निखिला नटराजन
न्यूयॉर्क, 27 अक्टूबर| वॉल स्ट्रीट जर्नल की स्तंभकार और पूर्व अमेरिकी राष्ट्रपति रोनाल्ड रीगन की पूर्व सहायक पेगी नूनन डेमोक्रेटिक पार्टी की उपराष्ट्रपति पद की उम्मीदवार कमला हैरिस के प्रति हमलावर रुख दिखाने के बाद आलोचनाओं से घिर गई हैं।
उन्होंने एक प्रचार अभियान के दौरान बारिश में हैरिस के हल्का-फुल्का डांस करने को शर्मनाक, असंवेदनशील और ओछी हरकत कहा था।
नूनन ने कमला हैरिस के डांस, उनकी हंसी और उनके स्टाइल के बारे में अपने कॉलम 'ए गुड डिबेट, एंड इट्स नॉट क्वाइट ओवर' के अंत में दो पैराग्राफ में ये टिप्पणी की।
एमएनएसबीसी पर नूनन को हैरिस के खिलाफ निशाना साधने के लिए आलोचनाओं का सामना करना पड़ा।
पूर्व डेमोक्रेटिक सीनेटर, क्लेयर मैकस्किल जिन्होंने कमला हैरिस के लिए कड़ी मेहनत की, उन्होंने डोनाल्ड ट्रंप को बेशर्म ठहराया।
उन्होंने कहा, "कमला हैरिस बेशर्म छोड़कर सब कुछ है। वह आगे बढ़ रही हैं। वह प्रेरणादायक हैं। वह मजबूत हैं।"
अंतिम प्रेसिडेंशियल डिबेट पर अपनी राय देने के बाद नूनन ने हैरिस के विषय में लिखा है।
नूनन ने लिखा, "उपराष्ट्रपति पद की उम्मीदवार कमला हैरिस जब वाट्सअप फ्लोरिडा कहती हैं, और जोर से हंसती हैं खासकर जब किसी ने कुछ भी मजाकिया नहीं कहा, तो बेशर्म लगती हैं। वह युवा उम्मीदवार है जो युवा वोट हासिल करना चाहती है और लेकिन जब उन्होंने फ्लोरिडा के जैक्सनविल में बारिश में स्टेज पर डांस किया तो यह अव्यवहारिक, छिछोरापन और शर्मनाक था।"
अफ्रीकन अमेरिकन पॉलिसी फोरम ने ट्वीट किया, "ये वो खुशी है जिससे पैगी नूनन को इतनी पीड़ा हुई कि उन्होंने सीनेटर हैरिस के बारे में एक कॉलम लिखा कि कैसे सीनेटर हैरिस बेशर्म हैं। अश्वेतों की खुशी कुछ ऐसी है जिस पर उन्हें हमला करने की जरूरत महसूस होती है।" (आईएएनएस)
अमेरिकी सीनेट ने एमी कोनी बैरेट की सोमवार को अमेरिकी सुप्रीम कोर्ट में जज के रूप में नियुक्ति की पुष्टि कर दी। इसे अमेरिकी न्यायपालिका के लिए एक नए युग की शुरुआत के रूप में देखा जा रहा है।
सीनेट में रिपब्लिकन सांसदों ने डेमोक्रेट सांसदों को हराते हुए अदालत में संभवत: एक लंबे समय के लिए कंजर्वेटिव बहुमत सुनिश्चित करा लिया। बैरेट को उदारवादियों की आइकन दिवंगत जज रुथ बेडर गिंसबर्ग की मृत्यु के बाद सुप्रीम कोर्ट में रिक्त हुए पद को भरने के लिए ट्रंप ने मनोनीत किया था।
जीवनकाल के लिए नियुक्त हुई 48 वर्षीय बैरेट सुप्रीम कोर्ट की 115वीं जज बन गई हैं। वो मंगलवार से काम शुरू कर पाएंगी। उनकी नियुक्ति की पुष्टि के बाद संभव है कि अब गर्भपात, सस्ती स्वास्थ्य सेवा और खुद ट्रंप के निर्वाचन जैसे मामलों पर फैसलों के एक नए युग की शुरुआत हो सकती है। वो सुप्रीम कोर्ट में ट्रंप द्वारा मनोनीत तीसरी जज बन गई हैं।
व्हाइट हाउस के साउथ लॉन में उनके शपथ-ग्रहण समारोह में ट्रंप ने कहा, ‘यह अमेरिका के लिए एक महत्वपूर्ण दिन है।’ करीब 200 लोगों की उपस्थिति में जस्टिस क्लैरेंस थॉमस ने बैरेट को संविधान की शपथ दिलाई। शपथ लेने के बाद बैरेट ने कहा कि वो मानती हैं कि ‘एक जज का काम है कि वो नीतियों को लेकर अपनी पसंद से प्रभावित ना हो’और वो ‘अपना काम बिना किसी डर या पक्षपात के’ करेंगी।
चुनावों से ठीक एक सप्ताह पहले कई महत्वपूर्ण मामलों में फैसला लंबित है और बैरेट का मत इनमें से कई मामलों में निर्णायक साबित हो सकता है।
अहम समय में नियुक्ति
यह पहली बार था जब राष्ट्रपति चुनाव के इतनी करीब सुप्रीम कोर्ट में किसी जज की नियुक्ति हुई। यह अमेरिका के आधुनिक इतिहास में पहली बार था जब अल्पसंख्यक पार्टी ने राष्ट्रपति द्वारा मनोनीत जज को जरा भी समर्थन ना दिया हो।
डेमोक्रेट सांसदों ने कई हफ्तों तक यह कहा कि उनकी नियुक्ति पर मतदान में गलत तरह से जल्दबाजी की जा रही है। यहां तक की रविवार को पूरी रात जिरह करते हुए उन्होंने जोर देकर कहा कि रिक्त पद को भरने के लिए किसी का नाम मनोनीत करने का अधिकार उसे मिलना चाहिए जो तीन नवंबर को होने वाले राष्ट्रपति चुनावों में अपनी जीत दर्ज करे।
चुनावों से ठीक एक सप्ताह पहले कई महत्वपूर्ण मामलों में फैसला लंबित है और बैरेट का मत इनमें से कई मामलों में निर्णायक साबित हो सकता है। इनमें नार्थ कैरोलाइना और पेंसिल्वेनिया राज्यों में ऐब्सेंटी बैलट की समय सीमा बढ़ाना और ट्रंप की इमरजेंसी अपील कि मैनहैटन डिस्ट्रिक्ट अटॉर्नी को उनके आयकर रिटर्न हासिल करने से रोका जाए शामिल हैं। 10 नवंबर को सुप्रीम कोर्ट में ओबामा युग के अफोर्डबल केयर कानून पर भी सुनवाई होनी है, जिसे ट्रंप के कहने पर चुनौती दी गई है। सीके/एए (एपी)
पेशावर, 27 अगस्त। पाकिस्तान के पेशावर में एक मदरसे में मंगलवार की सुबह हुए शक्तिशाली विस्फोट में कम से कम 7 बच्चों की मौत हो गई और 70 अन्य लोग घायल हो गए। पुलिस और अस्पताल कर्मचारियों ने मृतकों की पुष्टि की है।
यह धमाका मंगलवार की सुबह ऐसे वक्त में हुआ जब मदरसे में मौलवी इस्लाम के बारे में बच्चों को बता रहे थे। पेशावर के इस मदरसे का नाम जामिया जुबैरा है। पुलिस अधिकारी वकार अजीम ने बताया कि धमाका मदरसे में एक बैग छोड़े जाने के तुरंत बाद हुआ। उनके मुताबिक मदरसे में किसी ने बैग रख दिया था और उसके चंद मिनटों बाद विस्फोट हुआ। धमाके में घायल कई लोगों की हालत नाजुक बनी हुई है और अस्पताल प्रशासन को आशंका है कि मृतकों की संख्या बढ़ सकती है। घायलों का इलाज लेडी रीडिंग अस्पताल में चल रहा है।
लेडी रीडिंग अस्पताल के प्रवक्ता, मुहम्मद असीम ने एक बयान में कहा कि पांच शवों और 70 घायल लोगों को अब तक अस्पताल लाया गया है, उन्होंने कहा कि ज्यादातर शव और घायल जिन्हें अस्पताल लाया गया, वे जल गए थे और उनके शरीर में छर्रे लगे थे।
पेशावर खैबर पख्तूनख्वा की प्रांतीय राजधानी है, जो कि अफगानिस्तान से सटा इलाका है। पुलिस अधिकारी मदद खान ने कहा है कि मदरसे वाले इलाके को सील कर दिया गया और बैग रखने वाले शख्स की तलाश की जा रही है। बचाव अभियान के सदस्य बिलाल फैजी ने बताया कि राहत और बचाव का काम पूरा कर लिया गया है और सभी घायलों को अस्पताल पहुंचा दिया गया है। शहर के सभी अस्पतालों में आपातस्थिति की घोषणा की गई है। पुलिस के साथ अन्य एजेंसियों को हाई अलर्ट पर रखा गया है।
पिछले महीने खैबर पख्तूनख्वा के नौशेरा स्थित अकबरपुरा इलाके में विस्फोट हुआ था जिसमें 5 लोगों की मौत हो गई थी और 2 घायल हुए थे।
TERROR WATCH 12 : Heavy explosion hit Madarasa Zubairiyyah, Dir Colony in #Peshawar.
— Terror Watch (@TerrorWatchAsia) October 27, 2020
Terror camps working freely in all over ????????
