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रायपुर, 4 मई। स्कूलों में गर्मियों की छुट्टियां आरम्भ हो गई है । 45 दिनों के लम्बे अवकाश में बच्चे विभिन्न प्रकार की गतिविधियों में समय व्यतीत करते हैं । छुट्टियों में बच्चे समय का सदुपयोग करें व विरासत के संस्कारों को सहेजें ताकि बच्चों में सहनशीलता , धैर्य , अनुशासन , संस्कार व करुणा जैसे गुणों का विकास हो सके। स्कूलों से बच्चों को 45 दिनों के लिए होमवर्क दिया जाता हैं।
होमवर्क में नवीनता लाने जैन संवेदना ट्रस्ट ने सहेजें अपने विरासत के संस्कारों को विषय पर स्कूली टीचर्स के लिए कार्यशाला का आयोजन किया है ।जैन संवेदना ट्रस्ट के महेन्द्र कोचर ने आगे बताया कि वर्तमान परिवेश में अनुभव किया जा रहा है कि बच्चों में सहनशीलता , धैर्य की कमी देखी गई है । बच्चे सत्य से दूर भाग रहे हैं , वे अपना अधिकतम समय टी वी , मोबाईल , कम्प्यूटर में व्यतीत कर रहे हैं ।
एकाकी जीवन के कारण डिप्रेशन की स्थिति निर्मित हो रही है। बच्चों को इन विपरीत परिस्थितियों से उभारने जैन संवेदना ट्रस्ट ने अनूठा प्रोजेक्ट तैयार किया है व स्कूलों के माध्यम से कार्यशाला आयोजित कर टीचर्स को ट्रेनिंग दी जा रही है ।


