राष्ट्रीय
डेमोक्रैटिक रिपलब्कि ऑफ कॉन्गो की राजधानी किंशासा में भारतीय समुदाय पर हमला हुआ है. भीड़ ने भारतीयों की दुकानें और वाहन फूंक दिए.
डॉयचे वैले पर विवेक कुमार की रिपोर्ट
डेमोक्रैटिक रिपब्लिक ऑफ कॉन्गो में एक भीड़ ने भारतीय मूल के लोगों के व्यापारिक प्रतिष्ठानों और संपत्ति को नुकसान पहुंचाया. गुरुवार को हुई इस घटना के बारे मे पुलिस ने कहा पिछले हफ्ते भारत के बेंगलुरु में कॉन्गो के रहने वाले एक छात्र की मौत के कारण हुआ है.
पिछले हफ्ते भी किंशासा में ऐसी ही घटना हुई थी जब कई भारतीयों की दुकानें लूट ली गई थीं. भीड़ बेंगलुरु में पुलिस की हिरासत में कॉन्गलीज छात्र जोएल मालू की मौत का विरोध कर रहे थे.
पुलिस ने बताया कि गुरुवार को कॉन्गो में कई भारतीय दुकानों और गोदामों को लूटा गया, एक कार को आग लगा दी गई. तीन अन्य वाहनों पर पत्थर फेंके गए. यहे घटनाएं किंशासा के लिमेटे इलाके में तब हुई जब ऐसी अफवाह फैल गई कि भारत में कॉन्गलीज मूल के एक और युवक की मौत हो गई है.
किन्शासा के पुलिस आयुक्त सिल्वानो कासोंगो ने बताया, "असभ्य लोग, विशेषकर कुछ युवा भारतीयों द्वारा चलाई जा रहीं दुकानों और गोदामों को लूट रहे हैं."
पुलिस ने इस संबंध में तीन लोगों को गिरफ्तार किया है. उसे पत्थर फेंकने के लिए तैयार की गईं कपड़े की बनाई 40 बेलें भी मिली हैं. पुलिस ने अपने बयान यह नहीं बताया कि इस घटना में किसी को चोट लगी है या नहीं.
क्या हुआ बेंगलुरु में?
जोएल मालू की मौत बेंगलुरु में पुलिस हिरासत में हुई थी. उन्हें 1 अप्रैल को पुलिस ने नशीली दवाएं रखने के आरोप में गिरफ्तार किया था. पुलिस के मुताबिक मालू ने सीने में दर्द की शिकायत की, जिसके बाद उन्हें अस्पताल ले जाया गया जहां उनकी मौत हो गई.
इस घटना के बाद बेंगलुरू में रहने वाले अफ्रीकी मूल के कुछ लोगों ने विरोध प्रदर्शन किया था. पुलिस ने उन लोगों पर लाठी चार्ज भी किया था. बाद में पुलिस ने पांच प्रदर्शनकारियों को हिरासत में लेकर उनके खिलाफ मामला दर्ज कर लिया था.
3 अगस्त को डेमोक्रैटिक रिपब्लिक ऑफ कॉन्गो के दिल्ली स्थित दूतावास से कुछ अधिकारी बेंगलुरु पुहंचे थे और पुलिस से घटना की जानकारी ली थी. इसके बाद राज्य सरकार ने मालू की मौत के मामले की जांच सीआईडी की सौंप दी थी.
भारत में नस्लभेद के आरोप
अफ्रीका में कई बार कूटनीतिज्ञ इस बात की शिकायत कर चुके हैं कि भारत में रहने वाले अफ्रीकी मूल के लोगों के खिलाफ नस्लभेद होता है. 2016 में भी कॉन्गलीज मूल के एक युवक की दिल्ली में पीट-पीटकर हत्या कर दी गई थी.
ऐसी ही घटना 2014 में भी हुई थी जब गैबोन और बुरकीना फासो के रहने वाले तीन छात्रों को दिल्ली में एक मेट्रो स्टेशन पर घेर लिया गया था. अफ्रीकन स्टूडेंट्स इन इंडिया (AASI) के मुताबिक भारत में अफ्रीकी मूल के लगभग 25 हजार छात्र हैं जो देश के 500 सरकारी व निजी विश्वविद्यालयों में पढ़ रहे हैं.
इनमें सबसे ज्यादा छात्र सूडान और नाईजीरिया से आते हैं. इसके बाद केन्या, तंजानिया, युगांडा, रवांडा, जांबिया और इथियोपिया जैसे देश हैं जहां से बड़ी संख्या में छात्र भारत पढ़ने जाते हैं. (dw.com)
भारत के बीजेपी शासित राज्यों में आबादी पर नियंत्रण के लिए कानून बनाने की पहल हो रही है तो बिहार में बीजेपी के साथ शासन कर रहे मुख्यमंत्री नीतीश कुमार जाति आधारित जनगणना की मांग कर रहे हैं. आखिर ये विवाद है क्यों?
डॉयचे वैले पर मनीष कुमार रिपोर्ट
बिहार में बीजेपी के साथ सरकार चला रहे मुख्यमंत्री नीतीश कुमार जनसंख्या नियंत्रण कानून को गैर जरूरी बताकर जाति आधारित जनगणना की मांग कर रहे हैं. केंद्र सरकार के साफ इनकार के बावजूद उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र भी लिखा है और उनसे मिलने का इंतजार कर रहे हैं. इसे लेकर राष्ट्रीय जनता दल (राजद) प्रमुख लालू प्रसाद यादव के फिर मुखर होने से सियासत तेज हो गई है. बिहार में एनडीए सरकार की प्रमुख सहयोगी भाजपा पसोपेश में है और वह पार्टी की रणनीति के तहत जनसंख्या नियंत्रण कानून की हिमायत कर रही है. दरअसल, सारा खेल अन्य पिछड़ी जातियों के वोट बैंक का है. इनकी आबादी 52 फीसद बताई जाती है. राजनीतिक दलों के बीच ओबीसी के सच्चे हितैषी का क्रेडिट लेने की होड़ लग गई है.
अंग्रेजों के शासन में आखिरी जातीय जनगणना
भारत में आखिरी बार 1931 में जातिगत आधार पर जनगणना की गई थी. द्वितीय विश्वयुद्ध छिड़ जाने के कारण 1941 में आंकड़ों को संकलित नहीं किया जा सका था. आजादी के बाद 1951 में इस आशय का प्रस्ताव तत्कालीन केंद्र सरकार के पास आया था, लेकिन उस समय गृह मंत्री रहे सरदार वल्लभ भाई पटेल ने यह कहते हुए प्रस्ताव खारिज कर दिया था कि इससे समाज का ताना-बाना बिगड़ सकता है. 1951 के बाद से लेकर 2011 तक की जनगणना में केवल अनुसूचित जाति व अनुसूचित जनजाति से जुड़े आंकड़े प्रकाशित किए जाते रहे. 2011 में इसी आधार पर जनगणना हुई, किंतु अपरिहार्य कारणों का हवाला देकर इसकी रिपोर्ट जारी नहीं की गई. कहा जाता है कि करीब 34 करोड़ लोगों के बारे में जानकारी गलत थी.
कमोबेश, हर जनगणना के पहले जातीय जनगणना की मांग की जाती रही है. किंतु, बिहार विधानसभा में पहली बार 18 फरवरी, 2019 में तथा फिर 27 फरवरी, 2020 में सर्वसम्मति से प्रस्ताव पारित कर मांग की गई कि 2021 में होने वाली जनगणना जाति आधारित हो. एक बार फिर मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने केंद्र से इस पर पुनर्विचार करने का आग्रह किया है. 1931 की जनगणना के अनुसार देश में अन्य पिछड़ी जातियों (ओबीसी) की आबादी 52 प्रतिशत है. मंडल कमीशन ने भी इसी आंकड़े को आधार बनाया था, जिसकी रिपोर्ट 1991 में लागू की गई.
ओबीसी की आबादी का सही आंकड़ा मिलने से क्षेत्रीय दलों को राजनीति का नया आधार मिल सकता है. क्षेत्रीय दल हमेशा से जातीय जनगणना की मांग करते रहे हैं. किंतु, इस मुद्दे पर केंद्र में रही कोई भी सरकार अपने हाथ नहीं जलाना चाहती है. इसलिए 2010 में जब केंद्र में मनमोहन सिंह की सरकार थी तब भी लालू, शरद यादव व मुलायम सिंह यादव जैसे नेताओं ने इस आधार पर जनगणना की मांग की थी और उस समय पी. चिदंबरम सरीखे नेताओं ने इसका जोरदार विरोध किया था. सरकार को आशंका है कि जाति आधारित जनगणना के बाद तमाम ऐसे मुद्दे उठेंगे, जिससे देश में आपसी भाईचारा व सौहार्द बिगड़ेगा तथा शांति व्यवस्था भंग होगी. जिस जाति की संख्या कम होगी, वे अधिक से अधिक बच्चे की वकालत करेंगे. इससे समाज में विषम स्थिति पैदा होगी.
क्या कहना है पार्टियों का
जनसंख्या नियंत्रण कानून का विरोध कर रहे जेडीयू का कहना है कि केवल कानून बनाने से जनसंख्या नियंत्रित नहीं हो जाएगी. मुख्यमंत्री नीतीश कुमार कहते हैं, "जब महिलाएं पूरी तरह पढ़ी-लिखी होंगी तो प्रजनन दर कम हो जाएगी. हमें लगता है कि 2040 तक जनसंख्या में वृद्धि नहीं होगी और फिर यह घटना शुरू हो जाएगी. चीन को देख लीजिए, वहां अब क्या हो रहा है. महिलाओं के शिक्षित होने से समाज के हर वर्ग पर असर होगा." हिन्दुस्तानी अवाम मोर्चा (हम) के प्रमुख व पूर्व मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी ने भी इस मुद्दे पर नीतीश का साथ देते हुए ट्वीट किया.
नीतीश कुमार जातीय जनगणना को जरूरी बताते हैं. उनका मानना है कि इस तरह की जनगणना से सभी जातियों को मदद मिलेगी और उनकी सही संख्या का पता चलने से उस आधार पर नीतियां बनाई जा सकेगी. पार्टी का मानना है कि इससे पता चल सकेगा कि किस इलाके में किस जाति की कितनी आबादी है. इसी आधार पर उनके कल्याण के लिए काम हो सकेगा, साथ ही सरकारी नौकरियों तथा शिक्षण संस्थानों में उन्हें उचित प्रतिनिधित्व दिए जाने का रास्ता साफ हो सकेगा. पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष राजीव रंजन सिंह उर्फ ललन सिंह ने तो लोकसभा में साफ कह दिया कि जब तक जातीय जनगणना नहीं होगी, तब तक ओबीसी को पूर्ण न्याय नहीं मिल सकेगा.
