बेमेतरा
किशोर न्याय अधिनियम के प्रभावी क्रियान्वयन पर कार्यशाला
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
बेमेतरा, 19 मई। कलेक्टर व सह अध्यक्ष जिला बाल कल्याण, संरक्षक समिति महिला एवं बाल विकास रणबीर शर्मा की अध्यक्षता में रविवार को कलेक्ट्रेट के दिशा सभाकक्ष में किशोर न्याय अधिनियम 2015 यथा संशोधित 2021 के प्रभावी क्रियान्वयन के लिए कार्यशाला आयोजन किया गया। कलेक्टर शर्मा ने कहा कि किशोर न्याय अधिनियम न केवल एक कानूनी दस्तावेज है बल्कि यह हमारे समाज की उस संवेदनशील सोच का प्रतीक है, जो बालकों के अधिकारों, उनके संरक्षण और पुनर्वास के लिए प्रतिबद्ध है। उन्होंने कहा कि हमें अपचारी बच्चों को अपराधी नहीं बल्कि सुधार और स्नेह की आवश्यकता वाले बालक के रूप में देखना चाहिए।
कार्यशाला में न्यायपीठ की अध्यक्ष निवेदिता जोशी, सदस्य प्रफुल्ल शर्मा, किशोर न्याय बोर्ड सामाजिक कार्यकर्ता शेषनारायण मिश्रा, मनीष तिवारी, डीएसपी राजेश कुमार झा, डीएसपी कौशिल्या साहू, जिला कार्यक्रम अधिकारी चंद्रबेश सिंह सिसोदिया, जिला महिला एवं बाल विकास अधिकारी सीपी शर्मा, जिला बाल संरक्षण अधिकारी व्योम श्रीवास्तव आदि मौजूद रहे।
बच्चों के खिलाफ बिना सोचे-समझे अपराध दर्ज न कराएं
कलेक्टर ने कहा कि लघु एवं गंभीर अपराधों के मामलों में बच्चों पर बिना सोचे समझे एफआईआर दर्ज करना, उनके जीवन को पूरी तरह बदल सकता है। इसके स्थान पर हमें संवेदनशीलता, परामर्श और पुनर्वास के माध्यम से न्याय देना होगा। कलेक्टर ने निर्देशित किया कि ऐसे प्रकरणों का शीघ्र निपटारा हो, ताकि बालकों को लंबी कानूनी प्रक्रियाओं से गुजरना न पड़े और उनका बचपन संरक्षित रह सके। यह केवल प्रशासन की ही नहीं पूरे समाज की जिोदारी है कि हम हर बच्चे को एक सुरक्षित, समानजनक और उज्ज्वल भविष्य दें।
बच्चों से एक अधिकारी की तरह नहीं सरंक्षक की तरह करें बात
वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक रामकृष्ण साहू ने कहा कि पुलिस विभाग की भूमिका न्यायिक प्रक्रिया में संवेदनशील और जिमेदार सहयोगी के रूप में अत्यंत महत्वपूर्ण है। उन्होंने कहा कि जब हम एक बच्चे से बात करते हैं, तो हमें एक अधिकारी नहीं, एक संरक्षक की तरह व्यवहार करना चाहिए। उन्होंने पुलिस अधिकारियों और सभी थाना प्रभारियों को निर्देशित किया कि ऐसे मामलों में तत्काल और मानवीय दृष्टिकोण से कार्यवाही करें। एफआईआर दर्ज करने से पहले हर केस की गंभीरता, बच्चे की मानसिक अवस्था, पारिवारिक पृष्ठभूमि आदि को ध्यान में रखा जाए। बाल संरक्षण कोई विकल्प नहीं बल्कि हमारी प्राथमिकता होनी चाहिए।


