राष्ट्रीय
पुलिसिया मुठभेड़ का जश्न मनाने वाला समाज शायद न्याय का शॉर्टकट ढूंढ रहा है. कानून का शासन ही हर नागरिक की ढाल है लेकिन बंदूक की गोली से वो स्थापित नहीं होता, बल्कि खतरे में पड़ जाता है.
डॉयचे वैले पर चारु कार्तिकेय की रिपोर्ट-
कानून के शासन या रूल ऑफ लॉ को लेकर कई भ्रांतियां हैं. उनमें से एक यह भी है कि न्याय तुरंत होना चाहिए. न्याय में देरी न्याय से वंचित जरूर कर देती है लेकिन न्याय एक प्रक्रिया है जिसका पालन सभ्यता की नींव है.
अमेरिका के 34वें राष्ट्रपति ड्वाइट डी आइजनहावर ने कहा था, "हमारी रोजमर्रा की जिंदगी में कानून के शासन के क्या मायने हैं इसे दिखाने का सबसे स्पष्ट तरीका है यह याद करना कि जब वो नहीं था तब क्या हुआ था."
कानून के राज के पहले जंगल का राज था. जब इंसान जंगल से निकला और समाज में रहने लगा तब उसे अपने समाज में व्यवस्था कायम रखने के लिए कुछ नियमों की जरूरत महसूस हुई. इन्हीं नियमों ने आगे चल कर न्याय व्यवस्था का रूप लिया.
कानून का इतिहास सभ्यता के इतिहास से जुड़ा हुआ है. एक तरह से सभ्यता शुरू ही कानून से हुई. न्याय के लिए कानून का शासन जरूरी है. अब जरा इतिहास के पन्नों से निकल कर आज के उत्तर प्रदेश में आइए, जहां गैंगस्टर अतीक अहमद के 19 साल के बेटे असद अहमद के एक पुलिस मुठभेड़ में मारे जाने का जश्न मनाया जा रहा है.
मुठभेड़ पर गर्व
बीजेपी ने मुठभेड़ की खबर के साथ मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ का विधान सभा में दिया भाषण ट्वीट किया है, जिसमें उन्होंने एलान किया था कि "माफिया को मिट्टी में मिला देंगे." ट्वीट में लिखा है, "जो कहते हैं, कर दिखाते हैं."
स्पष्ट है कि राज्य सरकार इस मुठभेड़ पर गर्व महसूस कर रही है और गर्व भरा यह एलान इस बात की स्वीकृति है कि यह मुठभेड़ इरादतन थी. मुठभेड़ पर आदित्यनाथ सरकार का गर्व उनकी राजनीति के दृष्टिकोण से समझ में आता है.
उत्तर प्रदेश पुलिस के आला अफसरों ने खुद बताया है कि यह मार्च 2017 से शुरू हुए आदित्यनाथ सरकार के कार्यकाल में पुलिस की 183वीं मुठभेड़ है. यह एक ही मामले में पुलिस कार्रवाई के दौरान की गई तीसरी मुठभेड़ है और उत्तर प्रदेश पुलिस द्वारा अप्रैल के 13 दिनों में की गई तीसरी मुठभेड़ भी है.
इंडियन एक्सप्रेस अखबार के मुताबिक इसके अलावा सरकारी आंकड़े दिखाते हैं कि इन्हीं छह सालों में प्रदेश में 5,046 अपराधी पुलिस की कार्रवाई में घायल होने के बाद गिरफ्तार किए गए. सिर्फ अपराध ही नहीं बल्कि अपराधियों का "सफाया" आदित्यनाथ का चुनावी वादा था और वो अपने कई भाषणों और साक्षात्कारों में इसे दोहरा चुके हैं.
जाहिर है पुलिसिया मुठभेड़ आदित्यनाथ सरकार के लिए एक आवश्यक राजनीतिक हथकंडा है. लेकिन सरकार से बाहर जो लोग इन मुठभेड़ों का जश्न मना रहे हैं उनका क्या स्वार्थ है?
लोग मनाते हैं जश्न
असद और उसके साथी गुलाम के मारे जाने पर एक पत्रकार ने ट्वीट किया कि अपराधी को पालने पोसने से बेहतर है अपराधी का खत्म हो जाना.
एक और पत्रकार हैं जो कह रही हैं कि गुलाम को आसान मौत मिली. एक और पत्रकार ने तो गुलाम की लाश की तस्वीर ट्वीट कर डाली और साथ में लिखा कि जब मौत सामने होती है तो पेशाब छूट जाता है.
यह इरादतन मुठभेड़ का जश्न नहीं तो और क्या है? लेकिन ऐसा पहली बार नहीं हो रहा है और यह इरादतन मुठभेड़ कराने वाली पहली सरकार भी नहीं है. बीजेपी के ही मुख्यमंत्री हिमंता बिस्वा सर्मा की असम सरकार भी इस तरह की मुठभेड़ के बढ़ते मामलों को लेकर कटघरे में है.
जम्मू-कश्मीर में तो मुठभेड़ों का लंबा इतिहास है. पंजाब में तो माना जाता है कि मिलिटेंसी का अंत ही मुठभेड़ों के जरिए किया गया. हैदराबाद में 2019 में एक महिला के बलात्कार और उसे जला कर मार देने के आरोपों का सामना कर रहे चार संदिग्ध तेलंगाना पुलिस की कार्रवाई में इसी तरह मारे गए थे.
उस समय भी कई लोगों ने इसी तरह सोशल मीडिया पर खुशी जाहिर की थी. राज्य चाहे कोई भी हो, अपराध चाहे किसी भी किस्म का हो, सरकार चाहे किसी की भी हो, लोगों को मुठभेड़ से एक तरह की संतुष्टि मिलती है.
सभ्यता या जंगल राज?
मुमकिन है कि इस संतुष्टि की जड़ में न्याय व्यवस्था की कमजोरियों की वजह से व्यवस्था से लोगों के विश्वास का उठ जाना हो. जब मुकदमे महीनों, सालों और दशकों तक चलते रहें और न्याय का इंतजार खत्म ही ना हो, ऐसे में न्याय व्यवस्था से विश्वास उठना स्वाभाविक है.
लेकिन विश्वास के उठ जाने को मंजूर कर लेना और फिर न्याय की सरहदों को लांघ कर उठाए जाने वाले कदमों को स्वीकृति दे देना बेहद खतरनाक है. जो पुलिस अपराधी को गिरफ्तार कर अदालत के सामने लाने की जगह गोली मार देती है उसे किसी मासूम को भी गोली मार देने में कितना समय लगेगा?
ऐसे में कहां रह जाएगा कानून का शासन और कैसे सुनिश्चित होगी एक-एक नागरिक की सुरक्षा? कैसे ताकत के नशे में मदमस्त लोगों को यह सबक दिया जा सकेगा कि कानून उनसे भी ऊपर है?
यह भी सोच कर देखिए कि लिंचिंग क्या है? क्या सोच कर हमारे-आपके जैसे आम लोगों का एक समूह किसी व्यक्ति को किसी अपराध के संदेह में पकड़ लेता है और उसे पुलिस के हवाले करने की जगह खुद पीट पीट कर जान से मार देता है?
क्या फर्क है लिंचिंग करने वाली इस भीड़ और फर्जी मुठभेड़ करने वाली पुलिस में? मुठभेड़ों का जश्न मनाने वाले बताएं कि वो कानून के शासन और लिंचिंग के शासन में से किसको चुनेंगे? जवाब देने के लिए फिर से इतिहास के पन्नों में लौटना होगा और सोचना होगा कि सभ्यता बेहतर है या हम वापस जंगल में जाना चाहते हैं. (dw.com)
जम्मू-कश्मीर और लद्दाख में जी20 की बैठकों पर पाकिस्तान की आपत्ति को भारत ने खारिज कर दिया है.
डॉयचे वैले पर आमिर अंसारी की रिपोर्ट-
भारत ने जम्मू-कश्मीर और लद्दाख में जी20 कार्यक्रम की मेजबानी करने पर पाकिस्तान की आपत्तियों को गुरुवार को खारिज करते हुए कहा है कि जम्मू-कश्मीर और लद्दाख में जी20 कार्यक्रमों का आयोजन स्वाभाविक है, क्योंकि वे भारत के अभिन्न और अविभाज्य अंग हैं.
भारत मई में श्रीनगर में जी20 टूरिज्म वर्किंग ग्रुप की बैठक की मेजबानी कर रहा है, जबकि इस महीने के अंत में लेह में यूथ इंगेजमेंट समूह की बैठक होने वाली है.
विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अरिंदम बागची ने एक सवाल के जवाब में कहा, "जी20 कार्यक्रम पूरे भारत में हो रहे हैं. देश के हर क्षेत्र में इनका आयोजन किया जा रहा है. जम्मू-कश्मीर और लद्दाख में इन कार्यक्रमों का आयोजन बहुत स्वाभाविक है. क्योंकि वे भारत के अभिन्न और अविभाज्य अंग हैं."
पाकिस्तान के विदेश मंत्रालय ने मंगलवार को भारत द्वारा अपने जी20 कैलंडर में जम्मू-कश्मीर के श्रीनगर और लद्दाख के लेह में बैठक को शामिल करने के बाद "तीव्र आक्रोश" जाहिर किया था.
पाकिस्तान के विदेश मंत्रालय ने भारत के इस कदम को "गैर-जिम्मेदार" और "स्वयं की हित" पूर्ति वाला बताया था. उसने लेह में यूथ20 फोरम के आयोजन को लेकर भी ऐतराज जताया था.
पाकिस्तान ने कहा था, "मई में श्रीनगर में जी20 पर्यटन कार्य समूह की बैठक आयोजित करने के भारत के फैसले पर पाकिस्तान कड़ी आपत्ति जताता है. लेह और श्रीनगर में युवा मामलों से संबंधित एक सलाहकार मंच की दो अन्य बैठकें समान रूप से परेशान करने वाली हैं."
पाकिस्तान और भारत के बीच रिश्ते हाल के सालों में तनाव भरे रहे हैं.
फरवरी 2019 में पुलवामा आतंकी हमले के जवाब में भारत के लड़ाकू विमानों द्वारा पाकिस्तान के बालाकोट में जैश-ए-मोहम्मद के आतंकवादी ट्रेनिंग कैंपों पर बमबारी करने के बाद भारत और पाकिस्तान के बीच संबंध गंभीर रूप से तनावपूर्ण हो गए थे.