Also consider ???????? remains in FATF's Grey list, & the next meeting will be held soon. pic.twitter.com/H7xVvadl8U
मौके पर सबूत इक_ा करते सुरक्षाकर्मी
हाल के सालों में इस प्रांत में आतंकवादी हमले की कई वारदात हुई हैं लेकिन पूरे पाकिस्तान में अलग-अलग संप्रदाय के बीच हिंसा में भी लोगों की जान जाती रही है।
बीते एक सप्ताह में ये पाकिस्तान में धमाके की दूसरी घटना है. हाल ही में पाकिस्तान के कराची शहर में बड़ा धमाका हुआ था। इस विस्फोट में पांच लोगों की मौत हुई थी और 20 के करीब लोग घायल हुए थे। मदरसे में धमाके से दो दिन पहले क्वेटा में भी एक विस्फोट हुआ था जिसमें तीन लोगों की मौत हो गई थी।
साल 2014 में पाकिस्तान तालिबान के आतंकियों ने सेना द्वारा चलाए जाने वाले स्कूल पर हमला कर 150 बच्चों की हत्या कर दी थी. पाकिस्तान में अल कायदा, तालिबान और आईएस के आतंकियों ने 2004 से अब तक करीब 70,000 लोगों की हत्या की है, जिनमें नेता, पत्रकार, एक्टिविस्ट और आम लोग शामिल हैं।
2014 के जून से सैन्य कार्रवाई के कारण आतंकी अफगानिस्तान की तरफ चले गए हैं लेकिन अभी भी उनमें अचानक हमले को अंजाम देने की क्षमता है। एए/सीके (रॉयटर्स, एपी, एएफपी)
जापान ने 2050 तक ग्रीनहाउस गैसों को शून्य करने और कार्बन-तटस्थ समाज बनने का लक्ष्य रखा है. सोमवार को प्रधानमंत्री योशिहिदे सुगा ने जलवायु परिवर्तन पर अपने देश की स्थिति में एक बड़े बदलाव की रणनीति पेश की.
इससे पहले जापान ने कहा था तय तारीख के बजाय वह जल्द ही कार्बन न्यूट्रल देश होगा लेकिन अब उसने 2050 तक अपना लक्ष्य तय कर लिया है. यह लक्ष्य यूरोप से भी मेल खाता है. गौरतलब है कि पिछले साल यूरोपीय संघ ने समझौता किया था कि साल 2050 तक यूरोपीय संघ के सदस्य देश कार्बन न्यूट्रल हो जाएंगे. इस डील के मुताबिक अर्थव्यवस्था की कायापलट कर 2050 तक कार्बन उत्सर्जन को शून्य करने का लक्ष्य था. ईयू का 2050 के लिए तय किया गया लक्ष्य 2015 में हुए पेरिस जलवायु समझौते के तहत है.
प्रधानमंत्री बनने के बाद पहली बार संसद को अपनी नीतियों के बारे में बताते हुए सुगा ने कहा, "जलवायु परिवर्तन पर प्रतिक्रिया देना अब आर्थिक विकास में अड़चन नहीं है. हमें अपनी सोच को उस नजरिये से बदलने की जरूरत है कि जलवायु के खिलाफ मुखर उपायों से परिवर्तन को बढ़ावा मिलेगा और औद्योगिक संरचना और अर्थव्यवस्था में विकास होगा."
जापान दुनिया का पांचवां सबसे बड़ा कार्बन डाइऑक्साइड उत्सर्जन करने वाला देश है और अब वहां नवीकरणीय ऊर्जा को बढ़ावा देने के लिए कदम उठाए जा रहे हैं साथ ही कोयले से बिजली बनाने के नए प्लांट भी खोलने की योजना बन रही है. सुगा का कहना है कि इन लक्ष्यों को हासिल करने करने नए सौर सेल्स और कार्बन रिसाइक्लिंग अहम भूमिका निभाएंगे और जापान इस क्षेत्र में रिसर्च और डेवलेपमेंट में जोर देगा. शिंजो आबे की जगह लेने के बाद वे समाज को डीजिटल करने के भी लक्ष्य पर भी काम कर रहे हैं.
पड़ोसी देश चीन के साथ जापान के गहरे आर्थिक संबंधों पर बोलते हुए सुगा ने कहा कि एक स्थिर द्विक्षीय संबंध जरूरी है. लेकिन उन्होंने साथ ही कहा, "जापान समान विचारधारा वाले देशों के साथ स्वतंत्र और खुले प्रशांत महासागर के लिए संपर्क बनाए रखेगा."
पिछले हफ्ते ही सुगा पद संभालने के बाद पहली बार वियतनाम और इंडोनेशिया के दौरे पर गए थे, ऐसा उन्होंने दक्षिणपू्र्व एशियाई देशों के साथ संबंध बेहतर बनाने के इरादे से किया था. दक्षिण चीन सागर में चल रहे विवाद को लेकर भी सुगा पहले से ही सतर्क हैं. अपनी चार-दिवसीय यात्रा के दौरान सुगा ने वियतनाम के प्रधानमंत्री न्यूएन श्वान फुक और इंडोनेशिया में राष्ट्रपति जोको विडोडो उर्फ जोकोवी से मुलाकात की थी. संसद को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा, "हम उच्च स्तरीय अवसरों का इस्तेमाल निर्णायक रूप से अपनी बात कहने के लिए करेंगे और आम सहमति वाले मुद्दों पर संपर्क बनाए रखेंगे."
एए/सीके (रॉयटर्स)(dw)
अमेरिका में राष्ट्रपति चुनावों में मतदान का दिन अभी भी नौ दिन दूर है, लेकिन शुरुआती मतदान का आंकड़ा अभी से 2016 में हुए पिछले चुनावों के आंकड़े को पार कर गया है.
पिछले दिनों में बड़े राज्यों में वैयक्तिक रूप से शुरूआती मतदान शुरू हो जाने की वजह से कुल मतदान में बड़ा उछाल आया है. फ्लोरिडा और टेक्सस जैसे स्थानों पर मतदान के शुरू होने से यह उछाल आया. इसके पहले से भारी संख्या में डाक से मत भी चुनावी दफ्तरों तक पहुंच रहे हैं. कोरोना वायरस महामारी की वजह से मतदाता तीन नवंबर को मतदान के दिन भीड़ भाड़ वाले स्थानों से बचना चाह रहे हैं.
इसका नतीजा यह हुआ है कि अभी तक कुल 5.86 करोड़ मत डल चुके हैं. एपी की अपनी जानकारी के अनुसार 2016 में शुरुआती मतदान में डाक से या वैयक्तिक रूप से कुल 5.8 करोड़ मत डाले गए थे.
शुरुआती मतदान में डेमोक्रैट्स ने अपनी बढ़त लगातार बनाई हुई है, लेकिन रिपब्लिकन धीरे धीरे आगे बढ़ रहे हैं. रिपब्लिकन मतदाता डाक से मत भेजने की जगह खुद ही चुनावी कार्यालयों पर पहुंच कर पहले से मतदान कर रहे हैं. इसे इस बात का संकेत माना जा रहा है कि इन मतदाताओं ने राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप की डाक मतदान में फर्जीवाड़े की निराधार चेतावनी को माना है.
शुरुआती मतदान में डेमोक्रैट्स ने अपनी बढ़त लगातार बनाई हुई है, लेकिन रिपब्लिकन धीरे धीरे आगे बढ़ रहे हैं.
15 अक्टूबर तक डले सभी मतों में पंजीकृत डेमोक्रेट मतदाताओं के मत 51 प्रतिशत थे और रिपब्लिकनों के 25 प्रतिशत. रविवार 25 अक्टूबर को डेमोक्रैट 51 प्रतिशत पर थे और रिपब्लिकन 31 प्रतिशत पर.
शुरुआती मत राज्य और स्थानीय चुनावी अधिकारी जारी करते हैं और एपी की टीम इन्हें ट्रैक करती है. लेकिन इनसे कौन सी पार्टी आगे चल रही है इसका सही अंदाजा नहीं लगाया जा सकता. यह जानकारी सिर्फ पार्टी रजिस्ट्रेशन दिखाती है और यह नहीं दिखाती कि कौन से मतदाता किस उम्मीदवार को समर्थन दे रहे हैं. उम्मीद की जा रही है कि अधिकतर रिपब्लिकन वोटर मतदान के दिन ही अपना मत डालेंगे.
अब उप-राष्ट्रपति के करीबी अधिकारी संक्रमित
इसी बीच व्हाइट हाउस एक महीने में कोरोना वायरस महामारी के प्रसार का दोबारा हॉटस्पॉट बन गया. उप-राष्ट्रपति माइक पेंस के कई करीबी अधिकारी वायरस से संक्रमित पाए गए. इनमें उनके चीफ ऑफ स्टाफ मार्क शॉर्ट भी शामिल हैं. पेंस को उनका करीबी कॉन्टैक्ट माना जा रहा है, हालांकि इसके बावजूद उप-राष्ट्रपति ने अपने आक्रामक चुनावी कैलेंडर के अनुसार अपने कार्यक्रमों को जारी रखने का फैसला किया है.
