बेमेतरा
देवउठनी एकादशी उत्साह के साथ मनाया एकादशी का पर्व
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
बेमेतरा, 5 नवंबर। देवप्रबोधनी एकादशी पर शुक्रवार को तुलसी विवाह गन्ना के मंडप पर संपन्न कराया गया। त्यौहार को लेकर लोगों में उत्साह रहा। दीपावली के बाद देवउठनी एकादशी में बेहतर कारोबार होने की संभावना जताई जा रही थी, पर कारोबार अपेक्षाकृत कमजोर रहा है। दूसरी तरफ शाम होते ही घर, मंदिर, दुकान कुएं व अन्य स्थलों पर दीपक जला कर रोशनी की गई।
शुक्रवार का छोटी दीपावली त्यैाहार को लेकर लोगों में उत्साह रहा। चार माह से लंबित वैवाहिक कार्यक्रम अब आने वाले दिनों में शुभ मुहुर्त के साथ हो सकेगा।
तुलसी विवाह को लेकर लोगों में उत्साह
तुलसी विवाह याने देवउठनी एकादशी को लेकर लोगों में काफी उत्साह सुबह से नजर आया। अंचल में छोटी दीपावली मनाने केा लेकर जुटे रहे और सुबह से शहर में गन्ना सिंघाड़ा, जाम, चना भाजी, बेर, कन्द, आंवला,कमल फल, सीताफल सहित फल-फूलों की विशेष बिक्री हुई।
सुभेष मिश्रा ने बताया कि मान्यता है कि आज तुलसी का विवाह भगवान शालिग्राम से हुआ था। इस कारण इनका नाम तुलसी विवाह पड़ा। वहीं दूसरी ओर भगवान विष्णु अपनी शैय्या त्यागे, इस कारण देवउठनी एकादशी नाम पड़ा। घरों में तुलसी चौरे की विशेष साज-सज्जा कर गन्ने का मंडप लगाते हैं। घर के बाहर रंगोली-सजाए जाने की परंपरा है, जिसका अनुसरण किया गया।
जगह-जगह बिके गन्ने
शहर में नवीन बाजार, प्रताप चौक, पियर्स चौक, नया बस स्टैन्ड, गस्ती चौक, गायत्री मंदिर समेत अनेक स्थलों पर गन्ना बेचने के लिए लोग गन्ना लेकर पहुंचे थे, इसके अलावा दीगर पूजा समाग्री भी स्टाल लगाकर बेचा गया। करीब 40 से अधिक स्थानों पर गन्ना बेचा गया। बेहतर बिक्री केा लेकर बेचने वाले भी खुश नजर आये है। हरदेव साहू ने बताया कि पूर्व की अपेक्षा इस बार ठीक दाम मिला है। जितेन्द्र कुमार ने बताया कि गुरूवार की अपेक्षा शुक्रवार को अधिक गन्ना बिका है।
देव को उठने का आह्वान किया
भाजी, बेर और आंवला पूजन में चढ़ाया व कपूर से आरती कर आशीर्वाद लिया गया, जिसके बाद लोगों ने 11 बार तुलसी की परिक्रमा करने के बाद भगवान विष्णु से जागने का आह्वान किया गया। बहरहाल देवउठनी उत्साह के साथ मनाया गया। कई स्थलों पर गौरा-गौरी विवाह भी कराया गया।
तुलसी विवाह संपन्न कराया गया
देवउठनी एकादशी की सायंकाल के समय परिवार समेत लोगों ने विवाह संपन्न कराया, जिसके बाद अब शुभ मुहूर्त में वैवाहिक कार्यक्रम होंगे। तुलसी मां पौधा को आंगन, छत या पूजा घर में बीच में रखकर तुलसी के गमले के ऊपर गन्ने का मंडप बनाकर सजाया गया था, जहां पर तुलसी देवी पर समस्त सुहाग सामग्री के साथ लाल चुनरी चढ़ाए। गमले में शालिग्राम रखा गया था। इसके बाद विधि-विधान से पूजा-अर्चना कर परिवार की सुख-समृद्धि की कामना की।