राजद प्रमुख लालू प्रसाद ने भी इसे लेकर बड़ा दांव खेल दिया है. उन्होंने कहा है कि अगर 2021 में अगर जातीय जनगणना नहीं होगी तो बिहार ही नहीं, देश के सभी पिछड़ों-अति पिछड़ों के अलावा दलित व अल्पसंख्यक समाज के लोग जनगणना का बहिष्कार कर सकते हैं. बिहार विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव कहते हैं, "90 साल से विभिन्न जातियों की आबादी के बारे में सटीक जानकारी नहीं है. कमजोर वर्गों की उन्नति संबंधी सारी नीतियां पुराने आंकड़ों के आधार पर बनाए जा रहे हैं, जो कतई उचित नहीं कहा जा सकता."
भाजपा का रूख जातीय जनगणना पर साफ है. राज्यों तथा केंद्र शासित प्रदेशों को ओबीसी की सूची बनाने का अधिकार देने वाले विधेयक को राज्यसभा में पास कराने के पहले यह साफ कर दिया कि फिलहाल जाति जनगणना कराने का कोई इरादा नहीं है और न ही 2011 के जाति जनगणना के आंकड़ों को सार्वजनिक किया जाएगा. आरएसएस भी जातिगत जनगणना का विरोध करता रहा है.
सभी दलों की अपनी-अपनी रणनीति
बिहार, यूपी व हरियाणा जैसे राज्यों में क्षेत्रीय दल काफी मजबूत स्थिति में हैं और उनकी राजनीति ही जाति पर आधारित है. वैसे भी देश की राजनीति में पिछड़े वर्ग का दखल बढ़ा है. एक अनुमान के मुताबिक बिहार में ओबीसी की आबादी 26 प्रतिशत है. नीतीश कुमार की पार्टी जेडीयू को अति पिछड़ी वर्ग की जातियों के अलावा ओबीसी में यादव को छोड़ अन्य जातियों का साथ मिलता रहा है, हालांकि 2020 के बिहार विधानसभा चुनाव में यह तीन नंबर पर आ गई. इधर, राजद भी 2020 में मिले वोट को एकजुट रखना चाहता है, इसलिए अपने जनाधार में जदयू की सेंध से बचने के लिए ओबीसी का सच्चा हितैषी बनने की जुगत में है.
भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) जो कभी सवर्णों तथा बनियों की पार्टी समझी जाती थी, अन्य जातियों में अपना जनाधार बढ़ा चुकी है. इसलिए वह अब अनुसूचित जाति व अनुसूचित जनजाति के साथ ओबीसी को लामबंद करना चाहती है. साथ ही बीजेपी गरीब सवर्णों को आरक्षण व जनसंख्या नियंत्रण जैसे कानून के सहारे हिंदुओं को एकजुट करने की कोशिश भी कर रही है. हालांकि, बिहार भाजपा में भी अब जातीय जनगणना के स्वर उभरने लगे हैं. भाजपा कोटे से राजस्व व भूमि सुधार मंत्री बने रामसूरत राय ने कहा कि जातीय जनगणना भी हो और जनसंख्या नियंत्रण कानून भी बने. शायद यही वजह है कि प्रदेश बीजेपी अध्यक्ष डॉ संजय जायसवाल ने भी 19 अगस्त से प्रदेश में जन आर्शीवाद यात्रा शुरू करने की घोषणा के साथ कहा कि जातीय जनगणना के सभी पहलुओं पर केंद्र सरकार विमर्श कर रही है, इसके बाद इस पर कोई निर्णय लिया जाएगा.
जातीय जनगणना तथा जनसंख्या नियंत्रण कानून के मुद्दे पर एनडीए में नूरा-कुश्ती जारी है. जानकारों का मानना है कि जनसंख्या नियंत्रण कानून भले ही हाशिए पर जा सकता है किंतु जातीय जनगणना का जिन्न तो राजनीतिक दलों को सताता ही रहेगा, क्योंकि भारतीय समाज में जाति का वजूद जल्द खत्म होता नहीं दिख रहा है. पत्रकार सुकेश पांडेय कहते हैं, "देश के अखबारों में छपने वाले वैवाहिक विज्ञापन देख लीजिए. लोग 21वीं सदी में भी अपनी ही जाति के वर-वधू ढूंढते हैं. जाति समाज पर किस हद प्रभावी है, इसे समझने को यह काफी है." (dw.com)
भुवनेश्वर, 12 अगस्त | ओडिशा पुलिस की आर्थिक अपराध शाखा (ईओडब्ल्यू) ने 36.10 लाख रुपये के ई-मेधाब्रुति (छात्रवृत्ति) घोटाले के सिलसिले में एक सेवानिवृत्त अवर सचिव को गिरफ्तार किया है। पुलिस ने गुरुवार को यह जानकारी दी। गिरफ्तार व्यक्ति प्रकाश चंद्र रथ है, जो ओडिशा सरकार के उच्च शिक्षा विभाग में छात्रवृत्ति अनुभाग के प्रभारी अवर सचिव के रूप में अपने कार्यकाल के दौरान घोटाले में शामिल था। पुलिस ने कहा कि उसे एसडीजेएम, भुवनेश्वर की अदालत में भेजा जा रहा है।
ईओडब्ल्यू ने एक बयान में कहा, "उन्हें वर्ष 2014-15 में बड़ी संख्या में अपात्र छात्रों को ई-मेधाब्रुति (छात्रवृत्ति) के भुगतान में अनियमितता एवं वित्तीय कुप्रबंधन, सरकारी खजाने में भारी नुकसान के मामले में 2017 में दर्ज प्रकरण के संबंध में उनके आवास से गिरफ्तार किया गया है।"
ईओडब्ल्यू ने कहा कि प्रकाश ने अन्य लोगों के साथ आपराधिक साजिश में मौजूदा नियमों/मानदंडों का उल्लंघन करते हुए 235 गैर-अयोग्य/अपात्र छात्रों के पक्ष में लगभग 36.10 लाख रुपये की छात्रवृत्ति मंजूर की थी। (आईएएनएस)
नई दिल्ली, 12 अगस्त | देश में इलेक्ट्रिक मोबिलिटी में तेजी से बदलाव की सुविधा के लिए आवश्यक बुनियादी ढांचे को बढ़ाने के लिए नीति आयोग ने गुरुवार को इलेक्ट्रिक वाहनों के लिए चार्जिग नेटवर्क स्थापित करने के लिए नीतियां और मानदंड तैयार करने में राज्य सरकारों और स्थानीय निकायों की मदद करने के लिए एक हैंडबुक जारी की। नीति आयोग ऊर्जा मंत्रालय, विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग, ऊर्जा दक्षता ब्यूरो और विश्व संसाधन संस्थान, भारत द्वारा संयुक्त रूप से विकसित, पुस्तिका कार्यान्वयन अधिकारियों और अन्य हितधारकों द्वारा अपनाने के लिए चार्ज करने वाले इलेक्ट्रिक वाहनों की योजना, प्राधिकरण और निष्पादन में एक व्यवस्थित और समग्र दृष्टिकोण प्रदान करता है।
यह इलेक्ट्रिक वाहनों को चार्ज करने की सुविधा के लिए आवश्यक तकनीकी और नियामक ढांचे और शासन संरचनाओं का एक सिंहावलोकन प्रस्तुत करता है, और क्षेत्र की विकसित प्रकृति पर विचार करते हुए बुनियादी ढांचे के विकास को चार्ज करने की वर्तमान जरूरतों पर ध्यान केंद्रित करता है।
इलेक्ट्रिक मोबिलिटी में परिवर्तन जलवायु परिवर्तन के खिलाफ लड़ाई में एक वैश्विक रणनीति है, जिस पर भारत ने महत्वाकांक्षी आकांक्षाएं व्यक्त की हैं।
नीति आयोग के सीईओ अमिताभ कांत ने कहा, "भारत में इलेक्ट्रिक वाहन पारिस्थितिकी तंत्र तेजी से विकसित हो रहा है और चार्जिग इंफ्रास्ट्रक्च र बाजार में कई खिलाड़ी प्रवेश कर रहे हैं। यह पुस्तिका सार्वजनिक और निजी हितधारकों को मजबूत और सुलभ ईवी चार्जिग नेटवर्क स्थापित करने खातिर मिलकर काम करने के लिए समग्र शासन प्रदान करती है।"
इलेक्ट्रिक वाहन चार्जिग डिस्कॉम के लिए एक नए प्रकार की बिजली की मांग है, जो चार्जिग सुविधाओं के लिए निर्बाध बिजली आपूर्ति कनेक्शन प्रदान करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं और यह सुनिश्चित करते हैं कि विद्युत वितरण नेटवर्क में इस मांग को पूरा करने के लिए अपेक्षित क्षमता है।
ऊर्जा सचिव आलोक कुमार ने कहा, "विद्युत मंत्रालय और इसकी केंद्रीय नोडल एजेंसी भारत में इलेक्ट्रिक वाहनों के लिए चार्जिग इंफ्रास्ट्रक्च र यानी ऊर्जा दक्षता ब्यूरो (बीईई) की स्थापना के लिए बुनियादी ढांचे के कार्यान्वयन के लिए बाधाओं को दूर करने के लिहाज से डिस्कॉम और राज्य एजेंसियों के साथ मिलकर काम कर रही है, जिसके लिए यह पुस्तिका बहुत मददगार होगा। देश में ऊर्जा मिश्रण में अक्षय ऊर्जा की तेजी से बढ़ती हिस्सेदारी के साथ, आने वाले वर्षो में ई-मोबिलिटी की ओर संक्रमण से होने वाले लाभों के और अधिक महत्वपूर्ण होने की उम्मीद है।"
मंत्रालय ने एक राजमार्ग पर प्रत्येक 25 किलोमीटर के लिए कम से कम एक चार्जिग स्टेशन रखने का राष्ट्रीय लक्ष्य निर्धारित किया है, बारीक लक्ष्य निर्धारित करना और योजना शहरी स्थानीय निकायों या राज्य नोडल एजेंसियों पर निर्भर है।
हैंडबुक मुख्य रूप से नगर निगमों और डिस्कॉम जैसे प्राधिकरणों को लागू करने के लिए है, लेकिन नियामक उपायों पर भी प्रकाश डाला गया है जो चार्जिग इंफ्रास्ट्रक्च र स्थापित करने की प्रक्रिया को और आसान बना सकते हैं। (आईएएनएस)
भुवनेश्वर, 12 अगस्त | ओडिशा के पुरी में तीन महीने से अधिक समय के बाद गुरुवार को सेवादारों के परिवार के सदस्यों के लिए जगन्नाथ मंदिर फिर से खुल गया है। अधिकारियों ने बताया कि आम जनता के लिए मंदिर 23 अगस्त से फिर से खुलेगा। ओडिशा के डीजीपी अभय ने कहा, "जगन्नाथ मंदिर को आज फिर से खोल दिया गया है। मैं सभी भक्तों से मंदिर में दर्शन करते समय कोविड-19 के मद्देनजर लगाए गए प्रतिबंधों का सख्ती से पालन करने का अनुरोध करता हूं।"