सीके/एए (एपी)(dw)
फैसलाबाद, 27 अक्टूबर | फैसलाबाद में दुष्कर्म की एक घटना ने पूरे पाकिस्तान को हिलाकर रख दिया है। यहां पंजाब प्रांत में 2 किशोर लड़कियों का अपहरण करने के बाद कथित तौर पर कम से कम 15 पुरुषों ने 6 दिनों तक उनके साथ दुष्कर्म किया।
यह बर्बरतापूर्ण मामला पीड़िताओं की मां द्वारा शिकायत दर्ज करने के बाद सामने आया है। शिकायत में कहा गया है कि 11 सितंबर को उसकी 15 और 17 साल की दो बेटियों का अपहरण एक समूह ने किया था। इसके बाद उसकी बेटियों को विभिन्न जगहों पर ले जाया गया, जहां उनके साथ कम से कम 15 पुरुषों ने दुष्कर्म किया और इसका वीडियो भी बनाया।
पुलिस रिपोर्ट में मां के हवाले से लिखा गया है, "मेरी बेटियों को 6 दिनों तक अलग-अलग स्थानों पर ले जाया गया, जहां संदिग्धों ने उनके साथ सामूहिक दुष्कर्म किया ..मेरी बेटियों को नशीले पदार्थ देकर उनकी अश्लील तस्वीरें खींची और उनका वीडियो रिकॉर्ड किया।"
पीड़ित की मां ने यह भी कहा, "हम गरीब लोग हैं। हम उन लोगों से लड़ नहीं सकते हैं और न ही हम वकीलों की फीस चुका सकते हैं। इसलिए हमने अपना घर छोड़कर कहीं और जाने का फैसला किया है।"
लड़कियों के घर वापस आने के बाद भी संदिग्धों ने परिवार को अकेला नहीं छोड़ा और वे जहां भी गए, उन्होंने इन बहनों के वीडियो बनाए।
पाकिस्तान में सामूहिक दुष्कर्म का यह मुद्दा सरकार के लिए एक गंभीर चुनौती बन गया है, क्योंकि पूरे देश, विशेष रूप से पंजाब प्रांत से अपहरण और सामूहिक दुष्कर्म के कई मामले सामने आए हैं।
हाल ही में, लाहौर-सियालकोट मोटर मार्ग पर दो संदिग्धों ने दो बच्चों की मां को लूटा और उसके साथ सामूहिक दुष्कर्म किया था। यहां के सामाजिक संगठन ऐसे मामलों को लेकर लगातार विरोध कर रहे हैं और आरोपियों को सार्वजनिक तौर फांसी देने की मांग कर रहे हैं।(आईएएनएस)
वाशिंगटन 27 अक्टूबर (वार्ता) अमेरिका में आम चुनावों से एक सप्ताह मंगलवार को जज एमी कोनी बैरेट ने अमेरिकी सुप्रीम कोर्ट की न्यायाधीश के रूप में शपथ ली।
न्यायाधीश बैरेट ने राष्ट्रपति ट्रम्प की मौजूदगी में व्हाइट हाउस में शपथ ली। सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस क्लेरेंस थॉमस ने उन्हें शपथ दिलाई।
इसे राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की बड़ी जीत माना जा रहा है।
सीनेटरों ने बड़े पैमाने पर पार्टी लाईन के साथ सख्ती से न्यायाधीश बैरेट के पक्ष में मतदान किया।
केवल एक रिपब्लिकन सीनेटर सुसान कोलिन्स राष्ट्रपति के उम्मीदवार के विरोध में मतदान किया।
उनकी नियुक्ति से अमेरिकी न्यायिक निकाय पर रूढ़िवादी बहुमत पर मुहर लग गई है।
हमजा अमीर
फैसलाबाद, 26 अक्टूबर| फैसलाबाद में दुष्कर्म की एक घटना ने पूरे पाकिस्तान को हिलाकर रख दिया है। यहां पंजाब प्रांत में 2 किशोर लड़कियों का अपहरण करने के बाद कथित तौर पर कम से कम 15 पुरुषों ने 6 दिनों तक उनके साथ दुष्कर्म किया।
यह बर्बरतापूर्ण मामला पीड़िताओं की मां द्वारा शिकायत दर्ज करने के बाद सामने आया है। शिकायत में कहा गया है कि 11 सितंबर को उसकी 15 और 17 साल की दो बेटियों का अपहरण एक समूह ने किया था। इसके बाद उसकी बेटियों को विभिन्न जगहों पर ले जाया गया, जहां उनके साथ कम से कम 15 पुरुषों ने दुष्कर्म किया और इसका वीडियो भी बनाया।
पुलिस रिपोर्ट में मां के हवाले से लिखा गया है, "मेरी बेटियों को 6 दिनों तक अलग-अलग स्थानों पर ले जाया गया, जहां संदिग्धों ने उनके साथ सामूहिक दुष्कर्म किया ..मेरी बेटियों को नशीले पदार्थ देकर उनकी अश्लील तस्वीरें खींची और उनका वीडियो रिकॉर्ड किया।"
पीड़ित की मां ने यह भी कहा, "हम गरीब लोग हैं। हम उन लोगों से लड़ नहीं सकते हैं और न ही हम वकीलों की फीस चुका सकते हैं। इसलिए हमने अपना घर छोड़कर कहीं और जाने का फैसला किया है।"
लड़कियों के घर वापस आने के बाद भी संदिग्धों ने परिवार को अकेला नहीं छोड़ा और वे जहां भी गए, उन्होंने इन बहनों के वीडियो बनाए।
पाकिस्तान में सामूहिक दुष्कर्म का यह मुद्दा सरकार के लिए एक गंभीर चुनौती बन गया है, क्योंकि पूरे देश, विशेष रूप से पंजाब प्रांत से अपहरण और सामूहिक दुष्कर्म के कई मामले सामने आए हैं।
हाल ही में, लाहौर-सियालकोट मोटर मार्ग पर दो संदिग्धों ने दो बच्चों की मां को लूटा और उसके साथ सामूहिक दुष्कर्म किया था। यहां के सामाजिक संगठन ऐसे मामलों को लेकर लगातार विरोध कर रहे हैं और आरोपियों को सार्वजनिक तौर फांसी देने की मांग कर रहे हैं। (आईएएनएस)
दोहा,26 अक्टूबर | दोहा के हमाद अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे पर अक्टूबर की शुरुआत में हुई एक घटना से ऑस्ट्रेलिया और कतर के बीच तनाव पैदा हो गया है. दरअसल 2 अक्टूबर को कतर एयरवेज की सिडनी जाने वाले उड़ान को तब रोकना पड़ा जब एक नवजात शिशु एयरपोर्ट पर लावारिस पाया गया. बच्चे की मां का पता लगाने के लिए एयरपोर्ट अधिकारियों ने कई महिलाओं की जांच की. इनमें 13 ऑस्ट्रलियाई महिलाएं भी थीं.
ऑस्ट्रेलिया की सेवन नेटवर्क न्यूज एजेंसी के अनुसार महिलाओं की रनवे पर मौजूद एक एम्बुलेंस में जांच की गई. प्लेन पर सवार एक व्यक्ति वुल्फगांग बाबेक ने बताया कि हर उम्र की महिलाओं की जांच की गई, "जब महिलाएं वापस आईं, तब वे सब परेशान दिखीं.
Australia’s foreign minister has described as ‘grossly disturbing’ an incident in which women from a Qatar Airways flight, including 13 Australians, were forced to undergo a medical examination after a newborn was found in a bathroom at Doha airport https://t.co/YzD9GyxlbE pic.twitter.com/eO5x3xYpGV
— Reuters (@Reuters) October 26, 2020
उनमें से एक युवा महिला तो रो रही थी और लोगों को यकीन ही नहीं आ रहा था कि ये सब हो रहा है." बाबेक के अनुसार उन्होंने महिलाओं से बातचीत भी की, "उन्होंने मुझे बताया कि उन्हें अपने अंडरवेयर उतारने को कहा गया या फिर बोला गया कि कमर के नीचे सब कपड़े उतारें ताकि जांच की जा सके कि उन्होंने हाल में बच्चा जना है या नहीं."
बाबेक के अनुसार विमान को तीन घंटे के लिए रोका गया और इस दौरान ना तो उन्हें उड़ान में देरी की कोई वजह बताई गई और ना ही महिलाओं को विमान से उतारने की.
कतर एयरवेज और कतर सरकार ने अब तक इस पर कोई प्रतिक्रया नहीं दी है. लेकिन ऑस्ट्रेलिया की विदेश मंत्री मरीस पेन ने सोमवार को इसे "बेहद परेशान करने वाली घटना" बताया है. उन्होंने कतर अधिकारियों के इस रवैये को अनुचित बताते हुए कहा, "यह बहुत, बहुत ही परेशान करने वाली, आपत्तिजनक और चिंता पैदा करने वाली घटना है. मैंने अपने जीवन में कभी ऐसा कुछ नहीं सुना है. हमने इस विषय में कतर अधिकारीयों को अपना रुख साफ बता दिया है."
पेन ने कहा कि आगे कोई भी कदम उठाने से पहले ऑस्ट्रलिया कतर के अधिकारियों के जवाब का इंतजार करेगा. उन्होंने यह भी कहा कि यह मामला संघीय पुलिस को सौंप दिया गया है लेकिन इस बारे में जानकारी नहीं दी कि ऑस्ट्रेलिया पुलिस इस मामले में किस तरह की कार्रवाई कर सकती है. पुलिस विभाग ने भी फिलहाल इस पर कोई टिप्पणी करने से इंकार कर दिया है.