इसके बाद अगस्त 2019 में भारत द्वारा अनुच्छेद 370 को वापस लेने और राज्यों को दो केंद्र शासित प्रदेशों में विभाजित करने की घोषणा के बाद संबंध और बिगड़ गए. (dw.com)
नई दिल्ली, 14 अप्रैल | भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के एक नेता की द्वारका स्थित उनके कार्यालय में अज्ञात बाइक सवार हमलावरों ने शुक्रवार शाम गोली मारकर हत्या कर दी। एक पुलिस अधिकारी ने यह जानकारी दी। मृतक की पहचान नजफगढ़ क्षेत्र के भाजपा किसान मोर्चा के अध्यक्ष सुरेंद्र कुमार उर्फ सुरेंद्र मटियाला के रूप में हुई है। पुलिस के मुताबिक घटना बिंदापुर थाना क्षेत्र की है।
द्वारका के डीसीपी एम. हर्षवर्धन ने कहा कि घटना के समय सुरेंद्र कुमार अपने कार्यालय में बैठे थे। आरोपियों को पकड़ने के लिए कई टीमों का गठन किया गया है। इस स्तर पर, मकसद स्पष्ट नहीं है। हम हर एंगल से जांच कर रहे हैं।
उन्होंने कहा, पुलिस टीमें अपराधियों की पहचान करने के लिए इलाके में लगे सीसीटीवी कैमरों को खंगाल रही हैं। मामले में आगे की जांच की जा रही है। (आईएएनएस)
हैदराबाद, 14 अप्रैल | डॉ बी. आर. अंबेडकर के पोते प्रकाश अंबेडकर ने शुक्रवार को उम्मीद जताई कि तेलंगाना सरकार हैदराबाद को भारत की दूसरी राजधानी बनाने की मांग करेगी, जैसा कि भारतीय संविधान के मुख्य वास्तुकार ने कहा था। उन्होंने कहा कि संविधान सभा की बहस के दौरान जब भारत की सुरक्षा का सवाल उठा तो बाबासाहेब अंबेडकर ने देश की दूसरी राजधानी की जरूरत को रेखांकित किया था और हैदराबाद को दूसरी राजधानी बनाने का सुझाव दिया था।
पूर्व सांसद तेलंगाना के मुख्यमंत्री के. चंद्रशेखर राव द्वारा हैदराबाद में अंबेडकर की 125 फीट ऊंची प्रतिमा के अनावरण के बाद जनसभा को संबोधित कर रहे थे। उन्होंने कहा, चूंकि दिल्ली पाकिस्तान सीमा से केवल 300 किमी और चीन सीमा से 500 किमी दूर है, बाबासाहेब ने महसूस किया कि जब तक देश की दूसरी राजधानी नहीं होगी, तब तक यह सुरक्षित नहीं होगा, उन्होंने आशा व्यक्त की कि तेलंगाना मांग करेगा।
प्रकाश अम्बेडकर, जो पहले दलित बंधु योजना के कार्यान्वयन को देखने के लिए हुजूराबाद गए थे, ने योजना शुरू करने के लिए केसीआर सरकार की प्रशंसा करते हुए कहा कि यह आर्थिक असमानताओं को दूर करने और गरीबी उन्मूलन में एक लंबा रास्ता तय करेगा। दलित बंधु योजना के तहत, राज्य सरकार प्रत्येक दलित परिवार को अपनी पसंद का कोई भी व्यवसाय शुरू करने में मदद करने के लिए 10 लाख रुपये प्रदान कर रही है।
हालांकि, उन्होंने सरकार को यह सुनिश्चित करने का सुझाव दिया कि इस 10 लाख रुपये का मूल्य एक साल बाद भी बना रहे। उन्होंने कहा, बाबासाहेब कहा करते थे कि जब तक हम रुपये के मूल्य को स्थिर नहीं करते, तब तक गरीबी उन्मूलन नहीं होगा, उन्होंने कहा और मूल्य स्थिरता का आह्वान किया। प्रकाश अम्बेडकर ने कहा कि तेलंगाना जैसे छोटे राज्यों में कल्याणकारी राज्य की अवधारणा हो सकती है। उन्होंने कहा कि बाबासाहेब अंबेडकर ने 1956 में स्पष्ट कर दिया था कि राज्यों का पुनर्गठन भाषा के आधार पर नहीं होना चाहिए। उन्होंने कहा था कि राज्यों का पुनर्गठन करते समय आपको आर्थिक व्यवहार्यता, भौगोलिक सीमाओं को देखना होगा और क्या वे अच्छी प्रशासनिक इकाइयां बन सकते हैं।
देश को एक धार्मिक राज्य में बदलने के प्रयासों की निंदा करते हुए, उन्होंने बाबासाहेब अम्बेडकर के शब्दों को याद किया कि धर्म और जाति की राजनीति में, पहला शिकार राष्ट्रीय नेता होगा। कोई राष्ट्रीय नेता नहीं होगा, उन्होंने कहा और दावा किया कि पूर्व प्रधान मंत्री अटल बिहारी वाजपेयी अंतिम राष्ट्रीय नेता थे जो अपनी ही पार्टी के खिलाफ गए थे।
यह कहते हुए कि राज्य के नेताओं के पास राष्ट्रीय नेता बनने का मौका है, उन्होंने आशा व्यक्त की कि तेलंगाना के लोग केसीआर को अपना समर्थन देकर देश को रास्ता दिखाएंगे। (आईएएनएस)
भुवनेश्वर, 15 अप्रैल | ओडिशा के संबलपुर शहर में ताजा हिंसा के बीच जिला प्रशासन ने अनिश्चित काल के लिए कर्फ्यू लगा दिया है। संबलपुर सदर के उपजिलाधिकारी प्रवेश चंद्र दंडसेना ने मौजूदा स्थिति की जानकारी मिलने पर शुक्रवार देर रात कर्फ्यू का आदेश जारी कर दिया। संबलपुर के छह थाना क्षेत्रों धनुपाली, खेतराजपुर, ऐंथापाली, बरेईपाली और सदरा में तत्काल प्रभाव से अगले आदेश तक कर्फ्यू लगा दिया गया है।
कर्फ्यू की अवधि के दौरान किसी भी व्यक्ति या लोगों के समूह को अपने घरों से बाहर निकलने की अनुमति नहीं है।
हालांकि, जिला प्रशासन ने लोगों को सुबह 8 से 10 बजे और दोपहर 3.30 से सायं 5.30 बजे तक आवश्यक वस्तुओं की खरीद करने की अनुमति दी है।
उपजिलाधिकारी ने चेतावनी देते हुए कहा,उपरोक्त आदेश का उल्लंघन करने वालों के खिलाफ कानून के अनुसार सख्त कार्रवाई की जाएगी।
इससे पहले राज्य सरकार ने गुरुवार से पूरे जिले में 48 घंटे के लिए इंटरनेट सेवा बंद कर दी है।
डीआईजी (उत्तर मध्य रेंज) बृजेश कुमार राय ने कहा कि शुक्रवार रात कुछ दुकानों में आग लगा दी गई और तोड़फोड़ की गई।
इसलिए प्रशासन ने शहर में शांति और सामान्य स्थिति बहाल करने के लिए कर्फ्यू लगाने का फैसला किया। (आईएएनएस)
लखनऊ, 15 अप्रैल | उत्तर प्रदेश की योगी सरकार अब जल्द ही साइबर क्राइम के मामलों में भी प्रभावी कार्यवाही में सक्षम हो सकेगी। साइबर क्राइम विभाग को जल्द ही उनका अपना प्रशासनिक भवन भी उपलब्ध होगा। विभाग इसके लिए ब्लू प्रिंट तैयार करवा रहा है। उच्च अधिकारियों का मानना है कि अपना प्रशासनिक भवन होने के बाद साइबर क्राइम से जुड़े मामलों और उनकी जांच की कार्यवाही पर बेहतर ढंग से निगरानी की जा सकेगी। दरअसल, हाल में ही सीएम योगी ने यूपी पुलिस की साइबर विंग की समीक्षा बैठक में शासन को विंग के खाली पदों को भरने और उन्हे जरूरत के अनुसार अन्य आवश्यक चीजें उपलब्ध कराने के लिए खाका तैयार करने को कहा है। साथ ही उन्होंने प्रशासनिक भवन देने का आश्वासन दिया है।
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को साइबर विंग की समीक्षा बैठक में अधिकारियों ने बताया कि जनपद स्तर पर साइबर सेल की स्थापना के बाद साइबर अपराधों में पिछले तीन साल में काफी कमी आई है। उन्होंने बताया कि वर्ष 2020 में साइबर अपराध के 11770 मामले दर्ज किए गए थे वहीं वर्ष 2022 में करीब सात हजार मामले दर्ज किए गए। अगर बात वर्ष 2023 की करें तो मार्च तक सिर्फ पंद्रह सौ ही मामले दर्ज हुए हैं।
इस पर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा कि जीरो टॉलरेंस नीति के तहत साइबर अपराध पर शत प्रतिशत लगाम लगाने के लिए विभाग को जिन संसाधनों की आवश्यकता है उनका खाका तैयार करें, जिससे कार्रवाई को और तेज किया जा सके। ऐसे में अधिकारियों ने बताया कि साइबर अपराध पर लगाम लगाने के लिए विभाग के अपने प्रशासनिक भवन की नितांत आश्वयकता है। साथ ही रिक्त पदों को भरने, वाहन, साइबर क्राइम से जुड़े अत्याधुनिक उपकरण, मुख्यालय स्तर पर एडवांस साइबर फारेंसिक लैब, परिक्षेत्रीय साइबर क्राइम थानों पर बेसिक साइबर फॉरेंसिक लैब, प्रत्येक जनपद में साइबर क्राइम थानों की स्थापना की जरूरत है। इस पर सीएम योगी ने अधिकारियों को सभी का ब्योरा तैयार कर शासन को सौंपने का निर्देश दिया है। उन्होंने विभाग को आश्वस्त किया कि जल्द ही उनकी सारी जरूरतों को पूरा किया जाएगा।
अधिकारियों ने सीएम योगी को बताया कि वर्तमान में विंग में करीब 373 पद खाली हैं, जो अपर पुलिस अधीक्षक से लेकर कंप्यूटर ऑपरेटर तक के हैं। बैठक में बताया गया कि विभाग में 3 पद अपर पुलिस अधीक्षक, 7 पद पुलिस उपाधीक्षक, 75 पद निरीक्षक, 75 पद उपनिरीक्षक, 23 पद मुख्य आरक्षी, 128 पद आरक्षी, 23 पद आरक्षी चालक, 7 फालोवर और 32 पद कंप्यूटर ऑपरेटर के खाली हैं। इस पर सीएम योगी ने अधिकारियों को सभी पदों का खाका तैयार कर शासन को जल्द से जल्द सौंपने को कहा है ताकि इन पदों पर भर्ती प्रक्रिया शुरू की जा सके। (आईएएनएस)
