बेमेतरा
समाधान महाविद्यालय में दो दिनी अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
बेमेतरा,17 दिसंबर। समाधान महाविद्यालय में दो दिवसीय अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन मानवीय चेतना आधारित सतत विकास के लिए बहुविषयक शिक्षा एवं नवाचार विषय पर संपन्न हुआ। इस सम्मेलन की मुख्य अतिथि हेमचंद यादव विश्वविद्यालय की कुलपति डॉ.अरुणा पल्टा रहीं।
उन्होंने महाविद्यालय को नैक मूल्यांकन में ए ग्रेड प्राप्ति व अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन के आयोजन की बधाई देते हुए कहा कि महाविद्यालय के प्राध्यापकों व विद्यार्थियों में अच्छे सहभागिता का गुण देखने को मिला। आज का समय मल्टीटास्किंग हैं, एक ही कार्य से हम अपनी आवश्यकताओं की पूर्ति नहीं कर सकते हैं इसलिए शिक्षा में मल्टीटास्किंग विषय जैसे गणित के साथ संगीत आदि को सम्मिलित रूप में अध्यापन कराया जा रहा हैं। समाज,राज्य व राष्ट्र में शिक्षा को गुणवत्तापूर्ण बनाने में हम सभी को अपनी भागीदारी करनी चाहिए।
इस अवसर पर रिसर्च जर्नल में एब्स्ट्रेक्ट पुस्तक रिलीज व आभास संदर्भ प्रदर्शनी का उद्घाटन किया गया। सर्वतोमुखी समाधान शिक्षा संस्कार समिति की अध्यक्ष डॉ. अलका तिवारी ने सभी छात्र-छात्राओं कहा कि प्रकृति की चार अवस्थाओं में मानव को ज्ञान अवस्था में रखा गया हैं तथा मानव को छोडक़र शेष तीन अवस्थाओं पदार्थ ,प्राण व जीव अवस्था में सभी का आचरण निश्चित हैं, जो स्वस्थ पर्यावरण एक फल हैं लेकिन स्वस्थ मानव चेतना सतत विकास का आधार हैं। महाविद्यालय के डायरेक्टर डॉ. अवधेश पटेल ने महाविद्यालय की स्थापना व उद्देश्य पर प्रकाश डाला तथा महाविद्यालय में जीवन विद्या व मूल्य शिक्षा के आंशिक प्रयोग की जानकारी दी एवं अगले 5 वर्ष में शोधकार्य को आगे बढ़ाने के लिए भरपूर प्रयास करने का भरोसा दिलाया।
आईआईटी दिल्ली के विषय विशेषज्ञ अजय जैन ने अपने वक्तव्य में कहा कि शिक्षा में नवाचार की आवश्यकता हैं। मानव सभी प्रश्नों के समाधानिक उत्तर प्राप्त कर अपने जीवन को आनंदमय बना सकता हैं। शिक्षाविद् सोमदेव त्यागी ने बताया कि मानव का अध्ययन भी शिक्षा का ही एक भाग हैं। अभी तक मानव का अध्ययन किसी शिक्षा में नहीं है क्योंकि मानव को समझने में यात्रा शेष है। सृष्टि की सच्चाई को जीवन विद्या और मूल्य शिक्षा द्वारा तर्क विधि से समझा जा सकता हैं।
इसके पश्चात गांधी विद्या मंदिर के अध्यक्ष हिमांशु दुग्गड़ में अपने संबोधन में कहा कि ज्ञान के खंड करने के कार्य से आज शिक्षा व्यावसायिक हुआ हैं। इनोवेशन शब्द से यह माना गया कि मानव अपनी कल्पनाशीलता से नई-नई चीज कर सकता हैं। मध्यस्थ दर्शन के अनुसार जो वस्तु अस्तित्व में है उसे ही समझाया जा सकता हैं।
सम्मेलन के दूसरे सत्र में विभिन्न महाविद्यालयों एवं विश्वविद्यालय के सहायक प्राध्यापक, रिसर्च स्कॉलर, महाविद्यालय के सहायक प्राध्यापक,छात्राध्यापक व छात्राध्यापिकाओं ने अपने रिसर्च पेपर प्रस्तुत किये पैनल एक्सपर्ट के रूप में एम.जे.कॉलेज भिलाई के प्राचार्य डॉ. अनिल चौबे, कलिंगा विश्वविद्यालय की डीन डॉ. आशा अभ्यंकर, मानव शिक्षा शोध संस्थान अछोटी के शिक्षाविद् डॉ. संकेत ठाकुर तथा आई.ए.एस.ई. इंजीनियरिंग कॉलेज विदिशा सरदार शहर के पूर्व प्रोफेसर सतीश सक्सेना के समक्ष ऑनलाइन एवं ऑफलाइन पद्धति से उपस्थित रहे एवं समस्त रिसर्च पेपर पर अपना सारांश दिये।
महाविद्यालय के डायरेक्टर अविनाश तिवारी ने धन्यवाद प्रेषित करते हुए कहा कि शिक्षा में मानवीकरण करने की दिशा में यह हमारा पहला कदम हैं। भविष्य की दिशा व दशा को सुधारने में हम लगे हुए हैं ताकि आगे आने वाली पीढ़ी को वास्तविक ज्ञान प्रदान कराया जा सके।


