बेमेतरा

गर्मी में 15 हजार हेक्टेयर से ज्यादा रकबे में हो सकती है धान की खेती, दूसरी फसल लेने में किसानों की अरूचि
18-Dec-2023 2:51 PM
गर्मी में 15 हजार हेक्टेयर से ज्यादा रकबे में हो सकती है धान की खेती, दूसरी फसल लेने में किसानों की अरूचि

दोहरी फसल लेने से मिट्टी की उर्वरकता क्षमता घट रही, कीटों का प्रकोप भी ज्यादा

‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता

बेमेतरा, 18 दिसंबर। जिले में किसान एक बार फिर रबी फसल सीजन के दौरान ग्रीष्मकालीन धान की खेती की ओर रूख कर रहे हैं। जिले में गत सत्र में 15 हजार हेक्टेयर में धान की पैदावारी ली गई थी। इस बार बीते सत्र का रिकॉर्ड टूटने का अनुमान है। मिट्टी की उर्वरा क्षमता कम व पानी का अधिक दोहन होने के कारण रबी फ सल में धान की पैदावारी लेने से बचने के लिए कृषि विभाग ने किसानों को नुकसान से अवगत कराया।

इसके बाद भी किसानों की रुचि धान की पैदावारी में कम होती नजर नहीं आ रही है। जानकारी हो की मिट्टी की क्षमता कम होने और दीगर फसलों की अपेक्षा धान की सिंचाई के लिए दो से तीन गुना जल का दहन होने के कारण कृषि विभाग ने धान के बजाय जिगर फसल लेने के लिए किसानों को सत्र दर सत्र अनुरोध किया। बावजूद इसके जिले में रबी फसल सीजन में धान का लगभग लगातार बढ़ता जा रहा है।

जानकार बताते हैं कि राज्य की भाजपा सरकार प्रति एकड़ 21 क्विंटल और 3100 रुपए प्रति क्विंटल में धान की खरीदी करने वाली है इसके कारण फिर अभी फसल सीजन में धान की पैदावारी अधिक होने के असर है। दूसरी तरफ बारिश की वजह से खेतों में नमी को इस फसल के लिए अनुकूल होना बताया जा रहा है।

नवागढ़, बेमेतरा व बेरला में अधिक व साजा में सबसे कम रकबे में धान की खेती

रवि फसल सत्र 22-23 के दौरान जिले में 15672 हेक्टर में धान की फसल ली गई थी। तब जिले में सर्वाधिक रकबा नवागढ़ ब्लाक का था। इसके बाद बेमेतरा बेरला व सबसे कम रकबा साजा ब्लॉक का था। इस बार भी जिले के नवागढ़ बिरला व बेमेतरा ब्लाक में करीब में 1500 हेक्टेयर में धान की फसल लेने की तैयारी शुरू कर दी गई है। जिस तरह से धान की पैदावारी के लिए किसान अभी से बीज व खाद का उठाव करने लगे हैं। उसे देखते हुए बीते सत्र की अपेक्षा इस बार 30 फीसदी अधिक रकबे में धान की खेती होने का अनुमान है। नवागढ़ ब्लाक के एसडीओ कृषि राकेश चतुर्वेदी ने बताया की ग्रीष्मकालीन धान की खेती जमीन की क्षमता व जल स्तर के लिए ठीक नहीं है किसानों को इसे लेकर समझ समझने का प्रयास कर रहे हैं।

बेरला विकासखंड के एसडीओ कृषि देवानंद देवांगन ने बताया कि बीते सत्र 5679 हेक्टेयर में रवि फसल सीजन में किसानों ने धान की फसल ली थी। इस बार अब किसान इसकी तैयारी करते नजर आ रहे हैं। बेमेतरा ब्लाक के एसडीओ कृषि डॉ. श्यामलाल साहू ने बताया कि बीते सत्र में 5880 हेक्टर में धान की फसल ली गई थी।

भूजल का गिरता स्तर, बेमेतरा-

नवागढ़ की स्थिति बेहतर नहीं 

टेस्ट ग्राउंड वाटर बोर्ड के अनुसार वर्ष 2019-20 में जिले के बेमेतरा एवं नवागढ़ विकासखंड को सेमीक्रिटिकल जोन में शामिल किया गया है। साथ ही अन्य विकासखंडों में भी भू-जल का स्तर लगातार नीचे जा रहा है। धान के बाद लगातार धान फसल लेने से मिट्टी की भौतिक संरचना पर विपरीत प्रभाव पड़ता है। साथ ही क्षेत्र में एक ही फसल के हानिकारक कीड़े एवं बीमारियों की संख्या बढ़ती है, जिसके उपचार के लिए किसानों द्वारा अंधाधुंध रासायनिक उर्वरकों एवं कीटनाशक दवाइयों का उपयोग किया जाता है।

ग्रीष्मकालीन धान के बदले कम पानी में आसानी से गेंहू, मक्का, मूंग, उड़द, सरसो, चना की फसल ली जा सकती है, जिनके बाजार मूल्य भी धान से अधिक हैं। दलहन-तिलहन फ सलों से अच्छा उम्पादन प्राप्त करने की सलाह देते है। बहरहाल जिले में धान की बजाय दीगर फ सल लेने के लिए कई प्रयासों के बाद भी किसान धान की पैदावारी पर ही ध्यान दे रहे हैं। लगातार धान की खेती करने से मिट्टी की क्षमता भी प्रभावित हो रही है।

जिले में रबी फसल सीजन के लक्ष्य

गेंहू - 56000 हेक्टेयर

चना - 64000 हेक्टेयर

मसूर - 4000 हेक्टेयर

तिवरा - 32200 हेक्टेयर

तिलहन - 1400 हेक्टेयर

बीते रबी फसल सीजन में धान की खेती 5672 हेक्टेयर

23-24 रबी फसल सीजन में धान का संभावित रकबा 20 हजार हेक्टेयर


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