बेमेतरा

नवागढ़ में मटर बाजार गुलजार ब्लॉक में 450 हेक्टेयर में मटर की खेती
05-Feb-2024 3:42 PM
नवागढ़ में मटर बाजार गुलजार   ब्लॉक में 450 हेक्टेयर में मटर की खेती

‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता

बेमेतरा, 5 फरवरी। नवागढ़ ब्लाक में कृषि विभाग के आंकड़े  के अनुसार कोई 450 हेक्टेयर रकबे में यानी 1125 एकड़ रकबे में किसानों ने मटर की खेती है। एक दशक पहले हाफ, सकरी नदी के तट से ग्राम बाघुल में शुरू हुई मटर की खेती अब बहरबोड तक पहुंच गई है। नवागढ़ ब्लाक की मिट्टी की महिमा यह की मटर की स्वाद के चलते इसे लोग जितनी मात्रा में सब्जी में उपयोग करते है, उसी मात्रा में कच्चा खा जाते है। प्रति एकड़ लागत काटकर किसान चालीस से पचास हजार बचा लेते हैं। नवागढ़ ब्लाक सहित पूरे जिले में चना की उपज प्रभावित होने के बाद किसानों ने जो विकल्प चुना है। यह उनके हित में है, एक समय पूरे जिले में दिवाली पूर्व सफेद सोना यानी सोयाबीन की खेती कर किसान नगद भुगतान लेते थे, आज किसान मटर की खेती कर खुले बाजार में बेचकर कमाई कर रहे हैं।

बढ़ रहा रकबा

नवागढ़ का बाजार इन दिनों मटर से गुलजार है। सब्जी मंडी एक्सपर्ट छन्नू सोनी ने बताया की दिसंबर के पूर्व तक जबलपुर का मटर बाजार में आता है, पर उसे खरीदने में लोग रुचि नहीं लेते। स्थानीय किसानों की उपज जब आती है तो नवागढ़ बस स्टेंड से लेकर चौक तक मटर बेचने एवं खरीदने वाले नजर आते हैं। सोनी ने बताया की धीरे-धीरे रकबा बढ़ रहा है। आसपास के सब्जी मंडी में नवागढ़ की मटर नाम से बिकती हैं। वैसे ग्राम करमन के अमरूद के बाद बाघुल के मटर ने जो स्थान बनाया है यह सराहनीय है। धान कटाई के बाद किसान मटर की खेती कर गेंहू चना के मुकाबले जल संरक्षण की दिशा में बेहतर पहल कर रहे हैं।

प्रोटीन भरपूर

डॉ.विजय कुर्रे ने बताया कि मटर में चने के बराबर प्रोटीन है। दो से तीन माह नवागढ़ ब्लाक के पशुओं को स्वाद बतौर छिलका मिलता है। यह हर दृष्टि से लाभकारी है। डॉ.कुर्रे ने कहा की मटर प्रोटीन से भरपूर है। कमजोर पशुओं के लिए वरदान तथा दुधारू पशुओं के लिए गुणकारी है।

इस बार मौसम की मार

वरिष्ठ कृषि विकास अधिकारी आरके चतुर्वेदी ने बताया कि नवागढ़ में ब्लॉक में लगभग 450 हेक्टेयर रकबे में मटर की खेती हुई है। हाथादादू, बहरबोड, कुंआ, बाघुल एवं भालूपान में बड़ी संख्या में किसानों ने मटर की खेती की है। ग्राम कुआ में किसान मोहन सिंह ने बीस एकड़ रकबे में किसानों की है। चतुर्वेदी ने बताया कि चालीस से पचास क्विंटल उपज किसान ले रहे हैं। ढाई से तीन हजार प्रति क्विंटल में खुदरा बाजार में बिक रहा है। इस बार मौसम की मार के कारण 15 से बीस फीसदी उपज प्रभावित होने की संभावना है। यदि किसान लगन से कार्य करे तो प्रति एकड़ 50 हजार की बचत सामान्य है।


अन्य पोस्ट