बेमेतरा

धान का रकबा घटा, नहीं गिरेगा जल स्तर
15-Feb-2023 3:03 PM
धान का रकबा घटा, नहीं गिरेगा जल स्तर

‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
बेमेतरा, 15फरवरी।
जिले में तीन साल बाद ग्रीष्मकालीन धान का रकबा सिमट कर आधे के करीब पहुचा। रबी में धान की तुलना में किसानों ने अन्य फसल को प्राथमिकता दिया है। जिले में इस सीजन में केवल 7200 हेक्टेयर में धान की फसल ली गई है। धान का रकबा कम होने से भूमिगत जल का दोहन कम हुआ है। जानकारी हो कि रबी व खरीफ फसल के दैारान धान की पैदावारी के समय सिंचाई के लिए दो से ढाई गुना पानी सिंचाई के लिए लगता है।

खरीफ फसल सीजन में सिंचाई के लिए बरसाती पानी उपलब्ध हो जाता है पर गर्मी के दिनों में धान की पैदावारी के दैारान भू गर्भ जल का अत्याधिक दोहन होता है। इस वजह से गर्मी के दिनो में धान के पैदावारी को कम करने के लिए दिगर फसलों का पैदावारी करने के लिए किसानों को प्रोत्साहित किया जाता रहा है। जिले में तीन साल बाद धान का रकबा कम करने के लिए किए जा रहे सरकारी प्रयास सफल होते दिखाई दे रहा है। जिले मेे इस बार 7250 हेक्टेयर में ग्रीष्मकालीन धान की फसल ली जा रही है। जिसमे बेमेतरा ब्लाक में 1525 हेक्टेयर, साजा में निंरक नवागढ ब्लाक में 2632 हेक्टेयर व बेरला मेें 3033 हेक्टेयर में धान की फसल ली गई है।

3 साल पहले 10 गुना ज्यादा क्षेत्र में धान
जिले में गर्मी के दिनो में तेजी से कम होतेे जलस्तर के लिए प्रमुख तैार पर ग्राीष्मकालीन धान को कारण माना जाता रहा है। जिले में पांच साल पूर्व गर्मी के दिनो में धान की फसल लेने पर अधोषित रोक था। बिजली कनेक्शन भी काटे गये थे। जिले में गर्मी के दिनों में धान की पैदावारी लेने की वजह से नवागढ ब्लाक में जलसंकट की स्थिति रही है। रिकार्ड देखें तो जिले में 2018-19 में 6516 हेक्टेयर,2019 -20 में 1775 हेक्टेयर, इसके बाद 2020 -21 जिले में ग्रीष्म कालीन धान की खेती में दस गुना से अधिक इजाफा याने 19875 हेक्टेयर में गर्मी धान की फसल ली गई थी। रकबा कम करने के लिए किये गये जतन के बाद के सत्र. में 15 794 हेक्टेयर में धान का फसल लिया था।

सभी ब्लाकों में गर्मी वाले धान का रकबा सिमटा
जिले में इस बार गर्मी के धान का रकबा सभी ब्लाक में कम हुआ है। इस बार बेमेतरा ब्लाक में 1565 हेक्टेयर, नवागढ ब्लाक में निंरक, साजा ब्लाक में 2632 हेक्टेयर व बेरला ब्लाक में 3033 हेक्टेयर समेत जिले में 7250 हेक्टेयर में रबी सीजन में धान का फसल लिया गया है।

नुकसान का सौदा है गर्मी में धान
जहाजपुर के किसान सुजीत तिवारी ने बताया कि गर्मी के दिनों में धान की फसल लेना नुकसान का सौदा है। बाजार में 13 से 14 क्विंटल के दर से बिकता है वहीं गेहू 2 हजार के दाम से बिकता हैै। विनय कुमार ने बताया इस बार लोगंों ने धान के बजाये दिगर फसल लेने पर ध्यान दिया है। युवा किसान पलास दुबे ने बताया कि धान के आलावा अन्य फसल लेना लाभकारी होता है। इस बार गेहू की मांग है जिसे देखते हुए किसानो ने गेहूं की फसल में रूचि दिखाई है।

वाटर रिचार्ज के लिए बेहतर है धान का रकबा कम होना
वरिष्ठ कृषि विकास अघिकारी डॉ. श्याम लाल साहू ने बताया कि गर्मी के दिनों में धान का रकबा कम होना जिले के वाटर रिचार्ज व वाटर लेबल केा बनाये रखने के लिए बेहतर कदम है। जिले में इसबार गर्मी के दिनों में पूर्व की अपेक्षा धान का रकबा आधे के करीब है। इस बार गर्मी के दिनो में वाटर लेबल गिरने की जानकारी कम ही आ रही है।


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