बेमेतरा

बच्चों का शारीरिक, मानसिक व भावनात्मक विकास करना सिखाया
18-May-2024 2:10 PM
बच्चों का शारीरिक, मानसिक व भावनात्मक विकास करना सिखाया

‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता

बेमेतरा, 18 मई। बेमेतरा विकासखंड में तीन दिवसीय बालवाड़ी प्रशिक्षण का कार्यक्रम शासकीय बालक उच्चतर माध्यमिक शाला बेमेतरा में किया गया। बालवाड़ी प्रशिक्षण का मुय उद्देश्य बच्चों को खेल आधारित शिक्षण एवं एफएलएन के उद्देश्यों को पूर्ण करना है। प्रशिक्षण के तीसरे व अंतिम दिवस समापन कार्यक्रम में मुय अतिथि प्राचार्य जे के घृतलहरे तथा विशिष्ट अतिथि व्यायाता जीएल खुटियारे, व्यायाता थलज कुमार साहू एवं बीआरसी राजेन्द्र साहू उपस्थित थे।

नवाचारी शिक्षिका व मास्टर ट्रेनर्स मंजू साहू ने अंतिम दिवस के प्रशिक्षण कार्यक्रम के समापन सत्र का संचालन करते हुये तीन दिवसीय बालवाड़ी प्रशिक्षण के उद्देश्यों से अवगत कराया। डाइट प्राचार्य घृतलहरे ने बालवाड़ी प्रशिक्षण के उद्देश्यों को बताते हुए कहा कि बच्चों में संज्ञानात्मक विकास, आकृतियों की पहचान गणितीय कौशल, शारीरिक सामाजिक एवं भावनात्मक विकास बच्चों में किस तरह किया जाना चाहिए। डाइट व्यायाता जी एल खुटियारे ने राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020, बुनियादी कौशल विकास पर जोर दिया। डाइट व्यायाता थलज कुमार साहू ने बताया कि प्राथमिक विद्यालय में प्रवेश के लिए वातावरण तैयार करना ही इस प्रशिक्षण का एक मात्र उद्देश्य है। ताकि बच्चे निर्भिक होकर प्रवेश ले सके।

आंगनबाड़ी व बालवाड़ी के समावेशन के उद्देश्यों को मास्टर ट्रेनर्स व नवाचारी शिक्षिका मंजू साहू, राज्यपाल पुरस्कार से समानित नवाचारी शिक्षिका ज्योति बनाफर, सुचिता निषाद, सीएससी उद्धव साहू द्वारा विभिन्न मुद्दों पर विभिन्न गतिविधियों द्वारा आंगनबाड़ी कार्यकर्ता व बालवाड़ी शिक्षकों को बहुत ही सहज और सरल तरीके से प्रशिक्षण दिया गया। तीन दिवसीय प्रशिक्षण का फीडबैक बालवाड़ी शिक्षक ध्रुव कुमार साहू एवं आंगनबाडी़ कार्यकर्ता लक्ष्मी वर्मा ने प्रस्तुत किया। जयप्रकाश ने बालवाड़ी से संबंधित विभिन्न विषयों पर सामूहिक चर्चा किये। महिला बाल विकास पर्यवेक्षक रुचि राजपूत ने बालगीत कराया।

प्रशिक्षणार्थियों द्वारा अलग-अलग समूह में दैनिक कार्य योजना बनाकर प्रस्तुतीकरण किया गया एवं विभिन्न प्रश्नों व समस्याओं का समाधान भी किया गया। आंगनबाड़ी एवं बालवाड़ी केन्द्रो में समावेशन कारणों पर गहनता से चर्चा किया गया। घर की भाषा और स्कूल की भाषा में बच्चों के साथ परस्पर संवाद करने एवं उन्हें अधिगम प्रक्रिया में शामिल करने के लिए विशेष रणनीति अपनाना होगा। प्रशिक्षण के तीसरे दिवस 186 बालवाड़ी शिक्षक-शिक्षिकाओं एवं आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं की उपस्थिति रही।

 


अन्य पोस्ट