बेमेतरा
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
बेमेतरा, 30 दिसंबर। सत्ता बदली पर व्यवस्था नहीं। आलम यह है कि रबी फसल की तैयारी कर रहे किसानों को खाद के लिए भटकना पड़ रहा है। सेवा सहकारी समितियां के चक्कर लगाने पड़ रहे हैं।
बावजूद खाद नहीं मिलने पर किस मजबूरन बाजार से महंगे दामों पर खरीद रहे हैं। क्षेत्र के किसान खाद खरीदने के लिए समितियां में पहुंच रहे हैं लेकिन समिति प्रमुख उन्हें संतोषजनक जवाब देने की स्थिति में नहीं है। विशेषकर यूरिया व डीएपी की साल्टेड बनी हुई है। हर साल यही स्थिति रहती है। सरकार किसी की भी रहे खाद व बीज की व्यवस्था उपलब्ध को लेकर किसानों को भटकना पड़ता है। सरकार बदलने से किसानों की उम्मीद जगी थी। खाद व बीज की उपलब्ध सुनिश्चित की जाएगी, लेकिन हालात जस के तस बने हुए हैं।
परेशान किसान समितियों के चक्कर लगा रहे
किसानों ने बताया कि रबी फसल की तैयारी शुरू हो चुकी है। किसान खाद व बीज की भंडारण कर रहे हैं। लेकिन उपलब्धता नहीं होने के कारण किसान परेशान हैं। इस संबंध में किसान लगातार शिकायत के बावजूद प्रशासन अपने ढर्ऱे पर चल रहे हैं। किसानों की परेशानी की ओर ध्यान नहीं दिया जा रहा है।
खाद की उपलब्धता को लेकर समिति नहीं दे रही संतोषजनक जवाब
लोलेसरा समिति के किसान बहल वर्मा ने बताया कि खाद की उपलब्धता को लेकर किसान परेशान है। किसान समितियो के चक्कर काट रहे हैं, लेकिन संतोषजनक जवाब नहीं मिल पा रहा है।
इसीतरह ग्राम बहेरा के किसान ऋषि वर्मा ने बताया कि समिति में डीएपी नहीं मिल रही है। किसानों को 20:20:13 खाद कमाई जा रही है। मजबूरी में किसान खाद ले जा रहे हैं। किसान सरकार के इस रवैये से परेशान हैं।
इसीप्रकार कंतेली के कृषक दया सिंह वर्मा ने बताया कि किसानों को डीएपी व यूरिया के लिए भटकना पड़ रहा है। समितियों में खाद नहीं मिलने पर किसान बाजार से महंगे दामों पर खरीद रहे हैं। बाजार में भी खाद जरूरत के हिसाब से उपलब्ध नहीं है।
लक्ष्य के विरुद्ध खाद का भंडारण 80 फीसदी से भी कम, दिक्कत
जिले में 27,201 टन खाद की आपूर्ति का लक्ष्य रखा गया है। वर्तमान में सिर्फ 20 प्रतिशत खाद का भंडारण समितियों में किया गया है। ऐसी स्थिति में किसानों को खाद के लिए भटकना पड़ रहा है, जिसमें मुख्य रूप से 12 हजार 956 टन यूरिया के लक्ष्य के विरुद्ध 3 हजार 265 टन, 8 हजार 183 टन डीएपी के लक्ष्य के विरुद्ध 3368 डीएपी की आपूर्ति की गई है। ऐसी स्थिति में समितियो में खाद की शॉर्टेज बनी हुई है। वहीं प्रशासनिक व्यवस्था की भी पोल खुल गई है, जहां अब तक पीओएस मशीन की उपलब्धता सुनिश्चित नहीं की गई, जो ऑनलाइन वितरण के लिए बहुत जरूरी है।
पूर्व विधायक आशीष छाबड़ा ने कहा कि किसानों के भटकने से प्रशासनिक व्यवस्था की पोल खुल गई। हमारी सरकार में किसानों को समय पर खाद व बीज उपलब्ध कराई जा रही थी। केन्द्र सरकार ने हर बार अड़ंगा डालने की कोशिश की, लेकिन कांग्रेस की राज्य सरकार ने किसानों को परेशान नही होने दिया। किसानों की परेशानियों ने भाजपा सरकार के बड़े-बड़े दावों की पोल खोल दी है।


