बेमेतरा
'छत्तीसगढ़' संवाददाता
बेमेतरा, 26 अगस्त। एनएचएम कर्मियों के हड़ताल के 7वें दिन अनिर्णय की स्थिति होने की वजह से चिकित्सकीय कार्य प्रभावित हो रहा है। जिला अस्पताल के साथ सभी सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र में आने वाले मरीजों की संख्या कमी आई है। वहीं निजी अस्पतालों में मरीज उपचार कराने के लिए पहुंच रहे हैं। जिला अस्पताल में शिशु रोग यूनिट व एनआरसी में तालाबंदी की स्थिति है।
18 अगस्त से पूरे प्रदेश के एनएचएम कर्मी हड़ताल पर चले गए हैं। अपनी मांग को लेकर अडिग होकर स्वास्थ्य विभाग के कर्मचारियों ने कड़ा रूख अपनाया है। 7 दिन की हड़ताल में एक भी कर्मचारी काम पर वापस नहीं लौटे हैं। जिले के साजा, बेरला, नवागढ़, खंडसरा सामुदायिक व प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र केवल नियमित कर्मचारियों के भरोसे चल रहे हैं, जिसमें नर्सिंग स्टाफ की संख्या कम है। सरकारी अस्पतालों में एनएचएम के तहत कार्य करने वालों में नर्स, वार्ड ब्वॉय व कार्यालयीन कर्मचारियों की संख्या अधिक है।
40 फीसदी मरीज हुए कम
जिला अस्पताल में रोजाना ओपीडी मरीजों की संख्या 560 से 600 तक हो गई है। आम तौर पर मौसम की वजह से बीमार पडऩे वाले, सर्दी बुखार, दर्द व सामान्य मरीज उपचार के लिए पहुंचते हैं। हड़ताल के पूर्व जिला अस्पताल के सुबह की ओपीडी में 700 और शाम की ओपीडी में 300 मरीज का उपचार होता था। हड़ताल की वजह से ओपीडी मरीज 40 फीसदी कम हो गए।
मातृ शिशुु अस्पताल के दो जरूरी विभाग एनआरसी व एसएनसीयू मेे तालाबंदी की स्थिति है। बताना होगा कि एनआरसी में अति कुपोषित बच्चों को रखकर सुपोषित करने के लिए निर्धारित समय में उपचार व पोषण आहार प्रदान किया जाता है। 10 बिस्तर वाले एसएनसीयू में हड़ताल के दौरान एक भी बच्चे नहीं हैं, जो पूर्व में थे उनके पालक रिलीव करा कर जा चुके हैं। यूनिट में तालाबंद है।
कार्यालय का काम बंद, कक्ष में ताला
जिला स्वास्थ्य एवं चिकित्सा कार्यालय में कार्यरत 13 एनएचएम कर्मचारियों के हड़ताल पर चले जाने के कारण कार्यालयीन कामकाज बंद है। कार्यालय के बंद रहने की वजह से योजनाओं से संबधित डाटा पोर्टल पर अपडेट नहीं हो रहा है। कार्यालय में कामकाज लेकर आने वालों को लौटना पड़ रहा है। 10 सूत्रीय मांग को पूरा कराने के लिए कमर कसकर सड़क पर उतरे राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन के कर्मचारियों की हड़ताल की वजह सें स्वास्थ्य सेवाएं गड़बड़ाने लगी है। सबसे अधिक मातृ-शिशु अस्पताल की सेवाएं प्रभावित हो रही हैं।
नवजात शिशु के लिए जरूरी एसएनसीयू बंद
जिला अस्पताल के एमसीएच बिल्डिंग में संचालित एसएनसीयू यानी नवजात देखभाल इकाई बीते 7 दिन से हड़ताल की वजह से बंद है। 7 दिनों में जिला अस्पताल में 119 डिलीवरी हुई है, जिसमें जन्म लेने वाले ऐसे शिशु जिनका वजह 1800 ग्राम से कम हैं। ऐसे शिशुु जिनको सांस लेने में दिक्कत हो, पीलिया व झटका आने, दूध पीने में समस्या हो, जन्म के समय नीला पड़ जाने वाले शिशु को इस केन्द्र का लाभ नहीं मिल पा रहा है। दोनों यूनिट को दो दिन पूर्व मंत्री के प्रवास के दौरान चंद समय के लिए दिखाने के लिए खोला गया था, जिसके बाद से बंद है।
जिला अस्पताल के पुराने भवन में संचालित गैर संचारी रोग यूनिट व स्पर्श क्लीनिक के सभी कर्मचारी हड़ताल पर चले गए हैं। इस यूनिट में बीपी, शुगर, मानसिक चिकित्सा, फिजियोथेरेपी की जाती है। साप्ताहिक जांच भी बंद है।
आंदोलन अनिश्चितकाल तक रहेगा जारी
संघ के जिलाध्यक्ष पूरनदास और जिला प्रवक्ता डॉ. बृजेश दुबे ने कहा कि जब तक नियमितीकरण और ग्रेड पे की मांग पर लिखित आदेश जारी नहीं होता। आंदोलन अनिश्चितकाल तक जारी रहेगा। इस अवसर पर डॉ. अभिषेक यादव, डॉ. डोमन यादव, डॉ. तृप्ति दुबे, डॉ. सिमित मिश्रा, डॉ. निलेश देवांगन, मुकेश स्वर्णकार, प्रमोद साहू, दिनेश गंगबेर, निशा वर्मा, दिव्या देवागन, अमर वर्मा, अनामिका कुर्रे, दामनी वर्मा, रेशमी बंजारे, सुमित्रा साहू व संध्या आदि शामिल रहीं।
डिलीवरी प्रकरण बढ़े
जिला चिकित्सा अधिकारी डॉ. लोकेश साहू ने कहा कि जिला अस्पताल में हड़ताल की वजह से 6 यूनिट में उपचार बंद है। सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र भी बंद हैं, जिससे वहां के मरीजों को जिला अस्पताल में रेफर किया जा रहा है। इस कारण से जिला अस्पताल में डिलीवरी प्रकरण बढ़ गए हैं।


