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विजयादशमी इंद्रियों पर विजय का उत्सव है-गुरुदेव श्री श्री रवि शंकर
13-Oct-2024 3:01 PM
विजयादशमी इंद्रियों पर विजय का उत्सव है-गुरुदेव श्री श्री रवि शंकर

रायपुर, 13 अक्टूबर। गुरुदेव श्रीश्री रविशंकर ने बताया कि विजयदशमी का अर्थ यह है कि हमें दसों इन्द्रियों पर विजय प्राप्त हो। विजय को दशमी के साथ क्यों जोड़ा गया है, हमें यह सोचना चाहिए। हमारी दस इंद्रियाँ हैं और इन दसों इन्द्रियों पर विजय होने पर आत्मज्ञान होता है। जो हमारी पंच ज्ञानेंद्रियों और पंच कर्मेन्द्रियों से परे है, वह आत्मा है; वही ईश्वर है ।

गुरुदेव ने बताया कि आत्मा मल, आवरण और विक्षेप इस तीन चीजों से ढकी हुई है । मल माने गंदगी;  मन की चंचलता, तनाव, एकाग्रता की कमी, मन का इधर-उधर भटकना विक्षेप है और आवरण माने मन पर पर्दा लग जाना । जब तक ये तीनों नहीं मिटते या हल्के नहीं होते तब तक जीवन में आनंद की अनुभूति नहीं होती। जब भी हम आनंदित होते हैं तब समझिये मल हट गया और  विक्षेप समाप्त हो गया और आवरण अगर पूरा न भी हटा हो तो कम से कम वह ढीला या पतला हो गया। जब पूरा आवरण हट  जाता है तब हम मुक्त हो जाते हैं।

गुरुदेव ने बताया कि  मल, आवरण और विक्षेप को हटाने के लिए कुछ प्रयास हम खुद कर सकते हैं और जो हम नहीं कर सकते वह हमारे लिए किया जाता है । जैसे आप कहीं गिर जाते हैं और आपको चोट लग जाती है तो छोटी सी चोट को तो आप अपने आप ठीक कर लेंगे मगर यदि आपकी पीठ में चोट लग गई हो जहां आप पहुँच ही न पा रहे हों तब आपको किसी की मदद की ज़रूरत पड़ती है। कुछ चोटों को हम ख़ुद ही ठीक करते हैं और कुछ चीजों के लिए हमें मदद लेनी पड़ती है। मल दो प्रकार के  होते हैं-  एक मल हम खुद ही साफ कर सकते हैं और दूसरा जो हम खुद नहीं साफ कर सकते।


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