उन्होंने कहा कि मंदिर में आवश्यक सुरक्षा व्यवस्था की गई है ताकि श्रद्धालुओं को बिना परेशानी के दर्शन हो सके।
सेवायतों के परिवार के सदस्यों को किसी भी द्वार से मंगल अलती से रति पाहुड़ा तक दर्शन की अनुमति है। मंदिर में प्रवेश करते समय, वे एक फोटो पहचान पत्र के साथ अपना स्वास्थ्य बीमा कार्ड/एसजेटीए द्वारा जारी कोई अन्य पहचान पत्र पेश कर रहे हैं।
सभी भक्तों के लिए मंदिर परिसर के अंदर और बाहर हर समय मास्क पहनना अनिवार्य है और वे मंदिर में प्रवेश करने से पहले अपने हाथों को साफ करें।
श्री जगन्नाथ मंदिर प्रशासन (एसजेटीए) ने पुरी में मंदिर को फिर से खोलने के लिए एक मानक संचालन प्रक्रिया (एसओपी) जारी की है।
एसओपी के अनुसार, पुरी नगर पालिका क्षेत्र के निवासियों को 16 से 20 अगस्त तक भगवान के दर्शन के लिए प्रवेश की अनुमति दी जाएगी। 23 अगस्त से सभी भक्तों को भगवान के दर्शन के लिए प्रवेश की अनुमति होगी। दर्शन का समय हर दिन सुबह 7 से शाम 7 बजे होगा।
कोरोनोवायरस बीमारी के प्रसार को रोकने और मंदिर परिसर को साफ करने के उपाय के रूप में मंदिर सभी शनिवार और रविवार को सार्वजनिक दर्शन के लिए बंद रहेगा। कोविड -19 के प्रसार से बचने के लिए मंदिर प्रमुख उत्सव के अवसरों पर भी बंद रहेगा।
मंदिर में आने वाले सभी भक्तों को मंदिर में अपनी यात्रा से पहले 96 घंटे के भीतर किए गए टेस्ट के कोविड-19 टीकाकरण (दो खुराक लेने का) प्रमाण पत्र या कोविड -19 निगेटिव प्रमाण पत्र दिखाना होगा।
मंदिर प्रशासन ने मंदिर के अंदर पॉलीथिन बैग ले जाने पर रोक लगा दी है। उल्लंघन करने पर 100 रुपये का जुर्माना लगाया जाएगा।
एसजेटीए ने कहा, "इसी तरह, आनंद बाजार और मंदिर परिसर के अंदर महाप्रसाद का कोई हिस्सा नहीं होगा। हालांकि, भक्त महाप्रसाद ले जा सकते हैं और इसे अपने निवास स्थान या किसी अन्य सुविधाजनक स्थान पर ले जा सकते हैं।"
कोविड-19 के प्रसार के खतरे को देखते हुए आम जनता के प्रवेश के लिए 24 अप्रैल, 2021 से मंदिर को बंद कर दिया गया है।(आईएएनएस)
नई दिल्ली, 12 अगस्त | पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान ने कहा है कि अमेरिका ने फैसला किया है कि भारत उसका एक रणनीतिक साझेदार है और इसलिए इस्लामाबाद के साथ अलग व्यवहार किया जा रहा है। एक वैश्विक न्यूज वायर की रिपोर्ट के अनुसार, खान ने इस्लामाबाद में अपने घर पर विदेशी पत्रकारों से कहा, मुझे लगता है कि अमेरिकियों ने फैसला किया है कि भारत अब उनका रणनीतिक साझेदार है और मुझे लगता है कि इसलिए ही अब पाकिस्तान के साथ व्यवहार करने का एक अलग तरीका है।
उन्होंने कहा कि मौजूदा परिस्थितियों में अफगानिस्तान में राजनीतिक समझौता मुश्किल दिख रहा है।
प्रधानमंत्री खान ने कहा कि उन्होंने तब तालिबान नेताओं को मनाने की कोशिश की थी, जब वे एक समझौते पर पहुंचने के लिए पाकिस्तान का दौरा कर रहे थे।
खान ने तालिबान नेताओं के हवाले से कहा, शर्त यह है कि जब तक (अफगान राष्ट्रपति) अशरफ गनी हैं, हम (तालिबान) अफगान सरकार से बात नहीं करेंगे।
रिपोर्ट में कहा गया है कि खान ने अमेरिका पर आरोप लगाया कि वह 20 साल की लड़ाई के बाद अफगानिस्तान में पाकिस्तान को गड़बड़ के संदर्भ में ही उपयोगी मानता है।
वाशिंगटन इस्लामाबाद पर तालिबान पर अपने प्रभाव का उपयोग करने के लिए एक शांति समझौता करने के लिए दबाव डाल रहा है, क्योंकि विद्रोहियों और अफगान सरकार के बीच बातचीत रुक गई है और अफगानिस्तान में हिंसा तेजी से बढ़ी है।
खान ने कहा, पाकिस्तान को किसी तरह इस गड़बड़ी को सुलझाने के संदर्भ में ही उपयोगी माना जाता है, जो 20 साल बाद सैन्य समाधान खोजने की कोशिश में पीछे छूट गया था, जब कोई नहीं था।
2001 में तालिबान सरकार को गिराने के 20 साल बाद अमेरिका 31 अगस्त तक अफगानिस्तान से पूरी तरह से अपनी सेना हटा लेगा।
लेकिन, जैसे ही अमेरिका की मौजूदगी अफगानिस्तान से धीरे-धीरे कम हो रही है, तालिबान अब किसी भी समय की तुलना में अधिक क्षेत्रों पर नियंत्रण स्थापित करता जा रहा है।
रिपोर्ट में कहा गया है कि खान ने कहा कि पाकिस्तान ने यह बहुत स्पष्ट कर दिया है कि वह अमेरिकी सेना के अफगानिस्तान से बाहर निकलने के बाद पाकिस्तान में कोई अमेरिकी सैन्य ठिकाना नहीं चाहता है।
(आईएएनएस)
नई दिल्ली, 12 अगस्त | हरियाणा के फरीदाबाद स्थित सीजीएसटी कमिश्नरी ने एफ2सी वेलनेस प्राइवेट लिमिटेड, फरीदाबाद के दो निदेशकों को माल की आपूर्ति के बिना चालान जारी करके इनपुट टैक्स क्रेडिट (आईटीसी) का अवैध रूप से लाभ उठाने और पारित करने के आरोप में गिरफ्तार किया है। अब तक की गई जांच के आधार पर, उस फर्म ने नकली परिवहन रिकॉर्ड दिखाते हुए गैर-मौजूद फर्म, विशाल एंटरप्राइजेज, गौतम बुद्ध नगर से सीमेंट की खरीद को फर्जी चालान का उपयोग करके माल की सहवर्ती आपूर्ति द्वारा समर्थित नहीं दिखाया।
सीजीएसटी आयुक्तालय ने एक बयान में कहा कि इस तरह, एफ2सी वेलनेस ने विभिन्न अंतिम उपयोगकर्ताओं को सामान के बिना चालान पर 10.33 करोड़ रुपये की धोखाधड़ी वाली आईटीसी पारित की थी।
जांच दिल्ली-एनसीआर में कई स्थानों पर फैली और दस्तावेजी सबूतों और दर्ज किए गए बयानों के आधार पर, यह पता चला कि पारस अरोड़ा और देवपाल सोनी, उस फर्म के दोनों निदेशक, धोखाधड़ी वाले आईटीसी का लाभ उठाने वाली कंपनियों के नेटवर्क में प्रमुख खिलाड़ी थे।
तदनुसार, अरोड़ा और सोनी को 10 अगस्त को गिरफ्तार किया गया और फरीदाबाद में मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट के सामने पेश किया गया, जिन्होंने उन्हें 14 दिनों की न्यायिक हिरासत में भेज दिया।
इस तरह उस फर्म द्वारा कुल 10.33 करोड़ रुपये की धोखाधड़ी वाली आईटीसी को पारित किया गया है।
मामले में आगे की जांच की जा रही है।(आईएएनएस)
नई दिल्ली, 12 अगस्त | वर्ष 2021 के लिए 28 महिला अधिकारियों सहित 152 पुलिसकर्मियों को केंद्रीय गृह मंत्रालय की ओर से जांच में उत्कृष्टता के लिए पदक से सम्मानित किया गया है। इस पदक को गृह मंत्री अन्वेषण उत्कृष्टता पदक के नाम से जाना जाता है।
गृह मंत्रालय के अनुसार, इन 152 पुलिसकर्मियों में 15 पुलिसकर्मी सीबीआई से, 11-11 पुलिसकर्मी महाराष्ट्र व मध्यप्रदेश पुलिस से, 10 उत्तर प्रदेश पुलिस से, नौ पुलिसकर्मी केरल व राजस्थान से, आठ तमिलनाडु, सात बिहार व छह-छह पुलिसकर्मी गुजरात, कर्नाटक व दिल्ली से हैं और शेष अन्य राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों (यूटी) से हैं।
महिला पुरस्कार विजेता छत्तीसगढ़, गोवा, हरियाणा, हिमाचल प्रदेश, केंद्र शासित प्रदेश लद्दाख, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, मणिपुर, तमिलनाडु, त्रिपुरा, उत्तर प्रदेश, दिल्ली और दो सीबीआई से हैं।
राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) के पांच अधिकारियों को भी पुरस्कार से सम्मानित किया गया है, जबकि दिल्ली पुलिस के एक निरीक्षक दिवंगत सतीश चंद्र शर्मा को मरणोपरांत यह पुरस्कार दिया गया है।
जिन एनआईए अधिकारियों को पदक से सम्मानित किया गया, उनमें अनुराग कुमार शामिल हैं, जो वर्तमान में एजेंसी में डीआईजी का पद संभाल रहे हैं और जिन्होंने आईएसआईएस मामलों पर बड़े पैमाने पर काम किया है। वह वे अधिकारी रहे हैं, जिन्होंने पाया कि आरोपी व्यक्तियों ने एक संगठन जुनूद-उल-खिलाफा-फिल-हिंद (भारत में खिलाफत स्थापित करने और आईएसआईएस/आईएसआईएल के प्रति निष्ठा की प्रतिज्ञा करने वाला एक समूह) का गठन किया था।
इसी तरह, राकेश बलवाल, एसपी, एनआईए, जिन्होंने सीआरपीएफ के काफिले पर फरवरी 2019 के पुलवामा आतंकी हमले के मामले में 13,800 पन्नों की चार्जशीट तैयार करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी, जिसमें 40 सैनिक शहीद हो गए थे, वे भी पांच सम्मानित एनआईए अधिकारियों में शामिल हैं।
एक अन्य पुरस्कार विजेता, विजय कुमार शुक्ला, अतिरिक्त एसपी, सीबीआई, ने सीबीआई की विशेष अपराध इकाई में बदायूं आत्महत्या मामले की जांच की है। उन्हें हाल ही में धनबाद के एडीजे उत्तम आनंद की मौत की जांच का भी काम सौंपा गया है। वह फिलहाल मामले की जांच के लिए झारखंड में डेरा डाले हुए है।
