बेमेतरा

सर्पदंश: इस माह 99 फीसदी मरीज ठीक होकर घर लौटे, 1 की मौत
20-Jul-2025 3:54 PM
सर्पदंश:  इस माह 99 फीसदी मरीज ठीक होकर घर लौटे, 1 की मौत

झाड़-फूंक से बचने दी सलाह , बारिश में पानी भरने से सांप व बिच्छू बाहर निकलते हैं

‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता

बेमेतरा, 20 जुलाई। बारिश के साथ ही जिले में सर्पदंश के मामले बढऩे लगे हैं। जिले में जून माह की अपेक्षा करीब डेढ़ गुना मरीजों को उपचार के लिए अस्पतालों में भर्ती किया गया है। राहत की बात है कि जारी माह में 99 फीसदी मरीज ठीक होकर अपने घर वापस लौट चुके हैं, वहीं केवल एक मरीज की मौत हुई है। जिला अस्पताल में 18 दिन में सर्पदंश के 40 मरीज भर्ती हुए हैं। साजा में 36 मरीज भर्ती हुए हैं।

बारिश के दिनों में सांप, जहरीले जीव जंतु के काटने के प्रकरण अधिक सामने आए हैं। जिले में चार माह के रिकॉर्ड देखा जाए तो अप्रैल के दौरान सर्प काटने के 86 मरीजों का उपचार किया गया था। इसके बाद मई में 45 मरीज जून में 65 लोगों को सांप काटने के बाद उपचार के लिए भर्ती किया गया था।

इस माह के 18 दिन के दौरान जिला अस्पताल में सर्पदंश के 40 मरीज भर्ती किए गए। साजा के सरकारी अस्पताल में सर्पदंश के 36 मरीजों को उपचार के लिए भर्ती कराया गया था, जिसमें से 35 मरीज उपचार के बाद स्वस्थ होकर घर वापस गए। इन दो ब्लॉक के अलावा बेरला व नवागढ़ ब्लॉक में भी सांप के डंसने के 20 से 25 मरीजों का उपचार हुआ है। सर्पदंश के बाद भर्ती होने वाले मरीजों में ज्यादातर व्यक्ति ग्रामीण क्षेत्र के हैं। मरीज के परिजनों ने बताया कि आम तौर पर बारिश के दौरान खेतों में काम बढ़ जाता है। वहीं खेतों में पानी भरने की वजह से सांप बिच्छू भी बिल या जमीन के अंदर रहने की बजाय बाहर आ जाते हैं, जिसके संपर्क में आने से खेत में काम कर रहे लोग सर्पदंश का शिकार होते हैं। घर की सफाई, कवेलू सुधराने के दौरान भी सांप काटने की घटनाएं हुई हैं।

जांता निवासी एक अधेड़ की मौत, दो स्वस्थ होकर लौटे

 साजा ब्लॉक के ग्राम जांता निवासी भागवत दास जांगड़े को उसके घर में सर्पदंश के बाद परिजनों ने साजा के अस्पताल में उपचार के लिए भर्ती कराया था। उपचार के दौरान भागवत दास की मौत हो गई। वहीं शुक्रवार को ही सर्पदंश के दो मरीजों को उपचार के लिए इसी अस्पताल में भर्ती कराया गया, जो उपचार के बाद स्वस्थ होकर घर वापस लौटे। डॉ. अश्वनी वर्मा ने बताया कि जुलाई माह के दौरान सर्पदंश के बाद उपचार के लिए भर्ती होने 35 मरीज स्वस्थ होकर गए हैं। मरीज के परिजनों ने झांड़-फूंक की बजाय अस्पताल आकर जागरूकता दर्शाया है, जिससे जान बची है।

 

एंटी स्नेक वेनम का डोज लगता है

जिला अस्पताल में पदस्थ प्रबंधक डॉ. स्वाति यदु बतती है कि सर्पदंश के बाद मरीजों को एंटी स्नेक वेनम का डोज लगाया जाता है। आम तौर पर एक मरीज को 10 डोज लग जाता है पर स्थिति खराब रही तो इससे अधिक डोज लगता है। जिला अस्पताल में एंटी स्नेक वेनम के 300 डोज उपलब्ध है। बहरहाल जिला में बारिश के समय इस तरह की घटनाएं बढ़ रही है, जिससे देखते हुए सावधानी बरतना भी जरूरी हो गया है। जिले में सांप डंसने के बाद उपचार के लिए स्वास्थ्य विभाग द्वारा बिंदुवार सलाह दी जा रही है।

जागरूकता जरूरी  है - सीएचएमओ

जिला चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी डॉ. अमृत रोहडेलकर ने बताया कि झाड़-फूंक से किसी भी सर्पदंश से पीडि़त व्यक्ति की जान नहीं बचाई जा सकती है। अंधविश्वास के कारण ग्रामीण संर्पदंश के मामलों में झाड़-फूंक में समय नष्ट कर मरणासन्न स्थिति में पीडि़तों को चिकित्सालय लाया जाता है, जिससे ऐसे प्रकरणों में जीवन बचाने में चिकित्सक भी असफल रहते हैं। जुलाई में जिले के विभिन्न अस्पतालों में भर्ती किए गए मरीजों के परिजनों ने अस्पताल लाकर जागरूकता दिखाई, जिससे 95 फीसदी मरीज ठीक हुए हैं।

  सर्पदंश के प्रकरण

अप्रैल-  85

मई-    45

जून-65

 जुलाई के 18 दिन में केवल बेमेतरा, साजा में -  76

 जिले में सर्पदंश से मौत की संख्या -     01

 उपचार के बाद जुलाई माह में घर लौटे मरीज -  75


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