बच्चे की मां का अब भी पता नहीं चल पाया है. मध्य पूर्व के अन्य देशों की तरह कतर में भी शादी के बाहर शारीरिक संबंध बनाना अपराध है. ऐसे में कई बार महिलाएं अपनी गर्भावस्था को छिपाने की कोशिश करती हैं और विदेश में जा कर बच्चा पैदा करती हैं या गर्भपात कराती हैं. कई मामलों में माएं अपने नवजात शिशु को लावारिस छोड़ देती हैं.(DW.COM)
इस्लामाबाद, 26 अक्टूबर | पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान ने इस्लामोफोबिया पर अपनी टिप्पणी को लेकर फ्रांसीसी राष्ट्रपति इमैनानेल मैक्रों की आलोचना करते हुए कहा कि 'आगे के लिए ध्रुवीकरण और हाशिए पैदा करना, अनिवार्य रूप से कट्टरता की ओर लेकर जाता है।' खान मैक्रों के 21 अक्टूबर के बयान का जिक्र कर रहे थे, जिसमें उन्होंने कहा कि 'फ्रांस कार्टून को लेकर हार नहीं मानेगा।' उन्होंने यह टिप्पणी सैमुअल पैटी को श्रद्धांजलि देते हुए की थी।
गौरतलब है कि सैमुअल पैटी की इस महीने पैगंबर मुहम्मद का कार्टून दिखाने को लेकर सिर काट कर हत्या कर दी गई थी।
पाकिस्तान के प्रधानमंत्री ने कई ट्वीट के माध्यम से कहा, "एक नेता की पहचान इंसानों को एकजुट करना है, जैसा कि (नेल्सन) मंडेला ने किया था, न कि उन्हें विभाजित करना। लेकिन एक आज का समय है, जब राष्ट्रपति मैक्रों देश से रेसिज्म, ध्रुवीकरण हटाने की बजाय अतिवादियों को हीलिंग टच और अस्वीकृत स्थान देने में लगे हैं, जो निश्चित रूप से उनकी कट्टरवादी सोच को दिखाता है।"
उन्होंने आगे कहा, "यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि वह हिंसा करने वाले आतंकवादियों, भले ही वह मुसलमान, श्वेत वर्चस्ववादी या नाजी विचारक वाला हो, उस पर हमला करने के बजाय इस्लाम पर हमला करके इस्लामोफोबिया को प्रोत्साहित कर रहे हैं।"
उन्होंने आगे कहा, "अफसोस की बात है कि राष्ट्रपति मैक्रों इस्लाम और हमारे पैगंबर को निशाना बनाने वाले ईशनिंदा कार्टून के प्रदर्शन को बढ़ावा दे रहे हैं अपने स्वयं के नागरिकों सहित मुसलमानों को जानबूझकर भड़कने पर मजबूर कर रहे हैं।"
इमरान खान ने आगे कहा, "बिना इस्लाम को सही तरह से जाने उस पर हमला करके राष्ट्रपति मैक्रों ने यूरोप और दुनियाभर में लाखों मुसलमानों की भावनाओं पर हमला किया और उन्हें चोट पहुंचाई।"
उन्होंने आगे कहा, "आखिरी चीज जिसे दुनिया चाहती है या जरूरत है, वह और अधिक ध्रुवीकरण है। अज्ञानता पर आधारित सार्वजनिक बयान अधिक नफरत, इस्लामोफोबिया के साथ चरमपंथियों के लिए जगह बनाएंगे।"
डॉन न्यूज की रिपोर्ट के अनुसार, इसके अलावा खान ने रविवार को सोशल मीडिया, फेसबुक को इस्लामोफोबिया पर प्रतिबंध लगाने और इस्लाम के खिलाफ नफरत फैलाने वालों पर प्रतिबंध लगाने के लिए भी लिखा।
---आईएएनएस
फ्रांस ,26 अक्टूबर | कोरोना महामारी की शुरुआत से अब तक फ्रांस में कभी एक दिन के अंदर इतने सारे मामले दर्ज नहीं किए गए थे. रविवार का डाटा दिखाता है कि टेस्ट किए गए कुल लोगों में से 17 फीसदी पॉजिटिव पाए गए. एक महीना पहले यह संख्या 7 फीसदी थी. रविवार को संक्रमित लोगों का आंकड़ा 52,010 रहा. लेकिन महामारी विशेषज्ञों का कहना है कि क्योंकि सब लोग खुद को टेस्ट नहीं करा रहे हैं और जिन लोगों में संक्रमण के लक्षण नहीं हैं, उनका भी कोई डाटा मौजूद नहीं है, इसलिए असली संख्या एक लाख से अधिक हो सकती है
अब तक फ्रांस में संक्रमण के कुल 11,38,507 मामले दर्ज किए जा चुके हैं और 34,700 लोग इस वायरस के कारण अपनी जान गंवा चुके हैं. शुक्रवार से ही देश के एक बड़े हिस्से में रात का कर्फ्यू घोषित किया गया है. लोग सिर्फ तब ही बाहर निकल सकते हैं अगर उनके पास कोई ठोस वजह हो. दुनिया भर में कोविड के नए मामलों में आधे यूरोप से हैं. सर्दियों की शुरुआत के साथ ही यहां हालात और बिगड़ने का अंदेशा है.
स्पेन में आपातकाल घोषित
स्पेन के प्रधानमंत्री पेद्रो सांचेज ने देश में इमरजेंसी घोषित कर दी है और रात का कर्फ्यू लगा दिया है. ये नियम स्पेन के कैनेरी द्वीपों पर भी लागू होंगे. कर्फ्यू की घोषणा करते हुए सांचेज ने कहा, "हम एक बेहद बुरे दौर का सामना कर रहे हैं." कर्फ्यू के तहत रात 11 से सुबह 6 बजे तक लोगों को बाहर निकलने की अनुमति नहीं होगी. यह कर्फ्यू मई 2021 तक जारी रहेगा.
इसी तरह इटली में भी थिएटर, सिनेमा, जिम, रेस्तरां और बार के लिए नए नियम लाए गए हैं. साल की शुरुआत में लगे लॉकडाउन के बाद से यूरोप के देशों की अर्थव्यवस्था पहले ही बुरी हालत में हैं. साथ ही लोग भी नियमों से ऊब गए हैं. ऐसे में कई जगहों पर इन नियमों के खिलाफ प्रदर्शन हो रहे हैं. इटली की राजधानी रोम में उग्रदक्षिणपंथी गुटों ने कर्फ्यू के खिलाफ रात में सड़कों पर प्रदर्शन किए. पुलिस ने उन्हें रोकने की कोशिश की तो उन्होंने आगजनी की और सरकारी संपत्ति को नुकसान पहुंचाया. स्पेन और इटली में रोजाना औसतन 20 हजार नए मामले दर्ज किए जा रहे हैं.
बहुत, बहुत मुश्किल वक्त है: मैर्केल
कुछ ऐसा ही जर्मन राजधानी बर्लिन में भी देखा गया जहां करीब 2,000 लोग प्रदर्शन करने के लिए सड़कों पर निकले. इन प्रदर्शनों के दौरान सोशल डिस्टेंसिंग का पालन तो नहीं ही हुआ, बहुत से लोगों ने मास्क भी नहीं पहनने का फैसला किया. इस दौरान लोग "हमें हमारी आजादी वापस चाहिए" के नारे लगाते देखे गए. प्रदर्शनकारियों में ना केवल युवा, बल्कि वृद्ध लोग भी थे. साथ ही बच्चों समेत परिवारों ने भी इनमें हिस्सा लिया. इससे पहले 10,000 लोगों की एक और रैली की भी योजना थी लेकिन पुलिस ने यह कह कर आयोजन नहीं होने दिया कि प्रदर्शन करने के लिए भी कोरोना के नियमों का पालन करना जरूरी है.
जर्मन चांसलर अंगेला मैर्केल ने रविवार शाम मंत्रियों के साथ वीडियो कॉन्फ्रेंस के दौरान कहा, "हमारे सामने बहुत, बहुत ही मुश्किल महीने हैं." जर्मन अखबार बिल्ड में छपी खबर के अनुसार मैर्केल बैठक के दौरान बेहद चिंतित नजर आईं. उन्होंने गर्मियों की छुट्टियों के लिए देश के बाहर जाने वालों को बढ़ती संक्रमण दर के लिए जिम्मेदार बताया. मैर्केल ने साफ कहा कि कम से कम फरवरी तक जर्मन लोग किसी भी तरह के उत्सव नहीं मना पाएंगे. जर्मनी में क्रिसमस के दौरान अकसर लोग अपने परिवारों से मिलने जाते हैं. मौजूदा हालात को देखते हुए लगता है कि दिसंबर तक क्रिसमस से जुड़े नए नियम लागू किए जाएंगे.(DW.COM)
चिली,26 अक्टूबर | संविधान दोबारा लिखे जाने पर हुए जनमतसंग्रह में 78.24 यानी दो तिहाई से ज्यादा लोगों ने नए संविधान का समर्थन किया. 21.76 फीसदी लोग अब भी मौजूदा संविधान के पक्ष में हैं. यह आंकड़े लिए जाने तक 90.78 फीसदी वोटों की गिनती हो चुकी थी.
राष्ट्रपति सेबास्टियन पिन्येरा की रुढ़िवादी सरकार कई हफ्तों के प्रदर्शनों के दबाव में इस जनमत संग्रह के लिए तैयार हुई. प्रदर्शन करने वाले लोग बेहतर शिक्षा, ऊंची पेंशन और नवउदारवादी आर्थिक नीतियों को खत्म करने की मांग कर रहे थे.
जनमत संग्रह का नतीजा
स्थानीय टीवी चैनलों परआई तस्वीरों में भारी भीड़ को जश्न मनाते देखा जा सकता है. जनमत संग्रह के लिए करीब एक करोड़ 40 लाख चिलीवासी इसमें वोट डालने के योग्य थे. इसमें दो सवाल पूछे गए थेः क्या संविधान को दोबारा लिखा जाना चाहिए अगर हां तो यह काम किसे करना चाहिए.
मतदाताओं को दो विकल्प दिए गए थे एक तो लोगों के द्वारा चुनी हुई संवैधानिक परिषद के जरिए या फिर एक ऐसी मिली जुली परिषद के जरिए जिसमें आधे संसदीय प्रतिनिधि हों और आधे आम लोगों में से चुने गए प्रतिनिधि. करीब 79 फीसदी चिलीवासियों ने पूरी तरह से चुनी हुई परिषद के प्रति समर्थन जताया है जबकि 21 फीसदी लोगों ने दूसरे विकल्प को चुना है.
राष्ट्रपति पिन्येरा ने रविवार शाम कहा कि चिलीवासियों ने "स्वतंत्र रूप से अपनी इच्छा जताई है" और नए संविधान पर सहमति बनाने के लिए चुने हुए नागरिकों की संवैधानिक परिषद का चुनाव किया है.
विरोध प्रदर्शनों की आंच
चिली लैटिन अमेरिका के सबसे अधिक असमानता वाले देशों में है. चिली में मौजूद असमानताओं को लेकर 2019-20 में हिंसक विरोध प्रदर्शन हुए. संविधान बदलने के मुद्दे पर जनमत संग्रह पहले इसी साल अप्रैल में होने वाला था लेकिन कोरोना महामारी की वजह से इसे टाल दिया गया. महामारी के कारण कुछ हफ्तों के लिए विरोध प्रदर्शन बंद हुए थे लेकिन फिर शुरू हो गए.
