बेमेतरा
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
बेमेतरा, 28 फरवरी। भूमिगत जल के दोहन में बेमेतरा जिला प्रदेश में टॉप जिला में शामिल हो गया है। जिले में हो रहे भू-जल दोहन को लेकर चिंताजनक स्थिति का खुलासा सैन्ट्रल ग्राउंड वॉटर बोर्ड द्वारा किए गए डायनेमिक ग्राउंड वाटर रिसोर्ट आफ इंडिया की रिपोर्ट में हुआ है। जिले में 93 फीसदी भू-जल का दोहन किया जा रहा है। बेमेतरा जिला इस मामले में दुर्ग, भिलाई, रायपुर व बिलासपुर जैसे अधिक आबादी वाले शहर व जिले के कतार में खड़ा हो चुका है।
जानकारी के अनुसार सेंट्रल ग्राउंड वॉटर बोर्ड द्वारा जारी किए गए डायनैमिक ग्राउंड वाटर रिसोर्स ऑफ इंडिया 2022 की रिपोर्ट में पूरे प्रदेश मे हो रहे भू जल दोहन का ब्यौरा सामने आया है। प्रति दो साल में देश भर में भूजल की स्थिति पर जिलेवार सर्वे किया जाता है।
वैज्ञानिक पद्धति से किए जाने वाले में देखा जाता है कि मानसून और नॉन मानसून सीजन में ग्राउंड लेवल पर कितना पानी जमा हुआ। उद्योग द्वारा पानी की उपयोगिता, कितना पानी प्राकृतिक रूप से कम हो रहा है और कितना पानी बच रहा है। इसकी रिपोर्ट के मुताबिक बेमेतरा जिले की स्थिति कमजोर नजर आया है। जिले के चार ब्लाक में से तीन ब्लाक चिंताजनक स्थिति के दायरे में है। केवल साजा ब्लाक इस दायरे से बाहर है।
जिले की हालत पर गौर किया जाने पर पाया गया है कि जिले भर में भूजल भंडारण कम होने और दोहन में अधिकता आने से इस तरह का नौबत आया है। अब जिले में भूजल के दोहन में और कमी लाये जाने की जरूरत है। आने वाले 3 साल में भूजल स्तर और गिर सकता है और संकट गहरा सकता है।
केवल 7751 हेक्टेयर मीटर जल की होगी बचत
रिपोर्ट के मुताबिक जिले में प्रत्येक वर्ष मानसून सीजन के दौरान 16047.69 हेक्टेयर मीटर वर्षा जल रिचार्ज होता है। इसके आलावा अन्य साधन से जिले में 13451.23 हेक्टेयर मीटर जल रिचार्ज होता है। इसके आलावा गैर मानसून सीजन में जिले में वाटर रिचार्ज शून्य है। वहीं अन्य साधन से रिचार्ज 18704.76 हेक्टेयर मीटर जल स्टोर होता है। जिले में पूरे साल भर में कुल 48203.68 हेक्टेयर मीटर वाटर रिचार्ज होता है जिसमें से प्राकृतिक तौर पर 4178.86 हेक्टेयर मीटर वाटर डिस्चार्ज होता है। जिले में शेष 44024.82 हेक्टेयर मीटर ग्राउन्ड वाटर रिचार्ज रहता है जिसमें से 38913.30 हेक्टेयर मीटर का उपयोग सिंचाई के लिए, 67.64 हेक्टेेयर मीटर जल का उपयोग औद्योगिक इकाई के लिए वहीं घरेलू उपयोग के लिए 2327 हेक्टेयर मीटर जल का उपयोग होता है। रिचार्ज जल में से कुल 41306.42 हेक्टेयर का उपयोग होता है जिसके बाद आने वाले 2025 तक जिले की अनुमानित घरेलू उपयोग 2889.52 हेक्टेयर मीटर जल की होगी। घरेलू उपयोग के बाद 7751.69 हेक्टेयर मीटर भू जल बचत का अनुमान हैं।
टयूबवेल से सिंचाई में भू जल का सर्वाधिक दोहन
जिला का आकड़ा देखा जाये तो जिले में कुल 357 हजार हेक्टेयर का कास्तकारी क्षेत्र है जिसमे से 110 हजार द्वि फसली रकबा है । जिसमें खरीफ फसल सीजन में सर्वाधिक 212 हजार हेक्टेयर में फसल लिया जाता है। वहीं 148 हजार हेक्टेयर में रबी फसल लिया जाता है। खरीफ सीजन के दैारान 108 हजार रकबा सिंचित क्षेत्र तथा रबी फसल सीजन का सिंचित क्षेत्र 90 हजार हेक्टेयर का है। जिले में नहर से सिंचाई का रकबा 10972 हेक्टेयर, तालाब से सिंचाई का रकबा 3040 हेक्टेयर, सर्वाधिक नलकूप याने भू जल का उपयोग वाले सिंचाई रकबा है जिसका कुल रकबा 87904 हेक्टेयर का है। जिले में केवल 154 हेक्टेयर में कुओं से सिंचाई किया जाता है। इसके आलावा 3900 हेक्टेयर रकबा में अन्य साधनो से सिंचाई किया जाता है। जिले में 186939 किसान है।
जिले में तीन ब्लाक खतरनाक जोन में
रिपोर्ट के अनुसार पूरे प्रदेश में 146 ब्लाक में से 6 ब्लाक क्रिटीकल जोन में है जिसमें बेमेतरा जिले के तीन ब्लाक शामिल है। इस जोन में बेमेतरा, नवागढ़ व बेरला शामिल है। इसके अलावा सेमी क्रिटीकल जोन में 24 ब्लाक है जिसमें साजा शामिल है। जिले में पूर्व वर्ष की रिपोर्ट के मुकाबले में 2022 में जारी रिपोर्ट बेहतर नहीं है जिसे देखते हुए जिले में वाटर रिचार्ज पर गंभीरता से योजना तैयार कार्य किए जाने की आवश्यकता बताई जा रही है।


