बेमेतरा
12 साल पूर्ण, जानें जिले का इतिहास, पहले क्या था, क्या बदला और क्या बदलेगा
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
बेमेतरा, 1 जनवरी। 1906 से पूर्व रायपुर जिले के अभिन्न कस्बा के रूप में शामिल रहा बेमेतरा जिला आज 119 साल बाद विकासशील जिले के तौर पर स्थापित हो रहा है। 1 जनवरी 2012 में जिला बनने के ठीक 13 साल बाद जिले में सुविधाओं की बढ़ोतरी हो रही है। बेमेतरा तहसील का गठन सन् 1905-06 में होने के बाद यह तिथि इस तहसील के लिए ऐतिहासिक दृष्टिकोण से खासा मायने रखती है। इसी सत्र में यहां एक डाकघर, पुलिस थाना एवं तहसील को दर्जा मिला था। इससे पहले बेमेतरा, रायपुर जिले में समाहित कस्बा था, जो सिमगा थाना के अंतर्गत था।
जनवरी 1905 ईसवीं में दुर्ग जिले के गठन के साथ बेमेतरा को तहसील क्षेत्र (खालसा) बनाया था, जिसमें सिमगा, बेमेतरा व मुंगेली के सीमावर्ती गावों में जोड़ा गया था। इससे पूर्व इतिहास पर नजर डालें तो पता चला कि ब्रिटिश इस्ट इंडिया कंपनी के मेजर पीएस एगन्यू ने छत्तीसगढ़ सूबे के गोड़ जमीदारों को समाप्त करने के लिए उन पर आक्रमण कर पतन किया था। 1820 में धमधा में गोड़ राजपरिवार के पतन के बाद बेमेतरा क्षेत्र कंपनी के अधीन हो गया। 1822-25 ईसवी के मध्य मेजर एगन्यू ने छत्तीसगढ़ प्रशासनिक संचालन को रतनपुर से हटाकर रायपुर में प्रारभ किया गया, जिसे डिप्टी कमीश्नरी के नाम से जाना जाता था। अंग्रेजों ने पॉलिटिकल एजेंट के रूप में नियुक्ति भी रायपुर में की थी। इसी बीच 1872 में बिलासपुर जिले का निर्माण किया गया। 1905-06 में दुर्ग जिले का निर्माण प्रशासनिक कसावट के लिए किया गया। इस प्रकार पूर्व में रायपुर जिले का एक अंग बेमेतरा रहा था। उसके बाद दुर्ग जिले का अंग बना। दुर्ग जिले का गठन बेमेतरा, संजारी बालोद व दुर्ग को मिलाकर किया गया। 1948 में राजनांदगांव, खैरागढ़, कवर्धा रियासतों को इसमें जोड़ा गया। 1940 से 1972 तक दुर्ग जिला का विस्तार क्षेत्र काफी बड़ा था। 1972 में राजनांदगांव जिले का निर्माण खैरागढ़ व कवर्धा तहसीलों को मिलाकर किया गया। इस दौरान तहसील दुर्ग जिले का अभिन्न अंग बना रहा। बाद में 3 विकासखंडों को विघटित कर बेमेतरा से अलग क्रमश: नवागढ़, साजा, बेरला तहसील बनाया गया। 40 साल बाद बेमेतरा जिला का गठन किया गया। वर्तमान में जिले में 10 निकाय, 9 तहसील व 4 ब्लॉक हैं।
1862 में पहला स्कूल, आज 1600 से अधिक
छत्तीसगढ़ क्षेत्र में शालेय शिक्षा के लिये सर्वप्रथम प्रयास 1862 में तत्कालीन ब्रिटिश शासन द्वारा किया गया था। मध्य में शिक्षा विभाग की स्थापना की गई। नागपुर के लिये सर्वप्रथम प्रयास 1862 में तत्कालीन ब्रिटिलीसगढ़ में शैक्षणिक गतिविधियां संचालित करने के लिये रायपुर में एक शाला निरीक्षक पदस्थ किया गया। तब वक्त रायपुर जिलांतर्गत दुर्ग तहसील के एक मात्र ग्राम पंचायत बेमेतरा में मात्र एक प्राथमिक शाला थी, जो कर्मी पारा में धिरावल सिंह वर्मा के मकान में प्रारंभ हुई थी। 1862 में दुर्ग नगर में भी मात्र एक प्राथमिक शाला थी जबकि तत्कालीन दुर्ग तहसील में 10 प्राथमिक शालाएं थी। लड़कियों के लिये तब कोई पृथक विद्यालय नहीं था। वर्तमान मे जिले में 1644 स्कूल हैं, जिसमें 914 प्राथमिक, 521 मिडिल व 209 हाईस्कूल हैं। जिले में प्राथमिक स्कूल के 17151, मिडिल स्कूल 13444, हाईस्कूल 13955 व हायर सेकंडरी स्कूल में 8572 विद्यार्थी हैं।
