बल दिया। उद्घाटन सत्र में कुलपति प्रो. वी.सी. विवेकानंदन ने रेग्युलेटरी वैक्यूम, असमानताओं की वृद्धि, सीमा-विहीन संचालन और दुष्प्रवृत्त तकनीक जैसी चिंताओं को रेखांकित करते हुए कहा कि ये लोकतंत्र और न्याय प्रणाली का आभासी भ्रम उत्पन्न कर रही हैं। इसके बाद आयोजित पैनल चर्चा का विषय था रेग्युलेटिंग द अनप्रेडिक्टेबल: लीगल फ्ऱेमवर्क्स फ़ॉर सेफ़ एंड एथिकल एआई।