एक अन्य पुरस्कार विजेता, समीर डी. वानखेड़े नारकोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो (एनसीबी) मुंबई के जोनल डायरेक्टर हैं और उन्होंने शहर में कई ड्रग लॉर्डस और ड्रग किंगपिन को दबोचा है। पिछले साल सितंबर में उन्होंने बॉलीवुड अभिनेता सुशांत सिंह राजपूत की मौत के मामले में ड्रग संबंधी जांच शुरू की थी।
उनकी टीम ने ड्रग्स के धंधे से जुड़े कई लोगों को गिरफ्तार किया और सुशांत की गर्लफ्रेंड रिया चक्रवर्ती और उनके भाई शोविक चक्रवर्ती के खिलाफ चार्जशीट भी दाखिल की थी। दोनों फिलहाल जमानत पर बाहर हैं। उनके अधीन एनसीबी ने मामले के संबंध में दीपिका पादुकोण, सारा अली खान, श्रद्धा कपूर, रकुल प्रीत सिंह और कई अन्य बॉलीवुड के ए लिस्टर्स से भी पूछताछ की है।
पिछले साल 121 पुलिस कर्मियों को पदक से सम्मानित किया गया था।
अपराध की जांच के उच्च पेशेवर मानकों को बढ़ावा देने और जांच अधिकारियों द्वारा इस तरह की जांच में उत्कृष्टता को मान्यता देने के उद्देश्य से 2018 में पदक का गठन किया गया था। (आईएएनएस)
रामपुर (यूपी), 12 अगस्त | सुप्रीम कोर्ट द्वारा समाजवादी पार्टी के वरिष्ठ सांसद मोहम्मद आजम खां और उनके बेटे अब्दुल्ला आजम को कथित धोखाधड़ी और दस्तावेजों की जालसाजी के मामले में जमानत दिए जाने के निर्देश के बाद अब उत्तर प्रदेश पुलिस ने एक संबंधित मामले में पूरक आरोपपत्र दाखिल किया है। साथ ही, दोनों पर आपराधिक साजिश की गैर-जमानती धारा के तहत मामला दर्ज किया है। जन्म प्रमाणपत्र की कथित जालसाजी से संबंधित, रामपुर में 2019 में दायर की गई इस प्राथमिकी में जमानत पाने के लिए खान और उनके बेटे को अब एक नई जमानत याचिका दायर करनी होगी।
प्राथमिकी में खान की पत्नी तंजीन फातिमा का भी नाम था।
इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने पिछले साल अक्टूबर में मामले के तीनों आरोपियों को सशर्त जमानत दी थी, जिसके बाद तंजीन फातिमा को जेल से रिहा कर दिया गया था।
रामपुर के एडिशनल एसपी संसार सिंह ने कहा, "हमने इस मामले में आजम खां, उनकी पत्नी और उनके बेटे के खिलाफ पूरक चार्जशीट दाखिल की है और इसमें धारा 120बी जोड़ी है, क्योंकि आपराधिक साजिश के स्पष्ट सबूत हैं।
पूरक आरोपपत्र के समय के बारे में पूछे जाने पर, सिंह ने कहा, "हम मामले पर काम कर रहे थे। इस मामले में मुख्य आवेदक आकाश सक्सेना (भाजपा नेता) से एक आवेदन प्राप्त होने के बाद हमने कार्रवाई की।"
एक वरिष्ठ वकील ने कहा कि ऐसे मामलों में जहां पूरक आरोपपत्र नए आरोपों के साथ दायर किया जाता है - यहां तक कि जब एक अदालत द्वारा जमानत को मंजूरी दी जाती है - आवेदक को जोड़े गए नए वर्गो में जमानत के लिए आवेदन करना होता है।
यह पिता-पुत्र की जोड़ी के लिए एक नए झटके के रूप में आता है, जो फरवरी 2020 से जेल में हैं, और जिन्हें मंगलवार को शीर्ष अदालत ने जमानत दे दी थी।
अदालत ने कहा था कि चूंकि मामले में आरोपपत्र दायर किया गया है, निचली अदालत द्वारा दो सप्ताह के भीतर मुखबिर का बयान दर्ज करने के बाद उन्हें जमानत दी जानी चाहिए।
आजम ने कथित तौर पर जाली दस्तावेजों का इस्तेमाल कर अपने बेटे को दूसरा पैनकार्ड दिलाने में मदद की थी। गलत जन्मतिथि ने उन्हें 2017 में रामपुर के सुअर निर्वाचन क्षेत्र से विधानसभा चुनाव लड़ने में सक्षम बनाया। दोनों के खिलाफ जालसाजी के कई मामले दर्ज किए गए हैं, लेकिन उनमें से ज्यादातर में उन्हें जमानत मिल गई है। (आईएएनएस)
नई दिल्ली, 12 अगस्त | भारत के प्रधान न्यायाधीश एन.वी. रमना ने गुरुवार को कहा कि जब कोई जज बनने का फैसला करता है तो उसे कई त्याग करने पड़ते हैं- कम पैसे, समाज में कम भूमिका और बड़ी मात्रा में काम। "फिर भी एक भ्रांति है कि न्यायाधीश बड़े बंगलों में रहते हैं और छुट्टियों का आनंद लेते हैं।" सुप्रीम कोर्ट बार एसोसिएशन की ओर से जस्टिस आर.एफ. नरीमन ने कहा, एक न्यायाधीश के लिए हर हफ्ते 100 से अधिक मामलों की तैयारी करना, निष्पक्ष तर्क सुनना, स्वतंत्र शोध करना और लेखक पर निर्णय लेना आसान नहीं है, जबकि एक न्यायाधीश के विभिन्न प्रशासनिक कर्तव्यों से भी निपटना, विशेष रूप से एक वरिष्ठ न्यायाधीश के लिए आसान नहीं है।
सीजेआई ने कहा, "हम अदालत की छुट्टियों के दौरान भी काम करना जारी रखते हैं, शोध करते हैं और लेखक लंबित निर्णय लेते हैं। इसलिए, जब न्यायाधीशों के नेतृत्व वाले आसान जीवन के बारे में झूठे आख्यान बनाए जाते हैं, तो इसे निगलना मुश्किल होता है।"
उन्होंने कहा, "हम अपना बचाव नहीं कर सकते। इन झूठे आख्यानों का खंडन करना और सीमित संसाधनों के साथ न्यायाधीशों द्वारा किए गए कार्यो के बारे में जनता को शिक्षित करना बार का कर्तव्य है।"
प्रधान न्यायाधीश ने कुछ चीजों पर प्रकाश डाला, जो बड़े पैमाने पर जनता के लिए नहीं जानी जाती हैं और पहला एक न्यायाधीश बनने के लिए बलिदानों की संख्या से संबंधित है।
उन्होंने कहा, "सबसे स्पष्ट बलिदान मौद्रिक है, खासकर जब आप एक गर्जनापूर्ण अभ्यास के साथ आते हैं भाई नरीमन। इस तरह का निर्णय लेने के लिए सार्वजनिक कर्तव्य की भावना से प्रेरित होना चाहिए। दूसरा पहलू समाज में कम भूमिका से संबंधित है, जिसे किसी को न्यायाधीश बनने पर स्वीकार करना चाहिए।
हालांकि, उन्होंने स्पष्ट किया कि उनका मानना है कि न्यायाधीशों को खुद को पूरी तरह से अलग नहीं करना चाहिए, क्योंकि एक न्यायाधीश के रूप में भी समाज और पेशे के संपर्क में रहना महत्वपूर्ण है। हालांकि, उन्होंने कहा कि यह एक "अविश्वसनीय तथ्य है कि समाज के साथ हमारा जुड़ाव जज बनने के बाद भारी बदलाव से गुजरता है।"
उन्होंने कहा, "तीसरा बिंदु जो मैं बताना चाहूंगा, वह उस मात्रा से संबंधित है जो हम न्यायाधीशों के रूप में दिन-ब-दिन करते हैं। लोगों के मन में एक गलत धारणा है कि न्यायाधीश बड़े बंगलों में रहते हैं, केवल 10 से 4 काम करते हैं और अपनी छुट्टियों का आनंद लेते हैं। इस तरह का कथन असत्य है .. हम अपने न्यायिक कर्तव्यों को पूरा करने के लिए या तो आधी रात तक जागते हैं या सूर्योदय से पहले उठते हैं या कभी-कभी दोनों भी।"
उन्होंने कहा कि यदि न्यायमूर्ति नरीमन न्यायाधीश बनने के बजाय वकील बने रहते, तो वे अधिक विलासितापूर्ण और आराम से जीवन व्यतीत कर सकते थे।(आईएएनएस)
सरकार और विपक्ष के बीच संसद की कार्यवाही को लेकर घमासान छिड़ा हुआ है. सरकार का कहना है कि विपक्ष ने संसद का काम बाधित किया है, जबकि विपक्ष सरकार पर उसकी आवाज को दबाने का आरोप लगा रहा है.
डॉयचे वैले पर चारु कार्तिकेय की रिपोर्ट
सरकार और विपक्ष के बीच लगातार बने रहे गतिरोध के बीच मानसून सत्र को समय से पहले समाप्त कर दिया गया है. हालांकि दोनों पक्षों के बीच झगड़ा अभी भी जारी है. दोनों सदनों में गतिरोध की वजह से संसद का समय नष्ट होने की खबरों के बीच विपक्ष ने आरोप लगाया है कि सरकार उसकी आवाज को दबा रही है.
विपक्षी पार्टियां विशेष रूप से 11 अगस्त को हुई राज्य सभा की कार्यवाही को लेकर उत्तेजित हैं. उनका आरोप है कि आम बीमा व्यापार (राष्ट्रीयकरण) संशोधन विधेयक को सेलेक्ट समिति में भेजने की विपक्ष की मांग को सरकार ने अनदेखा कर दिया. उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि बिल को जबरन पारित करवाने के लिए सदन में बड़ी संख्या में ना सिर्फ संसदीय सुरक्षाकर्मी बल्कि सुरक्षा सेवा से "बाहर के लोगों" को भी तैनात कर दिया गया.
सदन में मार्शल
इन कर्मियों की एक तस्वीर शिव सेना के सांसद संजय राउत ने ट्वीट की.
विपक्ष के कई सांसदों ने आरोप लगाया है कि इन मार्शलों ने महिला सांसदों के साथ भी धक्का मुक्की की. एनसीपी के अध्यक्ष शरद पवार ने कहा कि उन्होंने 55 सालों के अपने संसदीय करियर में इस तरह सांसदों और विशेष रूप से महिला सांसदों पर हमला होते हुए नहीं देखा. तृणमूल कांग्रेस के सांसद डेरेक ओ'ब्रायन ने एक तस्वीर ट्वीट कर बताया कि पुरुष सांसदों के आगे राज्य सभा के महिला कर्मचारियों और महिला सांसदों के आगे पुरुष मार्शलों को तैनात कर दिया गया था.