अक्टूबर 2019 से इस साल फरवरी के बीच विरोध प्रदर्शनों में कम से कम 30 लोगों की मौत हुई. चुनाव से एक हफ्ते पहले ही देश में कई जगहों पर भारी दंगे हुए और चर्चों को आग लगाया गया. विरोध प्रदर्शन शुरू होने के एक साल पूरा होने पर हजारों लोग सड़कों पर उतर आए. इन विरोध प्रदर्शनों में हिंसा के कारण बहुत से लोगों की आंखें चली गईं तो कोई बुरी तरह घायल हुआ.
मौजूदा संविधान
मौजूदा संविधान सैन्य तानाशाह आगुस्तो पिनोचेट (1973-90) के दौर में लिखा गया. नया संविधान पिनोचेट के तानाशाही शासन से देश को पूरी तरह से अलग कर देगा. विश्लेषकों के मुताबिक तानाशाही के उस दौर में 3000 से ज्यादा लोग मारे गए, हजारों लोगों को काल कोठरी में डाला गया और प्रताड़ित किया गया.
हालांकि चिलीवासी 1980 में बने मौजूदा संविधान को लेकर बंटे हुए थे. इसे पहले ही कई बार संशोधित किया जा चुका है. बहुत से लोगों का मानना है कि संविधान में बदलाव देश को ज्यादा लोकतांत्रिक और अस्थिर बनाएगा. वामपंथी विश्लेषकों का कहना है कि वर्तमान संविधान में ऐसे प्रावधान हैं जो असमानता को बढ़ावा देते हैं . इनमें संपत्ति के अधिकारों को वरीयता, सेवा के क्षेत्र में निजी कंपनियों की मजबूत भूमिका और प्रमुख कानूनों को बदलने में मुश्किल प्रमुख रूप से शामिल है.
ये लोग चाहते हैं कि नया संविधान सरकार की सामाजिक भूमिका को बढ़ाए. रोजगार, स्वास्थ्य सेवा और शिक्षा का अधिकार मिले. इसके साथ ही देसी लोगों के सांस्कृतिक और भूमि अधिकार को मान्यता दी जाए. विरोध करने वाले लोग मुख्य रूप से रुढ़िवादी हैं. उनकी दलील है कि बदलावों से देश का आर्थिक मॉडल खतरे में पड़ जाएगा जिसने तेज विकास और तुलनात्मक रूप से स्थिरता दी है.(DW.COM)
जापान,26 अक्टूबर | इससे पहले जापान ने कहा था तय तारीख के बजाय वह जल्द ही कार्बन न्यूट्रल देश होगा लेकिन अब उसने 2050 तक अपना लक्ष्य तय कर लिया है. यह लक्ष्य यूरोप से भी मेल खाता है. गौरतलब है कि पिछले साल यूरोपीय संघ ने समझौता किया था कि साल 2050 तक यूरोपीय संघ के सदस्य देश कार्बन न्यूट्रल हो जाएंगे. इस डील के मुताबिक अर्थव्यवस्था की कायापलट कर 2050 तक कार्बन उत्सर्जन को शून्य करने का लक्ष्य था. ईयू का 2050 के लिए तय किया गया लक्ष्य 2015 में हुए पेरिस जलवायु समझौते के तहत है.
प्रधानमंत्री बनने के बाद पहली बार संसद को अपनी नीतियों के बारे में बताते हुए सुगा ने कहा, "जलवायु परिवर्तन पर प्रतिक्रिया देना अब आर्थिक विकास में अड़चन नहीं है. हमें अपनी सोच को उस नजरिये से बदलने की जरूरत है कि जलवायु के खिलाफ मुखर उपायों से परिवर्तन को बढ़ावा मिलेगा और औद्योगिक संरचना और अर्थव्यवस्था में विकास होगा."
जापान दुनिया का पांचवां सबसे बड़ा कार्बन डाइऑक्साइड उत्सर्जन करने वाला देश है और अब वहां नवीकरणीय ऊर्जा को बढ़ावा देने के लिए कदम उठाए जा रहे हैं साथ ही कोयले से बिजली बनाने के नए प्लांट भी खोलने की योजना बन रही है. सुगा का कहना है कि इन लक्ष्यों को हासिल करने करने नए सौर सेल्स और कार्बन रिसाइक्लिंग अहम भूमिका निभाएंगे और जापान इस क्षेत्र में रिसर्च और डेवलेपमेंट में जोर देगा. शिंजो आबे की जगह लेने के बाद वे समाज को डीजिटल करने के भी लक्ष्य पर भी काम कर रहे हैं.
पड़ोसी देश चीन के साथ जापान के गहरे आर्थिक संबंधों पर बोलते हुए सुगा ने कहा कि एक स्थिर द्विक्षीय संबंध जरूरी है. लेकिन उन्होंने साथ ही कहा, "जापान समान विचारधारा वाले देशों के साथ स्वतंत्र और खुले प्रशांत महासागर के लिए संपर्क बनाए रखेगा."
पिछले हफ्ते ही सुगा पद संभालने के बाद पहली बार वियतनाम और इंडोनेशिया के दौरे पर गए थे, ऐसा उन्होंने दक्षिणपू्र्व एशियाई देशों के साथ संबंध बेहतर बनाने के इरादे से किया था. दक्षिण चीन सागर में चल रहे विवाद को लेकर भी सुगा पहले से ही सतर्क हैं. अपनी चार-दिवसीय यात्रा के दौरान सुगा ने वियतनाम के प्रधानमंत्री न्यूएन श्वान फुक और इंडोनेशिया में राष्ट्रपति जोको विडोडो उर्फ जोकोवी से मुलाकात की थी. संसद को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा, "हम उच्च स्तरीय अवसरों का इस्तेमाल निर्णायक रूप से अपनी बात कहने के लिए करेंगे और आम सहमति वाले मुद्दों पर संपर्क बनाए रखेंगे."(DW.COM)
वॉशिंगटन, 26 अक्टूबर| अमेरिकी स्पेस एजेंसी नासा की तरफ से सोमवार को रहस्यमयी चांद को लेकर एक रोमांचक घोषणा की जानी है। नैशनल एरोनॉटिक्स एंड स्पेस एडमिनिस्ट्रेशन उर्फ नासा ने कहा है कि इन्फ्रारेड एस्ट्रोनॉमी (एसओएफआईए) के लिए स्ट्रेटोस्फेरिक ऑब्जर्वेटरी से हुई खोज का सोमवार दोपहर को 12 बजे ईस्टर्न टाइम जोन (भारतीय समयानुसार रात 9.30 बजे) मीडिया टेलीकांफ्रेंस में अनावरण किया जाएगा।
साल 2024 में नासा चांद की सतह पर एक पुरूष और पहली बार किसी महिला को भेजने की तैयारी में जुटा है और उनके इस अनावरण के कहीं न कहीं इसी से संबंधित होने के आसार हैं।
एक लंबे समय बाद नासा फिर से चंद्रमा की सतह पर इंसान की वापसी पर प्रयासरत है और साथ ही एजेंसी साल 2030 तक मंगल ग्रह पर भी इंसानों के पहुंचने का लक्ष्य बना रहा है।
एजेंसी की ओर से एक बयान में कहा गया, "अंतरिक्ष को लेकर नासा के गहन अध्ययन द्वारा समर्थित यह खोज चांद को लेकर उसके जानने के प्रयासों में योगदान देती है।" (आईएएनएस)
लाहौर, 26 अक्टूबर| पाकिस्तान की पहली मेट्रो ट्रेन सेवा ऑरेंज लाइन ने लाहौर में अपना कमर्शियल ऑपरेशन शुरू कर दिया है। समाचार एजेंसी सिन्हुआ की रिपोर्ट के मुताबिक, चीन-पाकिस्तान आर्थिक गलियारे (सीपीईसी) के तहत एक प्रारंभिक परियोजना के रूप में ऑरेंज लाइन का निर्माण चीन की स्टेट रेलवे ग्रुप कंपनी लिमिटेड और चीन नॉर्थ इंडस्ट्रीज कॉरपोरेशन ने किया है।
निर्माण के 5 साल के दौरान ऑरेंज लाइन से 7 हजार से अधिक स्थानीय लोगों को रोजगार मिला और अब संचालन-रखरखाव से 2 हजार लोगों को रोजगार मिलेगा।
रविवार को इसके उद्घाटन के मौके पर पंजाब के मुख्यमंत्री सरदार उस्मान बुजदार ने कहा कि ऑरेंज लाइन पहली ईको-फ्रेंडली परिवहन परियोजना है जो लाहौर के लोगों को विश्व स्तरीय यात्रा सुविधाएं प्रदान करेगी।
चीनी वाणिज्यदूत लोंग डिंगबिन ने कहा कि ऑरेंज लाइन सीपीईसी की एक और बड़ी उपलब्धि है और यह लाहौर में यातायात की स्थिति को बेहतर करेगा।
ट्रेनों के 27 सेट चलेंगे जो रोजाना ढाई लाख यात्रियों को आरामदायक, सुरक्षित और किफायती यात्रा सुविधा देंगे। (आईएएनएस)
पेरिस, 26 अक्टूबर| फ्रांस ने एक दिन में सबसे अधिक कोविड-19 मामलों का एक नया रिकॉर्ड बनाया है। यहां पिछले 24 घंटों में कोरोनावायरस के 52,010 नए मामले सामने आए हैं। फ्रांस के स्वास्थ्य अधिकारियों ने ये जानकारी दी। समाचार एजेंसी सिन्हुआ के मुताबिक, शनिवार के रिकॉर्ड 45,422 मामलों के बाद रविवार का आंकड़ा आया, जो कि 52,010 है।
महामारी की शुरूआत के बाद से, फ्रांस में अब तक कुल 1,138,507 कोरोनावायरस मामले दर्ज किए जा चुके हैं।
