अंतरराष्ट्रीय
उत्तर कोरिया के नेता किम जोंग-उन ने कहा है कि वो दक्षिण कोरिया के साथ सुलह की कोशिश के लिए उसके साथ हॉटलाइन बहाल करने को तैयार हैं.
उनका ताज़ा बयान उत्तर कोरिया की संसद के सालाना सत्र के दौरान आया. उत्तर कोरिया ने इस साल अगस्त में अमेरिका के साथ दक्षिण कोरिया के सैन्य अभ्यास करने पर इस हॉटलाइन को बंद कर दिया था.
संसद सत्र के दौरान किम जोंग-उन ने अमेरिका पर आरोप लगाया है कि उसने उत्तर कोरिया के प्रति अपनी "शत्रुतापूर्ण नीति" बदले बिना ही बातचीत का प्रस्ताव दिया है.
दक्षिण कोरिया पर मेहरबान, पर अमेरिका पर निशाना
सरकारी समाचार संस्था केसीएनए ने किम जोंग-उन के हवाले से बताया, "अमेरिका 'राजनयिक जुड़ाव' की बात कर रहा है, लेकिन ये अंतरराष्ट्रीय समुदाय को धोखा देने और अपने शत्रुतापूर्ण कामों को छिपाने की छोटी सी चाल है. ये अमेरिकी प्रशासन द्वारा लगातार अपनाई गई शत्रुतापूर्ण नीतियों का ही विस्तार है."
हालांकि किम जोंग-उन दक्षिण कोरिया के साथ शांति का सशर्त प्रस्ताव बढ़ाते देखे गए.
केसीएनए की रिपोर्ट में कहा गया, "किम जोंग-उन ने कोरिया के दोनों देशों के बीच की हॉटलाइन को अक्टूबर से पहले बहाल करने की इच्छा जाहिर की है. लेकिन अब ये दक्षिण कोरिया के अधिकारियों के रवैये पर निर्भर करता है कि दोनों देशों के संबंधों को बहाल किया जाता है या वर्तमान स्थिति को यूं ही बिगड़ते रहने दिया जाएगा.'' (bbc.com)
ट्यूनिस, 30 सितम्बर | ट्यूनीशिया के राष्ट्रपति कैस सईद ने बुधवार को राष्ट्रपति पद के अनुसार नई सरकार बनाने वाली नजला बोडेन रोमधाने को अपने देश की पहली महिला प्रधानमंत्री नियुक्त किया है। समाचार एजेंसी सिन्हुआ की रिपोर्ट के अनुसार, नए सरकार के प्रमुख को संबोधित करते हुए सईद ने घोषणा की कि "देश जिस असाधारण स्थिति से गुजर रहा है, उसे देखते हुए मैंने आपको एक नई सरकार बनाने का काम सौंपने का फैसला किया है।"
सईद ने कहा, "आप हमारे देश के इतिहास में सरकार की पहली महिला मुखिया हैं।"
सईद ने कहा, "हम भ्रष्टाचार को खत्म करने और अराजकता को खत्म करने के लिए दृढ़ इच्छाशक्ति और दृढ़ संकल्प के साथ मिलकर काम करेंगे।"
राष्ट्रपति ने कहा, "मुझे उम्मीद है कि आप पिछले असाधारण उपायों के प्रावधानों के अनुसार आने वाले घंटों या दिनों में सरकार के गठन का प्रस्ताव देने में कामयाब होंगे।"
सईद ने कहा कि नई सरकार की मुख्य प्राथमिकताओं में भ्रष्टाचार के खिलाफ लड़ाई, लोगों के मौलिक अधिकारों जैसे स्वास्थ्य, शिक्षा और परिवहन के अधिकार की रक्षा करना और उन्हें बढ़ावा देना शामिल है।
1958 में जन्मी, नव नियुक्त प्रधानमंत्री ट्यूनिस के नेशनल इंजीनियरिंग स्कूल में एक अकादमिक थी और ट्यूनीशियाई उच्च शिक्षा और वैज्ञानिक अनुसंधान मंत्रालय में विश्व बैंक कार्यक्रम निष्पादन अधिकारी के पद पर भी रह चुकी हैं। (आईएएनएस)
चिली की संसद ने एक कानून पास किया है जिसके तहत निजी पहचान, इच्छा और मानसिक निजता को अधिकारों का दर्जा दिया गया है. ऐसा करने वाला चिली दुनिया का पहला देश बन गया है.
