बेमेतरा

ग्रामीणों को नहीं पता कि उनके गांव में किसी स्वतंत्रता सेनानी ने जन्म लिया, परिजन पहचान के हुए मोहताज
16-Aug-2024 3:32 PM
ग्रामीणों को नहीं पता कि उनके गांव में किसी स्वतंत्रता सेनानी  ने जन्म लिया, परिजन पहचान के हुए मोहताज

शासन-प्रशासन ने भी नहीं ली सुध, मुफलिसी में बिता रहे जीवन

 ‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता

बेमेतरा, 16 अगस्त। आजादी के समर में जिले के 42 सेनानियों में सहभागिता निभाते हुए अंग्रेजों की रीति-नीति के खिलाफ अपनी आवाज मुखर की थी। गांव से निकाले हुुए जवानों ने अंग्रेजों के नाक में दम कर रखा था। जिले के बेमेतरा, साजा, बेरला व नवागढ़ तहसील के गांव-गांव से निकलकर दुर्ग, रायपुर, बिलासपुर व एकीकृत महाराष्ट्र के कई शहरों में आवाज बुलंद करने वालों के परिजन आज गुमनामी में जी रहे हैं।

‘छत्तीसगढ़’ ने ग्राम बिलाई, हरदास, नगपुरा, भरकसी, खहरिया, तेंदुभाठा समेत अन्य गांवों में पड़ताल कर स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों के परिजनों की सुध लेने का प्रयास किया। जिले के 42 स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों का नाम दुर्ग जिले में संधारित सूची में दर्ज है। तत्कालीन दुर्ग जिले में 378 फ्रीडम फाइटर रहे हैं, जिसमें बेेमेतरा, नवागढ़, साजा व बेरला तहसील के फाइटर भी शामिल हैं। आमतौर पर दुर्ग जिला का हिस्सा रहे इन तहसीलों में शहर के नाम पर बेेमेतरा तहसील ही मुख्यालय था। इसके आलावा चारों तहसील में ग्रामीण इलाके अधिक थे। ग्रामीण क्षेत्र के होने के बाद भी जिस तरह की जागरूकता, देश प्रेम, देश भक्ति व समर्पण के साथ आजादी की लड़ाई में लगातार तब तक जुटे रहे, जब तक अंग्रेज देश छोडक़र नहीं भागे। आजादी के 78 साल बाद जिले के गांवों में आजादी के नायकों के परिजनों की सुध लेने की जरूरत है। आज की स्थिति में जिस गांव से सपूतों ने अपना योगदान दिया है, उनके गांव वालों को ही उनके योगदान की जानकारी ही नहीं है। अतीत में योगदान देने वालों को भुला दिया गया है। प्राप्त सूची के अनुसार बेमेतरा तहसील के ग्राम बिलाई के दो युवाओं ने देश को आजाद कराने में अपना योगदान दिया था, जिसमें दयाराम पिता दीना क्रमांक 168 व जेठूरमल पिता सुखरी क्रमांक 184 शामिल हैं। ‘छत्तीसगढ़’ ने ग्राम बिलाई में दोनों सपूतों के परिवार की जानकारी लेने का प्रयास किया। कई प्रयासों के बाद भी गांव के जनप्रतिनिधि व बुजुर्ग भी दोनों के परिवार के सदस्य, निवास व अन्य जानकारी नहीं दे पाए। ग्रामीणों ने कहा कि दोनों का नाम जरूर सुने हैं पर पूरी जानकारी नहीं है। ग्राम पंचायत के उपसरपंच कृष्णा साहू ने बताया कि उच्च कार्यालय से भी सेनानियों के परिवार वालों के बारे में जानकारी मांगी गई थी पर उपलब्ध नहीं कराया गया। इसी तरह गांव के अशोक कुमार साहू, धनेश्वर साहू, पिया राम, लहरसेन व मुरली साहू ने बताया कि दोनों फ्रीडम फाइटर का उनके गांव का होना गर्व की बात है पर आज उनके परिवार के सदस्यों की किसी के पास जानकारी नहीं है। इसी तरह ग्राम नगपुरा के स्वतंत्रता संग्राम सेनानी नमू पिता सुखी के परिवार के बारे में जिस तरह की जानकारी सामने आई, उसके अनुसार स्व. नमू के परिवार की एक महिला सदस्य ही गांव में रहती हैं। परिवार के अन्य सदस्य बाहर कमाने खाने जाते हैं।  सरपंच अश्वनी साहू ने बताया कि उनके गांव का होने की जानकारी है पर परिवार की एक महिला सदस्य गांव में रहती हैं।

ग्राम हरदास में दीवार पर लिखा है नारा लेकिन नाम नहीं 

जिला मुख्यालय से 14 किमी दूर ग्राम हरदास के नान्हू पिता गोदी के परिवार वाले आज भी गांव में रहते हैं। आजादी के समर में योगदान देने वाले परिवार के सदस्य माखन साहू ने बताया कि उन्हें परिवार के लोग बताया करते थे। उनके बारे में गांव में एक बार परिवार की जानकारी लेने का प्रयास किया गया था। बताया गया कि सेनानी का गांव होने के नाम पर पहचान के लिए पंचायत में एक स्लोगन लिखा गया था। इससे आगे कुछ नहीं हुआ। राजकुमार साहू ने बताया कि स्मारक बनाया जाना चाहिए। ग्राम तेंदुभाठा के भागवत प्रसाद, भरकसी के सखाराम, खहरिया के भागीरथी, हथमुड़ी समेत अन्य गांवों के सेनानियों के परिवार के बारे में जानकारी लेने का प्रयास किया। संबंधित गांव के रहवारियों के पास जानकारी का अभाव रहा। बहरहाल जिले के सभी 42 स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों के परिवार, वर्तमान स्थिति, उपलब्ध सुविधाओं की जानकारी जुटाए जाने की दरकार है,

िजससे उनके हित के लिए कदम उठाए जा सकगें।


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