बेमेतरा
हाईस्कूल में पढऩे वाले स्टूडेंट्स पंचायत भवन में बगैर फर्नीचर बैठ रहे
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
बेमेतरा, 28 अप्रैल। जिला मुख्यालय से 4 किलोमीटर दूर ग्राम खिलोरा में सरकारी हाईस्कूल भवन में जेईई और नीट की निशुल्क कोचिंग सरकारी फंड से संचालित की जा रही है। महीनों से संचालित कोचिंग में सुविधाओं की कमी है। भीषण गर्मी में कक्षा व आवासीय रूम में पर्याप्त पंखे व कूलर तक की व्यवस्था नहीं है। बिस्तर नहीं होने की वजह से पढऩे वालों को जमीन पर ही सोना पड़ता है। रिकॉर्ड में 150 स्टूडेंट्स की क्षमता है, पर कितने स्टूडेंट कोचिंग पढ़ रहे हैं। इसे स्थानीय प्रबंधन स्पष्ट नहीं कर पाया है।
जिला शिक्षा अधिकारी के अनुसार बच्चों को जिले में बेहतर कोचिंग देने के प्रयास किए जा रहे हैं, जिसके लिए कदम बढ़ाया गया है। जानकारी हो कि जिला मुख्यालय में कई सरकारी भवनों के खाली होने के बाद भी जिला मुख्यालय से 4 किलोमीटर दूर भीषण गर्मी में व्यावसायिक परीक्षा के लिए कोचिंग संचालित किया जा रहा है। कोचिंग सेंटर के कर्मचारी उपलब्ध सुविधाओं व अन्य जानकारी देने से पीछे हट रहे हैं। स्कूल के नीचे कोचिंग और ऊपरी तल में आवास की सुविधा है। आवासीय कोचिंग में फिलहाल बालकों के रूकने की व्यवस्था है। वहीं बालिकाओं के लिए कस्तूरबा स्कूल में व्यवस्था की गई है। बालकों के ठहरने के लिए कमरे तो हैं पर वाजिब सुविधाओं की कमी है। बिस्तर की कमी के साथ ही कूलर और पखों की पर्याप्त व्यवस्था नहीं है। कई नलों में पानी नहीं आने की भी बात सामने आई है।
8 साल में केवल दो सत्र बैठे हैं, इस बार फरवरी में हटा दिया गया
खिलोरा हाईस्कूल के लिए 49 लाख 15 हजार रुपए की लागत से बने एक मंजिला स्कूल भवन को करीब 8 साल से अधिक का समय हो चुका है। इस बीच इस स्कूल में बच्चे केवल दो सत्र में ही बैठ पाए हैं। पूर्व में स्कूल भवन का उपयोग नवोदय स्कूल के लिए किया जा रहा था। इसके हाईस्कूल की कक्षा की शुरुआत की गई थी कि जारी सत्र के दौरान फरवरी में ही कक्षा 9वीं व कक्षा 10वीं के स्टूडेंट्स को बाहर यानी पंचायत भवन का रास्ता दिखा दिया गया, जिसके लिए पूरा स्टाफ व बच्चे फर्नीचर छोडक़र उक्त भवन में शिफ्ट हुए हैं। ग्रामीणों ने बताया कि पंचायत भवन में छोटी कक्षा होने की वजह से बच्चे जमीन पर बैठकर पढ़ते रहे। वहीं परीक्षा भी दिलाई। पूरे संसाधन का उपयेाग कोचिंग के लिए हो रहा है।
शिक्षकों की ड्यूटी तय पर मिले नदारद
विभागीय दावों के अनुसार कोचिंग क्लास पर सतत नजर बनाए रखने के लिए शिक्षकों की ड्यूटी तय की गई है। परिसर में पहुंचने के बाद शिक्षक न कक्षा में मिले न कार्यालय और न ही मेस में नजर आए। कर्मचारियों से पूछे जाने पर उन्होंने कहा कि रोज 8 से 10 लोग यहां देखने आते हैं। हम किस-किसको जानकारी देते रहें। आप जिला शिक्षा अधिकारी से पूछेंगे तो वे ही बता सकते हैं। सुविधओं की कमी पर भी चुप्पी साध ली।
रूम के बाहर 45 स्टूडेंट्स की सूची पर दावा 90 का
प्रथम तल में तीन कक्षों में स्टूडेंट्स के रहने की व्यवस्था की गई है। एक कक्ष में पुराना कबाड़ भरकर रखा गया है। एक कक्ष खाली है, जिन कक्षाओं में बच्चे रहते हैं, वहां पर 15-15 स्टूडेंट्स की सूची चस्पा की गई है, जिसे मिलाकर कुल 45 स्टूडेंट्स ही रहते हैं। कुल उपस्थिति के बारे में बताया गया कि 90 बालक व 60 बालिकाएं हैं। रहने के लिए 45 क्षमता है तो फिर 90 विद्यार्थी कहां रूकते हैं। ये अपने आप में एक सवाल है।
परीक्षा के आधार पर स्टूडेंट्स का हुआ है चयन
बोर्ड कक्षा के स्टूडेंट्स का चयन कोचिंग के लिए किया गया है। शिक्षा विभाग द्वारा बोर्ड कक्षा में पढऩे वाले स्टूडेंट्स का चयन उनके छ:माही परीक्षा के रिजल्ट के अनुसार किया गया है, जिसके बाद भी कोचिंग में बेरला एवं नवागढ़ के स्टूडेंट्स की संया कम है। जिला शिक्षा अधिकारी राजकपूर बंजारे ने बताया कि बच्चों को प्रोफेशनल परीक्षाओं की कोचिंग देने का प्रयास किया जा रहा है। हमारा उद्देश्य जरूरतमंद बच्चों को जिले में बेहतर शिक्षा देना है। आज मैं स्वयं गया था।
किसी प्रकार की शिकायत नहीं मिली।