2012 तक दुर्ग जिला का हिस्सा था तब केवल 779 स्कूल थे
दुर्ग जिले के गठन (1906) के समय तक बेमेतरा तहसील में लगभग 20 प्राथमिक शालाएं संचालित थीं। बेमेतरा में तब तक लड़कियों के लिये एक प्राथमिक शाला प्रारंभ हो चुकी थी, जो बाजार पारा के किसी मकान में लगती थी। स्वतंत्रता के समय (1947) तक दुर्ग जिले में 178 प्राथमिक शालाएं संचालित थीं। इस संया के आधार पर बेमेतरा तहसील में अनुमानत: 49 प्राथमिक शालाएं संचालित थीं। स्वतंत्रता के बाद विगत 50 वर्षों में शिक्षा का व्यापक प्रचार-प्रसार हुआ और गांव-गांव में विद्यालय खोले गए। 2012 के दौरान बेमेतरा में 770 स्कूल संचालित किए जा रहे थे।
जिले में अलग-अलग प्रकार की पाई जाती हैं मिट्टियां
जिले में मुख्यत चार प्रकार की मिट्टियां हैं, जिसमें भाठा 12.04, मटासी 12.41, डोरसा 12.82 एवं कन्हार 62.72 प्रतिशत है। बेमेतरा में कुल कृषकों की संया 157494 है, जिसमें सीमांत 60.24, लघु 19.56, मध्यम 12.55 व दीर्घ 7.65 प्रतिशत हैं। बेमेतरा जिले में विगत 10 वर्षों की औसत वर्षा 970.2 मिमी है। सिर्फ लघु सिंचाई परियोजना के माध्यम से फसलों की सिंचाई की जाती है। विकासखंड बेरला में वृहद सिंचाई जलाशय तांदुला से नहरों के माध्यम से लगभग 12370 हेक्टेयर खरीफ की सिंचाई होती है। जिले में वृहद सिचाई परियोजना की दरकार है, जिससे भूमिगत जल का दोहन कम से कम हो सके। जिले के किसान भगवानी वर्मा कहते हैं कि जिले में औसत वर्षा साल दर साल कम हो रही है, जिसे देखते हुए सिंचाई के लिए एक व्यापक योजना के तहत परियोजना प्रारंभ करने की जरूरत है।
कृषि आधारित उद्योग की दरकार है- सुनील शर्मा
जिले में मसाला, शक्कर, फूड प्रोडक्ट व अन्य खाद्य प्रसंस्करण से संबंधित उद्योग प्रारंभ करने की दशकों पुरानी मांग है, जिसे लेकर जिलावासी अभी भी अपनी मांग के पक्ष में हैं। जागरूक युवा किसान पलाश दुबे के अनुसार जिलावासियों की निर्भरता कृषि पर आधारित है, जिसे देखते इसी तरह का उद्योग स्थापित करना बेहतर है।
जिले की रीढ़ है कास्तकारी - डॉ. डोशन साहू
सिंचाई योजनाओं को लेकर जिले में और बेहतर प्रयास की आवश्यकता को देखते हुए कृषि मामले के जानकार डॉ. डोशन साहू कहते हैं कि बारिश का पानी व नदी में बाहर से बहकर आए जल को संजोने के लिए एक योजना की जरूरत है। इस दिशा में प्रयास किए जाने से ज्यादातर किसानों की सिंचाई समस्या का हल हो सकता है।
2017 की उम्मीद कोरी रह गई
रेल लाइन के लिए 2017 में हुए सर्वे में बेमेतरा जिला में रेल लाइन गुजरने की उम्मीद बनी थी। तब दुर्ग से बिलासपुर तक सर्वे किया गया था। सर्वे में दुर्ग से बिलासपुर तक रेल लाइन विस्तार बेमेतरा जिले से होकर गुजरना था। 2017 के रेल बजट में इस लाइन के लिए 500 करोड़ का प्रावधान भी किया गया था। इसके बाद कवर्धा मुगेंली से बिलासपुर रेल लाइन के सर्वे व स्वीकृति मिलने के बाद जिलावासियों की इच्छा अधूरी रह गई। जानकार एके वर्मा बताते हैं कि कवर्धा से तिल्दा तक रेल लाइन का विस्तार बेमेतरा जिला से होकर करने के लिए एक प्रयास किए जाने की जरूरत है।
नए साल में ग्राम व नगर में नई सरकार
नए साल में निकाय व पंचायत चुनाव होने हैं। जिले के बेमेतरा नगर पालिका, बेरला, साजा, नवागढ़, थानखहरिया, परपोड़ी, दाढ़ी, भिभौरी, कुसमी व देवकर में एक-एक अध्यक्ष व कुल 156 पार्षद पद व पंच से लेकर जिला पंचायत अघ्यक्ष पद के लिए निर्वाचन होने के साथ ही नई सरकार लोगों को नसीब होगी।