23 अक्टूबर को, स्पेन के बाद दस लाख से अधिक मामले दर्ज करने वाला फ्रांस यूरोप का दूसरा देश बन गया।
आधिकारिक आंकड़ों से पता चला कि रविवार को भी देश में 116 नई मौतों की सूचना दी गई, जिसके बाद मरने वालों की संख्या 34,761 हो गई।
इसके अलावा, वायरस के लिए परीक्षण किए गए लोगों में से 17 प्रतिशत लोग पॉजिटिव पाए गए हैं।
महामारी की चल रही दूसरी लहर ने फ्रांस सरकार को देश भर के अधिकांश क्षेत्रों में कर्फ्यू सहित कड़े प्रतिबंधात्मक उपाय लागू करने के लिए मजबूर कर दिया है।
फ्रांसीसी आबादी के दो तिहाई से अधिक या लगभग चार करोड़ 60 लाख लोगों से रात 9 बजे और सुबह 6 बजे के बीच 6 हफ्ते के लिए घर में ही रहने का अनुरोध किया गया है। (आईएएनएस)
ओटावा, 26 अक्टूबर| कनाडा की मुख्य सार्वजनिक स्वास्थ्य अधिकारी थेरेसा टैम ने देश के सभी निवासियों से आग्रह किया है कि वे कोरोनावायरस की दूसरी लहर के बीच बड़ी सभाओं और पार्टियों से बचें। समाचार एजेंसी सिन्हुआ की रिपोर्ट के अनुसार, रविवार को एक बयान में टैम ने कहा कि "अभी बड़ी सभाओं की मेजबानी करने या उनमें शामिल होने का समय नहीं है"।
कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो ने कहा कि देश में कोविड की दूसरी लहर शुरू हो गई है, यहां लगातार नए मामले बढ़ रहे हैं।
कनाडा में रविवार दोपहर तक कुल 2,16,104 कोविड-19 मामले और 9,946 मौतें दर्ज हो चुकी थीं। कनाडा के विशेषज्ञों ने कहा कि इन रिकॉर्ड तोड़ मामलों के पीछे की वजह हाल ही में हुए समारोह, प्रतिबंधों में कमी और परीक्षणों की संख्या में बढ़ोतरी शामिल है।
कनाडा का क्यूबेक प्रांत महामारी का केंद्र बना हुआ है, यहां रविवार को मामलों की संख्या 1 लाख को पार कर गई। टैम ने कहा है कि सर्दियों में समस्या और बढ़ सकती है। (आईएएनएस)
सैन फ्रांसिस्को, 26 अक्टूबर। क्रोम ओएस पर कथित तौर पर डार्क मोड सुविधा दी गई है, जो आंखों के तनाव को कम करने और सामान्य पठनीयता के कारण अधिक मांग में है। गूगल के एक्सपेरिमेंटल कैनरी चैनल में स्पॉट किए गए एंड्रॉइड सेंट्रल ने बताया कि क्रोम ओएस के कैनरी वर्जन में क्रोम ओएस के डार्क मोड का एक एक्सपेरिमेंटल वर्जन है।
रिपोर्ट में रविवार को कहा गया है कि यह सिर्फ गूगल के 'ब्लीडिंग एज' ब्राउजर के डेवलपर मोड के जरिए एक्सेस किया जा सकता है, लेकिन ऐसा संकेत मिला है कि इसके जल्द ही व्यापक रोलआउट को लेकर विचार किया जा रहा है।
वर्तमान में डार्क मोड सेटिंग के भीतर कुछ बग हैं, जिसे लेकर परीक्षण किया जा रहा है।
गूगल ने जीमेल और गूगल कैलेंडर सहित अपनी कई सेवाओं के लिए डार्क मोड को रोल आउट किया है, इसलिए यह क्रोम ओएस के लिए भी इसे रोल आउट करने की तैयारी में है।
पिछले कुछ सालों में डार्क मोड किसी भी ओएस के लिए अधिक मांग में रहा है।
गूगल ने पिछले सप्ताह नेस्ट हब जैसे अपने सहायक-संचालित स्मार्ट डिस्प्ले के लिए डार्क मोड पेश किया।
कंपनी ने कहा, "डार्क थीम इंटरफेस की रंग को बदल देती है और प्रकाश उत्सर्जन को कम कर देती है, इसलिए यह रात में आंखों के लिए सहज होता है।" (आईएएनएस)
न्यूयॉर्क, 26 अक्टूबर| पॉप स्टार अनन्या बिड़ला ने आरोप लगाया है कि कैलिफोर्निया में एक सेलिब्रिटी शेफ के रेस्तरां ने उन्हें और उनके परिवार को बार निकाल कर फेंक दिया। उन्होंने शनिवार को एक ट्वीट में कहा, "इस रेस्तरां स्कोपा ने सचमुच मेरे परिवार को और मुझे अपने परिसर से बाहर निकाल दिया। बहुत नस्लीय। बहुत दुखद। आपको वास्तव में अपने ग्राहकों के साथ सही व्यवहार करने की जरूरत है। यह ठीक नहीं है।"
रविवार आधी रात तक ट्वीट को 617 लाइक मिल चुके थे।
एक अन्य ट्वीट में, भारतीय उद्योगपति कुमार मंगलम बिड़ला की बेटी व गायिका ने कहा कि "हमने आपके रेस्तरां में खाने के लिए तीन घंटे इंतजार किया।"
ट्वीट में सेलिब्रिटी शेफ एंटोनिया लोफासो को संबोधित करते हुए, अनन्या बिड़ला ने कहा कि उनके वेटरों में से एक, ने मेरी मां के लिए अभद्रता की।
लोफासो की वेबसाइट के अनुसार, उन्होंने 2013 में स्कोपा खोला।
लोफासो ने 'टॉप शेफ : ऑल स्टार्स' और एबीसी नेटवर्क के सिटकॉम 'रियल ओ'नील्स' में नजर आ चुकी है।
आईएएनएस ने प्रतिक्रिया के लिए जब रेस्तरां से संपर्क किया तो एक पार्टनर पाब्लो मोइक्सने वापस फोन किया और सटीकता सुनिश्चित करने के लिए प्रतिक्रिया को लेकर ईमेल के जरिए रिक्वेस्ट करने के लिए कहा।
लेकिन रविवार मध्यरात्रि तक, कोई प्रतिक्रिया नहीं मिली।
अनन्या बिड़ला की मां नीरजा ने एक ट्वीट में कहा, "बहुत चौंकाने वाला .. स्कोपा रेस्तरां द्वारा बिल्कुल हास्यास्पद व्यवहार। आपको इस तरह से अपने किसी भी ग्राहक के साथ व्यवहार करने का कोई अधिकार नहीं है।"
अनन्या के भाई आर्यमानने ट्वीट किया, "मैंने इस तरह का कभी भी अनुभव नहीं किया था। नस्लवाद मौजूद है और वास्तविक है। अविश्वसनीय।"
अरबपति की बेटी के ट्वीट पर प्रतिक्रिया देते हुए कई लोगों ने सुझाव दिया कि वह रेस्तरां खरीद लें।
उसने अपने प्रशंसकों के लिए एक संदेश ट्वीट किया, "मैं आप सभी से बहुत प्यार करती हूं (दिल से) आप सभी अच्छे हैं। हमेशा मेरी रक्षा करने के लिए धन्यवाद। आज का दिन कुछ जादू करने के लिए एक नया दिन है। नया गाना जल्द ही आ रहा है।" (आईएएनएस)
पैगंबर मोहम्मद का कार्टून दिखाने वाले फ़्रांस के एक शिक्षक की हत्या के बाद राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों के बयानों ने कई मुस्लिम देशों को नाराज़ कर दिया है.
मैक्रों ने अपने बयान में कट्टरपंथी इस्लाम की आलोचना की थी और शिक्षक की हत्या को 'इस्लामिक आतंकवादी हमला' कहा था.
कई अरब देशों ने फ़्रांस के सामानों का बहिष्कार करना शुरू कर दिया है. कुवैत, जॉर्डन और क़तर की कुछ दुकानों से फ़्रांस के सामान हटा दिए गए हैं. वहीं लीबिया, सीरिया और ग़ज़ा पट्टी में फ़्रांस के ख़िलाफ़ प्रदर्शन हुए हैं.
फ़्रांस के विदेश मंत्रालय ने कहा है कि 'बहिष्कार की बेबुनियाद' बातें अल्पसंख्यक समुदाय का सिर्फ़ एक कट्टर तबका ही कर रहा है.
ये विरोध पैगंबर मोहम्मद का विवादित कार्टून कक्षा में दिखाने वाले एक शिक्षक की हत्या के बाद मैक्रों की टिप्पणियों को लेकर है.
मैक्रों पैगंबर मोहम्मद के विवादित कार्टून को दिखाने का ये कहते हुए बचाव कर रहे हैं कि एक ख़ास समुदाय की भावनाओं की वजह से अभिव्यक्ति की आज़ादी को ताक पर नहीं रखा जा सकता. उनका कहना है कि ये धर्मनिरपेक्ष फ़्रांस की एकता को कम करता है.
राष्ट्रपति मैक्रों ने इस महीने की शुरुआत में शिक्षक की हत्या से पहले ही फ्रांस में "इस्लामिक अलगाववाद" से निपटने के लिए कड़े क़ानून बनाने की घोषणा की थी. उस समय उन्होंने कहा था, "डर है कि फ़्रांस की क़रीब 60 लाख मुस्लिमों की आबादी समाज की मुख्यधारा से अलग-थलग पड़ सकती है." साथ ही उन्होंने इस्लाम को एक ऐसा धर्म बताया था, जो 'संकट में' है.
