बेमेतरा

गुलगुला भजिया, चीला, फरा व खुरमी ने बढ़ाया हरेली का आनंद
05-Aug-2024 2:31 PM
गुलगुला भजिया, चीला, फरा व खुरमी ने बढ़ाया हरेली का आनंद

कृषि यंत्रों की पूजा, घरों में नीम की डालियां, गेड़ी पर चढक़र बच्चों ने लगाई दौड़

‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
बेमेतरा, 5 अगस्त।
नगर व अंचल में हरियाली के प्रतीक हरेली पर्व को उत्साह के साथ मनाया गया। रविवार को ग्रामीण क्षेत्रों में बच्चों ने गेड़ी चढक़र त्योहार मनाया। घरों में कृषि उपकरणों की पूजा-अर्चना की गई। यदुवंशियों ने घर व प्रतिष्ठानों में जाकर नीम के डंगाल लगाकर रोग से रक्षा की कामना की। वहीं घरों में पशुओं की पूजा-अर्चना कर रोग मुक्ति के लिए दवा भी खिलाई। वहीं शासकीय स्तर पर हरेली का कार्यक्रम नजर नहीं आया।

बताना होगा कि किसान अपनी फसल की सुरक्षा की कामना करते हुए हरेली त्योहार मनाते हैं। जब किसान आषाढ़ के महीने में अपने खेत में फसल उगाता है तो श्रावण महीने के आते ही धान की फसल हरी-भरी हो जाती है तब किसान अपनी फसल की सुरक्षा के लिए हरेली तिहार मनाते हैं। इस दिन राउत हरियाली के प्रतीक के रूप में नीम की हरी-हरी डाली सभी किसान के घर जाकर दरवाजे पर लगाते हैं। किसानों ने अपने घर में मौजूद गौ माता को गेहूं के आटे से बनी लोंदी खिलाई। अपने सभी कृषि संबंधी औजारों की साफ -सफाई कर पूजा -अर्चना की।

गोबर से बनाया गया रक्षा मंत्र 
पं.श्रीनिवास द्विवेदी ने बताया कि नीम के पत्तों व आम की पत्तियों को दरवाजे में लगाया जाता है और गोबर से रक्षा मंत्र बनाया गया, जिससे शुभ और समृद्धि की प्राप्ति हो। आज किसान अपने खेतों की अच्छी फसल और समृद्धि की कामना करते हैं। रविवार को विभिन्न तरह के पारंपरिक पकवान चावल के आटे से चीला, फरा, खुरमी, बबरा, गुलगुलाहा भजिया व देशी पकवान घरों में बनाए गए।

सरकारी आयोजन नहीं हुआ
जिले में बीते पांच साल से परंपरागत त्योहार हरेली मनाए जाने का सरकारी कार्यक्रम इस बार नजर नही आया। वहीं नगर में संचालित सीसी मार्ट से इस बार गेड़ी बेचने के लिए उपलब्ध नहीं कराया गया। बताना होगा कि पूर्व में हरेली पर छत्तीसगढिय़ा ओलंपिक के आयोजन कर परंपरागत खेलों को बढ़ावा दिया जा रहा था , जिसे इस बार बंद कर दिया गया है।

किसानों ने की कृषि औजारों की पूजा  
रविवार को जिले के ग्रामीण और शहरी अंचल में हरियाली अमावस्या यानी हरेली पर्व की धूम रही। राज्य के पहले तिहार हरेली पर अंचल में नांगर सहित अन्य कृषि यंत्रों की पूजा की गई। गेड़ी चलाने की परंपरा का निर्वहन किया गया। सुबह से बच्चे और बड़े गेड़ी चलाते हुए देखे गए। घर-घर में नीम की डालियां दरवाजों पर लगाई गईं। सुबह से ही छोटे बच्चे और युवा नीम की डालियां लेकर लोगों के घर गए। घरों से चावल सहित मुद्रा भी दिए गए। तिहार पर महिलाओं ने घरों में ठेठरीए खुरमी और चीला सहित अन्य पकवान बनाए। 

बच्चे गेड़ी पर चढ़े, चीला रोटी का लिया आनंद  
शासकीय प्राथमिक शाला बीजागोड़ में हरेली पर्व धूमधाम से मनाया गया। शाला परिवार ने भी विद्यालय में गेड़ी, कुदाल, हंसिया लौह औजारों की पूजा की। चाउंर पिसान के चीला और गुड़ एवं छत्तीसगढ़ी व्यंजनों का भोग लगाकर हरेली माता से सबकी शुभकामना मांगी। बच्चों ने गेड़ी पर चलकर बहुत आनंद लिया और दरवाजे पर नीम ड़ाल को लगाके हमारी परम्परा एवं संस्कृति का निर्वहन किया। इस मौके पर संकुल समन्वयक मनीराम श्रीवास, प्रधानपाठक विशेषर नेताम, नवाचारी शिक्षिका चंदा सिन्हा, रसोइया सुमित्रा, संगीता एवं समस्त छात्रगण उपस्थित रहे।

प्रदेश के प्रथम त्योहार पर लोगों में रहा उत्साह 
मवेशियों को खिलाई गई लोंदी और जड़ी बूटी, गेड़ी पर सवार होकर बच्चे तिहार का दिनभर उठाते रहे लुत्फ। जिले में हरेली तिहार को लेकर रविवार को अंचल के रहवासी काफी उत्साहित रहे। सुबह से ही किसानों ने कृषि यंत्रों की सफाई कर उसकी पूजा की। यदुवंशियों ने हर घर के चौखटों पर नीम की डालियां लगाईं। इसके बदले में घर वालों ने उन्हें दान के रूप में नकद व खाद्यान्न दिए। वहीं स्कूलों में भी हरेली पर्व मनाया गया। शिक्षकों ने बच्चों को इस तिहार का महत्व बताया। इसके साथ पौधरोपण भी किया गया। बच्चों को हरियाली लाने पौधों को सहेजने की भी सीख दी गई। मवेशियों को गेहूं के आटे की लोंदी और जड़ी बूटी खिलाई गई।

घर-घर में लगाई गई नीम की डालियां 
नगर के वार्ड नंबर 06 में यादव समाज के लोगो द्वारा सभी ग्रामवासियों के घर में नीम पेड़ का डाल लगाया गया और इस अवसर पर बच्चे और बड़ो ने गेड़ी चढक़र त्योहार मनाया।


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