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विजया दशमी मनाने मनोविकारों पर जीत हासिल करें-भगवान भाई
15-Oct-2024 3:22 PM
विजया दशमी मनाने मनोविकारों पर जीत हासिल करें-भगवान भाई

रायपुर, 15 अक्टूबर।  ब्रम्हकुमार भगवान भाई ने बताया कि हम सभी हर साल दशहरा में रावण का बुत बनाकर उसे जलाते है। इसका मतलब है कि वह मरता नहीं है। बल्कि रावण का पुतला हर साल बड़ा होता जा रहा है। दशहरा में रावण का पुतला तो जल जाता है लेकिन असली रावण हमारे अन्दर जिन्दा है। वास्तव में मनोविकार ही वह रावण है जो कि प्रतिदिन बढ़ते ही जा रहे हंै। काम, क्रोध, लोभ, मोह, अहंकार, ईर्ष्या, नफरत, घृणा, द्वेष, वैर आदि रावण के दस सिर हैं। जब तक इन दसों मनोविकारो पर जीत नहीं पायेंगे तब तक असली विजयादशमी नहीं मना सकेंगे।

भगवान भाई ने बताया कि यह विचार माउण्ट आबू से पधारे ब्रह्माकुमार भगवान भाई ने व्यक्त किया। वह प्रजापिता ब्रह्माकुमारी ईश्वरीय विश्व विद्यालय के शांति सरोवर रिट्रीट सेन्टर में आध्यात्मिक ज्ञान द्वारा संस्कार परिवर्तन विषय पर बोल रहे थे। वह भारत और नेपाल के 11000 (ग्यारह हजार) से अधिक स्कूलों और 900 (नौ सौ)से अधिक कारागारों (जेलों) में नैतिक मूल्यों की शिक्षा दे चुके हैं जिसके फलस्वरूप उनका नाम इंडिया बुक ऑफ रिकाड्र्स में दर्ज है। सभी विकारों का मुखिया है देहभान जब तक हम स्वयं को आत्मा निश्चय कर परमात्मा से योग नहीं लगाते तब तक इन मनोविकारों पर जीत पाना संभव नही है। वर्तमान समय परमपिता परमात्मा सहज राजयोग और अध्यात्मिक ज्ञान द्वारा इन मनोविकारों पर जीत पाने की शिक्षा ब्रह्माकुमारी बहनों के माध्यम से दे रहे है।  अपनी कमज़ोरियों पर जीत हासिल करना ही मानव मन में बसे रावण की नकारात्मक प्रवृत्तियों को खत्म करने का एकमात्र तरीका है।
 


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