टिम मैकडोनाल्ड
चीन ने ख़तरनाक कीटाणु का हवाला देते हुए ताइवान से अनानास के आयात पर रोक लगा दी है.
ताइवान में इन दिनों अनानास के चलते जो गहमागहमी चल रही है, वह इस फल पर दुनिया का शायद सबसे चर्चित मामला होगा.
असल में चीन ने 'हानिकारक जीवों' से अपनी फसलों के नुकसान की आशंका को देखते हुए पिछले महीने ताइवान से अनानासों के आयात पर प्रतिबंध लगा दिया था.
चीन के इस कदम ने ताइवानी नेताओं को गुस्से में डाल दिया.
इन नेताओं ने कहा कि इस प्रतिबंध का 'बग़' से कोई लेना-देना नहीं है बल्कि यह उनके देश पर चीन के दबाव बनाने की एक चाल है.
चीन की कम्युनिस्ट सरकार का दशकों से दावा है कि ताइवान एक देश नहीं बल्कि चीन का ही एक प्रांत है. हालांकि ताइवान ने हमेशा इस दावे को खारिज किया है.
अनानास पर चीन के प्रतिबंध के जवाब में ताइवानी नेताओं ने विदेश में इसके नए ग्राहक ढूंढ़ लिए हैं.
साथ ही उसने अपने नागरिकों से भी अपील की है कि वे अनानास की अधिक से अधिक ख़पत करें.
ताइवान के उपराष्ट्रपति लाइ चिंग-ते ने अपने ट्वीट में लिखा, "ताइवानी अनानास फ़ाइटर जेट से भी मज़बूत हैं. भूराजनीतिक दबाव इसके स्वाद को ख़राब नहीं कर सकता."
ताइवान की काउंसिल आफ एग्रीकल्चर के अनुसार, देश में हर साल चार लाख 20 हजार टन अनानास पैदा होता है. इसमें से 10 फ़ीसदी के आसपास का निर्यात होता है.
इसका ज्यादातर हिस्सा चीन भेजा गया था. चीन के प्रतिबंध के बाद ख़तरा है कि इस साल देश में अनानास की क़ीमतें गिर सकती हैं.
'अनानासों की आज़ादी' की मुहिम
ताइवान की राष्ट्रपति साई इंग वेन ने सोशल मीडिया पर 'पाइनेप्पल चैलेंज शुरू कर दिया है. इसका लक्ष्य अनानासों की ख़रीद बढ़ाने के लिए नए ताइवानी ख़रीदार ढूंढ़ना है.
वहीं विदेश मंत्री जोसेफ़ वू ने अपने मंत्रालय के ट्विटर अकाउंट का इस्तेमाल हैशटैग #Taiwan का इस्तेमाल करके पूरी दुनिया में मौज़ूद अपने समर्थकों से ताइवान और #FreedomPineapple मुहिम के पक्ष में खड़े होने का आह्वान किया है.
इसके बाद ताइवान में अमेरिका और कनाडा के दूतावासों ने इस मुहिम में भागीदारी की.
ताइवान के अमेरिकन इंस्टीट्यूट ने अपने फ़ेसबुक पेज़ पर इसे लेकर कई तस्वीरें डाली.
एक फ़ोटो में संस्थान के निदेशक ब्रेंट क्रिसटेनसेन अपने डेस्क पर तीन अनानासों के साथ दिखे.
वहीं, कनाडा के व्यापार कार्यालय की ओर से पोस्ट किए गए एक फ़ोटो में राजधानी ताइपेई में उसके स्टाफ़ पाइनेप्पल पिज़्ज़ा के साथ देखे गए.
पोस्ट में लिखा गया, "कनाडा के कार्यालय में हम पाइनएप्पल पिज़्ज़ा के साथ हैं, ख़ासकर ताइवानी अनानास के साथ!"
साई ने लिखा, "जापानी उपभोक्ता सबसे बड़ा अंतर पैदा कर सकते हैं. वहॉं से हमें 5,000 टन अनानास की ख़रीद का आर्डर मिला है."
ट्विटर पर मौज़ूद कई जापानी लोगों ने भी ताइवान की इस मुहिम का समर्थन किया है.
एक यूज़र ने लिखा, "यह तय है कि मैं कुछ ख़रीदूंगा. पिछले साल मैंने इसका उपयोग किया था और महसूस किया था कि इसके कोर को खाया जा सकता है. अब मैं इसके रसदार मीठे स्वाद को प्यार करता हूं."
