बलौदा बाजार

करूणा शुक्ला पंचतत्व में विलीन
28-Apr-2021 7:26 PM
करूणा शुक्ला पंचतत्व में विलीन

पति ने पीपीई किट पहनकर दी मुखाग्नि

‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
बलौदाबाजार, 28 अपै्रल।
पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी की भतीजी और कांग्रेस की वरिष्ठ नेत्री करुणा शुक्ला पंचतत्व में विलीन हो गई। कोविड गाइडलाइन का पालन करते हुए उनका अंतिम संस्कार किया गया। पति डॉ. माधव शुक्ला ने पीपीई किट पहनकर करुणा शुक्ला को मुखाग्नि दी। इस दौरान परिवार की तरफ से उनकी पुत्री रश्मि, भतीजा योगेश शुक्ला, उनकी पत्नी और अन्य लोग मौजूद रहे। कोरोना के चलते राजनीति से जुड़े लोग शामिल नहीं हो सके।

बलौदाबाजार पूर्व सांसद और कांग्रेस की वरिष्ठ नेत्री करुणा शुक्ला (70 वर्ष) कोरोना संक्रमित हो गईं थी। जिसके बाद उनका रायपुर के रामकृष्णा अस्पताल में इलाज चल रहा था। जहां उनका निधन हो गया। करुणा शुक्ला बलौदाबाजार की पूर्व विधायक थी। बलौदाबाजार में ही कल अंतिम संस्कार किया गया। लोकसभा सांसद रहीं करुणा शुक्ला वर्तमान में छत्तीसगढ़ समाज कल्याण बोर्ड की अध्यक्ष थीं।

ज्ञात हो कि करुणा शुक्ला पहली बार 1993 में बीजेपी विधायक चुनी गई थीं. बीजेपी की टिकट पर सांसद रहीं करुणा शुक्ला 2009 में कांग्रेस के चरणदास महंत से चुनाव हार गई थीं। 2014 आते आते वह बीजेपी में इतनी अलग थलग पड़ीं कि उन्होंने उस कांग्रेस का दामन थामने का फैसला कर लिया, जिसके सामने अटल बिहारी वाजपेयी पूरी जिंदगी लड़ते रहे।
1 अगस्त 1950 के दिन ग्वालियर में अटल बिहारी वाजपेयी की भतीजी करूणा शुक्ला का जन्म हुआ था। भोपाल यूनिवर्सिटी से पढ़ाई पूरी करने के बाद उन्होंने राजनीति में कदम रखा था। उन्हें मध्यप्रदेश विधानसभा में रहते हुए बेस्ट एमएलए का खिताब भी मिला था। वह 1982 से 2014 तक भाजपा में रहीं।

करुणा शुक्ला ने 32 साल बीजेपी में रहने के बाद कांग्रेस का दामन थामा था।  2014 में कांग्रेस ज्वॉइन की। लेकिन वे चुनाव नहीं जीत पाईं. करुणा 1993 में पहली बार विधानसभा सदस्य चुनी गईं। 2004 के लोकसभा के चुनावों में करुणा ने भाजपा के लिए जांजगीर सीट जीती थी, लेकिन 2009 के चुनावों में करुणा कांग्रेस के चरणदास महंत से हार गईं थीं। उस चुनाव में छत्तीसगढ़ में करुणा ही बीजेपी की अकेली प्रत्याशी थीं जो चुनाव हारी थीं। बाकी की सभी सीटें बीजेपी के खाते में गई थीं। 

भाजपा में रहते हुए करुणा कई महत्वपूर्ण पदों पर रहीं, जिनमें भाजपा महिला मोर्चा का राष्ट्रीय अध्यक्ष पद भी है। 32 साल भाजपा में रहने के बाद उन्होंने अचानक कांग्रेस का दामन थाम लिया था।
 


अन्य पोस्ट