गाजियाबाद, 15 अप्रैल | गाजियाबाद पुलिस ने पैगंबर मुहम्मद का आपत्तिजनक चित्र वायरल करने के मामले में सुदेश ठाकुर नामक शख्स को शुक्रवार रात गिरफ्तार कर लिया। आरोपी को पुलिस शनिवार को कोर्ट में पेश करेगी। सुदेश ठाकुर नामक फेसबुक आईडी से शुक्रवार को फेसबुक पर एक पोस्ट डाली गई। इसमें लिखा था 'आसमानी किताब के आधार पर एआई द्वारा बनाया गया पैगंबर साहब का अब तक का सबसे सटीक फोटो'। इस पोस्ट के नीचे जो फोटो टैग किया गया था, वो आपत्तिजनक था। मुस्लिम समुदाय से जुड़े लोगों ने इस फोटो पर आपत्ति जतानी शुरू कर दी। इसके बाद ये ट्रोल होता चला गया। कुछ लोगों ने यूपी पुलिस को टैग करके फोटो ट्वीट कर दिया और कार्रवाई की मांग की।
यूपी पुलिस ने तुरंत गाजियाबाद पुलिस को ट्विटर पर ही जांच कर कार्रवाई करने का निर्देश दिया। जिसके बाद गाजियाबाद पुलिस हरकत में आ गई। पता चला कि फेसबुक पोस्ट करने वाला शख्स गाजियाबाद के टीला मोड़ थाना क्षेत्र में रहता है। शुक्रवार रात इस मामले में सुदेश ठाकुर को गिरफ्तार कर लिया गया है।
एसीपी भास्कर वर्मा ने बताया कि टीला मोड़ थाना क्षेत्र में एक व्यक्ति ने सोशल मीडिया पर आपत्तिजनक पोस्ट डाली थी। इससे एक समुदाय की भावनाएं आहत हो रही थीं। इस पर पुलिस ने त्वरित कार्रवाई करते हुए मुकदमा दर्ज कर उक्त व्यक्ति को गिरफ्तार कर लिया है।
आपको बता दें कि दो दिन पहले ही भगवान श्रीराम का आर्टिफिशियल इंटेजिलेंस (एआई) से जारी फोटो ट्रेंड में है। सोशल मीडिया में ये बताया गया है कि रामायण में लिखी कहानी के अनुसार प्रभु श्रीराम 21 साल की उम्र में कैसे दिखते थे, वैसा ही एआई ने इस फोटो में दिखाने का प्रयास किया है। आरोपी सुदेश ठाकुर ने भी अपनी फेसबुक पोस्ट में इसी आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस का जिक्र किया है। (आईएएनएस)
नई दिल्ली, 15 अप्रैल | ट्विटर के सीईओ एलोन मस्क ने चैटजीपीटी के युग में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस को बढ़ावा देने के लिए एक्सडॉटएआई नाम से एक नई कंपनी बनाई है। शेयर बाजार को दी गई जानकारी के अनुसार, कंपनी का मुख्ययालय टेक्सास के नेवादा में बनाया गया है और मस्क इसके एकमात्र सूचीबद्ध निदेशक हैं। मस्क के पारिवारिक कार्यालय के निदेशक जेरेड बिर्चेल को कंपनी का सचिव बनाया गया है।
वॉल स्ट्रीट जर्नल की रिपोर्ट के अनुसार, एक्सडॉटएआई ने निजी कंपनी के लिए 10 करोड़ शेयरों की बिक्री को अधिकृत किया है।
मस्क एक ऐसी एआई कंपनी बनाना चाहते हैं जो चैटजीपीटी नामक सफल एआई चैटबॉट की निर्माता कंपनी माइक्रोसॉफ्ट समर्थित ओपनएआई से मुकाबला कर सके।
विडंबना यह है कि मस्क ने ही आरंभ में ओपनएआई में 10 करोड़ डॉलर लगाए थे, लेकिन बाद में वह कंपनी से बाहर हो गए।
हाल के महीनों में चैटजीपीटी और जीपीटी-4 दुनिया भर में लोकप्रिय हो गए हैं।
मार्च में, कई बड़े उद्यमियों और एआई अनुसंधानकर्ताओं, जिनमें मस्क और एप्पल के सह संस्थापक स्टीव वोज्नियाक शामिल हैं, ने एक खुला पत्र लिखकर सभी प्रयोगशालाओं को कम से कम छह महीने के लिए जीपीटी-4 से अधिक शक्तिशाली एआई सिस्टम के प्रशिक्षण को तुरंत रोकने का अनुरोध किया था।
यह ओपन लेटर ऐसे समय में लिखा गया था जब इस तरह की खबरें सामने आई थीं कि मस्क ने 2018 की शुरुआत में ओपनएआई पर नियंत्रण करने की कोशिश की थी, लेकिन सैम ऑल्टमैन और ओपनएआई के अन्य संस्थापकों ने मस्क के प्रस्ताव को खारिज कर दिया।
सेमाफोर के अनुसार, प्रतिक्रिया स्वरूप मस्क कंपनी से बाहर हो गए और बड़े पैमाने पर डोनेशन की वादे से मुकर गए।
ट्विटर के सीईओ एक अरब डॉलर देने के वादे से मुकर गए, लेकिन कंपनी से हटने से पहले 10 करोड़ डॉलर का योगदान दिया।
ओपनएआई ने मार्च 2019 में घोषणा की कि वह एक मुनाफे के उद्देश्य से काम करने वाली इकाई बना रहा है ताकि अपने कर्मचारियों के भुगतान के लिए पर्याप्त धन जुटा सके।
इसके बाद छह महीने से भी कम समय में माइक्रोसॉफट ने ओपनएआई में एक अरब डॉलर का निवेश किया और उसके बाद जो हुआ वह ऐतिहासिक है।
ओपनएआई अंतिम वैल्युएशन 20 अरब डॉलर के करीब था और यह दुनिया की सबसे बड़ी एआई समर्थित कंपनी बन गई थी।
मस्क ने हाल के दिनों में कई बार ओपनएआई की अलोचना की है। (आईएएनएस)
तिरुवनंतपुरम, 15 अप्रैल | तमिलनाडु के नौ वर्षीय लड़के सहित दो पर्यटक शनिवार सुबह समुद्र में डूब गए। दोनों तिरुवनंतपुरम की यात्रा पर थे। वे करिक्कठी समुद्र तट के पास एक रिसॉर्ट में ठहरे हुए थे।
पुलिस के मुताबिक, मृतकों की पहचान राजथी (45) और उसकी करीबी रिश्तेदार सई दीपिका (9) के रूप में हुई है। वे तमिलनाडु के तंजावुर के रहने वाले थे।
घटना तिरुवनंतपुरम के करिकाथी बीच पर हुई।
राजथी और साईं दीपिका समुद्र तट पर टहल रहे थे, जब ऊंची लहरें उन्हें पानी में बहा ले गईं। उनके चीखने की आवाज सुनकर आसपास मौजूद परिजन और लाइफ गार्ड ने पानी में कूदकर उन्हें बाहर निकाला।
हालांकि, जब तक वे किनारे पहुंचे, तब तक दोनों की जान जा चुकी थी।
पुलिस सूत्रों ने आईएएनएस को बताया कि उन्होंने इस मामले की जांच शुरू कर दी है। (आईएएनएस)
न्यूयॉर्क, 15 अप्रैल भारतीय मूल के सिख समुदाय के नेता और केर्न काउंटी की व्यवसायी राजी बराड़ को कैलिफोर्निया स्टेट यूनिवर्सिटी बोर्ड ऑफ ट्रस्टीज में नियुक्त किया गया है, जो अमेरिका की सार्वजनिक उच्च शिक्षा की सबसे बड़ी प्रणाली में एक शक्तिशाली नेतृत्व पद है। कैलिफोर्निया स्टेट यूनिवर्सिटी (सीएसयू), बेकर्सफील्ड डबल एलुमना, मई में लॉन्ग बीच में होने वाली बैठक में बराड़ का स्वागत करेगा। बराड़ ने एक बयान में कहा, सीएसयू बहुत खास है, क्योंकि आपके प्रोफेसर आपको जानते हैं।
वे आपके लिए दरवाजे खोलने में मदद करते हैं और आपको एक ऐसे स्तर पर सलाह देते हैं जो आपको यूसी में नहीं मिल सकता है। बहुत से लोग जो अंत में सीएसयू में जाते हैं, उन्हें एक संरक्षक की आवश्यकता होती है, और मुझे सीएसयूबी में इसे प्राप्त करने का सौभाग्य मिला।
2003 से कंट्रीसाइड कॉपोर्रेशन के मालिक और मुख्य संचालन अधिकारी, बराड़ कर्न काउंटी में कई नेतृत्व पदों पर भी हैं और बेकर्सफील्ड सिख महिला संघ की सह-संस्थापक हैं।
उन्होंने जीव विज्ञान में स्नातक की डिग्री और सीएसयूबी से स्वास्थ्य देखभाल में मास्टर की डिग्री प्राप्त की। वह सीएसयूवी के पूर्व छात्र हॉल ऑफ फेम की सदस्य हैं।
1970 के दशक के मध्य में अमेरिका आईं बराड़ ने अपने बच्चों को सेंट्रल वैली के खेत मजदूर शिविरों में पाला।
बराड़ के अनुसार, उनकी मां ने केवल पांचवीं कक्षा तक पढ़ाई की और वह पढ़ या लिख नहीं सकती हैं।
उन्होंने बताया मेरी मां ने खेतों में और बर्गर किंग में काम किया। वह हर समय मुझसे कहा करती थीं कि तुम्हें शिक्षा प्राप्त करनी होगी। यही तुम्हारा जीवन साथी है, यह तुम्हें कभी नहीं छोड़ेगा और इसे तुमसे कोई नहीं ले सकता।
बराड़ ने सीएसयूबी में एडमिशन लिया, क्योंकि यह घर के करीब, सस्ता और सुलभ था।
सीएसयूबी के अध्यक्ष लिनेट जेलेजनी ने कहा, राजी के अंदर एक रोशनी है जो वह सार्वजनिक सेवा के प्रति अपनी दयालुता और अथक प्रतिबद्धता के माध्यम से हमारे पूरे समुदाय के साथ साझा करती है।
वह न्यासी बोर्ड के लिए एक अनूठा दृष्टिकोण लाएंगी, और यह घाटी जिसे हम प्यार करते हैं, उसकी आवाज के माध्यम से अच्छी तरह से प्रतिनिधित्व किया जाएगा। यह रोडरनर परिवार और हमारे क्षेत्र के लिए गर्व का क्षण है।
छात्र क्रिस्टल रेन्स और पूर्व छात्र जॉन निलोन के बाद बराड़ न्यासी बोर्ड में सेवा करने के लिए सीएसयूबी से संबद्ध तीसरी शख्स हैं। (आईएएनएस
प्रयागराज, 15 अप्रैल | माफिया अतीक अहमद के बेटे असद का शव शनिवार को सुपुर्द-ए-खाक कर दिया गया है। असद का शव प्रयागराज के कसारी और मसारी कब्रिस्तान में सुपुर्द ए खाक किया गया। शव को दफनाने के दौरान असद के मां-बाप मौजूद नहीं हो पाए। इस दौरान डीएम संजय खत्री और पुलिस आयुक्त रमित शर्मा समेत बड़ी संख्या में अधिकारी कसारी-मसारी कब्रिस्तान में मौजूद रहे। बेटे अतीक के जनाजे में माफिया अतीक शामिल नहीं हो पाया। उसके परिवार से कोई भी सदस्य शामिल नहीं हुआ। असद के नाना, मौसा और बुआ समेत कई अन्य करीबी रिश्तेदार जनाजे में शामिल हुए। संभावना जताई जा रही है कि अतीक की पत्नी और असद की मां शाइस्ता आज सरेंडर कर सकती है। वह भी इस हत्याकांड में आरोपी है।