डॉयचे वेले पर विवेक कुमार की रिपोर्ट
चिली ने एक ऐसा कानून पास किया है जिसके तहत किसी व्यक्ति की मानसिक निजता और उसकी इच्छा उसका अधिकार होगी. इस कानून के जरिए न्यूरोटेक्नोलॉजी के जरिए किसी व्यक्ति को नियंत्रित करके कुछ करवाना अपराध बना दिया गया है. राष्ट्रपति के दस्तखत होने के बाद इसे कानून का औपचारिक दर्जा मिल जाएगा.
न्यूरोटेक्नोलॉजी के बारे में दुनिया में पहली बार कहीं कोई कानून पास हुआ है. यह बिल पिछले साल ही चिली की संसद के ऊपरी सदन सेनेट से पास हो गया था. बुधवार को निचले सदन से भी इसे मंजूरी मिल गई.
‘अहम शुरुआत'
विशेषज्ञ इस कानून को अहम मान रहे हैं क्योंकि यह भविष्य में मानवाधिकारों की रक्षा का आधार बन सकता है. न्यूरोटेक्नोलॉजी के बढ़ते इस्तेमाल ने इस कानून को अहमियत दी है.
कानून पास कराने से पहले संसद में इस पर लंबी-चौड़ी बहस हुई. इस कानून के सबसे प्रबल समर्थकों में से एक सेनेटर गीडो जिरार्डी ने कहा कि इसका मकसद इंसान के आखरी मोर्चे, उसकी सोच की रक्षा करना है,
ट्विटर पर जिरार्डी ने कहा, "हम खुश हैं कि तकनीक को इंसानियत की भलाई के लिए किस तरह इस्तेमाल करना चाहिए, उसे परखने की शुरुआत हो रही है.”
मई में जब यह कानून लाया गया था तब जिरार्डी ने दावा किया था कि यदि न्यूरोटेक्नोलॉजी को नियमित नहीं किया गया तो यह "मनुष्य की स्वायत्तता और सोचने की आजादी” के लिए खतरा बन सकती है. मीडिया में जारी एक बयान में उन्होंने कहा था, "अगर यह तकनीक आपके सोचने से पहले ही (आपके दिमाग को) पढ़ने में कामयाब हो जाती है, तो यह ऐसी भावनाएं पैदा कर सकती है जो आपकी जिंदगी में हैं ही नहीं.”
क्यों जरूरी है ऐसा कानून?
इस कानून के जरिए चिली न्यूरोटेक्नोलॉजी के क्षेत्र में हो रहे आधुनिक तकनीकी विकास के मोर्चे पर सबसे आगे रहने की कोशिश कर रहा है. कोलंबिया यूनिवर्सिटी में जीव विज्ञान पढ़ाने वाले प्रोफेसर रफाएल युस्ते इस क्षेत्र में दुनिया के अग्रणी विशेषज्ञों में गिने जाते हैं. उन्होंने समाचार एजेंसी एएफपी को बताया कि न्यूरोलॉजी कितना अधिक विकास कर चुकी है.
प्रोफेसर युस्ते कहते हैं कि शोधकर्ता चूहों के मस्तिष्क में ऐसी चीजों की छवियां प्लांट करने में सफल हो चुके हैं जिन्होंने उन्हें पहले कभी नहीं देखा और इन छवियों ने चूहों के व्यवहार को प्रभावित किया.
इस तरह की तकनीकों ने विशेषज्ञों को चिंतित भी किया है क्योंकि इनका इस्तेमाल लोगों के मस्तिष्क में चल रही सोच को पढ़ने और उसे बदलने के लिए किया जा सकता है.
चिली के चैंबर ऑफ डेप्यटूजी ने एक बयान में कहा कि इसीलिए यह कानून यह सुनिश्चित करता है कि वैज्ञानिक और तकनीकी विकास लोगों की भलाई के लिए हो और शोध करते वक्त मानव जीवन के साथ साथ मानव की शारीरिक व मानसिक निष्ठा का सम्मान किया जाए.
