बीजापुर

40 साल से वेतन विसंगति की पीड़ा झेल रहे लिपिक फिर लामबंद
23-Aug-2024 10:07 PM
40 साल से वेतन विसंगति की पीड़ा झेल रहे लिपिक फिर लामबंद

‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता

भोपालपटनम/बीजापुर, 23 अगस्त। चालीस साल से वेतन विसंगति से पीडि़त लिपिकों ने एक बार फिर से लामबंद होकर अपनी मांग को लेकर मुखर हो गए हैं। वेतन विसंगति एवं अधीनस्थ लेखा सेवा परीक्षा आयोजित करने बीजापुर जिला अध्यक्ष राजेंद्र कुमार पसपुल के नेतृत्व में मुख्यमंत्री विष्णु देव साय  एवं वित्तमंत्री ओपी के नाम ज्ञापन संयुक्त कलेक्टर जागेश्वर कौशल को सौंपा।

लिपिक संघ के जिला अध्यक्ष राजेंद्र कुमार पसपुल ने बताया कि शासन की रीढ़ की हड्डी कहे जाने वाले लिपिक विगत 40 वर्षों से वेतन विसंगति नामक पीड़ा से पीडि़त है। शासन लिपिकों की एकमात्र  समस्या वेतन विसंगति को  40 वर्षों से नजर अंदाज करते आ रही है। सन 1961 से 1973 तक लिपिक एवं शिक्षकों तथा पटवारी का वेतनमान एक समान था। किंतु 1981 से लगातार शिक्षकों का वेतनमान में बढ़ोतरी किया गया। किंतु लिपिकों का वेतनमान बढ़ाने में शासन  द्वारा किसी प्रकार की दिलचस्पी नहीं दिखाई गई है। छत्तीसगढ़ शासन द्वारा लिपिक संवर्गों के वेतनमान के निराकरण हेतु उच्च स्तरीय समिति गठन की गई है।

समिति द्वारा अनुशंसित अनेक संवर्गों के वेतनमान का उन्नयन का निराकरण किया गया, किंतु जिस संवर्ग लिपिक हेतु गठित किया गया था।  समिति द्वारा अनुशंसा के पश्चात भी लिपिकों के वेतनमान का उन्नयन नहीं किया गया है, यह बड़ा हास्यास्पद वाक्या है, कि उक्त समिति जिन संवर्गो के वेतनमान के उन्नयन के लिए अनुशंसा नहीं भी की गई थी। उन संवर्गो के वेतनमान का निराकरण शासन द्वारा किया जा चुका है। किंतु लिपिक का नहीं किया गया है। जिसके कारण  लिपिक संवर्ग में कुंठा एवं निराशा का वातावरण निर्मित है।

लिपिक कर्मचारियों के वेतनमान में निरंतर क्षरण को माननीय उच्च न्यायालय ने भी स्वीकार किया है, साथ ही पूर्ववर्ती सरकार के मुख्यमंत्री  ने लिपिकों के मंच से मांगे पूर्ण करने का आश्वासन भी दिया था। किंतु आज दिनांक तक लिपिकों के वेतनमान में सुधार करने की कार्रवाई लंबित है।

 इस दौरान मिथिलेश नीलम, बसंत समतुल, नीलम संतोष, देवैया मट्टी, संजय बाकड़े, विनोद मड़ी, राहुल राना, गुलशन, श्री ओगर व विभिन्न विभागों के लिपिक बड़ी संख्या में मौजूद रहे।


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