प्रयागराज के एसीपी आकाश कुल्हारी ने कहा कि असद के परिवार के 20-25 करीबी मौके पर मौजूद रहे। असद के नाना ने असद को दफनाने की प्रक्रिया को अंजाम दिया। असद और उसके सहयोगी गुलाम को 13 अप्रैल को यूपी एसटीएफ ने एक मुठभेड़ में मार गिराया था।
वहीं, मेहंदौरी स्थित कब्रिस्तान में शूटर गुलाम हसन को दफनाया गया। इस दौरान वहां सैकड़ों की संख्या में लोग मौजूद रहे। असद के साथ मारे गए शूटर गुलाम की जनाजे की नमाज बीच सड़क पर अदा की गई। इस दौरान वहां सैकड़ों लोग मौजूद रहे। कई ने चेहरा भी ढक रखा था। इसके बाद गुलाम के शव को कब्रस्तिान में दफन किया गया। गुलाम के अंतिम संस्कार में उसके पिता ने हिस्सा लिया। उसकी पत्नी सना भी कब्रिस्तान में मौजूद रहीं, जबकि भाई राहिल हसन और अन्य परिजनों ने जनाजे में हिस्सा नहीं लिया।
गौरतलब हो कि बसपा के विधायक राजू पाल के हत्याकांड मामले के प्रमुख गवाह रहे उमेश पाल और उसके दो सुरक्षाकर्मियों की इसी साल 24 फरवरी को प्रयागराज में एक ताबड़तोड़ गोलियां चला कर हत्या कर दी गई थी। इस मामले में वांछित अभियुक्त असद अहमद और गुलाम गुरुवार को झांसी में विशेष कार्य बल के साथ हुई मुठभेड़ में मारे गए थे। यह घटना उस समय हुई थी, जब अतीक और उसके भाई अशरफ अहमद की प्रयागराज की एक अदालत में पेशी हो रही थी। (आईएएनएस)
कोलकाता, 14 अप्रैल | पश्चिम बंगाल में करोड़ों रुपये के शिक्षक भर्ती घोटाले में सत्तारूढ़ तृणमूल कांग्रेस का एक और विधायक सीबीआई की जांच के दायरे में आ गया है। केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) ने शुक्रवार को मुर्शिदाबाद के बर्दवान विधानसभा क्षेत्र से विधायक जीबन कृष्ण साहा के आवास पर छापेमारी और तलाशी अभियान चलाया।
सूत्रों ने कहा कि दोपहर करीब 1.30 बजे केंद्रीय सशस्त्र बलों के कर्मियों की सुरक्षा में सीबीआई की एक टीम विधायक के आवास पर पहुंची। केंद्रीय सशस्त्र बलों के जवानों ने निवास के मुख्य द्वार से प्रवेश किया।
इसके बाद केंद्रीय एजेंसी के अधिकारियों ने छापेमारी और तलाशी अभियान शुरू किया, जो खबर लिखे जाने तक जारी था। साहा अभी आवास पर हैं और छापेमारी टीम के अधिकारी उनसे पूछताछ कर रहे हैं।
सूत्रों ने कहा कि छापे के पहले कुछ घंटों में ही अधिकारियों ने साहा के आवास से भर्ती घोटाले से संबंधित कुछ आपत्तिजनक दस्तावेज हासिल कर लिए।
यह पता चला है कि अपनी जांच के दौरान और गिरफ्तार तथा पार्टी से निष्कासित युवा तृणमूल कांग्रेस नेता कुंतल घोष से पूछताछ के दौरान, केंद्रीय एजेंसी को कौशिक घोष नामक एक स्थानीय एजेंट के बारे में पता चला।
सूत्रों ने बताया कि घोष ने मुख्य रूप से मुर्शिदाबाद जिले में एक एजेंट के रूप में काम किया और उनका काम मुख्यत: सरकारी स्कूलों में नियुक्ति पाने के लिए मोटी रकम देने के इच्छुक संभावित उम्मीदवारों की व्यवस्था करना था। कौशिक घोष से सीबीआई को घोटाले में साहा की संलिप्तता के बारे में पता चला। (आईएएनएस)
हैदराबाद, 14 अप्रैल | तेलंगाना भाजपा के अध्यक्ष बांदी संजय कुमार ने शुक्रवार को मांग की कि मुख्यमंत्री के. चंद्रशेखर राव दलित समुदाय से विश्वासघात करने के लिए माफी मांगें। संजय ने कहा कि मुख्यमंत्री केसीआर एक दलित को तेलंगाना का पहला मुख्यमंत्री बनाने का वादा पूरा करने में 'विफल' रहे। उन्होंने आरोप लगाया कि केसीआर हर दलित परिवार को तीन एकड़ जमीन देने के अपने वादे से भी मुकर गए।
संजय ने आरोप लगाया कि राज्य में दलितों की जमीनों पर कब्जा किया जा रहा है। वह भाजपा कार्यालय में डॉ बी आर अंबेडकर की जयंती पर उन्हें श्रद्धांजलि देने के बाद संवाददाताओं से बातचीत कर रहे थे।
बीजेपी नेता ने पूछा कि क्या केसीआर ने इतने सालों में अंबेडकर जयंती और वर्धांती कार्यक्रमों में हिस्सा नहीं लिया। संजय ने पूछा कि क्या केसीआर ने संविधान को फिर से लिखने के लिए कहकर बाबासाहेब का अपमान नहीं किया था।
उन्होंने कहा कि अगर केसीआर दलितों के आर्थिक सशक्तिकरण को लेकर गंभीर हैं तो उन्हें दलित बंधु योजना पर श्वेत पत्र जारी करना चाहिए। उन्होंने यह भी जानना चाहा कि बीआरएस सरकार फीस प्रतिपूर्ति और आरोग्यश्री के लिए धन उपलब्ध कराए बिना गरीबों से शिक्षा और दवा क्यों छीन रही है।
हैदराबाद में अंबेडकर की 125 फीट ऊंची प्रतिमा की स्थापना पर, भाजपा नेता ने दावा किया कि प्रतिमा का उदय केवल इसलिए हुआ क्योंकि भाजपा ने इस मुद्दे को उठाया।
केसीआर को दलित विरोधी करार देते हुए, संजय ने कहा कि केसीआर को अंबेडकर की प्रतिमा का अनावरण करने का कोई अधिकार नहीं था क्योंकि उन्होंने पूर्व में उनकी जयंती और पुण्यतिथि कार्यक्रमों में भाग नहीं लेकर और भारतीय संविधान को फिर से लिखने की मांग कर दिवंगत नेता का अपमान किया था। (आईएएनएस)
शशि थरूर
एक असामान्य घटना में अम्बेडकर के दिवंगत पिता के श्राद्ध कर्म में उनकी पत्नी रमाबाई शामिल हुई थीं। श्राद्ध के बाद सामान्यत: ब्राह्मणों को भोजन कराने और मिठाई देने की परंपरा थी, लेकिन अम्बेडकर ने इसकी बजाय अपने समुदाय के 40 छात्रों को मांस और मछली का भोजन कराया।
अम्बेडकर अपने प्यारे रामू (प्यार से जिस नाम से वह उस महिला को बुलाते थे) की मृत्यु से टूट गए थे। उसने उनके लिए बहुत कुछ सहा था, उनकी उपेक्षा बर्दाश्त की थी और सार्वजनिक जीवन के प्रति उसकी व्यस्तता को चुपचाप सहन किया, अपने परिवार को खाना खिलाने के लिए खुद भूखी रही, वर्षो के उस समय का बोझ बर्दाश्त किया जब परिवार का गुजर-बसर बमुश्किल हो पाता था, और अपने तीन बेटों और एक बेटी को खोने का दु:ख सहा।
अम्बेडकर ने 1928 में 'बहिष्कृत भारत' में एक लेख में खुलासा किया था, आर्थिक तंगी के दिनों में वह अपने सिर पर गोबर की टोकरी ढोने से भी नहीं झिझकीं। और यह लेखक 24 घंटे में से आधा घंटा भी अपनी इस बेहद स्नेही, मिलनसार और आदरणीय पत्नी के लिए नहीं निकाल सका।
अम्बेडकर ने यह सुनिश्चित किया कि उनकी पत्नी का अंतिम संस्कार पारंपरिक हिंदू रीति-रिवाजों के अनुसार किया जाए, हालांकि उस समय उनके शरीर पर उनकी पंसदीदा सफेद साड़ी थी न कि पारंपरिक तौर पर हरी साड़ी। इसके बाद वह अपने कमरे में चले गए और पूरी रात रोते रहे।
पांच साल बाद, जब उन्होंने अपनी पुस्तक 'पाकिस्तान ऑर द पार्टीशन ऑफ इंडिया' प्रकाशित की तो अम्बेडकर ने इसे रमाबाई को समर्पित किया और रामू की याद में अंकित किया।
उनके दिल की अच्छाई, दिमाग की कुलीनता और चरित्र की शुद्धता की मेरी प्रशंसा के प्रतीक के रूप में, और मेरे साथ पीड़ा सहने के लिए शांत धैर्य और तत्परता के लिए भी, जो उन्होंने हमारे लोगों पर गुजरे तंगी और चिंता के उन दिनों में दिखाए जब हमारा कोई मित्र नहीं था।
अम्बेडकर एक शुरुआती नारीवादी थे। उनकी पहली पत्नी, रमाबाई के साथ उनका रिश्ता, असहमति के बावजूद दोस्ती और बहस पर आधारित था और कई मायनों में बीसवीं शताब्दी के सबसे शक्तिशाली नारीवादी नारों में से एक 'द पर्सनल इज पॉलिटिकल' का सटीक प्रतिनिधित्व करता है।
घर के भीतर अम्बेडकर का नारीवाद निश्चित रूप से एक भारतीय के लिए असामान्य था, और खासकर उस समय के भारतीय पुरुष व्यावहारिक रूप से इससे अज्ञात थे। उन्होंने भारतीय समाज में महिलाओं की भूमिका पर विस्तार से बात की। समानता पर जोर देते हुए उन्होंने महिलाओं को इससे अलग नहीं रखा - उन्होंने जाति और लिंग आधारित भेदभाव दोनों पर समान जोर दिया।
अम्बेडकर ने 1916 में 'कास्ट्स इन इंडिया' पर अपने अग्रणी कोलंबिया व्याख्यान में तर्क दिया था कि सजातीय विवाह - विशेष रूप से एक ही जाति और समुदाय के भीतर विवाह - जाति के स्थायीकरण का सबसे बड़ा कारण था। विशेषाधिकार और वर्णक्रम के लिए उनकी चुनौती घर के भीतर भी इन धारणाओं को विस्तार करने वाले मानदंडों पर सवाल उठाती है।
उन्होंने अखिल भारतीय दलित महिला सम्मेलन (1942) में महिला दर्शकों से बातचीत में इस विचार के बारे विस्तार से बताया: अपने बच्चों को शिक्षा दें। उनमें महत्वाकांक्षा पैदा करें.. शादी करने में जल्दबाजी न करें: विवाह एक दायित्व है। आपको इसे बच्चों पर तब तक नहीं थोपना चाहिए जब तक कि वे आर्थिक रूप से उनसे उत्पन्न होने वाली देनदारियों को पूरा करने में सक्षम न बन जाएं.. और सबसे बढ़कर प्रत्येक लड़की जो शादी करती है अपने पति का सामना करे, अपने पति की दोस्त और उसके बराबर होने का दावा करे, और उसका गुलाम बनने से इनकार कर दे।