पिछले कुछ सालों में न्यूरोटेक्नोलॉजी के क्षेत्र में काफी विकास हुआ है. हालांकि इसका मकसद आमतौर पर मानसिक बीमारियों जैसे पारकिन्सन्स और एपिलेप्सी आदि का इलाज रहा है. वैज्ञानिक कोशिश कर रहे हैं कि मस्तिष्क को किसी तरह अपने हिसाब से चलाया जा सके.
कहां तक पहुंच चुकी है तकनीक?
ब्रिटेन की नेशनल हेल्थ सर्विस के मुताबिक यूके में हर 500 में से एक व्यक्ति पारकिन्सन्स बीमारी से पीड़ित है जबकि 34 लाख लोग एपिलेप्सी के शिकार हैं.
अमेरिका में ‘ब्रेन' नाम की एक योजना के जरिए मस्तिष्क में होने वाली बीमारियों को समझने की कोशिश की जा रही है. इसमें उद्योगपति इलॉन मस्क समर्थित न्यूरालिंक कॉरपोरेशन भी है जिसने दावा किया है कि उसे बंदरों और सूअरों के मस्तिष्क में सेंसर प्लांट करने में कामयाबी मिली है.
लकवाग्रस्त लोगों की कंप्यूटर और फोन का इस्तेमाल करने में मदद के लिए किए जा रहे एक प्रयोग में दिखाया गया कि एक बंदर सिर्फ अपने मस्तिष्क से सिग्नल भेजकर बिना छुए ही वीडियो गेम खेल सकता था.
कंपनी ने कहा कि उसकी तकनीक डिमेंशिया और पीठ में चोट के कारण पैरालिसिस जैसी स्थिति में काम आ सकती है. (dw.com)
इक्वाडोर की सबसे कुख्यात जेलों में से एक में हुए दंगे में कम से कम 100 लोग मारे गए और 52 घायल हो गए. यह देश की अधिक आबादी वाली और कम कर्मचारी वाली जेल में घातक संघर्षों की कड़ी में ताजा घटना थी.
इक्वाडोर के तटीय शहर ग्वायाक्विल में बुधवार को जेल में हुए दंगे में कम से कम 100 लोग मारे गए और 52 अन्य घायल हो गए. देश की जेलों में जानलेवा झड़प की यह ताजा घटना है. सेना ने जेल परिसर की घेराबंदी कर दी है.
इक्वाडोर की जेलों में क्षमता से अधिक कैदी भरे हैं और भीड़भाड़ के कारण हुई श्रृंखलाबद्ध झड़पों में यह सबसे ताजा है. इस झड़प में कम से कम छह लोगों के सिर भी काट दिए गए.
जेल में गैंगवार
अधिकारियों का कहना है कि दो विपक्षी गैंग लॉस लोबोस और लॉस चनेरोस से संबंधित सशस्त्र बंदियों के बीच मंगलवार को झड़पें हुईं. झड़प के दौरान दोनों गुटों के लोगों ने बंदूकों, चाकुओं और विस्फोटकों का इस्तेमाल किया.
कैदियों को कानूनी सहायता मुहैया कराने वाले राष्ट्रीय संगठन एसएनएआई के प्रमुख बोलिवर गार्जोन ने कहा कि वह आधिकारिक तौर पर मरने वालों की संख्या पर तुरंत टिप्पणी नहीं कर सकते.
स्थानीय समाचार एजेंसी नोटी मंडो ने गार्जोन के हवाले से कहा, "मुझे लगता है कि मरने वालों की संख्या 100 तक पहुंचने वाली है, मैं कोई आधिकारिक आंकड़ा नहीं दे सकता."
हालांकि राष्ट्रीय अभियोजक कार्यालय ने बाद में ट्वीट किया कि 100 से अधिक लोग मारे गए और 52 घायल हुए.
टेलीविजन फुटेज में कैदियों को गोलियां चलाते और जेल की खिड़कियों से बम फेंकते हुए दिखाया गया.
ग्वायाक्विल शहर के पुलिस प्रमुख फाबियन बस्टोस ने कहा, "शुक्र है कि पुलिस (जेल में प्रवेश कर गई) और अधिक हत्याएं रोक दी गईं." उन्होंने कहा कि पुलिस पर भी बंदूकों से हमला किया गया था.
बस्टोस ने पत्रकारों को बताया कि पुलिस और सैन्य अभियानों ने पांच घंटे बाद जेल पर कब्जा कर लिया. उन्होंने बताया कि कई हथियार भी बरामद किए गए हैं.