इसके ठीक उलट सरकार ने आरोप लगाया है कि विपक्ष के सांसदों ने सुरक्षाकर्मियों के साथ धक्का मुक्की और मारपीट की. 12 अगस्त की सुबह इन घटनाओं के विरोध में विपक्षी पार्टियों ने संसद के बाहर विरोध यात्रा भी निकाली.
पीठासीन अधिकारियों की भूमिका
इसी बीच दोनों सदनों के पीठासीन अधिकारियों ने इस सत्र के दौरान संसद में देखे गए दृश्यों पर खेद प्रकट किया. राज्य सभा अध्यक्ष वेंकैया नायडू ने कहा कि सांसदों का सदन के टेबल पर खड़े हो जाना "लोकतंत्र के मंदिर" का "अपवित्रीकरण" था. लोक सभा स्पीकर ओम बिरला ने कहा कि बार बार सदन की कार्रवाई बाधित होने से करदाताओं के करोड़ों रुपयों का नुकसान होता है. उन्होंने यह भी कहा कि इससे निपटने के लिए संसद के नियमों को बदलने की आवश्यकता है.
हालांकि विपक्ष ने पीठासीन अधिकारियों की भूमिका पर भी सवाल उठाया है. आरजेडी के सांसद मनोज झा ने बिल पर हो रहे विवाद के बीच में ही कहा कि सरकार जिस तरह से बिल को जबरन पारित करवा रही है ये लोकतंत्र की हत्या है. उन्होंने पीठासीन अधिकारी पर सवाल भी उठाया कि वो यह सब कैसे होने दे रहे हैं.
संसद के बाहर पत्रकारों से बात करते हुए कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने कहा कि सदन सुचारू रूप से चलाना लोक सभा स्पीकर और राज्य सभा अध्यक्ष की जिम्मेदारी है. उन्होंने दोनों पर सवाल उठाया कि वो ऐसा क्यों नहीं कर पाए हैं. विपक्ष का यह भी आरोप है कि लोक सभा टीवी और राज्य सभा टीवी पर भी सदन की असली तस्वीर नहीं दिखाई जा रही है और वही दिखाया जा रहा है जो सरकार के लिए सुविधाजनक है. (dw.com)
नई दिल्ली, 12 अगस्त | सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को गुजरात हाईकोर्ट के उस आदेश पर रोक लगा दी, जिसमें स्वयंभू बाबा आसाराम बापू के बेटे दुष्कर्म के आरोपी नारायण साईं को दो सप्ताह की फरलो दी गई थी। गुजरात सरकार का प्रतिनिधित्व कर रहे सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने इस साल 24 जून को पारित एकल-न्यायाधीश आदेश प्रस्तुत किया, जिसमें साईं को दो सप्ताह के लिए फरलो यानी जेल से बाहर जाने की अनुमति दी गई थी। उन्होंने कहा कि खंडपीठ ने इस एकल पीठ के आदेश पर 13 अगस्त तक रोक लगा दी थी। मेहता ने तर्क दिया कि राज्य सरकार ने 24 जून के आदेश को चुनौती देते हुए शीर्ष अदालत का रुख किया है।
न्यायमूर्ति डी. वाई. चंद्रचूड़ और एम. आर. शाह ने उच्च न्यायालय के एकल-न्यायाधीश के आदेश को चुनौती देने वाली गुजरात सरकार की याचिका पर साईं को नोटिस जारी किया। पीठ ने उच्च न्यायालय के आदेश पर भी अगले आदेश तक रोक लगा दी।
पीठ ने कहा कि बॉम्बे फरलो और पेरोल नियमों के तहत, जो गुजरात में भी लागू है, कैदी के सात साल की जेल पूरी करने के बाद हर साल एक कैदी को एक बार ही फरलो दी जा सकती है।
पीठ ने कहा कि फरलो का विचार यह है कि एक कैदी जेल के माहौल से दूर हो जाता है और अपने परिवार के सदस्यों से मिल पाता है। हालांकि, शीर्ष अदालत ने कहा कि इस बात की जांच करनी होगी कि क्या नियम, जो कैलेंडर वर्ष के अनुसार वार्षिक अवकाश की अनुमति देते हैं या फिर कैदी को पिछले 12 महीने के बाद से अनुमति दी गई थी। अदालत ने मेहता से पूछा कि आदेश के साथ क्या शिकायतें हैं।
शीर्ष अदालत के नियमों और फैसले का हवाला देते हुए, मेहता ने तर्क दिया कि फरलो एक पूर्ण अधिकार नहीं है और यह विभिन्न कारकों पर निर्भर करता है। उन्होंने कहा कि साईं और उनके पिता को दुष्कर्म के आरोपों के तहत गिरफ्तार किया गया था।
मेहता ने आगे कहा कि पिता-पुत्र की जोड़ी का धन और बाहुबल से काफी प्रभाव है और उन्होंने पुलिस अधिकारियों को भी रिश्वत देने की कोशिश की थी। आसाराम राजस्थान में एक और दुष्कर्म के मामले में भी उम्रकैद की सजा काट रहा है। मेहता ने कहा कि उनके मामलों के लिए महत्वपूर्ण तीन प्रमुख गवाह मारे गए थे और पिछले साल साईं को दो सप्ताह के लिए छुट्टी दे दी गई थी, क्योंकि वह अपनी बीमार मां से मिलने जाना चाहता था, जिसे राज्य ने चुनौती नहीं दी थी।
पीठ ने कहा कि जिस विवाद पर गौर किया जाना है, वह नियमों के तहत है, ऐसा कहा जाता है कि एक कैदी सात साल की सजा काटने के बाद हर साल एक बार फरलो का लाभ उठा सकता है। पीठ ने साईं के वकील से एक सप्ताह के भीतर जवाब दाखिल करने को कहा और मामले की सुनवाई दो सप्ताह बाद तय की।
26 अप्रैल, 2019 को, साईं को सूरत की एक अदालत द्वारा भारतीय दंड संहिता की धारा 376 (दुष्कर्म), 377 (अप्राकृतिक अपराध), 323 (हमला), 506-2 (आपराधिक धमकी) और 120-बी (साजिश) के तहत दोषी ठहराया गया था और उसे आजीवन कारावास की सजा सुनाई थी। (आईएएनएस)
भोपाल, 12 अगस्त | टोक्यो ऑलंपिक में कांस्य पदक जीतने वाली भारतीय हॉकी टीम के सदस्य रहे मध्य प्रदेश के विवेक सागर पर राज्य सरकार ने सौगातों की बरसात की है। उन्हें एक करोड़ का चेक दिए जाने के साथ मनचाहे शहर में मकान और उप-पुलिस अधीक्षक की नौकरी देने का सरकार ने ऐलान किया है। इंटरनेशनल यूथ-डे पर गुरुवार को मिंटो हाल सभागार में मध्यप्रदेश के टोक्यो ओलंपिक- 2020 के पदक विजेता और प्रतिभागियों के सम्मान समारोह में मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा है कि प्रदेश सरकार ओलंपिक हॉकी खिलाड़ी विवेक सागर के परिवार को पक्का मकान दिलवाएगी। उनका परिवार जिस नगर या ग्राम में मकान चाहेगा, वहीं उपलब्ध करवाया जायेगा। साथ ही एक करोड़ रुपए की सम्मान निधि का चेक प्रदान करते हुए मध्यप्रदेश शासन में डी.एस.पी. (उप पुलिस अधीक्षक) का पद देने की भी घोषणा की।
मुख्यमंत्री चौहान ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने देश के खिलाड़ियों को प्रोत्साहित किया है। वे हमारी प्रेरणा हैं। राज्यों को इस दिशा में रुचि लेकर खिलाड़ियों को आवश्यक सुविधाएं दिलवाना है, जिससे वे स्वर्णिम इतिहास रच सकें। टोक्यो ओलंपिक में भारत को हॉकी में मिला कांस्य पदक सिर्फ पदक नहीं हैं बल्कि यह हॉकी का पुनर्जागरण है।
मुख्यमंत्री चौहान ने अंतर्राष्ट्रीय हॉकी खिलाड़ी विवेक सागर को शाल और सम्मान निधि देकर सम्मानित किया। साथ ही सहायक कोच शिवेन्द्र सिंह को 25 लाख रुपए की सम्मान निधि देने की घोषणा की।
चौहान ने कहा कि आज हमने हॉकी में दुनिया के सामने अपनी श्रेष्ठता का सबूत दिया है। महिला हॉकी में भी भारत का भविष्य उज्जवल है। ओलंपिक में भारतीय महिला हॉकी टीम चैथे नम्बर पर रही। वे आखरी मैच हारी जरूर लेकिन अच्छे खेल प्रदर्शन से पूरे देश का दिल जीत लिया। मध्यप्रदेश सरकार महिला हॉकी टीम की प्रत्येक खिलाड़ी को 31-31 लाख रुपए देकर सम्मानित किया जायेगा।
खेल मंत्री यशोधरा राजे सिंधिया ने कहा कि हम कई वर्ष से ओलंपिक के द्वार पर पदक प्राप्ति के लिए दस्तक दे रहे थे। विवेक सागर ने इस द्वार को खोला है।
सांसद और मध्यप्रदेश ओलंपिक संघ के उपाध्यक्ष वी. डी. शर्मा ने कहा कि मध्यप्रदेश में 18 खेल अकादमी हैं। खेलों के उन्नयन के लिए सभी कदम उठाये गये हैं।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री चौहान ने खिलाड़ियों की हिम्मत बढ़ाने में कोई कसर नहीं छोड़ी है।
विधानसभा अध्यक्ष गिरीश गौतम ने कहा कि यदि बीज को खाद और पानी मिले तो पौधे को वृक्ष बनने में देर नहीं लगती। यही बात खिलाड़ियों के साथ भी लागू होती है। मध्यप्रदेश की खेल प्रतिभाएं आने वाले वर्षों में और अधिक सफलताएं प्राप्त करेंगी।(आईएएनएस)
ढाका, 12 अगस्त| बांग्लादेश काउंटर टेररिज्म एंड ट्रांसनेशनल क्राइम यूनिट (सीटीटीसीयू) ने बम विशेषज्ञ जाहिद हसन उर्फ फोर्कन सहित तीन नव-जेएमबी सदस्यों को गिरफ्तार किया है, जो विस्फोटक बनाने का ऑनलाइन प्रशिक्षण देता था। सीटीटीसीयू के सदस्यों ने 10 अगस्त की रात को ढाका के कफरूल पुलिस थाना क्षेत्र में एक अभियान के दौरान जहांगीरनगर विश्वविद्यालय (जेयू) के छात्र फोर्कान और उसके दो सहयोगियों को गिरफ्तार किया है।