एक ऐसे समाज में जहां एक महिला की वैवाहिक स्थिति को बहुत महत्व दिया जाता है, विवाह की पवित्रता को कमजोर करने का साहसिक कार्य और वैवाहिक जीवन में महिलाओं को पुरुषों के बराबर खड़ा करने की उनकी मांग ने भारतीय महिलाओं के लिए उनके अपने परिवार के भीतर गरिमा की एक अद्वितीय और साहसिक घोषणा की। वे उन्नीसवीं सदी के मध्य में मुक्ताबाई साल्वे से लेकर बीसवीं की शुरूआत में जयबाई चौधरी तक दलित नारीवाद की परंपरा में एक दुर्लभ और अग्रणी पुरुष स्वर थे।
अम्बेडकर ने 1938 में बॉम्बे विधान सभा में घोषणा की, यदि पुरुषों को प्रसव के दौरान महिलाओं को होने वाली पीड़ा को सहन करना पड़ता है, तो उनमें से कोई भी अपने जीवन में एक से अधिक बच्चे पैदा करने के लिए सहमत नहीं होता।
असेम्बली में अपने काम में, अम्बेडकर ने महिलाओं के लिए उपलब्ध सीमित चिकित्सा सहायता और अपर्याप्त सस्ती स्वास्थ्य देखभाल के कारण होने वाली मौतों पर भी प्रकाश डाला, एक ऐसा मुद्दा जो अब भी काफी हद तक अनसुलझा है।
जल्दी-जल्दी बच्चे पैदा करने और बाद में जोखिम भरे गर्भपात का विकल्प चुनने की बजाय, अम्बेडकर ने खुलकर महिलाओं के स्वास्थ्य और कल्याण के हित में परिवार नियोजन की सिफारिश की। अम्बेडकर ने 1938 में बॉम्बे लेजिस्लेटिव एसेम्बली में सरकार द्वारा वित्त पोषित परिवार नियोजन के समर्थन में एक प्रस्ताव पारित करने की मांग की। लेकिन उनका प्रस्ताव गिर गया, 11 सदस्यों ने विधेयक के पक्ष में और 52 सदस्यों ने इसके विरोध में मतदान किया (इस आधार पर कि यह अनैतिकता फैलाएगा और भारतीय परिवार इकाई के टूटने का कारण बनेगा)। उनकी प्रतिक्रिया की कल्पना मात्र की जा सकती है।
(प्रकाशक अलेफ की अनुमति से शशि थरूर द्वारा लिखित 'अंबेडकर ए लाइफ' के अंश)
जमशेदपुर, 14 अप्रैल झारखंड के जमशेदपुर में पुलिस ने सोशल मीडिया पर एक समुदाय विशेष की धार्मिक भावनाओं को आहत करने के लिए एक व्हॉट्सएप ग्रुप बनाने के आरोप में तीन लोगों को गिरफ्तार किया है। एक पुलिस अधिकारी ने यह जानकारी दी।
जमशेदपुर के शास्त्रीनगर इलाके में एक धार्मिक ध्वज के कथित अपमान को लेकर पिछले रविवार को दो समूहों के बीच झड़प हुई थी।
बिष्टुपुर थाना प्रभारी अंजनी कुमार ने बृहस्पतिवार को बताया कि पुलिस ने अपने तकनीकी प्रकोष्ठ की मदद से बुधवार की रात को पता लगाया कि कुछ लोगों ने एक व्हॉट्सएप ग्रुप बनाया है और एक समुदाय विशेष की धार्मिक भावना को ठेस पहुंचाने की साजिश रच रहे हैं।
कुमार के मुताबिक, पुलिस के तकनीकी प्रकोष्ठ ने उक्त व्हॉट्सएप ग्रुप की जांच की और ग्रुप के एडमिन और दो सदस्यों को गिरफ्तार कर लिया। उन्होंने बताया कि तीनों गिरफ्तार आरोपी जमशेदपुर के धतकीडीह हरिजन भाटी इलाके के निवासी हैं।
कुमार के अनुसार, गिरफ्तार आरोपियों ने पूछताछ में एक समुदाय विशेष की धार्मिक भावनाओं को आहत करने के प्रयास में अपनी संलिप्तता की बात स्वीकार की है। (भाषा)
नयी दिल्ली, 14 अप्रैल ‘मैट्रिमोनियल वेबसाइट’ पर खुद को एक अमीर कुवांरा बताकर महिलाओं से कथित तौर पर पैसे ठगने के आरोप में 26 वर्षीय एक व्यक्ति को गिरफ्तार किया गया है। पुलिस ने शुक्रवार को यह जानकारी दी।
‘मैट्रिमोनियल वेबसाइट’ पर लोग शादी के लिए रिश्ते तलाशने के वास्ते अपना खाता बनाते हैं।
पुलिस ने बताया कि उत्तर प्रदेश के मुजफ्फरनगर के निवासी विशाल ने वेबसाइट पर खुद को एक अमीर कुंवारा बताया था। वह महिलाओं को आकर्षित करने के लिए महंगी गाड़ियों का इस्तेमाल करता था। वह महिलाओं को कम दाम पर आईफोन (मोबाइल फोन) दिलाने के बहाने कथित तौर पर पैसे भेजने को कहता था।
उन्होंने बताया कि विशाल एक पढ़ा-लिखा पेशेवर हैं और एक बहुराष्ट्रीय निगम (एमएनसी) में काम करता था। अपने कारोबार में नुकसान झेलने के बाद, उसने महिलाओं को ठगना शुरू किया। एक महिला के उत्तर पश्चिमी दिल्ली के केशवपुरम थाने में 3.05 लाख रुपये की धोखाधड़ी की शिकायत दर्ज कराने के बाद यह मामला सामने आया।
पुलिस ने बताया कि गुरुग्राम में एक एमएनसी में काम करने वाली महिला के माता-पिता ने ‘मैट्रिमोनियल वेबसाइट’ पर उसका खाता बनाया था। वर की तलाश में उनकी पहचान इस व्यक्ति से हुई जो खुद को हर साल 50 से 70 लाख कमाने वाला एक एचआर पेशेवर बताता था। इसके बाद महिला की उससे बातचीत होने लगी और दोनों ने एक-दूसरे को अपने नंबर दिए और सोशल मीडिया मंच पर भी एक-दूसरे से जुड़े।
महिला ने अपनी शिकायत में आरोप लगाया, ‘‘ मार्च 2023 में उसने उसे महंगी गाड़ियों की तस्वीरें भेजीं और उससे (उसकी) पसंद पूछी। उसने महिला को प्रभावित करने के लिए गुरुग्राम में अपनी संपत्तियों के रूप में कुछ विला और फार्महाउस दिखाए। उसने गुरुग्राम में उसका खान-पान का अच्छा कारोबार होने की बात भी कही।’’
पुलिस ने बताया कि महिला का विश्वास जीतने के बाद उसने उसे कम दाम में आईफोन 14-प्रो मैक्स खरीदने का प्रस्ताव दिया। उसने उसके रिश्तेदारों और दोस्तों के लिए भी फोन खरीदने को कहा। महिला ने उसकी बात मानकर उसे यूपीआई (यूनिफाइड पेमेंट्स इंटरफेस) के जरिए आठ बार में तीन लाख पांच हजार रुपये भेजे।
महिला ने आरोप लगाया कि पैसे भेजने के बाद उसने सोशल मीडिया पर उसे ‘ब्लॉक’ कर दिया और बताया कि वह दुर्घटना का शिकार हो गया है और जयपुर के एक अस्पताल में भर्ती है। इसके कुछ दिन बाद उसने महिला के फोन उठाने भी बंद कर दिए, जिससे महिला को उसके साथ धोखाधड़ी होने का एहसास हुआ।
पुलिस उपायुक्त (उत्तर पश्चिम) जितेंद्र कुमार मीणा ने बताया कि शिकायत मिलने के कुछ दिन बाद पुलिस के लिए काम कर रही एक महिला ने आरोपी व्यक्ति से उसी वेबसाइट पर संपर्क किया और फिर उस व्यक्ति ने उसे भी पीड़िता की तरह प्रभावित करने की कोशिश की। पुलिस के लिए काम कर रही महिला ने उसे मिलने बुलाया और इसी दौरान पुलिस ने उसे गिरफ्तार कर लिया।
मीणा ने कहा, ‘‘ पूछताछ के दौरान, उसने धोखाधड़ी में शामिल होने की बात स्वीकार की। उसने खुलासा किया कि दिल्ली से बीसीए और एमबीए पूरा करने के बाद, उसने 2018 में गुरुग्राम में एक एमएनसी में एचआर पेशेवर के रूप में काम किया। उसने 2021 में नौकरी छोड़ दी और गुरुग्राम में एक रेस्तरां खोला, लेकिन वह चला नहीं।’’
अधिकारी ने बताया कि विशाल ने ‘मैट्रिमोनियल वेबसाइट’ पर एक खाता बनाया और खुद को एक अमीर कुंवारा बताया। उसने ढोंग करने के लिए 2,500 रुपये प्रतिदिन पर एक एप के जरिए 15 दिन के लिए एक लग्जरी कार भी किराए पर ली।
पुलिस इसी तरह की अन्य शिकायतों में विशाल की संभावित संलिप्तता का पता लगाने की कोशिश कर रही है। उसके बैंक खाते को भी खंगाला जा रहा है। (भाषा)
रांची, 14 अप्रैल प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने कथित रूप से जमीन हड़पने के एक मामले में धनशोधन संबंधी जांच के सिलसिले में झारखंड, बिहार और पश्चिम बंगाल में छापेमारी के बाद एक सरकारी अधिकारी समेत सात लोगों को गिरफ्तार किया है। आधिकारिक सूत्रों ने शुक्रवार को यह जानकारी दी।
उन्होंने बताया कि गिरफ्तार किए गए लोगों की पहचान अफशर अली, इम्तियाज अहमद, प्रदीप बागची, मोहम्मद सद्दाम हुसैन, तल्हा खान, भानु प्रताप प्रसाद और फैयाज खान के रूप में की गई है।
सूत्रों के मुताबिक, प्रसाद झारखंड सरकार में मंडल निरीक्षक हैं, जबकि बाकी छह मामले में शामिल ‘बिचौलिये’ बताए जा रहे हैं।
सूत्रों के अनुसार, सातों लोगों को धनशोधन रोकथाम कानून (पीएमएलए) की आपराधिक धाराओं के तहत गिरफ्तार किया गया है।
झारखंड, बिहार और पश्चिम बंगाल में बृहस्पतिवार को कुल 22 स्थानों पर छापेमारी की गई थी। इस दौरान, 2011 बैच के झारखंड काडर के भारतीय प्रशासनिक सेवा (आईएएस) अधिकारी छवि रंजन के परिसरों पर भी छापे मारे गए थे।
रंजन पहले झारखंड की राजधानी रांची में उपायुक्त के तौर पर पदस्थ थे। छापेमारी के दौरान जांच एजेंसी ने उनसे पूछताछ भी की थी।
छापेमारी की कार्रवाई धनशोधन निवारण अधिनियम (पीएमएलए) के प्रावधानों के तहत की गई और एजेंसी कथित रूप से रक्षा भूमि सहित अन्य जमीन को हड़पने के दर्जन भर से अधिक मामलों की जांच कर रही है।
