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रायपुर, 17 जुलाई। रायपुर सराफा व्यापारी संघ के अध्यक्ष सुरेशभंसाली, दीपचंद कोटडिय़ा, जितेन्द्र गोलछा हरीश डागा सुनील सोनी प्रवीण मालू दिलीप टाटिया राजा कंकारियां, एवं कार्यकारिणी ने बताया कि सरकार द्वारा प्रस्तावित वन नेशन वन गोल्ड प्राइस योजना सराफा व्यापारीयों के लिए मिल का पत्थर साबित होगा इसके बारे में निम्न जानकारी नीचे दी जा रही है!
कोषाध्यक्ष जितेन्द्र गोलछा ने बताया कि रायपुर सराफा टीम ने सभी सराफा व्यवसायियों से इस संदर्भ में उनके अमूल्य सुझाव मांगे है ताकि केंद्र सरकार को मंत्रालय एवम मुख्य सचिव के माध्यम से अपने सुझाव भेजें जा सके ! फायदे-ग्राहकों के लिए-समान मूल्य- पूरे देश में सोने की कीमतें समान होंगी, जिससे ग्राहकों को यह जानने में आसानी होगी कि वे कहां से सबसे अच्छी कीमत प्राप्त कर सकते हैं।
श्री गोलछा ने बताया कि अधिक पारदर्शिता-सोने की कीमतों में पारदर्शिता बढ़ेगी, जिससे ग्राहकों को धोखाधड़ी से बचाने में मदद मिलेगी। प्रतिस्पर्धा में वृद्धि-विभिन्न ज्वैलर्स के बीच प्रतिस्पर्धा बढ़ेगी, जिससे ग्राहकों को बेहतर कीमतें मिल सकती हैं। सराफा व्यवसायियों के लिए-समान स्तर का मैदान-छोटे ज्वैलर्स को बड़े ज्वैलर्स के साथ प्रतिस्पर्धा करने में आसानी होगी, क्योंकि उनके पास सोने की खरीद पर समान लाभ होगा। कम जोखिम-सोने की कीमतों में उतार-चढ़ाव से जुड़ा जोखिम कम होगा, जिससे व्यवसायों को बेहतर योजना बनाने में मदद मिलेगी।
श्री गोलछा ने बताया कि बढ़ी हुई बिक्री-समान कीमतों के कारण सोने की मांग बढ़ सकती है, जिससे व्यवसायों की बिक्री बढ़ सकती है। सरकार के लिए-कर राजस्व में वृद्धि-सोने की बिक्री पर कर राजस्व में वृद्धि हो सकती है। आर्थिक विकास को बढ़ावा*: सोने के आयात पर कम निर्भरता से देश के व्यापार घाटे को कम करने में मदद मिल सकती है। नुकसान-ग्राहकों के लिए-कम विकल्प-विभिन्न ज्वैलर्स के बीच कम प्रतिस्पर्धा के कारण ग्राहकों के पास कम विकल्प हो सकते हैं। ग्रामीण क्षेत्रों में उच्च कीमतें- ग्रामीण क्षेत्रों में परिवहन लागत के कारण सोने की कीमतें थोड़ी अधिक हो सकती हैं।
श्री गोलछा ने बताया कि सराफा व्यवसायियों के लिए-कम लाभ छोटे ज्वैलर्स को कम लाभ हो सकता है, क्योंकि उन्हें अपनी कीमतों को कम रखना होगा। अधिक नियामक बोझ-सरकार द्वारा सोने की कीमतों को विनियमित करने से व्यवसायों पर बोझ बढ़ सकता है। सरकार के लिए-प्रवर्तन में कठिनाई-देश भर में सोने की कीमतों को लागू करना और बनाए रखना मुश्किल हो सकता है। अंतर्राष्ट्रीय बाजारों से जुड़ाव कम-सोने की कीमतों को घरेलू बाजारों से जोडऩे से अंतर्राष्ट्रीय बाजारों से भारत का जुड़ाव कम हो सकता है। यह ध्यान रखना महत्वपूर्ण है कि वन नेशन वन गोल्ड प्राइस योजना अभी भी प्रस्तावित है और इसे लागू करने से पहले विचार करना आवश्यक है।