मैक्रों के बयानों की काफ़ी आलोचना हुई है. तुर्की और पाकिस्तान ने मैक्रों पर आरोप लगाया है कि वो 'आस्था की स्वतंत्रता' का सम्मान नहीं कर रहे हैं और फ़्रांस के लाखों मुसलमानों को हाशिए पर धकेल रहे हैं.
रविवार को तुर्की के राष्ट्रपति रेचेप तैय्यप अर्दोआन ने मैक्रों को इस्लाम के बारे में उनकी सोच की वजह से "दिमागी इलाज" कराने का सुझाव दिया.
अर्दोआन की इस टिप्पणी के बाद फ़्रांस ने तुर्की स्थित अपने राजदूत को सलाह के लिए बुलाया था.
फ़्रांस के सामान का बहिष्कार कितना बड़ा है?
रविवार को जॉर्डन, क़तर और कुवैत के कुछ सुपरमार्केट में फ़्रांस के सामान हटा दिए गए. मिसाल के तौर पर फ़्रांस में बने हेयर और ब्यूटी प्रोडक्ट दुकानों में नहीं दिखे. कुवैत में एक बड़े रिटेल यूनियन ने फ़्रांस के सामानों के बहिष्कार का आदेश दिया था. उपभोक्ता सहकारी समितियों के ग़ैर-सरकारी संघ ने कहा कि उसने पैगंबर मोहम्मद के 'बार-बार हुए अपमान' के जवाब में ये निर्देश जारी किए हैं. एक बयान में फ़्रांस के विदेश मंत्रालय ने कहा है कि 'बहिष्कार की बेबुनियाद' बातें अल्पसंख्यक समुदाय का एक अतिवादी तबका ही कर रहा है और बहिष्कार को तुरंत रोका जाना चाहिए.
सऊदी अरब में भी सोशल मीडिया के ज़रिए बहिष्कार का ऐसा ही आह्वान किया जा रहा है. अरब दुनिया की सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था, सऊदी अरब में फ़्रांस के सुपरमार्केट चेन कैरेफोर के बहिष्कार की मांग वाला हैशटैग दूसरे नंबर पर ट्रेंड कर रहा था. इस बीच लीबिया, ग़ज़ा और उत्तरी सीरिया में भी फ़्रांस विरोधी छोटे प्रदर्शन हुए. इन इलाक़ों में तुर्की समर्थित मिलिशिया का नियंत्रण है.
पाकिस्तान ने क्या कहा?
तुर्की के राष्ट्रपति ने एक भाषण में सवाल किया था: "मैक्रों नाम के व्यक्ति को इस्लाम और मुस्लिमों से क्या समस्या है?" वहीं पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान ख़ान ने फ़्रांस के नेता पर आरोप लगाया कि "वो इस्लाम की किसी स्पष्ट समझ के बिना ही इस्लाम पर हमला कर रहे हैं." उन्होंने एक ट्वीट में कहा, "राष्ट्रपति मैक्रों ने यूरोप और दुनिया भर के लाखों मुसलमानों की भावनाओं पर हमला किया है और उन्हें चोट पहुँचाई है."
इमरान ख़ान ने रविवार को फ़ेसबुक के प्रमुख मार्क ज़करबर्ग को पत्र लिखकर अपने सोशल मीडिया प्लेटफ़ॉर्म से इस्लाम विरोधी सामग्री हटाने और इस तरह की सामग्री की पोस्टिंग पर प्रतिबंध लगाने की अपील की.
प्रधानमंत्री कार्यालय की ओर से जारी प्रेस विज्ञप्ति के मुताबिक़, इमरान ख़ान ने ज़करबर्ग से कहा है, "वो फ़ेसबुक पर बढ़ते इस्लामोफ़ोबिया की ओर उनका ध्यान आकर्षित कराना चाहते हैं, जो वैश्विक स्तर पर नफ़रत, अतिवाद और हिंसा फैला रहा है."
इमरान का ये पत्र उसी दिन सामने आया, जब उन्होंने फ़्रांस के राष्ट्रपति पर "इस्लाम पर हमला" करने का आरोप लगाया. रविवार को इमरान ख़ान ने कई ट्वीट कर कहा कि मैक्रों के बयान विभाजन पैदा करेंगे.
इमरान ने लिखा, "ये ऐसा वक़्त है, जब राष्ट्रपति मैक्रों को संवेदनशीलता के ऐसे मुद्दों को सुलझाना चाहिए था और अतिवादियों को अस्वीकार करना चाहिए था, बजाए इसके कि वो ध्रुवीकरण और हाशिए पर धकेलने का काम करें, जिससे कट्टरता और बढ़ेगी." साथ ही उन्होंने कहा, "ये दुर्भाग्यपूर्ण है कि उन्होंने हिंसा करने वाले आतंकवादियों, चाहे वो मुस्लिम हों, गोरे हों या नाज़ी विचारधारा के हों, उनकी आलोचना करने की बजाए, इस्लाम पर हमला कर इस्लामोफ़ोबिया को बढ़ावा देना चुना."
वहीं फ़्रांस के राष्ट्रपति मैक्रों ने एक ट्वीट कर कहा है कि 'हम कभी हार नहीं मानेंगे.' उन्होंने लिखा, "हम शांति की भावना रखने वाली सभी असहमतियों का सम्मान करते हैं. हम नफ़रत वाले भाषणों को स्वीकार नहीं करते और उचित बहस का बचाव करते हैं. हम हमेशा मानवीय गरिमा और मूल्यों के लिए खड़े रहेंगे."
मैक्रों के इस ट्वीट को नुक़सान की भरपाई की उनकी कोशिश के तौर पर भी देखा जा रहा है. उन्होंने यही ट्वीट अंग्रेज़ी के साथ-साथ अरबी भाषा में भी किया है. इससे पहले उन्होंने फ़्रेंच में भी कई ट्वीट किए थे, जिनमें से एक में उन्होंने लिखा है, "हमारा इतिहास अत्याचार और कट्टरपंथ के ख़िलाफ़ संघर्ष का है. हम जारी रखेंगे." (bbc.com)
वाशिंगटन, 26 अक्टूबर (आईएएनएस)| अमेरिकी विदेश विभाग ने घोषणा की है कि सोमवार को विवादित नागोर्नो-काराबाख क्षेत्र में एक मानवीय संघर्ष विराम लागू होगा। आर्मेनिया और अजरबैजान के बीच अमेरिका की मध्यस्थता के बाद युद्धविराम संधि के लिए सहमत होने के बाद ये लागू हो रहा है। रविवार को एक बयान में, विभाग ने कहा कि युद्धविराम सोमवार सुबह सुबह 8 बजे (स्थानीय समयानुसार) से प्रभावी होगा।
इसने कहा, "अमेरिका ने आर्मेनिया और अजरबैजान को नागोर्नो-काराबाख संघर्ष के शांतिपूर्ण समाधान के करीब ले जाने के लिए विदेश मंत्रियों और मिन्स्क समूह के सह अध्यक्षों के बीच गहन बातचीत करने में भूमिका निभाई।"
अजरबैजान के विदेश मंत्री जेहुन बेरामोव और आर्मेनियाई विदेश मंत्री जोहराब मनात्सकनयान ने 23 अक्टूबर को वाशिंगटन में अमेरिकी विदेश मंत्री माइक पोम्पियो से मुलाकात की, जिसके बाद ये प्रगति देखने को मिली है।
बैठकों के दौरान, पोम्पियो ने हिंसा समाप्त करने और नागरिकों की रक्षा करने का आग्रह किया था। (आईएएनएस)
क्वेटा(पाकिस्तान), 26 अक्टूबर।(एएनआई)| पाकिस्तान के 11 विपक्षी दलों ने रविवार को क्वेटा में सरकार के खिलाफ तीसरी बड़ी रैली आयोजित की। इस रैली में पाकिस्तान के पूर्व प्रधानमंत्री नवाज शरीफ ने करगिल युद्ध को लेकर कई अहम दावे किए। शरीफ ने कहा कि साल 1999 में हुए भारत-पाकिस्तान के बीच करगिल युद्ध के पीछे की वजह कुछ जनरल थे, नाकि पाकिस्तानी सेना। शरीफ ने कहा कि इस दौरान उनके सैनिकों के पास हथियार भी नहीं थे।
रैली में लंदन से वीडियो लिंक के जरिए जुड़े नवाज शरीफ ने कहा कि करगिल युद्ध, जिसमें हमारे कई जवानों की मौत हुई और दुनिया के सामने पाकिस्तान बदनाम हुआ, उसके पीछे सेना का हाथ नहीं था, बल्कि कुछ जनरल जिम्मेदार थे। उन्होंने न सिर्फ सेना, बल्कि देश और पूरे समुदाय को यु्द्ध में ऐसी जगह झोंक दिया, जहां से कुछ भी नहीं हासिल हुआ। उन्होंने कहा, ''वह पल मेरे लिए काफी अफसोसजनक था, जब मुझे मालूम हुआ कि हमारे जवानों को बिना भोजन के चोटियों पर भेज दिया गया। यहां तक कि उनके पास हथियार भी नहीं थे। उन्हें अपने जिंदगी से हाथ धोना पड़ा। लेकिन देश और समुदाय को इससे क्या मिला?''
शरीफ ने कहा कि जो जनरल करगिल युद्ध के पीछे थे, उन्होंने अपने कार्यों को छिपाने और सजा से बचने के लिए मार्शल लॉ घोषित कर दिया। परवेज मुशर्रफ और उनके साथियों ने सेना को व्यक्तिगत फायदे के लिए इस्तेमाल किया और उन्हें अपमानित किया। पाकिस्तानी अखबार डॉन के अनुसार, शरीफ ने आगे कहा कि पीडीएम असंवैधानिक शक्ति जिसने पाकिस्तान को अंदर और बाहर से खोखला बना दिया है, उसके खिलाफ खड़ा हुआ है।
नवाज शरीफ ने अपने भाषण में पीएल-एन नेता रिटायर्ड कैप्टन मोहम्मद सफदर की गिरफ्तारी का भी जिक्र किया और उसे शर्मनाक करार दिया। उन्होंने कहा कि पुलिस अधिकारियों ने कमरे में घुसकर उनकी बेटी मरियम नवाज शरीफ और उनके पति की निजता का उल्लंघन किया। शरीफ ने कहा, ''किसके आदेश पर निजता का उल्लंघन किया गया? अगर प्रांत के मुख्यमंत्री को नहीं पता तो फिर इसके पीछे कौन है?''