इस मुहिम का यह असर यह हुआ कि कुछ दिनों के ही भीतर चीन भेजे जाने वाले अनानास के बदले पर्याप्त आर्डर ताइवान को मिल चुके हैं.
हालांकि इस मुहिम से अभी भी 90 फ़ीसदी वैसे अनानास उत्पादक बचे रह गए हैं जो आमतौर पर इसे देश में ही बेचते हैं.
दक्षिण ताइवान में ऑर्गेनिक अनानास के चर्चित उत्पादक यांग यूफ़ान जिन्हें 'पाइनेप्पल प्रिंस' कहा जाता है, ने बीबीसी चाइनीज़ को बताया कि पिछले कुछ सालों में ताइवानी उत्पादकों ने अपना निर्यात चीन में बढ़ा दिया, क्योंकि जापान जैसे देशों में जांच प्रक्रिया ज्यादा कठिन और सुस्त थी.
हालांकि उन्होंने कहा कि ताइवान के कृषि क्षेत्र में विविधता लाने की जरूरत है क्योंकि इसके बहुत सारे निर्यात चीन भेजे जाते हैं.
उन्होंने कहा, "पहले रोपे गए अनानास की फ़सल के अगले साल बाज़ार में आने से यह समस्या अगले साल और बढ़ सकती है."
विदेशी कीट और रोग विदेशी कीट और रोग
चीन ने इस मामले में कहा कि ताइवान से अनानास का आयात इसलिए रोका गया क्योंकि उसके कस्टम अधिकारियों ने ताइवानी फलों के ज़रिए आ रहे कीटों का पता बार—बार लगाया था. स्टेट काउंसिल के ताइवान मामलों के कार्यालय के प्रवक्ता मा शियाओगुआंग ने इसे सामान्य जैव सुरक्षा एहतियाती उपाय करार दिया है.
हालांकि, चीन पर पिछले एक साल में अपने प्रतिद्वंद्वियों को दंडित करने के लिए अस्पष्ट और अपारदर्शी क़ारोबारी नीतियॉं अपनाने का आरोप लगा है. ऑस्ट्रेलिया के किसानों की ख़ासकर चिंता है कि उनके उत्पादों को केवल इसलिए रोका गया क्योंकि ऑस्ट्रेलिया सरकार के राजनीतिक कदमों से चीन नाराज़ हो गया है.
ताइवानी प्रेसिडेंट सुश्री साई ने चीन के दावों को सिरे से ख़ारिज करते हुए कहा कि जॉंच प्रक्रिया में 99.97 फ़ीसदी अनानास को पास कर दिया गया था. चीन ने इसके बाद भी इसके आयात पर रोक लगा दी.
बायोसिक्योरिटी हमेशा से एक जटिल मसला रहा है, क्योंकि आने वाली प्रजातियॉं बहुत बड़ा आर्थिक नुक़सान कर सकती हैं. हालांकि क़ारोबारी विवादों में इसे हथियार के रूप में उपयोग करने का एक लंबा इतिहास है.
एशियाई व्यापार केंद्र के डेबोरा एल्म्स ने बताया, "विदेशी कीटों और रोगों के प्रवेश को लेकर कुछ चिंताएं तो वाकई में उचित हैं, जिनके आ जाने के बाद अधिकांश देशी प्रजातियों को बचा पाना मुश्किल है. हालांकि सैनिटरी और फ़ाइटोसैनेटरी (एसपीएस) के नाम से मशहूर इस नियम का इस्तेमाल करके विदेशी क़ारोबार को रोकना एक आसान तरीका हो सकता है."
व्यापार और विकास पर संयुक्त राष्ट्र की संस्था अंकटाड के आंकड़ों से पता चलता है कि चीन में 1,642 तरह के एसपीएस प्रतिबंध हैं. यह भारत, अमेरिका, पनामा और पेरू को छोड़कर किसी भी देश से ज़्यादा है. सुश्री एल्म्स के अनुसार, इनका सावधानी से इस्तेमाल होना चाहिए. इसके अलावा उन्होंने कहा कि एक ख़राब नियम दर्जनों कड़े प्रतिबंधों से अधिक प्रतिरोधक हो सकता है. (bbc.com)