बेमेतरा

सीएम के आने के पहले खुली पोल, टंकी का पता नहीं, इधर घर-घर बिछ गया नल का कनेक्शन
17-Aug-2024 2:58 PM
सीएम के आने के पहले खुली पोल, टंकी का पता  नहीं, इधर घर-घर बिछ गया नल का कनेक्शन

‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
बेमेतरा, 17 अगस्त।
जिले के ग्राम झालम में शुक्रवार को कलेक्टर रणवीर शर्मा ने जिले के सभी विभाग के आला अधिकारियों की बैठक कर मुख्यमंत्री के संभावित दौरे की तैयारी की समीक्षा की। इस ग्राम में प्रदेश का प्रथम गौ अभ्यारण है जिसमें मंडी बोर्ड की निगरानी में लाखों की लागत से कई भवन बनाए गए हैं। कोई एक दर्जन सर्व सुविधा युक्त कमरे बनाए गए हैं जिसमें पशुओं को रखा जाना है। अभी तक कलेक्टर तीन बार झालम आ चुके हैं पूरा ध्यान गौ अभ्यारण को संवारने में है।

धरातल की झांकी यह की आदिवासी बाहुल्य ग्राम में लोगों को आज भी शुद्ध जल नसीब नहीं हो पा रहा है। घर-घर नल कनेक्शन के पाइप लगा दिए गए हैं। नाला तट पर हैंडपंप के निकट भी टोटी तान दी गई है पर इस ग्राम में आज तक टंकी नही बन पाया है। केंद्र सरकार की महत्वाकांयोजना की दशा यह कि पड़ोस के ग्राम धनगांव में पानी टंकी शो पीस बनकर रह गई है। पाइप लाइन में गड़बड़ी इतनी की जगह-जगह लीक टेस्टिंग में नजर आया। आज तक किसी के घर से नल चलने की खबर नहीं आई।

पाइप बिछाने गौरवपथ को कर दी छलनी 
पडक़ीडीह में निर्माणाधीन टंकी में मनमानी चरम पर है। अधूरे कार्य को पूरा बताने बिना चुना पोते सीधे नीले कलर की रंग चढ़ाया जा रहा है जो मामूली बारिश में बदहाली की कहानी बता रहा है। भाजपा मंडल अध्यक्ष अजय साहू के गृह ग्राम मरका में पाइप बिछाने गौरव पथ की छलनी कर दी गई है। पानी टंकी कब तक बनेगा कोई बताने वाला नहीं है। मुख्यमंत्री को उपलब्धि बताने कुछ भी नहीं है। ग्राम झालम में रीपा के तहत बनाए गए भवन की सुरक्षा के लिए बनाए गए आहता का एक हिस्सा टूट कर जमींदोज हो गया है।

झाल गोशाला को सहायता की दरकार 
ग्राम झाल में पंडित प्रमोद शास्त्री द्वारा संचालित गौशाला तक पहुंच मार्ग ही नहीं बन सका। उल्टे आसपास के लोग झाल एवं झालम में गौ शाला के फेर में आसपास के ग्रामों के साथ दूर दराज से मवेशी लाकर देर रात छोड़ जाते हैं। ग्राम धनगांव निवासी सूरज तिवारी ने बताया कि ग्राम में लगभग सत्तर ऐसे मवेशी है जिनका कोई मालिक नहीं है। लोग गांव में आकर छोड़ जाते है कुछ यही तस्वीर पडक़ीडीह की है। झालम में आसपास के ग्रामों में घूम रहे मवेशियों की रखने की व्यवस्था होनी चाहिए। गौठान योजना में किए गए व्यय का भौतिक सत्यापन कर उसे उपयोगी बनाया जाना चाहिए।


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