'हालात के लिए सेना और आईएसआई जिम्मेदार'
पूर्व प्रधानमंत्री नवाज शरीफ ने लंदन से वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से रैली को संबोधित करते हुए पाकिस्तान के मौजूदा हालात के लिए एक बार फिर सेना प्रमुख बाजवा और आईएसआई प्रमुख हमीद को जिम्मेदार ठहराया। शरीफ ने कहा, आपको 2018 के चुनावों में हुई रिकॉर्ड धांधली पर, संसद में हुई खरीद-फरोख्त पर जवाब देना होगा। वहीं, शरीफ की बेटी और पार्टी उपाध्यक्ष मरियम नवाज ने अपने भाषण में कहा कि पाकिस्तान और बलूचिस्तान के नसीब को बदलने का वक्त आ गया है।
बरेली, 25 अक्टूबर (आईएएनएस)| बरेली के किला पुलिस स्टेशन में हिंदू कार्यकर्ताओं द्वारा अलग-अलग धर्म के लड़के-लड़की की शादी को लेकर जबरदस्त विरोध किए जाने के चार दिन बाद पुलिस ने जोड़े को राजस्थान से हिरासत में ले लिया है और उन्हें वापस उत्तर प्रदेश में ले आई है।
लड़के पर डकैती के साथ-साथ जालसाजी का आरोप लगाया गया है, उस पर फर्जी आधार कार्ड के जरिए पहचान छिपाने का आरोप हैं। उसे एक मजिस्ट्रेट की अदालत में पेश किया गया और न्यायिक हिरासत में भेज दिया गया।
शनिवार को जोड़े को वापस बरेली लाया गया था।
लड़की को मेडिकल जांच के लिए और बाद में आश्रय गृह भेज दिया गया।
लड़की ने कहा कि वह नाबालिग नहीं है और अपने पार्टनर के साथ रहना चाहती थी जो अल्पसंख्यक समुदाय से है। उसने पहचानपत्र भी दिखाया, जिसमें उसकी उम्र 19 साल है।
पुलिस ने कहा कि लड़की अपने घर से 5 लाख रुपये नकद लेकर लड़के के साथ भाग गई थी, जिसमें से 3 लाख रुपये राजस्थान में जिस होटल में दोनों ठहरे थे, वहां से बरामद किया गया।
बरेली के एसएसपी रोहित सिंह सजवान ने कहा कि वे वास्तविक उम्र निर्धारित करने के लिए लड़की के मैट्रिक्युलेशन सर्टिफिकेट का सत्यापन करेंगे। उन्होंने कहा, "उसका बयान मंगलवार को एक मजिस्ट्रेट द्वारा दर्ज किया जाएगा जो उसकी कस्टडी पर फैसला लेगा।"
विहिप और कुछ अन्य संगठनों के सदस्यों ने 20 अक्टूबर को किला पुलिस स्टेशन पर हंगामा किया था, जिसमें उन्होंने कहा था कि यह 'लव जिहाद' का मामला है।
200 से अधिक लोगों के खिलाफ पुलिस स्टेशन के अंदर हंगामा काटने के लिए मामला दर्ज किया गया।
हालांकि, लड़के के परजिनों ने कहा कि दोनों आपसी रिश्ते में थे।
लड़के के एक अंकल ने कहा, "जब दोनों एक-दूसरे से प्यार करते हैं तो यह लव जिहाद का मामला कैसे हो गया? दोनों परिवार उनके रिश्ते के खिलाफ थे और उन्हें अलग करने की कई बार कोशिश की।"
विहिप नेता इस बात पर अड़े थे कि महिलाओं को ऐसे 'लव जिहाद' के मामलों से 'सुरक्षित' रहने की जरूरत है।
विहिप के बरेली इकाई के जिला अध्यक्ष पवन कुमार अरोड़ा ने कहा कि लड़की उस लड़के के जाल में फंस गई, जिसने उसे उसके ही धर्म का होने का ढोंग किया।
उन्होंने कहा कि विहिप 'लव जिहाद' के मामलों के खिलाफ आवाज उठाती रहेगी।
एक संबंधित घटना में, शनिवार को शाहजहांपुर में एक सिख लड़की के दूसरे समुदाय के एक युवक के साथ भागने के बाद विहिप के सदस्यों ने सिख समुदाय के लोगों के साथ, एक अन्य पुलिस थाने का घेराव किया।
इससे पहले, विहिप ने पुलिस को उस लड़की को ढूंढ़ने के लिए 24 घंटे का 'अल्टीमेटम' दिया था, जिसमें उसने दावा किया था कि वह नाबालिग थी।
पुलिस ने कहा कि लड़की के नाबालिग होने के दावे के समर्थन में परिवार ने कोई दस्तावेज नहीं दिया है।
शाहजहांपुर के एसएसपी एस. आनंद ने कहा कि दोनों का पता लगाने के लिए कई टीमों का गठन किया गया है।
एक दोस्त, जिसने जोड़े को भागने में मदद की, को अपहरण के आरोप में गिरफ्तार किया गया, जबकि लड़के के परिवार के एक सदस्य को भी पूछताछ के लिए हिरासत में लिया गया।
सिख पंजाबी महासभा के जिला अध्यक्ष वी.पी. सिंह ने कहा कि अगर लड़की पांच दिनों के अंदर नहीं मिली तो वे राज्यव्यापी विरोध प्रदर्शन शुरू करेंगे।
हालांकि, उन्होंने स्वीकार किया कि लड़का और लड़की पिछले चार वर्षों से एक-दूसरे को जानते थे।
लंदन, 25 अक्टूबर (आईएएनएस)| ब्रिटेन में सरकार ने कोरोनावायरस की वजह से पाबंदियां लगाई है और लंदन में लोग इसका विरोध कर रहे हैं। इसी सिलसिले में यहां शनिवार को कम से कम 18 लोगों को गिरफ्तार किया गया है। बीबीसी की रिपोर्ट के अनुसार, शनिवार को अपने हाथों में प्लेकार्ड लिए लोग बकिंघम पैलेस के बाहर इकट्ठा हो गए गए।
महानगर पुलिस के अनुसार, गिरफ्तारी कई धाराओं में हुई, जिसमें कोविड-19 दिशानिर्देशों की अवहेलना, आपात सेवा के कर्मचारी के साथ मारपीट और हिसक गतिविधि शामिल है।
बीबीसी ने मेट कमांडर एडे अडेलेकन के हवाले से कहा, "आयोजकों ने प्रदर्शनकारियों को सुरक्षित रखने के लिए उचित कदम नहीं उठाए, जिसके बाद उनके लिए जोखिम बढ़ गया। अधिकारियों ने सार्वजनिक सुरक्षा के हित में भीड़ को तितर-बितर करने के लिए कार्रवाई की।"
उन्होंने कहा, "मैं आभारी हूं कि ज्यादातर लोगों ने अधिकारियों की बात मानी और तत्काल क्षेत्र को छोड़ दिया। लेकिन एक छोटे समूह ने जानबूझकर अधिकारियों के निर्देश की अवहेलना की और वेस्टमिंस्टर ब्रिज को ब्लॉक कर दिया।"
लंदन में यह प्रदर्शन बीते सप्ताह लगाए गए टीयर-टू लॉकडाउन की पाबंदियों की वजह से हो रहे हैं।
ब्रिटेन में अभी तक कोरोनावायरस के 8,57,043 मामले दर्ज किए गए हैं, जबकि इस महामारी से 44,835 लोगों की मौत हो चुकी है।
--आईएएनएस
काबुल 25 अक्टूबर (वार्ता)। अफगानिस्तान के मानवाधिकार आयोग ने सेना की ओर से देश के पूर्वोत्तर प्रांत ताखर में किए गए हवाई हमले में 12 बच्चों के मारे जाने की पुष्टि की है। अफगानिस्तान में अमेरिका के विशेष प्रतिनिधि जालमय खलीलजाद ने रविवार को टि्वटर पर यह जानकारी दी।
श्री खलीलजाद ने ट्वीट किया, “यह एक भयावह हादसा है। दुर्भाग्यपूर्ण रूप से यह हादसा केवल ताखर प्रांत तक ही सीमित नहीं है बल्कि देश में तालिबान आम नागरिकों को निशाना बनाकर कार बम धमाके, आईईडी और अन्य हमले करता है। अफगानिस्तान के लश्कर गाह और अन्य क्षेत्रों से आम नागरिकों को मजबूर होकर अपना घर छोड़ना पड़ा है। हम इस हादसे में मारे गए लोगों और घायलों के परिजनों के प्रति संवेदना प्रकट करते हैं।”
अमेरिकी प्रतिनिधि ने कहा कि अफगान सरकार और तालिबान के बीच जल्द से जल्द शांति बहाल करने के लिए अमेरिका हर संभव प्रयास कर रहा है। दोनों पक्षों के बीच कतर की राजधानी दोहा में शांति वार्ता चल रही है।
गौरतलब है कि इस सप्ताह की शुरुआत में अफगानिस्तान की सेना ने ताखर प्रांत में तालिबानी आतंकवादियों को निशाना बनाकर हमला किया था। यह हमला जहां हुआ था वहां एक धार्मिक स्कूल और मस्जिद थी। इसी हमले में कई बच्चे मारे गए थे।