बस्तर

जगदलपुर, 9 जुलाई। भाजपा प्रवक्ता केदार कश्यप के द्वारा बस्तर में कोरोना संक्रमण बढऩे के लिए प्रदेश सरकार को जिम्मेदार ठहराए जाने पर कड़ी प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए बस्तर विकास प्राधिकरण के अध्यक्ष और विधायक बस्तर विधानसभा लखेश्वर बघेल ने कहा है कि जनसंख्या के अनूपात की तुलना में छत्तीसगढ़ वैक्सीन लगाने में मध्यप्रदेश एवं उत्तरप्रदेश से बेहतर रहा है। मोदी के प्रचार के भूखी भाजपा महामारी काल में भी जनता के स्वास्थ के साथ खिलवाड़ कर रही है।
लखेश्वर बघेल ने जारी विज्ञप्ति में कहा कि भाजपाशासित राज्यो में टीकाकरण रिकार्ड बनाने के थोथी वाहवाही लूटने आमजनता को चार दिनों तक वैक्सीन के लिए भटकाया गया। भाजपाशासित राज्यो को 21 जून के टीकाकरण रिकार्ड बनाने बड़ी मात्रा में वैक्सिन उपलब्ध कराए गए। गैर भाजपाशासित राज्यो को वैक्सीन देने में भेदभाव को किया गया। देशभर में 21 जून को 80 लाख टीकाकरण हुआ जो 22 जून 54 लाख और 23 जून 68 लाख हुआ। टीकाकरण का राष्ट्रीय स्तर पर गिरता ग्राफ मोदी सरकार की वैक्सिन देने में नाकामी को प्रदर्शित कर रहा है।भूपेश बघेल की सरकार छत्तीसगढ़ में 1 दिन में चार लाख डोज टीका लगाने की क्षमता विकसित कर चुकी है। लेकिन मोदी सरकार छत्तीसगढ़ को प्रतिदिन चार लाख डोज उपलब्ध कराने में असफल है। यदि राज्य को उसकी क्षमता के अनुरूप टीके केन्द्र दे तो राज्य दो महिने में अपनी पूरी आबादी का टीकाकरण कर लेगी। भाजपा प्रवक्ता बताये मोदी सरकार वैक्सीन देने में क्यों भेदभाव कर रही है? मध्यप्रदेश को प्रतिदिन 1 लाख 70 हजार डोज दिया जाता रहा है फिर 21 जून के लिए 17 लाख वैक्सीन कैसे मिल गया? कर्नाटक में 20 जून को 68 हजार के करीब वैक्सीन लगा था फिर 21 जून के लिए 11 लाख वैक्सीन कहां से आया ? हरियाणा आसाम कर्नाटक उत्तर प्रदेश गुजरात में भी 21जून को बड़ी संख्या में टीकाकरण हुए।
बस्तर प्राधिकरण अध्यक्ष विधायक लखेश्वर बघेल ने कहा है कि भाजपा नेताओं को छत्तीसगढ़ सरकार पर असफल होने का आरोप लगाने के पहले भाजपा की केंद्र सरकार के कृत्यों का अवलोकन करना चाहिए जिसमें थाली, घंटी बजा कर और असमय लाकडाउन कर संपूर्ण देश को एक भयावह संकट में डाल दिया था। बस्तर अंचल में कोरोना का प्रभाव बढऩे का एक कारण वह भी रहा क्योंकि बस्तर की सीमा कई समय समीपवर्ती राज्यों से जुड़ी हुई है और काल कवलित होते बस्तर से बाहर मजदूरी करने के लोगों को भी इस असमंजस की स्थिति में अपनी जान की परवाह किए बिना वापस अपने ग्रह नगर में लौटना पड़ा था इनकी लौटने और रुकने की पूर्ण व्यवस्था भी प्रदेश सरकार द्वारा की गई, इसमें केंद्र सरकार का कोई भी योगदान नहीं रहा था।