अन्य दो नव-जेएमबी आतंकवादी सैफुल इस्लाम और रुम्मन हुसैन फहद हैं।
ढाका मेट्रोपॉलिटन पुलिस की आतंकवाद विरोधी यूनिट ने बुधवार सुबह ढाका के रायरबाग इलाके से प्रतिबंधित आतंकवादी समूह अंसारुल्ला बांग्ला टीम, जिसे अंसार अल इस्लाम के नाम से भी जाना जाता है, उसके चार सदस्यों को गिरफ्तार करने का दावा किया है।
गिरफ्तार किए गए लोग रेहान हुसैन, तनवीर हुसैन, अमीनुल इस्लाम और सागर इस्लाम हैं। (आईएएनएस)
नई दिल्ली, 12 अगस्त | भारत की स्वतंत्रता की 75वीं वर्षगांठ के अवसर पर, पेंगुइन रैंडम हाउस इंडिया के एक प्रभाग, एबरी पब्लिशिंग एंड विंटेज ने गुरुवार को एक पेंगुइन वीर लॉन्च की, जो भारत की सेनाओं की विरासत से जुड़ी कहानियों को छापता है। उद्योग के दिग्गज, मिली एश्वर्या, एबरी पब्लिशिंग एंड विंटेज के प्रकाशक और गुरवीन चड्ढा, सीनियर कमीशनिंग एडिटर और फॉरेन राइट्स लीड के निर्देशन में, पेंगुइन वीर सालाना लगभग तीन नए शीर्षक प्रकाशित करेगा और पहली पुस्तक इसी साल यानी 2021 में आएगी।
लॉन्च पर टिप्पणी करते हुए एश्वर्या ने कहा, "पेंगुइन रैंडम हाउस इंडिया युद्ध, रक्षा और सैन्य कहानियों की शैली में सर्वश्रेष्ठ लेखकों और विशेषज्ञों का घर रहा है। हमें लगा कि पेंगुइन वीर को लॉन्च करने का यह सही समय है, ताकि अधिक ध्यान केंद्रित किया जा सके। अगले कुछ वर्षों में, हम अपने मौजूदा ब्रांड लेखकों के साथ मिलकर काम करते हुए, सूची का विस्तार करने और नई आवाज को छापने करने की उम्मीद करते हैं।"
एश्वर्या ने कहा, "इस शैली के व्यापक और बढ़ते पाठकों के साथ, पेंगुइन वीर अपने पाठकों को गहराई, विविधता और गुणवत्ता मुहैया कराएगा। मुझे अपने डिवीजन में इस नई सीरीज को जोड़ने पर गर्व है और इसमें हमारे लेखकों और पाठकों के समर्थन की आशा है।"
पेंगुइन रैंडम हाउस इंडिया ने भारतीय सशस्त्र बलों के बारे में कई बेस्टसेलिंग और प्रतिष्ठित खिताब प्रकाशित किए हैं, जिनमें 'द ब्रेव: परम वीर चक्र कहानियां', '1965: भारत-पाक युद्ध की कहानियां' और रचना बिष्ट रावत द्वारा 'कारगिल' और कर्नल वीएन थापर और नेहा द्विवेदी द्वारा 'विजयंत एट कारगिल: द बायोग्राफी ऑफ ए वॉर हीरो' शामिल हैं।
नए आगामी प्रकाशनों के साथ, मेजर जनरल इयान काडरेजो के '1971' मेजर जनरल राजपाल पुनिया और दामिनी पुनिया का 'ऑपरेशन खुखरी', कुलप्रीत यादव की 'द बैटल ऑफ रेजांग-ला' और भी बहुत कुछ नई सीरीज के तहत लाया जाएगा।
चड्ढा ने कहा, "भारतीय सशस्त्र बल वीरता और निस्वार्थता का प्रतीक हैं और हमें पेंगुइन वीर की घोषणा करते हुए बहुत गर्व हो रहा है, जो हमारे शानदार सैन्य इतिहास पर लेखन के लिए समर्पित एक सीरीज है। सेवानिवृत्त सैन्य अधिकारियों से लेकर देश के सर्वश्रेष्ठ रक्षा लेखकों और युद्ध पत्रकारों तक, हमारे प्रसिद्ध लेखकों की सूची पाठकों को गुमनाम नायकों और प्रतीकों, कम ज्ञात लड़ाइयों और सैन्य अभियानों की कहानियां, हमारे सैनिकों द्वारा कर्तव्य की पंक्ति में प्रदर्शित साहस और निडरता को पकड़ने के लिए लाएगी। ये ऐसी कहानियां हैं जो दिलों को गर्व से भर देंगी।"
पेंगुइन रैंडम हाउस इंडिया और एसईए के सीईओ गौरव श्रीनागेश ने नई सीरीज के बारे में कहा, "पेंगुइन रैंडम हाउस इंडिया का उद्देश्य अपने पाठकों के साथ हमारे संबंधों को बढ़ाना है और भारतीय सशस्त्र बलों पर हमारी पुस्तकों की लोकप्रियता और मांग को देखते हुए, हम आशा करते हैं कि हमारी नई पेंगुइन वीर सीरीज के साथ इस शैली में और अधिक ड्राइव और विविधता लाने के लिए हम अपने पाठकों के पढ़ने के अनुभवों को समृद्ध करने के लिए इस सीरीज को बड़े विश्वास के साथ जोड़ते हैं और एक प्रेरक कैटलॉग बनाते हैं, जो हमारे देश की सशस्त्र सेवाओं के लिए एक वसीयतनामा होगा।"(आईएएनएस)
सैन फ्रांसिस्को, 12 अगस्त | टेक दिग्गज एप्पल अपने आईफोन के लिए कैमरा मॉड्यूल बनाने के तरीके में कथित तौर पर बदलाव कर रही है। इस बारे में जारी एक नई रिपोर्ट में कहा गया है कि वह अब प्रत्येक कैमरा लेंस को अलग-अलग बनाने का विकल्प चुन रही है। दा इलेइच की एक रिपोर्ट के अनुसार, पिछले साल तक, एप्पल के आईफोन में कैमरा लेंस उसके आपूर्तिकतार्ओं एलजी इनोटेक, शार्प और ओ'फिल्म द्वारा निर्मित लेंस पूर्व-इकट्ठे किए गए थे। अब, एप्पल अपने कैमरा मॉड्यूल के उत्पादन को लागत बचाने के लिए अपने सबसे बड़े आपूर्तिकर्ता,फॉक्सकॉन को एक साथ कर रहा है।
मैकरुमर ने रिपोर्ट का हवाला देते हुए बताया कि, फॉक्सकॉन ने अपने नए कैमरा असेंबली की तैयारी में दक्षिण कोरियाई फर्म हाइविजन सिस्टम से नए निरीक्षण उपकरण प्राप्त किए हैं।
नई प्रणाली जांच करेगी कि क्या विस्तृत, अल्ट्रा वाइड और टेलीफोटो कैमरों के लेंस, उनके ऑप्टिकल अक्ष और छवि सेंसर सहित, उच्च-अंत तक, आईफोन मॉडल पर सही ढंग से अलाइज हैं। गलत अलाइज के परिणामस्वरूप फोटो गुणवत्ता में भारी कमी आ सकती है।
रिपोर्ट में कहा गया है कि नए बदलाव लागत बचाने के लिए किए जा रहे हैं, लेकिन यह स्पष्ट नहीं है कि ये बचत ग्राहकों को दी जाएगी या नहीं।
रिपोर्ट में कहा,यह भी स्पष्ट नहीं है कि नई उत्पादन पद्धति और कैमरा असेंबली में फॉक्सकॉन की भूमिका आगामी आईफोन 13 के लिए व्यवहार में होगी या नहीं। यह देखते हुए कि नए आईफोनस पहले से ही उत्पादन में हैं, ऐसा होने की संभावना नहीं है।(आईएएनएस)
नई दिल्ली, 12 अगस्त | स्मार्टफोन कपंनी सैमसंग ने गैलेक्सी जेड फोल्ड 3 5जी (फोल्डेबल पर पहली बार एस पेन सपोर्ट के साथ) भारत में 1.5 लाख रुपये की कीमत के साथ आने की संभावना है, जबकि गैलेक्सी जेड फ्लिप 3 5जी की कीमत 85 हजार-90 हजार रेंज में होगी। दोनों डिवाइस भारत में अगले महीने से प्रीमियम और उबर-प्रीमियम सेगमेंट में उपलब्ध होंगे।
वैश्विक स्तर पर, गैलेक्सी जेड फोल्ड3 7.6-इंच की कीमत 1,799.99 डॉलर में उपलब्ध होगी और 6.9-इंच जेड फ्लिप3 की कीमत 999.99 डॉलर होगी।
सैमसंग गैलेक्सी वॉच 4 और गैलेक्सी वॉच 4 क्लासिक की भारत में कीमत अभी तय नहीं की गई है।
दो वेरिएंट में उपलब्ध है, जिसमें 512जीबी इंटरनल स्टोरेज के साथ 12 जीबी रैम और 256जीबी इंटरनल स्टोरेज के साथ 12जीबी रैम - गैलेक्सी जेड फ्लिप3 एक फोल्डेबल डिवाइस पर 7.6-इंच का इन्फिनिटी फ्लेक्स डिस्प्ले और पहली बार एस (स्टाइलस) पेन सपोर्ट प्रदान करता है। एस पेन को अलग से खरीदना होगा।
रियर कैमरा सिस्टम में प्रत्येक में 12एमपी के तीन सेंसर हैं। 10एमपी का सेल्फी कैमरा है और जेड फ्लिप3 के फ्रंट में 4एमपी का अंडर-डिस्प्ले कैमरा भी है।
फोल्डेबल स्मार्टफोन में पहली बार जेड फ्लिप 3 और जेड फ्लिप 3 आईपी गुणा 84 वॉटर रेजिस्टेंस से लैस हैं, इसलिए यूजर्स बारिश में भीगने से चिंता करने की जरूरत नहीं है।
डिवाइस - फैंटम ब्लैक, फैंटम ग्रीन, फैंटम सिल्वर रंगों में उपलब्ध है - एक ई सिम और 2 नैनो सिम स्लॉट के साथ एंड्रॉइड 11 चलाता है और इसमें फास्ट-चाजिर्ंग क्षमताओं के साथ 4,400 एमएएएच (विशिष्ट) दोहरी बैटरी है।
गैलेक्सी जेड फोल्ड3 5जी में 10एमपी का सेल्फी कैमरा है और डुअल रियल कैमरा सिस्टम (12एमपी प्रत्येक) को स्पोर्ट करता है। डिवाइस 8जीबी रैम के साथ 256जीबी इंटरनल स्टोरेज और 8जीबी रैम के साथ 128जीबी इंटरनल स्टोरेज वेरिएंट में उपलब्ध होगा।
एंड्रॉइड 11 चलाने वाले, इसमें फास्ट-चाजिर्ंग क्षमताओं के साथ 3,300 एमएएच (सामान्य) दोहरी बैटरी से लैस सुविधाए प्राप्त कर सकते हैं।
सैमसंग ने बुधवार को लॉन्च के दौरान कहा, जेड फ्लिप3 अपने स्लीक, कॉम्पैक्ट और पॉकेटेबल डिजाइन, बेहतर कैमरा फीचर्स और चलते-फिरते इस्तेमाल के लिए बड़ी कवर स्क्रीन के साथ सुपर डिवाइस है।(आईएएनएस)
