बेमेतरा
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
बेमेतरा, 26 अक्टूबर। तहसील कार्यालय इन दिनों पूरे राज्य में सुर्खियों में है। कलेक्टर के कहने पर लोग धरना भले समाप्त कर रहे हैं पर भ्रष्ट्राचार कम नहीं हो रहा है। ग्राम पंचायत धनगांव का वर्ष 2005 से 2007 एवं 2013 से 2015 सहित कुछ वर्षों का भू राजस्व रिकार्ड तहसील एवं अन्य कार्यालय में नहीं है। तहसीलदार, कलेक्टर कार्यालय ने लिखित में यह जानकारी दी है।
अब इस गांव का एक मामला कोर्ट में पहुंच गया है। रिकार्ड की मांग अभी तक किसान कर रहा था अब कोर्ट मांगेगा। पूरा रिकार्ड साजिश के तहत ही गायब किया गया है, क्योंकि ग्राम पंचायत से उसी वर्ष के रिकार्ड गायब है जिसमें जमीन संबंधी प्रस्ताव है। मजेदार बात यह कि जिस वर्ष का रिकॉर्ड आफिस में नहीं पर उक्त वर्ष में किसानों को सभी दस्तावेज जारी किए गए हैं।
कलेक्टर बेमेतरा के निर्देश पर एसडीएम को जांच का जिमा सौंपा गया है। अब ग्राम पंचायत धनगांव सहित उन ग्रामों की भी जानकारी की तलाशी की जा रही है जहां बड़ा हेराफेरी संभावित है। दीपक तिवारी ने राजस्व मंत्री, राजस्व सचिव, कमिश्नर दुर्ग को पत्र देकर जांच की मांग की हैं। बेमेतरा तहसील का ग्रह दशा लगता है आधा दर्जन के निलंबन से शांत होगा इसके लिए कुछ वक्त लगेगा धीरे-धीरे रिकार्ड उजागर हो रहा है।
कौन सा टारगेट
राम मंदिर जमीन के मामले में दो पटवारी निलंबित होने के बाद अब पूरे जिले की नजर उन अधिकारियों पर है जो इसमें प्रत्यक्ष, अप्रत्यक्ष रूप से शामिल हैं। दो दिन पहले एक पटवारी ने अपने निलंबन को चुनौती देते हुए हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया। कोर्ट में जिरह के दौरान जब जज पीपी साहू ने पूछा कि नायब तहसीलदार के खिलाफ क्या एक्शन लिया गया, कब कमिश्नर को क्या भेजा गया तो सरकारी वकील ने एसडीएम से जानकारी नहीं आने का हवाला देकर बचाव का असफल प्रयास किया। बेमेतरा में इस तरह के कितने मामले है जिस पर रोशनी बाकी है। झाल में जमीन बिक्री का थोक में प्रमाणीकरण किसने किया। क्यों जांच को दिवाली के दीए का इंतजार कराया जा रहा है। विभाग उन लोगों को झाल से दूर रखे जो पपीता केला खा चुके हैं, यदि ऐसे लोग आए तो जांच प्रभावित होगी।
बेमेतरा में पंजीयन कार्यालय में सरकार द्वारा दिया गया टारगेट पूरा किया जाता है या जिम्मेदार खुद का टारगेट बनाकर काम करते हैं। जब नकल में, स्टाम्प में राम मंदिर का उल्लेख जब जमीन में कोटवारी जमीन का उल्लेख फिर पंजीयन कैसे हुआ, आखिर सरकार का दिशा निर्देश क्या है। कितने भूमि का पंजीयन पूर्व भौतिक सत्यापन किया गया। जांच हो अभी तो एक फसली, सिंचित, असिंचित का अध्याय खुलना बाकी है।