आपातकाल की घोषणा
इक्वाडोर की जेल व्यवस्था बेहद खराब है. वे संघर्ष के कारण युद्ध का मैदान बन गए हैं. मादक पदार्थों की तस्करी करने वाले गिरोह के कैदियों के बीच जेलों में झड़प आम बात है.
इस साल अब तक जेल की झड़पों में 120 से ज्यादा कैदी मारे जा चुके हैं.
जेल अधिकारियों का कहना है कि इस महीने की शुरुआत में ग्वायाक्विल में जेल नंबर 4 पर एक ड्रोन हमला अंतरराष्ट्रीय समूहों के बीच लड़ाई से हुआ था. हमले में कोई भी नहीं मारा गया था.
इसके अलावा फरवरी में ग्वायाक्विल समेत तीन जेलों में दंगे हुए, जिसमें कम से कम 79 कैदी मारे गए. उनमें से कई का सिर कलम कर दिया गया था.
देश की जेलों में झड़पों और दंगों के मद्देनजर, राष्ट्रपति गुयलेरमो लासो ने जुलाई में जेल व्यवस्था में आपातकाल की स्थिति का आदेश दिया.
इक्वाडोर में 29,000 कैदियों की क्षमता वाली लगभग 60 जेल हैं, लेकिन कैदियों की संख्या जेल कर्मचारियों की तुलना में बहुत अधिक है.
एए/वीके (एएफपी, एपी)
लंबे समय से डिप्रेशन का शिकार मरीजों पर ब्रिटेन में हुए एक अध्ययन में पता चला है कि जो लोग दवाएं छोड़ना चाहते हैं, उनके लिए भी ऐसा करना कितना मुश्किल होता है.
ब्रिटेन में शोधकर्ताओं ने लंबे समय से डिप्रेशन की दवाएं ले रहे मरीजों पर शोध किया है. इस शोध में सामने आया कि जिन मरीजों ने धीरे-धीरे दवा छोड़ने की कोशिश भी की, उनमें से आधे एक साल के भीतर ही दोबारा डिप्रेशन का शिकार हो गए. इसके उलट जिन लोगों ने दवाएं नहीं छोड़ीं, उनमें दोबारा डिप्रेशन होने की संभावना लगभग 40 प्रतिशत रही.
दोनों समूहों के मरीज डिप्रेशन के लिए रोजाना दवा ले रहे थे और हाल ही में आए अवसाद से उबरकर स्वस्थ महसूस कर रहे थे. ये सभी मरीज दवाएं छोड़ने के बारे में सोचने लायक स्वस्थ महसूस कर रहे थे.
पहले भी ऐसे अध्ययन हो चुके हैं कि डिप्रेशन का लौट आना आम बात है. न्यू इंग्लैंड जर्नल ऑफ मेडिसिन में छपे एक संपादकीय में कहा गया है कि जिन लोगों को कई बार अवसाद हो चुका है उनके लिए उम्रभर खाने के लिए दवाएं लिखी जा सकती हैं.
कैसे छूटे दवा?
जो मरीज दवाएं छोड़ना चाहते हैं उनके लिए काउंसलिंग और व्यवहार थेरेपी के विकल्प हैं. कई अध्ययन दिखा चुके हैं कि दवा के साथ इस तरह की थेरेपी काफी मरीजों के लिए फायदेमंद साबित होती है. लेकिन ये थेरेपी काफी महंगी होती हैं और जिन देशों में पब्लिक हेल्थ सिस्टम के तहत उपलब्ध हैं वहां लाइन बहुत लंबी हैं.
मुख्य शोधकर्ता यूनिवर्सिटी कॉलेज लंदन की जेमा लुइस कहती हैं कि ब्रिटेन में डिप्रेशन के मरीजों का इलाज प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र के डॉक्टर ही कर रहे हैं.
डिप्रेशन या अवसाद मूड से जुड़ी बीमारी है. इस बीमारी में मरीज लगातार उदास और निराश महसूस करता है और सामान्य गतिविधियों में उसकी दिलचस्पी खत्म हो जाती है. विश्व स्वास्थ्य संगठन के मुताबिक दुनियाभर में लगभग 5 प्रतिशत लोगों में इस बीमारी के लक्षण पाए जाते हैं.
