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जैन धर्म वैज्ञानिक धर्म है-विधानसभा अध्यक्ष
रायपुर, 21 अक्टूबर। तेरापंथ महिला मंडल, रायपुर द्वारा आचार्य श्री महाश्रमण जी के सुशिष्य मुनिश्री सुधाकर जी व मुनिश्री नरेश कुमार जी के सान्निध्य में वास्तु विज्ञान में अष्ट लक्ष्मी का स्वरूप दिशा भी बदल सकती है जीवन की दशा और दिशा पर भव्य सेमिनार का आयोजन छत्तीसगढ़ विधानसभा के अध्यक्ष मा. डॉ. रमन सिंह के मुख्य आतिथ्य व रायपुर पश्चिम विधायक राजेश मूणत के साथ हरिभूमि संपादक हिमांशु द्विवेदी के विशेष अतिथि उपस्थित में किया गया।
मुनिश्री सुधाकरजी ने बहुत ही सुन्दर ढंग से जैन आगमों के प्रमाण के साथ बताया कि वास्तु की भूमिका में द्रव्य, क्षेत्र, काल और भाव पर भी ध्यान देना अनिवार्य है। हम जैन ज्योतिष एवं वास्तु के आधार पर स्वस्थ, सुखी एवं समृद्धि दायक जीवन जी सकते है। मुनिश्री ने सरल भाषा में बताया कि वास्तु विघा का गहन संबंध दसों दिशाओं एवं पांचों तत्व जल, अग्नि, पृथ्वी, वायु और आकाश के साथ है। हम अपने स्वभाव एवं व्यवहार से रिश्तों में मधुरता, पवित्रता एवं सुदृढ़ता भर सकते हैं, उज्जवल भविष्य की राह को उन्नत बना सकते हैं, परिवार में प्रेम, सौहार्द और सामंजस्य को बढ़ा सकते हैं साथ ही मानसिक आनंद, प्रसन्नता एवं आरोग्य को प्राप्त कर सकते हैं।
मुनिश्री ने अनेकों अहिंसक एवं आध्यात्मिक प्रयोग बताए जिनसे भाग्योदय का जागरण हो सके। मुनिश्री ने आगे अष्टलक्ष्मी स्वरूप को विस्तार से समझाते हुए प्रत्येक लक्ष्मी की हमारे जीवन में उपयोगिता व उनकी दिशाओं के बारे में उपस्थित जनसमूह को मार्गदर्शित किया। मुख्य अतिथि श्री डॉ रमन सिंह ने उपस्थित समाजजनों को संबोधित करते हुए कहा कि छत्तीसगढ़ में उत्खनन में प्राप्त हो रही पुरात्वीक मूर्तियों के प्रमाण को देखें तो प्रतित् होता है जैन धर्म छत्तीसगढ़ का प्राचीन धर्म है। हिमांशु द्विवेदी ने अपने वक्तव्य में कहा कि अगर हम जैन समाज में आत्मा को आत्मा के सहयोग के वास्तु को अपनाते हुए अपने स्वयं के जीवन के वास्तु को साध ले तो सफलता का अर्जन कर सकते हैं।


