बेमेतरा

देशी-विदेशी पक्षियों के लिए नहीं है पानी, गिधवा-परसदा जलाशय सूख गए
29-Apr-2025 4:13 PM
देशी-विदेशी पक्षियों के लिए नहीं है पानी, गिधवा-परसदा जलाशय सूख गए

गिधवा के एक डैम में मवेशी चरा रहे, वहीं मिट्टी की खुदाई भी की जा रही है 

‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता 
बेमेतरा, 29 अप्रैल।
देश-विदेश के एक लाख चालीस हजार पक्षियों के प्रवास के लिए पसंदीदा स्थल परसदा एवं गिधवा जलाशय की हालत इन दिनों दयनीय हो चुकी है। गिधवा के एक डैम में तो मवेशी चरा रहे हैं। वहीं खुदाई कर मिट्टी निकाली जा रही है। दूसरे में मछली पकडऩे वालों की भीड़ लगी रहती है। वहीं परसदा के जलाशय का उपयोग मछली मारने के लिए हो रहा है। पर्यटकों के लिए उपलब्ध सुविधाओं के नाम पर दोनों जलाशयों में शून्यता है। दस साल से पक्षी अभ्यारण्य बनाने के लिए कागज से बाहर निकल कर वाजिब प्रयास व पहल की कमी मौके पर साफ दिखाई दे रही है। वन विभाग के अनुसार प्रस्ताव केन्द्र को प्रस्तुत किया गया है, जिसकी स्वीकृति का इंतजार है।

ज्ञात हो कि 31 जनवरी 2021 में जिस तामझाम के साथ परसदा गिधवा जलाशय में देशी व विदेशी पक्षियों के आगमन को देखते हुए प्रदेश का पहला पक्षी महोत्सव मनाया गया था। तीन दिवसीय आयोजन होने के बाद दोनों जलाशयों को बेहतर पर्यटन स्थल बनाए जाने की उम्मीद जगी थी। उत्सव के बाद कुछ एक कार्यक्रम को छोडक़र उत्सव स्थल को पांच साल से पक्षी विहार के सुधार के लिए किसी ने पलट कर नहीं देखा। आम तौर पर बारिश व ठंड के समय पक्षियों की आमद का समय माना गया है। इस दौरान जलाशयों का सुधार करना

नसिब नहीं होगा। ऐसे में गर्मी यानी फरवरी माह से लेकर मई व जून के मध्य तक दोनों जलाशयों की बेहतरी के प्रयास किए जा सकते थे, पर आज तक प्रयास नहीं किया गया। इस वजह से गिधवा दोनों जलाशय व परसदा के एक तालाब व एक जलाशय बदहाली की ओर बढ़ रहे हैं। परसदा के एक तालाब को छोडक़र कहीं भी पक्षी का पर तक नहीं मिला।

परसदा में भी यही स्थिति 
ग्राम परसदा के जलाशय व एक तालाब में पक्षियों का आना होता है। मौके पर झुंड भी दिखाई दिया। ग्रामीणों ने बताया कि गांव के मध्य होने की वजह से एक हिस्से में पानी है, जहां पर साल भर पक्षियों का बसेरा होता है। 

परसदा के दूसरे जलाशय में कुछ जलभराव की स्थिति थी, जिसमें ग्रामीण युवा मछली मारते नजर आए। बेरोकटोक मछली पकडऩे व मारने वालों को गांव में आने वाले विदेशी मेहमानों की चिंता जरा भी नहीं थी। वहीं वन विभाग के जिमेदारों ने बताया कि कम पानी या दलदल की स्थिति में भी पक्षियों के लिए चारा होता है। इस समय वो काई या शैवाल खाते हैं पर लोगों के आ जाने की वजह से पक्षियों का पहुंचना बंद हो चुका है।

मछली मारने व मवेशी चराने मिली जगह 
‘छत्तीसगढ़’ ने ग्राम गिधवा व परसदा दोनों गांव के पक्षियों के आमद वाले स्थल पर पहुंचकर वर्तमान हालतों का जायजा लिया गया। गिधवा के एक जलाशय में जहां पर पहुंचने के लिए पक्की सडक़ ही नहीं है। वहां पर बकायदा मवेशी चराते देखा गया। इस दौरान पानी की एक बूंद तक नहीं मिली। वहीं एक छोर पर मिट्टी निकालने का काम चल रहा था। मौके पर स्थानीय, देशी, विदेशी पक्षी दिखाई नहीं दिए। जलाशय क्रमांक दो 97 फीसदी सूख चुका है। जलाशय के अंदर लोग बाइक लेकर पहुंच रहे हैं और हाथ में जाल लेकर दिन भर मछली मारने का काम करते हैं। जलाशय के एक हिस्से में पक्षी नजर आए। मौके पर मौजूद ग्रामीण कुछ भी कहने से बचते रहे। वहीं जलाशय के सामने लगाया गया बोर्ड धराशायी हो चुका है। पहचान के लिए एक लेक्स ही है।

बरसों से आ रहे पक्षी 
गिधवा-परसदा में विगत 25 साल से विदेशी पक्षी आ रहे हैं। यूरोप-अफ्रीका महाद्वीप से भी हजारों मील समुद्र पार कर पक्षी आते हैं। इनको यहां संरक्षण मिलता है। उनको यहां खाना उपलब्ध होता है। गिधवा-परसदा की पहचान देश ही नहीं विदेश मे भी होने लगी है।
 गिधवा-परसदा के दो बड़े जलाशयों मे देशी एवं विदेशी 150 प्रजाति के पक्षी आते हैं।

 

आयोजन में दो घोषणाएं की गई थीं। इनमें गिधवा एवं परसदा ग्रामों के आस-पास जिन क्षेत्रों मे प्रवासी पक्षी आते हैं। 
उसके संरक्षण की योजना बनाकर छग राज्य जैवविविधता बोर्ड द्वारा कार्य किया जाएगा। साथ ही क्षेत्र में एक पक्षी जागरुकता एवं प्रशिक्षण केन्द्र स्थापित किया जाएगा। दूसरी घोषणा राज्य के समस्त ऐसे वेटलैण्ड, जिसमें प्रवासी पक्षी आते हैं एवं जैवविविधता के दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण हैं, उनके संरक्षण एवं प्रबंधन की जिमेदारी छग राज्य जैवविविधता बोर्ड को दी जाएगी। ये दोनों घोषणा अधूरी हैं।

गिधवा-परसदा पक्षी विहार को अंतरराष्ट्रीय मानचित्र में शामिल करने के लिए आवश्यक कदम उठाने का दावा किया गया था, जो आज तक अधूरे हैं।
जिला पंचायत सदस्य सुशीला जोशी ने कहा कि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पहचान दिलाने वाले पक्षी अभ्यारण्य के दोनों गांवों के जलाशयों की स्थिति ठीक नहीं है। इसके विकास के लिए कार्य किए जाने चाहिए। 

अनुविभागीय अधिकारी वन विभाग वीके दुबे में बताया कि परसदा व गिधवा के लिए कार्ययोजना बनाकर स्टेट से केन्द्र को प्रपोजल भेजा गया है, जिसे अभी स्वीकृति नहीं मिली है। फिलहाल गर्मियों की वजह से पक्षियों का आना कम हो गया है।


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