आरोप है कि इन जमीन सौदों के तहत भू ‘माफिया’, बिचौलियों और नौकरशाहों के एक समूह ने कथित तौर पर ‘सांठगांठ’ की और 1932 और उसके बाद की अवधि में जमीन के जाली कागजात और दस्तावेज बनाए।
ईडी के सूत्रों ने कहा कि इस घोटाले के तहत गरीबों और वंचितों की जमीन को ‘हड़पा’ गया।
जांच एजेंसी ने स्थानीय नगर निगम द्वारा कुछ व्यक्तिगत पहचान दस्तावेजों की जालसाजी के आरोप में दर्ज कराई गई एक प्राथमिकी को संज्ञान में लेते हुए मामले की पीएमएलए के तहत जांच शुरू की थी।
सूत्रों के मुताबिक, छापेमारी के दौरान ईडी ने कई फर्जी मुहर, जमीन दस्तावेज और रजिस्ट्री दस्तावेज बरामद किए हैं।
भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के नेता बाबूलाल मरांडी ने बृहस्पतिवार को एक बयान जारी किया था और सवाल किया था कि ईडी की ताजा कार्रवाई के बाद झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन क्या कदम उठाएंगे।
यह दूसरा ऐसा मामला है, जिसमें झारखंड काडर का कोई आईएएस अधिकारी ईडी की जांच के दायरे में आया है। पिछले साल, ईडी ने धन शोधन से जुड़े एक मामले में झारखंड काडर की आईएएस अधिकारी पूजा सिंघल के ठिकानों पर छापे मारे थे और उन्हें गिरफ्तार किया था। (भाषा)
प्रतापगढ़ 14 अप्रैल, उत्तर प्रदेश में प्रतापगढ़ जिला मुख्यालय से 75 किलोमीटर दूर नवाबगंज थाना क्षेत्र के पैढ़ापुर (जनवामऊ) में बृहस्पतिवार को सिंचाई के दौरान करंट की चपेट में आने से विवाहिता एवं किशोर की मौत हो गयी, जबकि किशोरी झुलस गयी है l
अपर पुलिस अधीक्षक पश्चिमी रोहित मिश्रा नें शुक्रवार को बताया कि पैढ़ापुर (जनवामऊ) गांव में दुलारी (40) अपने रिश्तेदार मोहित (13) के साथ खेत की सिंचाई कर रही थी, उसी बीच बगल के खेत में लोहे की बाड़ में करंट आने से दुलारी उसकी चपेट में आ गयी।
उन्होंने बताया कि दुलारी को बचाने के लिए मोहित एवं सविता दौड़ी तो वे भी करंट की चपेट में आ गये । उन्होंने बताया कि दूसरे खेतोँ में काम कर रहे लोगों ने किसी तरह उन्हें करंट की चपेट से छुड़ाया एवं वे उन्हें स्थानीय चिकित्सालय ले गए,जहां चिकित्सकों ने दुलारी और मोहित को मृत घोषित किया।
मिश्रा के अनुसार गंभीर रूप से झुलसी सविता का उपचार चल रहा है
पुलिस ने दोनों शव को पोस्टमार्टम के लिए भेज कर विधिक कार्यवाही कर रही है (भाषा)
बेंगलुरु, 14 अप्रैल कर्नाटक में 10 मई को होने वाले विधानसभा चुनाव में टिकट नहीं मिलने के बाद भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) की प्राथमिक सदस्यता से इस्तीफा देने की घोषणा करने वाले पूर्व उपमुख्यमंत्री लक्ष्मण सावदी ने शुक्रवार को कांग्रेस की राज्य इकाई के अध्यक्ष डी के शिवकुमार सहित पार्टी के वरिष्ठ नेताओं से मुलाकात की।
पूर्व मुख्यमंत्री सिद्धरमैया और कांग्रेस महासचिव एवं कर्नाटक के पार्टी प्रभारी रणदीप सिंह सुरजेवाला भी इस मौके पर मौजूद थे।
सावदी के अनुरोध को नजरअंदाज करते हुए भाजपा ने इस सप्ताह की शुरुआत में बेलगावी जिले की अथानी सीट मौजूदा विधायक महेश कुमाथल्ली को दे दी थी।
सावदी, वर्तमान में भाजपा के टिकट पर विधान परिषद के सदस्य हैं। वह अथानी से तीन बार विधायक भी रह चुके हैं। वर्ष 2018 के विधानसभा चुनावों में वह कुमाथल्ली (तब कांग्रेस में) से हार गए थे।
कुमाथल्ली पाला बदलने वाले कांग्रेस के उस समूह में शामिल थे, कांग्रेस-जद (एस) गठबंधन की सरकार को गिराने और 2019 में बी एस येदियुरप्पा के नेतृत्व में सरकार बनाने में मदद की थी। (भाषा)
जयपुर, 14 अप्रैल राजस्थान के राज्यपाल कलराज मिश्र कोरोना वायरस से संक्रमित पाए गए हैं।
राजभवन ने मिश्र के कोरोना वायरस से संक्रमित पाए जाने की जानकारी शुक्रवार को दी।
राजभवन ने ट्वीट किया, ‘‘राज्यपाल कलराज मिश्र जी कोविड जांच रिपोर्ट में संक्रमित पाए गए हैं। गत कुछ दिनों में उनके संपर्क में आए लोग कृपया अपनी जांच कराएं।’’
इसमें सभी लोगों से सतर्क रहने एवं कोरोना वायरस संबंधी दिशा-निर्देशों का पालन करने का अनुरोध किया गया है।
हाल में मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे भी संक्रमित पाई गई थीं।
राजस्थान में बृहस्पतिवार को कोरोना वायरस से संक्रमित तीन और मरीजों की मौत हो गई थी और 293 नये मामले सामने आये थे। राज्य में बृहस्पतिवार शाम तक 1,474 संक्रमित उपाचाराधीन थे। (भाषा)
नयी दिल्ली, 14 अप्रैल राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू, उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़, लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, कांग्रेस की वरिष्ठ नेता सोनिया गांधी सहित अनेक नेताओं, सांसदों आदि ने संसद भवन परिसर में बाबा साहेब भीमराव आंबेडकर को उनकी जयंती पर श्रद्धांजलि अर्पित की।
राष्ट्रपति मुर्मू ने अपने संदेश में कहा, ‘‘ज्ञान और विलक्षणता के प्रतीक डॉ. आंबेडकर ने विपरीत परिस्थितियों में भी, एक शिक्षाविद्, विधि विशेषज्ञ, अर्थशास्त्री, राजनीतिज्ञ और समाज सुधारक के रूप में महान योगदान दिया और राष्ट्र के कल्याण के लिए ज्ञान का प्रसार किया।’’
उन्होंने कहा कि उनका (बाबा साहेब) मूल मंत्र- ‘वंचित समुदाय को समाज की मुख्य धारा में लाने के लिए शिक्षित हों, संगठित बनो और संघर्ष करो’- हमेशा ही प्रासंगिक बना रहेगा।
वहीं, उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने ट्वीट किया, ‘‘ डा. बी आर आंबेडकर को उनकी जयंती पर विनम्र श्रद्धांजलि। वे एक दिग्गज बुद्धिजीवी, विधिवेत्ता, सामाज सुधारक और सच्चे राष्ट्रवादी थे।’’ उपराष्ट्रपति ने कहा कि बाबा साहेब कानून के शासन के पक्षधर, न्याय की अनथक वकालत करने वाले और सभी के लिए समान अधिकारों के लिए काम करने वाले व्यक्ति थे।
लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने कहा कि डॉ भीमराव आंबेडकर सामाजिक बदलाव के प्रणेता थे और उन्होंने समानता, स्वतंत्रता, न्याय और बंधुत्व के मूल्यों को बढ़ावा दिया ।
बिरला ने कहा, ‘‘ बाबा साहेब ने संपूर्ण विश्व को प्रेरणा देने वाले संविधान की रचना की। भारत तथा भारतीयों के प्रति उनका योगदान वंदनीय है।’’
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ट्वीट किया, ‘‘समाज के वंचित और शोषित वर्ग के सशक्तीकरण के लिए अपना जीवन समर्पित करने वाले पूज्य बाबा साहेब को उनकी जयंती पर शत-शत नमन। जय भीम!" संसद परिसर में आयोजित एक समारोह में, राज्यसभा के उपसभापति हरिवंश, कांग्रेस की वरिष्ठ नेता सोनिया गांधी, कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे सहित अनेक नेताओं, सांसदों आदि ने बाबा साहेब की प्रतिमा पर पुष्पांजलि अर्पित की।
गौरतलब है कि आंबेडकर का जन्म 14 अप्रैल, 1891 को मध्य प्रदेश के महू में हुआ था। एक साधारण पृष्ठभूमि से उठकर वह स्वतंत्रता संग्राम के दौरान हाशिए पर पड़े लोगों की मुखर आवाज बने। उन्हें कई सामाजिक सुधारों की शुरुआत करने का श्रेय दिया जाता है। (भाषा)
नई दिल्ली, 14 अप्रैल । उमेश पाल हत्याकांड के मुख्य अभियुक्त और बाहुबली नेता अतीक़ अहमद के बेटे असद अहमद और उनके साथी ग़ुलाम मोहम्मद को झांसी के पास गुरुवार को पुलिस ने एक एनकाउंटर में मार दिया है.
क़ानून का पालन करने वाली एजेंसियां एनकाउंटर का इस्तेमाल एक हथियार के रूप में न कर सकें, इसलिए इस तरह की एक्स्ट्रा ज्यूडिशियल किलिंग्स को लेकर राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (एनएचआरसी) और सुप्रीम कोर्ट ने विस्तृत दिशानिर्देश दिए हैं.
इंडियन एक्सप्रेस ने इस दिशानिर्देश से जुड़ी कुछ बातें अपनी रिपोर्ट में छापी हैं.
अख़बार लिखता है कि 2014 में पीयूसीएल (पीपल्स यूनियन फ़ॉर सिविल लिबर्टीज़) बनाम महाराष्ट्र सरकार मामले में मुख्य न्यायाधीश आरएम लोढा और रोहिंगटन फ़ली नरीमन की बेंच ने पुलिस एनकाउंटर से जुड़ा 16 सूत्री दिशार्निदेश दिया था.
कोर्ट का कहना था कि ऐसे मामले जिनमें पुलिस कार्रवाई में व्यक्ति की मौत हुई हो या फिर उसे गंभीर चोट आई हो, उनमें एफ़आई दर्ज करना बाध्यकारी है, साथ ही मामले की मजिस्ट्रेट से जांच कराना, लिखित दस्तावेज़ रखना और सीआईडी जैसी एजेंसियों से स्वतंत्र जांच की बात भी शामिल है.