लुइस कहती हैं कि ब्रिटेन में डिप्रेशन के दर्ज मामले अमेरिका के मुकाबले कम हैं लेकिन डिप्रेशन आंकने के अलग-अलग तरीकों के चलते विभिन्न देशों के बीच डिप्रेशन के मरीजों की तुलना मुश्किल हो जाती है.
ज्यादातर को नहीं हुआ दोबारा डिप्रेशन
शोध में इंग्लैंड के चार शहरों के 478 मरीजों को शामिल किया गया था. इनमें से ज्यादातर प्रौढ़ श्वेत महिलाएं थीं. ये सभी सामान्य एंटी डिप्रेसेंट दवाएं ले रही थीं जिन्हें सिलेक्टिव सेरोटोनिन रेप्युटेक इन्हीबिटर्स कहा जाता है. प्रोजैक और जोलोफ्ट जैसी दवाएं इसी श्रेणी में आती हैं.
शोध में शामिल आधे मरीजों को धीरे-धीरे दवा छोड़ने को कहा गया जबकि बाकियों की दवाओं में कोई बदलाव नहीं किया गया. शोधकर्ता इस बात पर निश्चित नहीं हैं कि अन्य दवाएं ले रहे मरीजों में भी ऐसे ही नतीजे मिलेंगे या नहीं.
दवा छोड़ने वालों में से 56 प्रतिशत मरीज शोध के दौरान ही दोबारा डिप्रेशन का शिकार हो गए. लुइस कहती हैं कि दवाएं न छोड़ने वालों को मिला लिया जाए तो ज्यादातर लोग दोबारा डिप्रेशन के शिकार नहीं हुए.
वह कहती हैं, "ऐसे बहुत से लोग हैं जो दवाएं लेना जारी रखना चाहेंगे और हमारे शोध से पता चलता है कि उनके लिए यह एक सही फैसला है.”
संपादकीय लिखने वाले मिलवाकी वेटरंस अफेयर्स मेडिकल सेंटर के डॉ. जेफरी जैक्सन ने इस शोध के नतीजों को अहम लेकिन निराशाजनक बताया. उन्होंने कहा कि कुछ लोगों के लिए दवा छोड़ना संभव है.
उन्होंने लिखा, "जिन लोगों को एक ही बार डिप्रेशन हुआ है, खासकर जीवन में घटी किसी घटना के कारण, मैं उन्हें छह महीने के इलाज के बाद दवा कम करने को प्रोत्साहित करता हूं.”
वीके/एए (एपी)
मोहिबुल्लाह रोहिंग्या शरणार्थियों के संघर्ष को उजागर करने के अपने अथक प्रयास के लिए जाने जाते थे. 2017 में म्यांमार की सेना द्वारा हमले के बाद लाखों शरणार्थी बांग्लादेश भागने के लिए मजबूर हुए थे.
संयुक्त राष्ट्र के एक प्रवक्ता ने कहा कि दुनिया के मंच पर रोहिंग्या शरणार्थियों की पीड़ा को आवाज देने वाले सबसे मशहूर नेताओं में से एक की बुधवार को दक्षिणी बांग्लादेश में एक शरणार्थी शिविर में गोली मारकर हत्या कर दी गई.
करीब 40 वर्षीय मोहिबुल्लाह 2017 में म्यांमार में एक सैन्य कार्रवाई से भागे रोहिंग्या समुदाय के कल्याण के लिए एक शिक्षक और उत्साही समर्थक थे. उस दौरान करीब सात लाख से अधिक लोगों को पड़ोसी बांग्लादेश में भागने के लिए मजबूर किया गया था.
उनमें से ज्यादातर दुनिया के सबसे बड़े शरणार्थी कैंप कॉक्स बाजार में एक साथ रहते हैं. हाल के समय में कैंपों में हिंसा के मामले तेजी से बढ़े हैं. हथियारबंद लोग अक्सर प्रभाव के लिए संघर्ष करते हैं. आलोचकों का अपहरण कर लिया जाता है और रूढ़िवादी इस्लामी फरमान को तोड़ने के खिलाफ महिलाओं को चेतावनी भी दी जाती है.
