बेमेतरा

विशेषज्ञ डॉक्टर नहीं होने के कारण जिला अस्पताल में नहीं बन रहा दिव्यांग सर्टिफिकेट
22-Feb-2023 2:54 PM
विशेषज्ञ डॉक्टर नहीं होने के कारण जिला अस्पताल में नहीं बन रहा दिव्यांग सर्टिफिकेट

‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
बेमेतरा, 22 फरवरी।
जिला अन्य जिलों की तुलना में स्वास्थ्य सुविधाओं में पिछड़ता जा रहा है। सरकार के बेहतर स्वास्थ्य सुविधाएं देने के दावे उस समय बेमानी नजर आते हैं, जब जिले भर के दिव्यांगों को मेडिकल सर्टिफिकेट के लिए महीनों चक्कर लगाने पड़ते हैं। बावजूद मेडिकल सर्टिफिकेट नहीं बन रहा है। ऐसी स्थिति में दिव्यांगों को सरकार की योजनाओं का लाभ नहीं मिल रहा है।
करीब 4 महीने से 100 बिस्तर जिला अस्पताल में दिव्यांगों का मेडिकल सर्टिफिकेट का नवीनीकरण व पंजीयन नहीं हो पा रहा है।

सर्टिफिकेट के लिए राजनांदगांव मेडिकल कॉलेज पर निर्भर
मेडिकल सर्टिफिकेट के लिए बेमेतरा जिले के दिव्यांगों को राजनांदगांव मेडिकल मेडिकल कॉलेज पर निर्भर रहना पड़ता है। जिला मुख्यालय से राजनांदगांव आवाजाही में 200 किमी से अधिक दूरी तय करनी पड़ती है, जो दिव्यांगों के लिए परेशानी का सबब है। एक बार में मेडिकल सर्टिफिकेट बनकर मिले इसकी गारंटी नहीं है। कई बार राजनंदगांव मेडिकल कॉलेज के चक्कर लगाने पड़ते हैं। ऐसी स्थिति में दिव्यांग व उनके परिजनों को अतिरिक्त खर्च वहन करना पड़ रहा है।

पद भर्ती के बाद ही बनेंगे सर्टिफिकेट
अस्पताल प्रबंधन से मिली जानकारी के अनुसार जिला अस्पताल में विशेषज्ञों के 18 में से 14 पद रिक्त हैं, जिसमें दिव्यांगों के मेडिकल सर्टिफिकेट के लिए जरूरी हड्डी रोग विशेषज्ञ, नेत्र रोग विशेषज्ञ व मनोरोग विशेषज्ञ के पद रिक्त है। जिला अस्पताल में पदस्थ हड्डी रोग विशेषज्ञ डॉ. अरविंद साहू ने करीब 4 महीने पूर्व अपने पद से इस्तीफा दे दिया है। ऐसी स्थिति में हड्डी रोग से जुड़े दिव्यांगों के भी मेडिकल सर्टिफिकेट नहीं बन पा रहे हैं। उल्लेखनीय है कि 70 फीसदी दिव्यांग हड्डी रोग से जुड़े होते हैं।

हर ब्लॉक में शिविर आयोजन की मांग
दिव्यांग संघ के जिलाध्यक्ष रामलाल साहू ने बताया कि मेडिकल सर्टिफिकेट के नवीनीकरण के लिए रोजाना दिव्यांगों के फोन आते हैं। जिले में पर्याप्त स्वास्थ्य सुविधाएं उपलब्ध नहीं होने के कारण दिव्यांगों को जवाब देने की स्थिति में नहीं है। मेडिकल सर्टिफिकेट के नवीनीकरण व नए सर्टिफिकेट के लिए हर ब्लॉक में शिविर का आयोजन करने दो माह पूर्व समाज कल्याण विभाग में आवेदन किया था। जिस पर विभाग की ओर से अब तक कोई पहल नहीं की गई है।

1 हजार से अधिक दिव्यांगों के नवीनीकरण पेंडिंग
संघ के जिलाध्यक्ष के अनुसार जिले भर में एक हजार से अधिक दिव्यांगों के मेडिकल सर्टिफिकेट का नवीनीकरण किया जाना है। जिले में सुविधा नहीं होने के कारण दिव्यांगों को राजनंदगांव मेडिकल कॉलेज जाना पड़ता है। ऐसी स्थिति में जिले के दूरदराज क्षेत्रों के दिव्यांग राजनांदगांव जाने से परहेज कर रहे हैं क्योंकि दूरदराज के दिव्यांगों को 300 किमी से अधिक दूरी तय करनी पड़ती है। नतीजतन दिव्यांग समय पर मेडिकल कॉलेज नहीं पहुंच पाते हैं और उन्हें बैरंग लौटना पड़ता है। जिलाध्यक्ष ने बताया कि लगभग हर गांव के दिव्यांगों के मेडिकल सर्टिफिकेट का नवीनीकरण होना है। इसके लिए चारों ब्लॉक में शिविर का आयोजन जरूरी है।

नजदीकी जिला से विशेषज्ञों को बुलाने के प्रयास जारी
सिविल सर्जन एसआर चुरेन्द्र के अनुसार विशेषज्ञ पद भर्ती के लिए समय-समय पर शासन को पत्र लिखा जा रहा है। वहीं राज्य स्तरीय बैठक में विभाग प्रमुख को भी अवगत कराया जा रहा है। आरक्षण का प्रकरण न्यायालय में लंबित होने के कारण विशेषज्ञों की पद भर्ती नहीं हो पा रही है। सप्ताह में एक दिन नजदीकी जिले से विशेषज्ञों के बुलाने के प्रयास जारी हैं। शासन से समाज कल्याण विभाग को निर्देश मिले हुए हैं कि विशेषज्ञ के पद रिक्त होने की स्थिति में नजदीकी जिले के सरकारी स्वास्थ्य संस्थान में विशेषज्ञ होने की स्थिति में वहां दिव्यांगों को ले जाकर नवीनीकरण के लिए विशेषज्ञ की पुष्टि लिखित में होने पर, स्थानीय जिला अस्पताल से सर्टिफिकेट जारी किया जाना है, इसके लिए फंड की व्यवस्था भी की गई है।

दिव्यांगों को शासन की योजनाओं का नहीं मिल रहा लाभ
ग्राम फरी निवासी दिव्यांग टीकम पाटिल ने बताया कि दिव्यांग सर्टिफिकेट के लिए महीनों से जिला अस्पताल के चक्कर काट रहा हूं, लेकिन हड्डी रोग विशेषज्ञ नहीं होने के कारण बैरंग लौटना पड़ता है। इसी प्रकार ग्राम मऊ निवासी दिव्यांग नेमीचंद सोनी ने बताया कि मेडिकल सर्टिफिकेट नहीं होने के कारण शासन की योजनाओं का लाभ नहीं मिल रहा है।

जिला अस्पताल जाने पर डॉक्टर राजनंदगांव मेडिकल कॉलेज जाने की बात कहते हैं। इसी तरह ग्राम खिसोरा निवासी दिव्यांग पवन साहू ने बताया कि मेडिकल सर्टिफिकेट नहीं होने के कारण काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ता है। सर्टिफिकेट के लिए हर ब्लॉक में शिविर आयोजन का आग्रह किया गया, बावजूद ध्यान नहीं दिया जा रहा है। यहां प्रशासन की संवेदनहीनता साफ दिखाई दे रही है।


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