कोर्ट ने कहा था, "पुलिस कार्रवाई के दौरान हुई इस तरह की सभी मौतों की मजिस्ट्रेट जांच ज़रूरी है. जांच में मृतक के परिवार को शामिल किया जाना चाहिए. पुलिस को आईपीसी की उपयुक्त धारा के तहत एफ़आईआर दर्ज करनी चाहिए और इस बात की भी जांच होनी चाहिए कि ताक़त का इस्तेमाल करना जायज़ था या नहीं. इसकी रिपोर्ट ज्यूडिशियल मजिस्ट्रेट के पास भेजी जानी चाहिए."
दिशानिर्देशों में कहा गया है कि "पुलिस को मामले से जुड़ी जो ख़ुफ़िया जानकारी मिलती है उसे या तो केस डायरी में या फिर किसी और तरीके से लिखा जाना ज़रूरी है. अगर जानकारी के आधार पर की गई कार्रवाई में किसी व्यक्ति की मौत हुई तो एफ़आईआर दर्ज कर तुरंत कोर्ट में पेश किया जाना चाहिए."
कोर्ट का कहना था कि इस मामले में अगर जांच की स्वतंत्रता और निष्पक्षता को लेकर गंभीर शक़ न हों तो एनएचआरसी को इसकी रिपोर्ट देना ज़रूरी नहीं है, हालांकि एनएचआरसी और राज्य मानवाधिकार कमीशन को इसकी जानकारी ज़रूर दी जानी चाहिए.
असम ने एक ही परिसर में बिहू नृत्य के सबसे बड़े आयोजन के जरिए बृहस्पतिवार को अपना नाम गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड्स में दर्ज करा लिया.
डॉयचे वैले पर प्रभाकर मणि तिवारी की रिपोर्ट-
विश्व रिकॉर्ड बनाने के मकसद से राजधानी गुवाहाटी के सरूसजाई स्टेडियम में आयोजित इस आयोजन में 11 हजार से युवक-युवतियों ने एक साथ बिहू नृत्य किया.
पहले इसका आयोजन 14 अप्रैल को होना था. लेकिन इसे एक दिन पहले ही कर दिया गया. शुक्रवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी गुवाहाटी में आयोजित एक समारोह में मौजूद रहेंगे. गिनीज बुक ऑफ रिकॉर्ड्स का प्रमाण पत्र 14 अप्रैल को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की मौजूदगी में जारी किया जाएगा.
असम के मुख्यमंत्री हिमंता बिस्वा सरमा ने पत्रकारों से बातचीत में कहा कि कोरोना काल के दौरान राज्य के इस सबसे बड़े त्योहार का आयोजन फीका रहा था. इसलिए सरकार ने इसे यादगार बनाते हुए इस साल गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकार्ड्स में नाम दर्ज कराने के लिए महीनों पहले से तैयारी शुरू की थी. इसके लिए पूरे राज्य से युवक और युवतियों को चुना गया था.
सरमा ने उम्मीद जताई कि अब असम और उसकी सांस्कृतिक विरासत को दुनिया में एक नई पहचान मिलेगी. सरकार ने इस आयोजन में हिस्सा लेने वालों को 25-25 हजार रुपये देने का एलान किया है.
क्या है बहाग या रंगाली बिहू
वैसे, तो असम में साल भर के दौरान तीन बार इस उत्सव का आयोजन किया जाता है. लेकिन बोहाग बिहू ही इनमें सबसे प्रमुख है. इस दौरान पूरे राज्य के लोग ही नहीं, बल्कि पेड़,पौधे व पहाड़ भी मानो सजीव हो उठते हैं. पहले तो यह उत्सव पूरे एक महीने तक चलता था. लेकिन जिंदगी की आपाधापी ने अब इसे एक सप्ताह तक सीमित कर दिया है. इस एक सप्ताह के दौरान राज्य में सब कुछ बिहूमय हो उठता है. उस समय फसलें कट चुकी होती हैं, नए मौसम की तैयारियां शुरू होने में कुछ समय होता है. इस बीच के समय को ही उत्सव के तौर पर मनाया जाता है.
इस त्योहार के दौरान कई खेलों का आयोजन भी किया जाता है जैसे-बैलों की लड़ाई, मुर्गों की लड़ाई और अंडों का खेल आदि. बिहू के पहले दिन को गाय बिहू के तौर पर मनाया जाता है. इस दिन लोग सुबह अपनी-अपनी गायों को नदी में ले जाकर नहलाते हैं. गायों को नहलाने के लिए रात में ही भिगो कर रखी गई उड़द की दाल और कच्ची हल्दी का इस्तेमाल किया जाता है. उसके बाद वहीं पर उनको लौकी और बैगन खिलाया जाता है. माना जाता है कि ऐसा करने से गायें साल भर स्वस्थ रहती हैं. शाम के समय गाय को उसकी जगह पर नई रस्सी से बांधा जाता है और तरह-तरह के औषधि वाले पेड़-पौधे जला कर मच्छर-मक्खियों को भगाया जाता है.
दूसरा दिन साफ-सुथरे नए कपड़े पहनने का दिन होता है. इस दिन बुजुर्गों को सम्मान दिया जाता है और लोग पैर छू कर उनसे आशीर्वाद लेते हैं. तमाम लोग खुशी के साथ नए साल को बधाई देने के लिए रिश्तेदारों और दोस्तों के घर जाते हैं. पारंपरिक असमिया गामोछा को सम्मान का प्रतीक माना जाता है. इस दिन लोग एक-दूसरे को यह गमछा ओढ़ाते हैं.
बिहू के दौरान ही युवक-युवतियां अपना मनपसंद जीवन साथी भी चुनते हैं और अपनी जिंदगी नए सिरे से शुरू करते हैं. यही वजह है कि राज्य ज्यादातर शादियां बिहू के तुरंत बाद वैशाख महीने में ही होती हैं. बिहू के समय में गांव में तरह-तरह के खेल-तमाशे का आयोजन किया जाता है.
बिहू का इतिहास
बिहू की शुरुआत सबसे पहले कब हुई, इसका कहीं कोई साफ जिक्र नहीं मिलता. लेकिन समझा जाता है कि ईसा से लगभग साढ़े तीन हजार साल पहले इसका आयोजन शुरू हुआ. बिहू के दौरान राज्य में जगह-जगह मंच बना कर सात दिनों तक बिहू गीत व नृत्य का आयोजन किया जाता है. लोग नए कपड़े पहनते हैं. सरकारी दफ्तरों में भी छुट्टियां होती हैं.
फसलों की कटाई का जश्न मनाते हुए मनाए जाने वाले इस पर्व में नारियल, चावल, तिल, दूध का इस्तेमाल पकवान बनाने के लिए प्रमुखता से किया जाता है. इस दौरान प्यार व आदर जताने के लिए लोग एक-दूसरे को अपने हाथों से बुने हुए गमछे भी भेंट करते हैं. यह उत्सव अमूमन हर साल 14 अप्रैल से शुरू होता है. असमिया नववर्ष भी इसी दिन से शुरू होता है.
इस सप्ताह-व्यापी उत्सव के दौरान इस दौरान जगह-जगह बने मंच पर युवक-युवतियां सामूहिक नृत्य करते हैं. बिहू में पुरुष और महिला दोनों अलग-अलग संरचनाओं में नृत्य करते हैं. लेकिन बावजूद इसके इस नृत्य में लय और तालमेल बेहद अहम और लाजवाब होता है. इस दौरान गीतों के जरिए बिहू की महिला का बखान किया जाता है. इनमें कहा जाता है कि वैशाख केवल एक ऋतु ही नहीं, न ही यह एक महीना है, बल्कि यह असमिया जाति की जीवन रेखा और सामान्य जनजीवन का साहस है.
बिहू गीतों का असमिया साहित्य पर भी गहरा असर है. रामायण के अनुवादक माधवदेव और शंकरदेव भी इसके असर से नहीं बच सके थे. बिहू के दौरान राज्य में जगह-जगह बिहू कुंवरी या बिहू सुंदरी प्रतियोगिता का भी आयोजन होता है. इसमें बेहतर नृत्य करने वाले को सम्मानित किया जाता है. असम में बोहाग बिहू शुरू होने के पहले से ही घर-घर से बिहू गीतों की गूंज हवा में समाने लगती है.
प्रधानमंत्री का दौरा
इस ऐतिहासिक मौके पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी शुक्रवार को असम के दौरे पर जाएंगे. वे वहां बिहू नृत्य के आयोजन में शिरकत करने के अलावा इलाके के विकास के लिए 14,300 करोड़ रुपये की परियोजनाओं का उद्घाटन और शिलान्यास करेंगे. मोदी दोपहर करीब करीब 12 बजे एम्स गुवाहाटी पहुंचेंगे और इसके नवनिर्मित परिसर का निरीक्षण करेंगे. बाद में एक सार्वजनिक समारोह में वह एम्स, गुवाहाटी और तीन अन्य मेडिकल कॉलेजों को राष्ट्र को समर्पित करेंगे. इसके बाद प्रधानमंत्री श्रीमंत शंकरदेव कलाक्षेत्र में गौहाटी हाईकोर्ट के प्लैटिनम जयंती समारोह में शामिल होंगे.
उसी दिन शाम को एक सार्वजनिक समारोह की अध्यक्षता करने के लिए गुवाहाटी के सरूसजाई स्टेडियम पहुंचेंगे, जहां वह दस हजार से अधिक कलाकारों/बिहू नर्तकों की ओर से पेश रंगारंग बिहू कार्यक्रम देखेंगे. कार्यक्रम के दौरान वह नामरूप में 500 टीपीडी मेन्थॉल संयंत्र को चालू करने के अलावा पलासबाड़ी और सुआलकुची को जोड़ने के लिए ब्रह्मपुत्र नदी पर पुल की आधारशिला रखने समेत विभिन्न विकास परियोजनाओं परियोजनाओं का शिलान्यास करेंगे व पांच रेल परियोजनाओं को राष्ट्र को समर्पित करेंगे. (dw.com)
सुप्रीम कोर्ट ने ओडिशा सरकार द्वारा वेदांता के लिए 6,000 एकड़ भूमि के अधिग्रहण को रद्द कर दिया है. अदालत ने अधिग्रहण के लिए कंपनी को दुर्भावनापूर्ण इरादों और सरकार को पक्षपात का दोषी ठहराया है.
डॉयचे वैले पर चारु कार्तिकेय की रिपोर्ट-
कथित भूमि ओडिशा सरकार ने वेदांता के लिए 2007 में अधिग्रहित की थी. ओडिशा हाई कोर्ट ने इस अधिग्रहण को 2010 में ही रद्द कर दिया था लेकिन उद्योगपति अनिल अग्रवाल की कंपनी वेदांता ने हाई कोर्ट के फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में अपील कर दी थी.
सुप्रीम कोर्ट ने अपने ताजा फैसले में हाई कोर्ट के फैसले को सही ठहराया है और वेदांता के अनिल अग्रवाल फाउंडेशन और ओडिशा सरकार दोनों को फटकार लगाई है.