नई दिल्ली, 12 अगस्त | कांग्रेस की अंतरिम अध्यक्ष सोनिया गांधी अगले सप्ताह समान विचारधारा वाले दलों की बैठक की मेजबानी करेंगी, जिसमें सभी विपक्षी नेताओं को आमंत्रित किया जाएगा। सूत्रों ने गुरुवार को बताया कि हाल ही में समाप्त हुए मॉनसून सत्र में संयुक्त रूप से सरकार से भिड़ने वाले दलों को इस बैठक के लिए आमंत्रित किया जाएगा।
कांग्रेस शासित राज्यों के मुख्यमंत्रियों के साथ-साथ जहां पार्टी एक गठबंधन के हिस्से के रूप में सत्ता में है, जिसमें तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एम. के. स्टालिन (द्रमुक), महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे (शिवसेना) और झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन (झामुमो) को भी आमंत्रित किया जाएगा।
शिवसेना ने पुष्टि की है कि वह बैठक में भाग लेगी, जिसके लिए 20 अगस्त की संभावित तारीख दी गई है, लेकिन यह नेताओं की उपलब्धता पर निर्भर करेगा।
सूत्रों ने कहा कि पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री और तृणमूल कांग्रेस सुप्रीमो ममता बनर्जी और विपक्ष के समान विचारधारा वाले दलों के अन्य नेताओं को आमंत्रित किया जाएगा।
बैठक का महत्व इसलिए है, क्योंकि यह वरिष्ठ कांग्रेस नेता और पार्टी में प्रमुख रूप से अपनी असहमति जताने वालों में से एक, कपिल सिब्बल द्वारा एक रात्रिभोज की मेजबानी के बाद सामने है, जिसमें समाजवादी पार्टी और अकाली दल सहित 15 दलों के 45 नेताओं ने भाग लिया था।
माना जा रहा है कि इस अवसर पर विपक्षी एकता पर बल दिया गया, लेकिन कुछ नेता गांधी के नेतृत्व के खिलाफ थे।
राहुल गांधी भी मानसून सत्र में सक्रिय रहे हैं और विपक्ष के भीतर एकता बनाने की कोशिश कर रहे हैं। वे विभिन्न बैठकों में भाग ले रहे हैं और उन्होंने सत्र के दौरान नाश्ते (ब्रेकफास्ट मीटिंग) की मेजबानी भी की है।
मॉनसून सत्र के समय में की गई कटौती के विरोध में एकजुट विपक्ष ने गुरुवार को संसद से विजय चौक तक मार्च निकाला। संसद के दोनों सदनों को निर्धारित समय से दो दिन पहले अनिश्चितकाल के लिए स्थगित कर दिया गया है, जिसका कांग्रेस ने विरोध किया है।
सांसदों कृषि कानूनों को वापस लेने और लोकतंत्र की कथित हत्या के विरोध में बैनर और तख्तियां लिए हुए थे।
विरोध का नेतृत्व करते हुए, राहुल गांधी ने आरोप लगाते हुए कहा, हमें प्रेस से बात करने के लिए यहां आना होगा, क्योंकि हमें विपक्ष में संसद में बोलने की अनुमति नहीं है। यह लोकतंत्र की हत्या है।
उन्होंने आरोप लगाया कि देश के 60 फीसदी लोगों की आवाज को कुचला गया, अपमानित किया गया और बुधवार को राज्यसभा में महिला सांसदों के साथ मारपीट की गई।(आईएएनएस)
नई दिल्ली, 12 अगस्त | तालिबान ने पिछले दो दशकों में पहली बार अफगानिस्तान के कुंदुज प्रांत के हवाईअड्डे पर स्थित 217वीं पामीर आर्मी कोर को पछाड़ दिया है। मीडिया रिपोटरें में कहा गया है कि प्रसारित वीडियो में लड़ाकों ने अफगान सेना का एक हेलिकॉप्टर हथियाने का दावा किया है, जो फिलहाल काम नहीं कर रहा है।
कुंदुज प्रांत के वीडियो क्लिप दिखाते हैं कि दसियों अफगान बलों ने भी रेंजरों और हमवीस के साथ तालिबान के सामने आत्मसमर्पण किया।
इस बीच, लड़ाकों ने जावजान प्रांत के शेबरघन शहर में एक अन्य हवाई अड्डे पर भी कब्जा कर लिया है।
क्षेत्र के बाकी प्रांतों के साथ दोनों उत्तरी प्रांत तालिबान लेकिन रणनीतिक बल्ख प्रांत के अधीन आ गए हैं।
ताजिकिस्तान की सीमा से लगे बल्ख प्रांत अफगानिस्तान के रणनीतिक प्रांतों में से एक है, जहां से मार्शल दोस्तम ने तालिबान के खिलाफ अभियान शुरू करने की बात कही है।
अफगानिस्तान के राष्ट्रपति अशरफ गनी की अध्यक्षता में प्रांतीय राजधानी बल्ख प्रांत में एक उच्च स्तरीय सुरक्षा बैठक हुई है, जिसका उद्देश्य उत्तरी क्षेत्र की सुरक्षा को फिर से पटरी पर लाना है।
तालिबान अब और अधिक क्षेत्रों पर अपना नियंत्रण स्थापित कर रहा है, वहीं अमेरिकी अधिकारियों ने काबुल को तीन महीने के अंतराल में आतंकवादी समूह द्वारा नियंत्रण में लेने की चेतावनी दी है। (आईएएनएस)
प्रयागराज (यूपी), 12 अगस्त | उत्तर प्रदेश से एक चौंकाने वाला मामला सामने आया है, जहां एक नाबालिग लड़की को अपने परिवार के लिए भोजन में कथित तौर पर एक रासायनिक खरपतवार नाशक, जिसे खरपतवारनाशी कहा जाता है, मिलाने के आरोप में हिरासत में लिया गया है। पुलिस ने कहा कि 15 वर्षीय लड़की ने अपने भाई और मां को सजा देने के लिए भोजन में जहर मिलाया था, जो उसे घर के कामों को लेकर डांटते थे।
डिप्टी एसपी (सोरांव) अमिता सिंह ने संवाददाताओं से कहा, "चार से आठ अगस्त के बीच फूड पॉइजनिंग की घटना में जांच से पता चलता है कि घर की एक नाबालिग लड़की ने परिवार के सदस्यों की हत्या की साजिश रची थी।"
आरोपी लड़की की मां ने अपनी बेटी के खिलाफ होलागढ़ पुलिस में आईपीसी की धारा 302 के तहत प्राथमिकी दर्ज कराई थी, जिसमें परिवार के तीन सदस्यों की हत्या करने और अस्पताल में भर्ती होने पर घरेलू सामान चोरी करने का आरोप लगाया गया था।
पुलिस रिपोर्ट के अनुसार, लड़की ने 28 जुलाई को खाने में कीटनाशक मिलाया था और इसके तुरंत बाद, परिवार के पांच सदस्य गंभीर रूप से बीमार हो गए थे।
आरोपित युवती ने वीडसाइड वाली सब्जी नहीं खाई थी और उसकी जगह अचार व चावल खाया था।
पिता, मां, बड़े भाई और छोटी बहन समेत परिवार के चार सदस्यों को इलाज के लिए अलग-अलग अस्पतालों में भर्ती कराया गया है।
पुलिस को घटना के बारे में तब पता चला जब ग्राम प्रधान ने उन्हें 4 अगस्त को पिता की संदिग्ध मौत की सूचना दी।
लड़की के 16 साल के भाई रचित और 6 साल की बहन अंकिता की 8 अगस्त को इलाज के दौरान मौत हो गई थी।
इस बीच पुलिस को लड़की के इस रवैये पर शक हुआ और मामले की गहनता से जांच शुरू की।
पुलिस ने कहा कि नाबालिग लड़की ने अपनी मां और भाई की नियमित फटकार और पिटाई की। घटनाओं से नाराज होकर अपने परिवार के सदस्यों की हत्या की साजिश रचने के लिए यह कदम उठाया था।
परिवार के तीन सदस्यों की मौत के बाद आरोपी नाबालिग लड़की और उसकी मां गीता समेत सिर्फ दो सदस्य ही बाल-बाल बचे।
पूछताछ के दौरान, नाबालिग लड़की ने भोजन के साथ मिश्रित खरपतवारनाशी होने की बात स्वीकार की, क्योंकि वह अपने भाई और मां को डांटने के लिए सजा देना चाहती थी।(आईएएनएस)
-ललित सिंह
जोधपुर. जोधपुर से बुधवार को जैन साध्वी के किडनैप की घटना के बाद पुलिस ने सीकर स्थित फतेहपुर से उसे बरामद कर लिया था. जोधपुर पुलिस जैन साध्वी और आरोपियों को लेकर गुरुवार को जोधपुर पहुंची. जोधपुर शहर के महामंदिर थाने में किडनैप करने वाले आरोपियों से पुलिस पूछताछ कर रही है. दरअसल जोधपुर शहर में कल दोपहर महामंदिर प्रथम पोल के पास से 21 साल की जैन साध्वी का अपहरण हो गया था. पंजाब नंबर की एक कार में सवार दो युवक और एक महिला जैन साध्वी का अपहरण कर फरार हो गए. इस बीच जैन स्थानक के सदस्यों ने महामंदिर थाना पुलिस को जैन साध्वी के किडनैप की सूचना दी जिसके बाद पुलिस ने पूरे शहर में नाकाबंदी करवा दी. इस बीच अभय कमांड में लगे कैमरों की मदद से कार के नंबर व फरार होने वाली लोकेशन का पता चला. बीकानेर रेंज की पुलिस को भी अलर्ट मोड पर रख दिया.
फतेहपुर में पुलिस ने जैन साध्वी को बरामद कर जोधपुर पुलिस को सौंप दिया. जोधपुर महामंदिर थाना टीम सुबह जैन साध्वी व तीनों किडनैपर्स को लेकर जोधपुर पहुंची. पुलिस अब पंजाब नंबर की गाड़ी में सवार तीनों किडनैपर्स से पूछताछ में जुटी है. पुलिस ने बताया कि जैन साध्वी से भी पूछताछ चल रही है.
किडनैपर से भी पूछताछ कर वजह का पता लगाया जा रहा है.
13 साल की उम्र में बनी थी साध्वी
दरअसल किडनैप हुई साध्वी मूलतः मुंबई की रहने वाली हैं. बचपन में उनके माता पिता का निधन हो चुका था. महज 13 साल की उम्र में दीक्षा लेकर जैन साध्वी बन गई.
