बेमेतरा

घरेलू हिंसा, बलात्कार का दंश झेल रही महिलाओं के लिए सखी बनी वरदान
25-Feb-2025 2:22 PM
घरेलू हिंसा, बलात्कार का दंश झेल रही महिलाओं के लिए सखी बनी वरदान

‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता

बेमेतरा, 25 फरवरी। जिला मुख्यालय में संचालित सखी वन स्टॉप सेंटर में महिलाओं को हिंसा व प्रताडऩा से मुक्त कराया जा रहा है। जारी सत्र के दौरान जिले की 238 महिलाओं व युवतियों सें संबंधित प्रकरणों को सखी टीम ने हेल्पलाइन नंबर और स्वयं पीडि़ता की गुहार पर संज्ञान में लिया। जिले में सबसे अधिक प्रकरण घरेलू हिंसा से संबंधित रहे हैं।

जानकारी हो कि घर के अंदर या घर के बाहर किसी भी तरह के संकटग्रस्त एवं पीडि़त महिलाओं को एक छत के नीचे एकीकृत रूप से सभी प्रकार की सुविधा एवं सहायता देने के लिए जिला मुख्यालय में 2017 से संचालित संखी वन स्टॉप सेंटर में महिलाओं को आपातकालीन सुविधा, उपचार, विधिक सहायता, मनोवैज्ञानिक सलाह, मनोचिकित्सा परामर्श, सुविधाओं का लाभ अब तक 2059 महिलाओं को दिया गया है। इन सात साल में अलग हुए कई दंपतियों की काउसिलिंग की गई, जिसके बाद परिवार एक साथ रहने लगे हैं, जिससे बच्चों का भविष्य संवर गया है।  संस्था की राखी यादव ने जानकारी दी कि महिलाओं विरुद्ध हिसां को समाप्त करने, हिंसा को सरंक्षण देने वालों पर वैधानिक कार्रवाई का प्रावधान है, जिसके बाद भी घरेलू हिंसा, लैंगिक अपराध, बलात्कार, दहेज के लिए प्रताडऩा, एसीड अटैक, डायन-टोनही के नाम पर प्रताडऩा, कार्यस्थल पर लैंगिक अपराध, अवैध मानव व्यापार, बाल विवाह, लिंग चयन, भ्रूण हत्या, सती प्रथा को रोकने के लिए महिला एवं बाल विकास विभाग द्वारा 18 से कम आयु वाली बालिका समेत सभी महिलाओं को संरक्षण दिया जा रहा है।

 फोन पर मांगें मदद, टीम तत्काल पहुंचेगी

संस्था के अनुसार पीडि़ता अगर टोल फ्री नंबर से 181 पर फोन कर आसानी से अपनी बात रख सकती है, जिसके बाद सखी वन स्टाप सेंटर की टीम पीडि़त महिला तक स्वयं पहुंचेगी और न्याय एवं आश्रय देगी। सेन्टर में पहुंची महिलाओं को परामर्श, चिकित्सा, पुलिस, विधिक सेवा, आश्रय सुविधा, मुहैया कराया जा रहा है।

सबसे अधिक मामले घरेलू हिंसा, आपसी विवाद व मानसिक प्रताडऩा के मिले

 सेंटर में 8 साल में 2059 प्रकरण प्रस्तुत किए गए, जिसमें 1849 प्रकरण पीडि़तों ने खुद पहुंचकर दिए। जिले में घरेलू हिंसा के सबसे अधिक प्रकरण मिले हैं, जिसमें 409 पीडि़त महिलाएं स्वयं पहुंची थीं। वहीं 141 ने हेल्पलाइन नंबर 181 से मदद ली थी, जिसके बाद टीम ने महिलाओं सें संपर्क कर सहायता की।

6 साल की बच्ची को मिला माता-पिता का प्यार

 ग्राम पेन्ड्री में एक विवाहित महिला अपने पति से विवाद करने से परेशान होकर अपने 6 साल की बेटी के साथ टीन शेड के नीचे रहती थी। सखी सेंटर से सहायता मांगे जाने पर मां-बेटी को पहले आश्रय पर रखा गया फिर पति को बुलाकर दोनों की काउंसिलिंग की गई, जिसके बाद दोनों एक साथ रह रहे हैं। माता-पिता के साथ आने से 6 साल की बच्ची को माता पिता का दोबारा प्यार मिला।

पति को कराया जिमेदारी का अहसास

बेरला ब्लॉक के एक गांव की विवाहिता ने फोन कर सखी टीम से अपने पति के द्वारा मारपीट किए जाने से पीडि़त होकर सहायता मांगी, जिसके बाद अपने 2 साल की बच्ची एवं 4 साल की बच्ची के साथ मानसिक परेशानी झेल रही महिला अपने मायके चली गई थी। महिला की फरियाद के बाद सखी वन स्टॉप सेंटर की टीम ने महिला व उसके पति की काउंसिलिंग कराने के बाद पति को जिमेदारी का अहसास कराया गया, जिसके बाद दोना साथ रहने लगे हैं।

नेशनल हाइवे में भटक रही महिला को परिजनों को सौंपा

 बेमेतरा-कवर्धा मार्ग में ग्राम कारेसरा के पास बदहाल स्थिति व असुरक्षित तौर पर महिला के भटकने की खबर लगने के बाद महिला का रेस्क्यू कर टीम उसे अपने आश्रय स्थल लाई, जहां पर काउंसिलिंग करने के बाद महिला के परिजनों से संपर्क कर महिला के परिवार वालों को सौंपा गया। है।

पुलिस को सौंपे गए 268 प्रकरण, 80 को दी गई विधिक सहायता

सखी सेंटर द्वारा मिले प्रकरणों में 268 प्रकरण पर पीडि़त महिलाओं को पुलिस की सहायता उपलब्ध कराई गई, जिसमें सबसे अधिक 105 प्रकरण घरेलू हिंसा के हैं। आपातकालीन आश्रय के 42 प्रकरण हैं। इसी तरह व्यक्तिगत विवाद के 39, मानसिक प्रताडऩा के 15, मानसिक रोगी एवं विक्षिप्त के 14 प्रकरण हैं। वहीं चिन्हित 28 बिन्दुओं के दायरे में आए प्रकरणों में 880 पीडि़त महिलाओं को आश्रय उपलब्ध कराया गया।

सखी वन स्टाफ सेंटर 24 घंटे सेवा

जिला कार्यक्रम अधिकारी चंद्रदेव सिंह सिसोदिया ने कहा कि सखी वन स्टाफ सेंटर में आने वाले सभी प्रकरणों पर गंभीरता से निराकरण, सलाह, उपचार , विधिक सहायता, चिकित्सा, आश्रय दिया जा रहा है। पीडि़त महिलाओं की सहायता के लिए सखी वन स्टाफ सेंटर 24 घंटे कार्यरत हैं।

एक नजर आंकड़े पर

 कुल प्रकरण          — 20599

 निराकृत प्रकरण — 20233

 आश्रय दिया         — 887

हेल्पलाइन से सहायता —2255

डीआईआर प्रकरण               —65

 विधिक सहायता                —80

पुलिस सहायता    —2266

चिकित्सा सहायता              — 81


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