बीजापुर
तेरह साल से शोरमनी को नहीं मिली मदद, कोर्ट का पक्ष में निर्णय
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
बीजापुर, 8 फरवरी। आज से तेरह साल पहले ड्यूटी के दौरान सडक़ हादसे में अपने दोनों पांव गंवा चुकी पूर्व एसपीओ शोरमनी बघेल को अब तक किसी भी तरह की सरकारी मदद नहीं मिली है। दिव्यांग होने के बावजूद वे कई बार नेताओं व अफसरों के यहां भी मदद की गुहार लेकर पहुंची थीं।
ज्ञात हो कि वर्ष 2005 में शोरमनी बघेल विशेष पुलिस अधिकारी (एसपीओ) के पद पर नियुक्त की गई थी। नौकरी के दौरान 10 सितंबर 2008 को वे एसपी नाका ड्यूटी पर अपनी सहकर्मी कोमली कोरसा व राजेश्वरी तिवारी के साथ जाते वक्त दोपहर 12.30 बजे के करीब आरक्षक कमल कारम की बाइक से दुर्घटना हो गई। इस हादसे में उनके एक पैर कट गये हैं, और दूसरे पैर पर राड डाला गया है।
पीडि़ता शोरमनी बघेल ने बताया कि तेरह साल बीत जाने को है, लेकिन उसे कोई भी सरकारी मदद नहीं मिली है। उन्होंने बताया कि घटना की प्राथमिकी बीजापुर थाना में दर्ज है और इसकी सुनवाई न्यायालय में चल रही है।
शोरमनी की मानें तो इस हादसे के बाद विभाग से उसे कोई मदद तो नहीं मिली। बल्कि उन्हें नौकरी से भी निकाल दिया गया है। इससे उनकी आर्थिक स्थिति पर संकट छा गया है। शोरमनी के पति सुनील जैसे-तैसे गुजारा चला रहे हैं। उनके दो बच्चे दुर्गाराज व निखिल हैं, जो कक्षा छठवीं व सातवीं में पढ़ रहे हैं। आज भी पूर्व एसपीओ शोरमनी बघेल सरकारी मदद की आस लगाये हुए हैं।
कोर्ट का शोरमनी के पक्ष में निर्णय
कोर्ट में शोरमनी बघेल का मुकदमा लड़ रहे अधिवक्ता तिमोती लकड़ा ने बताया कि जिस दुपहिया वाहन से दुर्घटना हुई थी। उसका बीमा नहीं होने के चलते न्यायालय ने शोरमनी के पक्ष में निर्णय देते हुए लगभग 9 लाख की राशि का जुर्माना आरोपी कमल कारम के विरुद्ध दिया है। उन्होंने बताया कि शोरमनी को उन्होंने हर्जाना राशि के लिए प्रकरण दर्ज करवाने हेतु दंतेवाड़ा आने के लिए कहा है। उनके आने बाद आगे की कार्रवाई हो पाएगी।