क्या था मामला
अदालत ने जमीन को उसके असली मालिकों को वापस देने का आदेश भी दिया है, साथ ही फाउंडेशन पर पांच लाख रुपयों का जुर्माना भी लगाया है. जमीन करीब 6,000 किसानों की थी जिनके परिवार के सदस्यों को मिला कर अधिग्रहण से प्रभावित लोगों की संख्या 30,000 के आस पास है.
2006 में वेदांता ने ओडिशा सरकार से कहा था कि कंपनी राज्य में एक विश्वविद्यालय बनाना चाह रही है जिसके लिए उससे 15,000 एकड़ जमीन की जरूरत है. यह जमीन पुरी जिले में बालूखंड वन्यजीव अभयारण्य के पास स्थित थी.
राज्य सरकार की सलाह पर फाउंडेशन को निजी कंपनी से सार्वजनिक कंपनी बनाया गया, उसके बाद शिक्षण संस्थान बनाने के लिए भूमि अधिग्रहण के योग्य बताया गया और फिर सरकार ने भूमि अधिग्रहित कर ली.
इसके बाद इस अधिग्रहण को चुनौती देते हुए जमीन के मूल मालिकों ने हाई कोर्ट में दो याचिकाएं दायर कीं. सुनवाई के बाद हाई कोर्ट ने पाया कि अधिग्रहण की प्रक्रिया में भूमि अधिग्रहण कानून के कई प्रावधानों का उल्लंघन हुआ है, राज्य सरकार के साथ धोखाधड़ी हुई है और पूरी प्रक्रिया ही विकृत है.
वेदांता और सरकार को फटकार
हाई कोर्ट ने इस जमीन और इसके अलावा अतिरिक्त सरकारी जमीन के अधिग्रहण को रद्द करने का आदेश दिया था. इसी आदेश को फाउंडेशन ने सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी थी. फाउंडेशन की अपील को खारिज करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने हाई कोर्ट के फैसले को सही ठहराया.
2006 में वेदांता ने ओडिशा सरकार से कहा था कि कंपनी राज्य में एक विश्वविद्यालय बनाना चाह रही है जिसके लिए उससे 15,000 एकड़ जमीन की जरूरत है. यह जमीन पुरी जिले में बालूखंड वन्यजीव अभयारण्य के पास स्थित थी.
राज्य सरकार की सलाह पर फाउंडेशन को निजी कंपनी से सार्वजनिक कंपनी बनाया गया, उसके बाद शिक्षण संस्थान बनाने के लिए भूमि अधिग्रहण के योग्य बताया गया और फिर सरकार ने भूमि अधिग्रहित कर ली.
इसके बाद इस अधिग्रहण को चुनौती देते हुए जमीन के मूल मालिकों ने हाई कोर्ट में दो याचिकाएं दायर कीं. सुनवाई के बाद हाई कोर्ट ने पाया कि अधिग्रहण की प्रक्रिया में भूमि अधिग्रहण कानून के कई प्रावधानों का उल्लंघन हुआ है, राज्य सरकार के साथ धोखाधड़ी हुई है और पूरी प्रक्रिया ही विकृत है.
वेदांता और सरकार को फटकार
हाई कोर्ट ने इस जमीन और इसके अलावा अतिरिक्त सरकारी जमीन के अधिग्रहण को रद्द करने का आदेश दिया था. इसी आदेश को फाउंडेशन ने सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी थी. फाउंडेशन की अपील को खारिज करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने हाई कोर्ट के फैसले को सही ठहराया.
साथ ही फाउंडेशन को जुर्माने के रूप में अदालत के पास पांच लाख रुपए जमा करवाने का आदेश भी दिया, जो ओडिशा स्टेट लीगल सर्विसेज अथॉरिटी को दे दिए जाएंगे.
सुप्रीम कोर्ट ने सवाल उठाया कि जिस जमीन से दो नदियां हो कर गुजरती हैं, जिसके सिर्फ सड़क पार करने के बाद एक वन्य जीव अभयारण्य स्थित है, ऐसी जमीन एक फ्रॉड प्रक्रिया के तहत निजी उद्देश्य के लिए दिलवाने में सरकार ने "दिमाग नहीं लगाया."
अदालत ने यह भी कहा कि इस मामले में सरकार को निजी जमीन - वो भी कृषि जमीन - का अधिग्रहण करना था, ऐसे में कानून के तहत सरकार को यह पता करने की कोशिश करनी चाहिए थी कि इस जमीन को खरीदने में और किसी की भी रुचि है या नहीं. सिर्फ एक कंपनी के लिए सरकार ने प्रक्रिया का उल्लंघन किया और कंपनी को कई तरह के अनुचित लाभ पहुंचाए.
इनमें दाखिले, फीस, पाठ्यक्रम और स्टाफ की नियुक्ति में पूरी स्वायत्तता, राज्य सरकार के आरक्षण संबंधी कानूनों से पूरी छूट, नियामकों से अप्रूवल लेने में पूरी मदद, राजधानी से प्रस्तावित विश्वविद्यालय तक चौड़ी सड़क बनाने का वादा, लगभग सभी तरह के करों से छूट आदि शामिल है.
इन सब तथ्यों के आधार पर अदालत ने राज्य सरकार को फाउंडेशन के प्रति पक्षपात का दोषी ठहराया. वेदांता इससे पहले भी भूमि अधिग्रहण को लेकर कई विवादों में फंस चुकी है. (dw.com)
आयकर विभाग द्वारा बीबीसी कार्यालयों में "सर्वेक्षण" किए जाने के दो महीने बाद विदेशी मुद्रा प्रबंधन में कथित अनियमितताओं के लिए भारतीय प्रवर्तन निदेशालय ने बीबीसी इंडिया के खिलाफ मामला दर्ज किया है.
डॉयचे वैले पर आमिर अंसारी की रिपोर्ट-
मीडिया रिपोर्टों में कहा जा रहा है कि प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने गुरुवार को विदेशी मुद्रा विनियम संबंधी कथित उल्लंघन को लेकर समाचार प्रसारक बीबीसी इंडिया के खिलाफ मामला दर्ज किया है. यह पहली बार नहीं है जब बीबीसी किसी भारतीय एजेंसी की जांच के दायरे में आई हो.
दो हफ्ते पहले दर्ज हुआ मामला
मीडिया में ईडी के सूत्रों के हवाले से कहा जा रहा है कि मामला दो हफ्ते पहले दर्ज किया गया था और अब तक उन्होंने बीबीसी इंडिया के एक निदेशक समेत छह कर्मचारियों से पूछताछ की है.
सूत्रों ने कहा कि ईडी ने फेमा के प्रावधानों के तहत कंपनी के कुछ अधिकारियों के बयान दर्ज करने और दस्तावेज पेश करने के लिए भी कहा है. साथ ही कहा जा रहा है कि यह जांच अनिवार्य रूप से कंपनी द्वारा कथित प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) उल्लंघनों को देख रही है.
गुरूवार को भी ईडी के अधिकारियों ने बीबीसी के एक अन्य कर्मचारी को कुछ दस्तावेजों के साथ पूछताछ के लिए बुलाया.
तीन दिनों तक चला था आयकर का "सर्वे"
इस साल फरवरी में भारतीय आयकर विभाग ने बीबीसी इंडिया के दिल्ली और मुंबई स्थित दफ्तरों में "सर्वे" किया था. बीबीसी इंडिया के दिल्ली और मुंबई स्थित दफ्तरों में आयकर विभाग का "सर्वे" तीन दिनों तक चला था.
आयकर विभाग ने उस सर्वे के बाद कहा था कि कंपनी की आय और उसके भारत के ऑपरेशन से होने वाले मुनाफे की रिपोर्टिंग में कई वित्तीय अनियमितताएं पाईं गईं. केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड (सीबीडीटी) ने सर्वे के बाद एक बयान में कहा था कि ट्रांसफर प्राइसिंग डॉक्यूमेंट्स के संबंध में महत्वपूर्ण साक्ष्य का पता लगा.
उसका कहना था कि बीबीसी समूह की विभिन्न संस्थाओं द्वारा दिखाई गई आय और लाभ के आंकड़े भारत में उनके ऑपरेशन के अनुरूप नहीं है.
आयकर विभाग ने कहा था कि सर्वेक्षण संचालन से यह भी पता चला है कि दूसरे कर्मचारियों की सेवाओं का इस्तेमाल किया गया है, जिसके लिए भारतीय इकाई द्वारा संबंधित विदेशी संस्था को प्रतिपूर्ति की गई है. ये विदहोल्डिंग टैक्स के अधीन होने के लिए भी उत्तरदायी था, जो नहीं किया गया है.
आयकर विभाग द्वारा सर्वे ऑपरेशन 14-16 फरवरी के बीच बीबीसी के दिल्ली और मुंबई दफ्तरों में किया गया था. बयान में कहा गया कि यह आयकर अधिनियम, 1961 की धारा 133ए के तहत यह सर्वे किया गया था.
बीबीसी की डॉक्यूमेंट्री को लेकर हो चुका है बवाल
इनकम टैक्स की कार्रवाई के ठीक पहले बीबीसी की एक डॉक्यूमेंट्री को लेकर भारत में विवाद उठा था. बीबीसी की डॉक्यूमेंट्री 'इंडिया: द मोदी क्वेश्चन' में प्रधानमंत्री नरेंद्री मोदी और भारत के मुसलमानों के बीच तनाव की बात कही गई है. साथ ही गुजरात दंगों में मोदी की कथित भूमिका और दंगों के दौरान मारे गए हजारों लोगों को लेकर गंभीर आरोप लगाए गए हैं.
20 जनवरी को केंद्र सरकार ने यूट्यूब और ट्विटर को डॉक्यूमेंट्री साझा करने वाले लिंक को हटाने का आदेश दिया था. अधिकारियों का कहना था कि यह "भारत की संप्रभुता और अखंडता को कमजोर करने वाली" पाई गई है.
भारतीय विदेश मंत्रालय ने डॉक्यूमेंट्री पर सवाल उठाया था और उसे एक प्रोपेगेंडा पीस बताया था. विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अरिंदम बागची ने एक बयान में कहा था कि "इसका मकसद एक तरह के नैरेटिव को पेश करना है जिसे लोग पहले ही खारिज कर चुके हैं. इस डॉक्यूमेंट्री को बनाने वाली एजेंसी और व्यक्ति इसी नैरेटिव को दोबारा चलाना चाह रहे हैं."
भारत के कई विश्वविद्यालयों में डॉक्यूमेंट्री को दिखाए जाने और नहीं दिखाए जाने को लेकर भी विवाद पैदा हो चुका है और यूनिवर्सिटी प्रशासन के आदेश के बावजूद डॉक्यूमेंट्री दिखाने पर छात्रों के खिलाफ जांच के आदेश दिए गए थे. डॉक्यूमेंट्री पर बैन लगाने को लेकर विपक्षी दलों और अधिकार समूहों ने इसकी आलोचना की थी और इसे प्रेस की स्वतंत्रता पर हमला बताया था. (dw.com)