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रायपुर, 21 अक्टूबर। आंजनेय विश्वविद्यालय ने बताया कि प्राणिशास्त्र विभाग द्वारा आयोजित एक विशेष व्याख्यान में, राष्ट्रीय गुफा अनुसंधान एवं संरक्षण संगठन के निदेशक डॉ. जयंत बिस्वास ने भारतीय शिक्षा प्रणाली में गुफा विज्ञान के महत्व पर प्रकाश डाला। भारत में गुफा विज्ञान का अध्ययन अभी शुरुआती चरण में है, लेकिन इस क्षेत्र में कुछ उल्लेखनीय शोध हुए हैं। विद्यार्थियों से चर्चा के दौरान डॉ. बिस्वास ने मेघालय में हुई एक महत्वपूर्ण खोज का उल्लेख किया कि एक नए भूवैज्ञानिक युग की पहचान हुई है। यह खोज भारतीय वैज्ञानिक आशीष सिंह द्वारा की गई थी, जिसे अंतरराष्ट्रीय स्तर पर मेघालय युग के नाम से जाना जाता है।
विश्वविद्यालय ने बताया किउन्होंने भारत की गुफाओं में पाए जाने वाले जैव विविधता पर भी चर्चा की, जिसमें दुनिया की सबसे बड़ी गुफा मछली का उल्लेख शामिल था। जिसे प्रधानमंत्री ने अपने मन की बात कार्यक्रम में इसका उल्लेख किया था। डॉ. बिस्वास ने कहा कि गुफा विज्ञान को प्राथमिक शिक्षा प्रणाली से ही पाठ्यक्रम में शामिल किया जाना चाहिए इसका कारण है कि गुफा विज्ञान में जीव विज्ञान, भूविज्ञान और कई अन्य विषयों का समावेश होता है।
कुलपति डॉ टी रामाराव ने बताया कि यह व्याख्यान छात्रों और शिक्षकों के लिए गुफा विज्ञान के महत्व और भारतीय अनुसंधान में इसके योगदान को समझने का एक अनूठा अवसर था। कार्यक्रम का संयोजन प्राणी शास्त्र विभागाध्यक्ष दाऊ लाल सेन ने किया। व्याख्यान के दौरान संकायाध्यक्ष डॉ शिल्पा शर्मा, उप कुलसचिव डॉ राकेश सोनी मुख्य रूप से मौजूद थे।


