बेमेतरा

शिवनाथ में पिछले साल मई में 92 फीसदी पानी था, इस बार अप्रैल में 39 फीसदी
10-Apr-2025 3:37 PM
शिवनाथ में पिछले साल मई में 92 फीसदी  पानी था, इस बार अप्रैल में 39 फीसदी

‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता 
बेमेतरा, 10 अप्रैल।
जिले में औसत बारिश लगभग 1000 मिमी की है, जो इस वर्ष 600 मिमी हुई। बारिश कम होने के बाद रबी फसल में धान का रकबा पांच गुना बढ़ा। नतीजा यह हुआ कि आज जल संकट का सामना लोगों को करना पड़ रहा है।

शिवनाथ नदी से जो तस्वीर आई है, इससे तय है कि नांदघाट से खारा पानी प्रभावित ग्रामों को मई महीने में पानी मिलना मुश्किल होगा। इंटकवेल को छोडक़र नदी दूर जा चुकी है। बाकी खरपतवार ने कब्जा कर लिया है। 

गत वर्ष मई महीने में एनीकट में 92 फीसदी जलभराव था, जिसके चलते बेहतर प्रबंधन के लिए केंद्र सरकार ने जिले को पुरस्कृत किया था। इस बार 8 अप्रैल को 39 फीसदी आंकड़ा दर्ज किया गया है, जो आधे से कम है। शिवनाथ नदी से तिवरैया एनीकट से बजरंग पॉवर को पानी दिया जा रहा है, जिसका वे नियमित भुगतान भी कर रहे हैं। जि़ले में कोई 56000 हजार पॉवर पंप से जल दोहन किया जा रहा है। दूसरी तरफ खनन भी चालू है। जिले में शिवनाथ से ही गुजारा है। हेड से टेल तक की जो तस्वीर व जानकारी आई है, यह बताती है कि रेत नहीं नदी चोरी करने पर दबंग अमादा हैं।

 

 

राजनीतिक धौंस देकर पानी की बर्बादी की 
खमरिया एनीकट किसने खोला, कैसे इंटकवेल निर्माण में पीछे से खेल खेला गया। एक ठेकेदार ने किसके दम पर ऐसा किया। उच्च राजनीतिक पहुंच की धौंस देकर पानी की बर्बादी की गई। रेत की चोरी ने सारे रिकॉर्ड तोड़ दिए। अब जब बात राज्य की सीमा पार कर गई तो धरपकड़ शुरू की गई।

कम बारिश भरपूर उत्पादन! 
विज्ञान व वैज्ञानिक जो काम नहीं कर पाए, वह काम जिले के किसानों ने करके दिखा दिया। 60 फीसदी बारिश के बाद भी धान की उपज कम नहीं हुई। सच्चाई यह है कि ग्रीष्मकालीन धान को डंके की चोट पर खपा दिया गया। सामने चुनाव देख जिम्मेदार मुंह बंद कर लिए। इसी सफलता के बाद इस बार आंकड़े ने सारे रिकॉर्ड तोड़ दिए। समिति में धान खरीदते समय नए पुराने की पहचान वाली मशीन नहीं लगाई गई थी।

कृषि विभाग के आंकड़े में तो 33 हजार 662 एकड़ में धान की खेती बताया जा रहा है, पर वास्तविकता कुछ और है। जब तक किसानों को फरवरी के बाद बिजली मिलेगी, तब तक हाल यही रहेगा। ग्रीष्मकालीन धान बोने वाले किसानों से धान की खरीदी बंद हो तो जल संरक्षण की दिशा में सकारात्मक सुधार आए।


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