बेमेतरा
ग्रामीणों ने उद्योग से होने वाले नुकसान को लेकर शुरू किया प्रदर्शन, कहा-आर-पार की करेंगे लड़ाई
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
बेमेतरा, 9 अगस्त। ग्राम झिरिया में स्पंज आयरन प्लांट स्थापना के विरोध में क्षेत्र के किसानों का प्रदर्शन जारी है । ग्राम झिरिया में बीते सप्ताह भर से किसान प्रदर्शन कर रहे हैं। प्लांट स्थापना के विरोध में क्षेत्र के हजारों किसान लामबंद हो गए हैं और आर-पार लड़ाई की तैयारी कर रहे हैं। इस संबंध में गांव-गांव में बैठक लेकर ग्रामीणों को जागरूक किया जा रहा है, ताकि 11 अगस्त को बुलाई गई जनसुनवाई में ग्रामीण अपना विरोध पुरजोर तरीके से दर्ज करा सके।
इस संबंध में ग्रामीणों ने बेमेतरा कलेक्टर से शिकायत कर जनसुनवाई को निरस्त किए जाने की मांग की है। बावजूद ग्रामीणों की मांग पर ध्यान नहीं दिया जा रहा है।
झिरिया सरपंच रामविशाल मिश्रा के अनुसार गांव में उद्योग की स्थापना के लिए पंचायत की ओर से संबंधित कंपनी को कोई भी अनापत्ति प्रमाण पत्र नहीं दिया गया है । गांव में उद्योग स्थापना का निर्णय ग्रामीणों के द्वारा किया जाना है। यहां के ग्रामीण उद्योग स्थापना का पुरजोर विरोध कर रहे हैं, इसलिए पंचायत ने अनापत्ति प्रमाण पत्र देने से इंकार कर दिया है । पंचायत व ग्रामीणों के विरोध के बावजूद प्रशासन की ओर से जनसुनवाई बुलाया जाना दुर्भाग्यपूर्ण है। यहां ग्राम पंचायत के अधिकारों का हनन किया जा रहा है।
कृषि प्रधान बेमेतरा जिला को बर्बाद करने शासन-प्रशासन जुटा
ग्रामीण हरिकिशन कुर्रे ने कहा कि बेमेतरा जिला कृषि प्रधान है । इसको ध्यान में रखकर प्रदेश की कांग्रेस सरकार ने जिले के हर ब्लाक में फूड पार्क स्थापना के लिए जमीन आरक्षित की गई। जिस पर 3 साल बाद भी कोई पहल नहीं हुई है। वहीं मुख्यमंत्री ने शुगर मिल खोले जाने की घोषणा की थी। इन दोनों घोषणा पर अमल के लिए प्रदेश सरकार की ओर से कोई सार्थक कदम नहीं उठाए गए हैं । इसके विपरीत कृषि प्रधान बेमेतरा जिला को बर्बाद करने प्रदूषण वाले उद्योगों की स्थापना को लेकर शासन-प्रशासन जुटा हुआ है।
दुष्परिणाम ग्रामीण भुगतेंगे, हजारों एकड़ रकबा की फसल होगी प्रभावित
देवदास चतुर्वेदी ने बताया कि ग्राम झिरिया में कृषि रकबा 1300 एकड़ है। यहां के ग्रामीण रोजी रोटी के लिए खेती पर ही निर्भर है। प्रदूषण वाले प्लांट की स्थापना से क्षेत्र में कृषि पर दुष्प्रभाव पड़ेगा। आज गांव में हर तरफ हरियाली छाई हुई है, लेकिन प्लांट स्थापना के बाद धुआं और डस्ट दिखाई देगा। जिसके दुष्परिणाम ग्रामीणों को भुगतने पड़ेगे। सिलतरा, उरला और सरोरा की स्थिति देखने के बाद कोई भी ग्रामीण प्लांट की स्थापना का समर्थन नहीं करेगा।
प्रदूषण से कृषि भूमि बंजर होने पर रोजी-रोटी का संकट हो सकता है खड़ा
पूर्व सरपंच विनोद तिवारी ने बताया कि स्पंज प्लांट स्थापना से क्षेत्र की कृषि भूमि प्रदूषण के कारण बंजर होने के साथ कृषि योग्य नहीं रहेगी। ऐसी स्थिति में क्षेत्र के किसानों का रोजगार समाप्त होने से रोजी-रोटी का संकट खड़ा हो जाएगा। इस संबंध में प्रशासन को लगातार अवगत कराया जाने के बावजूद ध्यान नहीं दिया जा रहा है जो दुर्भाग्यपूर्ण है। प्रदूषण व भूजल दोहन की स्थिति में ग्राम झिरिया, उसलापुर, पुरान, सोनपुरी, भोथीडीह, तुमा, मऊ, खम्हरिया, मल्दा, घोघराली, भदराली, बुचीपूर, चंदनु, मुंगेली, बाराडेरा, खपरी, मुलमुला, करंजिया, नवागांव, बिटकुली, बिरमपुर, भनसूली समेत अन्य गांव की हजारों एकड़ किसानी कार्य प्रभावित होगा। जिससे किसानों के समक्ष रोजगार का संकट खड़ा हो जाएगा।


