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रायपुर, 19 अक्टूबर। कलिंगा विश्वविद्यालय ने बताया कि13 अक्टूबर 2024 की सुबह, नई दिल्ली स्थित भारतीय अंतर्राष्ट्रीय विधि सोसायटी में उत्सुकता का माहौल था, क्योंकि यह कानूनी सहायता पुरस्कार 2024 के लिए प्रतिष्ठित पुरस्कार समारोह की मेजबानी कर रही थी।
विश्वविद्यालय ने बताया कि कानून के दिग्गजों और मानवाधिकारों एवं लैंगिक न्याय के उत्साही अधिवक्तागण उपस्थित थे। कलिंगा विश्वविद्यालय के विधि संकाय को कानूनी सहायता और सामाजिक न्याय गतिविधियों के लिए चौथा राष्ट्रीय कानूनी पुरस्कार 2024 से सम्मानित किया गया है। यह प्रतिष्ठित पुरस्कार विधि महाविद्यालयों और विश्वविद्यालयों को समाज में उनके सराहनीय और उल्लेखनीय योगदान के लिए प्रदान किया जाता है।
विश्वविद्यालय ने बताया कि कानूनी सहायता प्रकोष्ठ के संकाय संयोजक श्री रंजन कुमार रे विधि संकाय की ओर से सम्मान स्वीकार करने के लिए आगे आए। उनके गौरवपूर्ण स्वीकृति भाषण में विश्वविद्यालय की कानूनी सहायता प्रदान करने तथा अपने विद्यार्थियों में सामाजिक उत्तरदायित्व की संस्कृति को बढ़ावा देने के प्रति समर्पण की झलक दिखाई दी। दिन की शुरुआत प्रोफेसर (डॉ) ऋषिकेश दवे, अधिष्ठाता, शारदा विश्वविद्यालय, नोयडा के उत्साह से स्वागत और ज्ञानवर्धक परिचय से हुई, जिन्होंने एक आकर्षक सम्मेलन के लिए मंच तैयार किया। उनके शब्दों ने सहयोग और प्रेरणा की तस्वीर पेश की, जिसमें उपस्थित लोगों से मानवाधिकारों के ज्वलंत मुद्दों और समाज में कानूनी सहायता की महत्वपूर्ण भूमिका पर विचार करने का आग्रह किया गया।
विश्वविद्यालय ने बताया किमुख्य भाषण राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग की पूर्व सदस्य और भारत के सर्वोच्च न्यायालय की वरिष्ठ अधिवक्ता सुश्री ज्योतिका कालरा ने दिया। सुश्री कालरा ने अपनी दमदार कहानी से दर्शकों का मन मोह लिया। उन्होंने कानूनी क्षेत्र में एक महिला के रूप में अपने सफऱ को साझा किया, उन्होंने अपने सामने आई चुनौतियों और हासिल की गई उपलब्धियों के बारे में बताया। उनके हृदयस्पर्शी विचार गहरे तक प्रभावित करते हैं, तथा पारंपरिक रूप से पुरुष-प्रधान पेशे में आगे बढऩे के लिए आवश्यक लचीलेपन और दृढ़ संकल्प को रेखांकित करते हैं।