मौत का मातम
मोहिबुल्लाह के कार्यालय में काम करने वाले एक व्यक्ति ने समाचार एजेंसी एएफपी को बताया कि वह शाम की नमाज के बाद अपने कार्यालय के बाहर कुछ अन्य शरणार्थियों से बात कर रहे थे जब उन्हें बुधवार को गोली मार दी गई. वहीं एक अज्ञात व्यक्ति ने उन पर कम से कम तीन बार फायरिंग की.
उन्होंने कहा, "उन पर घात लगाकर हमला किया गया और करीब से उन पर गोलियां चलाई गईं." फायरिंग से कई अन्य रोहिंग्या शरणार्थियों को डर के कारण वहां से भागने पर मजबूर होना पड़ा. बाद में उन्हें शिविर के ही एक अस्पताल ले जाया गया, जहां उन्हें मृत घोषित कर दिया
मोहिबुल्लाह थे उम्मीद की किरण
इलाके के एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी रफीक इस्लाम ने हत्या की पुष्टि की लेकिन अधिक जानकारी देने से इनकार करते हुए कहा कि अभी कुछ भी स्पष्ट नहीं है. संयुक्त राष्ट्र शरणार्थी उच्चायुक्त (यूएनएचसीआर) के एक प्रवक्ता ने मोहिबुल्लाह की मौत पर गहरा दुख और खेद जताया है.
प्रवक्ता ने कहा, "हम शिविरों और कानून प्रवर्तन अधिकारियों में शांति और सुरक्षा बनाए रखने के लिए जिम्मेदार लोगों के साथ लगातार संपर्क में हैं."
दक्षिण एशिया में वैश्विक मानवाधिकार संगठन एमनेस्टी इंटरनेशनल की निदेशक मीनाक्षी गांगुली ने भी मोहिबुल्लाह की मौत पर गहरी चिंता जाहिर की है. उन्होंने कहा कि उनकी आवाज समुदाय के लिए महत्वपूर्ण थी और इससे समुदाय को अपूरणीय क्षति हुई है.
संगठन ने घटना की पूरी जांच की मांग करते हुए कहा कि बांग्लादेशी अधिकारियों और संयुक्त राष्ट्र शरणार्थी एजेंसी को रोहिंग्या शरणार्थियों की रक्षा के लिए मिलकर काम करने की जरूरत है. संगठन ने पिछले साल भी रोहिंग्या शरणार्थियों की सुरक्षा के बारे में भी चिंता व्यक्त की थी और अतिरिक्त उपाय करने का आह्वान किया था.
बांग्लादेश में शरण लेने वाले अधिकांश रोहिंग्या मुसलमानों ने कॉक्स बाजार कैंप में शरण ली है और इसे दुनिया का सबसे बड़ा शरणार्थी शिविर कहा जाता है. ये सभी शरणार्थी किसी तरह म्यांमार से भागकर बांग्लादेश पहुंचे थे, लेकिन यहां भी उनकी जिंदगी सबसे कठिन परिस्थितियों से गुजर रही है.
मोहिबुल्लाह ने शांति और अधिकारों के संरक्षण के लिए अराकान रोहिंग्या सोसायटी की स्थापना की थी, जो इन शरणार्थियों की सुरक्षा के लिए लगातार प्रयास कर रही थी. इसी समूह ने रोहिंग्या मुसलमानों के खिलाफ म्यांमार के सैन्य अत्याचारों को भी दर्ज किया, जिसे संयुक्त राष्ट्र ने नरसंहार के रूप में वर्णित किया.
समुदाय के लिए वकालत को देखते मोहिबुल्लाह अन्य कट्टरपंथियों का भी निशाना बन गए, जिन्होंने उन्हें जान से मारने की धमकी दी थी. साल 2019 में उन्होंने समाचार एजेंसी रॉयटर्स से कहा था, "अगर मैं मर गया, तो मैं ठीक हूं. मैं अपनी जान दे दूंगा."