नई दिल्ली, 12 अगस्त | कांग्रेस और सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ट्विटर के बीच जारी खींचतान पर प्रतिक्रिया देते हुए कांग्रेस सांसद शशि थरूर, जो सूचना प्रौद्योगिकी पर स्थायी समिति के अध्यक्ष भी हैं, उन्होंने गुरुवार को कहा कि खातों को बंद करना अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का हनन है। ट्वीट्स की एक श्रृंखला में, थरूर ने कहा, "खातों को स्वचालित रूप से लॉक करना एक चरम कदम है जो भारतीय नागरिकों की अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता को रोकता है।"
उन्होंने कहा, "मैं ट्विटर की स्थिति को समझता हूं कि उसके पास भारतीय कानून और ट्विटर नीति का उल्लंघन करने वाले खातों को ब्लॉक करने के अलावा कोई विकल्प नहीं है, जबकि कानून वही है, नीति की समीक्षा की जा सकती है।"
उन्होंने कहा कि दिल्ली में 9 साल की दलित बच्ची के साथ रेप, हत्या और जल्दबाजी में किए गए दाह संस्कार ने देश की अंतरात्मा को झकझोर कर रख दिया है। यह त्वरित कार्रवाई की मांग करता है, राहुल गांधी के खिलाफ नहीं, बल्कि इस मानवीय त्रासदी में शामिल लोगों के खिलाफ है।
उन्होंने कहा, "दोहरे मानकों की धारणा मामले को बदतर बना देती है। जब भाजपा के एक राष्ट्रीय प्रवक्ता ने हाथरस बलात्कार पीड़िता (भारतीय दंड संहिता की धारा 228 ए का उल्लंघन करते हुए) की तस्वीर पोस्ट की, तो ट्विटर ने उसका खाता बंद नहीं किया। एससी आयोग ने 2 अगस्त को पीड़ित के परिवार की एक तस्वीर पोस्ट की, कोई कार्रवाई नहीं।"
उन्होंने कहा कि एक प्रमुख विपक्षी नेता के खिलाफ की गई ट्विटर की कार्रवाई चयनात्मकता और पूर्वाग्रह की स्पष्ट चिंता पैदा करती है। मैं राहुल गांधी खाते को बहाल करने, स्वत: निलंबन की नीति की समीक्षा करने और सार्वजनिक चिंताओं के प्रति अधिक संवेदनशीलता दिखाने का आग्रह करता हूं। लड़की के साथ जो हुआ उस पर ध्यान दें, तस्वीर पर नहीं!"
कांग्रेस पार्टी ने गुरुवार को दावा किया कि उनके पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी के सोशल मीडिया अकाउंट को ब्लॉक करने के बाद, ट्विटर ने अब पार्टी के आधिकारिक हैंडल को लॉक कर दिया है। (आईएएनएस)
बेंगलुरु, 12 अगस्त | कर्नाटक के मुख्यमंत्री बसवराज बोम्मई अब से लगभग तीन सप्ताह में अपने पहले लिटमस टेस्ट का सामना करेंगे, क्योंकि राज्य चुनाव आयोग ने 3 सितंबर को राज्य में लंबे समय से लंबित स्थानीय निकाय चुनावों की घोषणा की है। बेलगावी में 58 वार्ड, कलबुर्गी में 55 वार्ड और हुबली और धारवाड़ निगमों के 82 वाडरें के लिए चुनाव होंगे। आयोग ने बुधवार को चुनाव की घोषणा की है।
चुनाव लंबित थे क्योंकि परिसीमन और वार्ड-वार आरक्षण का मामला न्यायालय के समक्ष था। ढाई साल से अधिक समय से ये चुनाव लंबित हैं।
16 अगस्त को अधिसूचना जारी कर नामांकन दाखिल करने की प्रक्रिया शुरू होगी। मतदान की तारीख 3 सितंबर निर्धारित की गई है।
वोटों की गिनती 6 सितंबर को होगी। नामांकन दाखिल करने की आखिरी तारीख 23 अगस्त है।
कर्नाटक उच्च न्यायालय ने हाल ही में कर्नाटक सरकार से सवाल किया था। जिसने कोविड के कारण चुनाव कराने पर आपत्ति जताई थी। अदालत ने यह कहते हुए खिंचाई की थी कि अगर लोग मंदिरों और अन्य जगहों पर जा सकते हैं तो वोट देने क्यों नहीं जा सकते।
हालांकि, बोम्मई के लिए चुनाव की पहली परीक्षा होने जा रहे हैं क्योंकि बेलागवी, कलबुर्गी और हुबली-धारवाड़ निगम उत्तरी कर्नाटक क्षेत्र में स्थित हैं, जिन्हें भाजपा का गढ़ माना जाता है। (आईएएनएस)
नई दिल्ली, 12 अगस्त | संसद सदस्यों और विभिन्न विपक्षी दलों के नेताओं ने मानसून सत्र में कटौती के विरोध में गुरुवार को संसद से विजय चौक तक मार्च निकाला। सांसदों ने बैनर और तख्तियां लेकर कृषि कानूनों को वापस लेने का आह्वान किया और इनमें 'लोकतंत्र की हत्या' लिखा हुआ था।
विरोध का नेतृत्व करते हुए, कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने आरोप लगाया, "हमें प्रेस से बात करने के लिए यहां आना होगा क्योंकि विपक्ष में हमें संसद में बोलने की अनुमति नहीं है। यह लोकतंत्र की हत्या है।"
राहुल गांधी ने आरोप लगाया कि देश के 60 फीसदी लोगों की आवाज को कुचला गया, अपमानित किया गया और कल राज्यसभा में उन्हें (महिला सांसदों को) पीटा गया। संसद का सत्र खत्म हो गया है, लेकिन जहां तक देश के 60 फीसदी हिस्से का सवाल है, तो संसद का कोई सत्र नहीं हुआ है।
विपक्षी नेताओं ने मांग की कि कृषि कानूनों को तुरंत वापस लिया जाना चाहिए और कहा कि वे मानसून सत्र को कम करने का विरोध कर रहे हैं जो शुक्रवार तक होने वाला था।
शिवसेना सांसद संजय राउत ने कहा, "विपक्ष को सदन में अपने विचार रखने का मौका नहीं मिला और महिला सांसदों के खिलाफ कल की घटना लोकतंत्र के खिलाफ थी क्योंकि ऐसा लगा कि हम (विपक्ष) पाकिस्तान की सीमा पर खड़े हैं।"
बुधवार की घटनाओं के बारे में शिकायत करने के लिए विपक्षी नेताओं के सदन के सभापति से मिलने की संभावना है।
बुधवार को संसद अनिश्चित काल के लिए स्थगित कर दिया गया, लेकिन विपक्ष ने आरोप लगाया कि जब वे सदन में बीमा विधेयक का विरोध कर रहे थे, तो महिला सांसदों के साथ पुरुष मार्शलों ने मारपीट की।
कांग्रेस सांसद छाया वर्मा ने कहा, "मुझे पुरुष मार्शलों द्वारा धक्का दिया गया और मैं फूलो देवी नेताम पर गिर गई। वह भी सदन के फ्लोर पर गिर गईं।"
राकांपा प्रमुख शरद पवार ने कहा, "अपने पूरे संसदीय करियर में मैंने कभी नहीं देखा कि जिस तरह से आज उच्च सदन में महिला सांसदों पर हमला किया गया। 40 से अधिक पुरुषों और महिलाओं को बाहर से सदन में लाया गया। यह बहुत दुखद और दर्दनाक है। यह लोकतंत्र पर हमला है।" (आईएएनएस)
नई दिल्ली, 12 अगस्त | कांग्रेस पार्टी ने गुरुवार को दावा किया कि उनके पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी के सोशल मीडिया अकाउंट को ब्लॉक करने के बाद, ट्विटर ने अब पार्टी के आधिकारिक हैंडल एट द रेट ऑफ आईएनसीइंडिया को 'लॉक' कर दिया है। कांग्रेस के सोशल मीडिया प्रमुख रोहन गुप्ता ने कहा कि कांग्रेस का आधिकारिक ट्विटर अकाउंट लॉक कर दिया गया है। गुप्ता ने आईएएनएस से कहा, "कांग्रेस का आधिकारिक ट्विटर अकाउंट लॉक हो गया है।"
आईवाईसी के राष्ट्रीय अध्यक्ष श्रीनिवास बी.वी. ने ट्वीट किया, "पहले राहुल गांधी का खाता, फिर कांग्रेस कार्यकर्ताओं का खाता, फिर कांग्रेस नेताओं का खाता, और अब आधिकारिक खाता..ट्विटर खुलेआम भाजपा के फ्रंटल संगठन के रूप में बल्लेबाजी कर रहा है। क्या हम अभी भी भारत में या उत्तर कोरिया में रह रहे हैं?"
माइक्रो ब्लॉगिंग प्लेटफॉर्म ने एक दिन पहले कांग्रेस महासचिव अजय माकन का हैंडल भी ब्लॉक कर दिया था, माकन ने कहा कि राहुल गांधी का समर्थन करने पर ट्विटर ने उन्हें ब्लॉक कर दिया।
माकन ने बुधवार को ट्विटर की कार्रवाई पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए कहा, "अब मेरा खाता बंद है। मैंने दलितों और महिलाओं पर अत्याचार के खिलाफ राहुल गांधी का समर्थन किया है, लेकिन मैं भविष्यवाणी करता हूं कि अच्छे दिन आने वाले हैं जब आप डरेंगे नहीं ।"
कांग्रेस सूत्रों ने कहा कि आरएस सुरजेवाला, मनिकम टैगोर और सुष्मिता देव के अकाउंट को भी ट्विटर ने लॉक कर दिया है।
शनिवार को राहुल गांधी का अकाउंट ब्लॉक करने के बाद ट्विटर ने बताया कि अकाउंट ने ट्विटर के नियमों का उल्लंघन किया है।
तुरंत बाद कांग्रेस के आधिकारिक ट्विटर हैंडल आईएनसीइंडिया ने सोशल मीडिया साइट को यह कहते हुए चुनौती दी थी कि ".. हमारे खातों को बंद करो, हम आपको चुनौती देते हैं। हमें न्याय के लिए लड़ने और सच्चाई को उजागर करने से कोई नहीं रोक सकेगा।"
राहुल ने नाबालिग के परिवार के सदस्यों से मुलाकात की थी, जिनके साथ राष्ट्रीय राजधानी में कथित रूप से बलात्कार किया गया था, उनकी हत्या कर दी गई थी, और उसके माता-पिता की सहमति के बिना ओल्ड नंगल श्मशान में उसका अंतिम संस्कार किया गया था।
भाजपा ने आरोप लगाया कि गांधी ने पीड़ित परिवार की पहचान उजागर की है जो गैरकानूनी है।
एनसीपीसीआर की शिकायत के बाद, गांधी के ट्विटर अकाउंट को अस्थायी रूप से निलंबित कर दिया गया था और पार्टी ने अपने आधिकारिक हैंडल से ट्वीट किया था कि इसे बहाल करने के लिए उचित प्रक्रिया का पालन किया जा रहा है। (आईएएनएस)