एए/सीके (एपी, रॉयटर्स, डीपीए)
नई दिल्ली, 29 सितंबर | अमेरिका के शीर्ष जनरलों ने अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन को चेताया है कि अफगानिस्तान से जल्दबाजी में हटने से पाकिस्तान के परमाणु हथियारों और देश की सुरक्षा को खतरा हो सकता है। पाकिस्तानी अखबार डॉन की रिपोर्ट में यह खुलासा किया गया है।
संयुक्त प्रमुख जनरल मार्क मिले ने मंगलवार को सीनेट की सशस्त्र सेवा समिति को बताया, "हमने अनुमान लगाया है कि त्वरित वापसी से क्षेत्रीय अस्थिरता, पाकिस्तान की सुरक्षा और उसके परमाणु शस्त्रागार के जोखिम बढ़ जाएंगे।"
रिपोर्ट के अनुसार, जनरल ने कहा, "हमें पाकिस्तान के अभयारण्य की भूमिका की पूरी तरह से जांच करने की जरूरत है।" कहा गया है कि तालिबान ने 20 साल तक अमेरिकी सैन्य दबाव को कैसे झेला, उन्होंने इसकी जांच की जरूरत पर भी जोर दिया।
जनरल मिले और यूएस सेंट्रल कमांड के नेता जनरल फ्रैंक मैकेंजी ने भी चेतावनी दी है कि तालिबान, जिससे अब पाकिस्तान को निपटना होगा, वह पहले से निपटने वाले तालिबान से अलग होगा और इससे उनके संबंध जटिल होंगे।
रिपोर्ट में कहा गया है कि सेंटकॉम प्रमुख ने यह भी कहा कि अमेरिका और पाकिस्तान अफगानिस्तान तक पहुंचने के लिए एक महत्वपूर्ण हवाई गलियारे के इस्तेमाल पर चल रही बातचीत में शामिल हैं।
उन्होंने कहा, "पिछले 20 वर्षो में हम पश्चिमी पाकिस्तान में जाने के लिए एयर बुलेवार्ड का उपयोग करने में सक्षम रहे हैं और यह कुछ ऐसा बन गया है, जो हमारे लिए महत्वपूर्ण है, साथ ही संचार की कुछ लैंडलाइन भी है।"
उन्होंने आगे कहा, "हम आने वाले दिनों और हफ्तों में पाकिस्तानियों के साथ काम करेंगे, ताकि यह देखा जा सके कि भविष्य में यह रिश्ता कैसा दिखने वाला है।"
हालांकि, दोनों जनरलों ने पाकिस्तान के परमाणु हथियारों के बारे में अपनी चिंताओं और आतंकवादियों के हाथों में पड़ने की संभावना पर अधिक चर्चा करने से इनकार कर दिया।
उन्होंने कहा कि वे सीनेटरों के साथ बंद सत्र में इस मुद्दे पर और अन्य संवेदनशील मुद्दों पर चर्चा करेंगे।
वहीं रक्षा मंत्री लॉयड ऑस्टिन ने अमेरिकियों से काबुल के पतन के लिए किसी को दोष देने से पहले 'कुछ असहज सच्चाइयों पर विचार' करने का आग्रह किया है।
रिपोर्ट के अनुसार, उन्होंने इस बारे में बात करते हुए कहा, "हमने उनके वरिष्ठ रैंकों में भ्रष्टाचार और खराब नेतृत्व की गहराई को पूरी तरह से नहीं समझा। हमने अपने कमांडरों के राष्ट्रपति अशरफ गनी द्वारा लगातार और अस्पष्टीकृत रोटेशन के हानिकारक प्रभाव को नहीं समझा।"
उन्होंने कहा, "हमने दोहा समझौते के मद्देनजर तालिबान कमांडरों द्वारा स्थानीय नेताओं के साथ किए गए सौदों के कारण स्नोबॉल प्रभाव का अनुमान नहीं लगाया था और यह कि दोहा समझौते का अफगान सैनिकों पर मनोबल गिराने वाला प्रभाव था।"
उन्होंने कहा कि अमेरिकी यह समझने में भी विफल रहे कि अफगान सैनिकों में भ्रष्ट सरकार के लिए लड़ने की प्रेरणा नहीं थी।
जनरल मिले ने उल्लेख किया कि बड़ी संख्या में होते हुए भी अफगान सैनिकों ने बहुत ही कम समय में ही अपने हथियार डाल दिए।
उन्होंने पिछली अफगान सरकार पर सैनिकों को प्रेरित करने में विफल रहने का भी आरोप लगाया। (आईएएनएस)
नई दिल्ली, 29 सितंबर| पाकिस्तानी शेयरों में बुधवार को करीब 3 फीसदी की गिरावट दर्ज की गई, जबकि रुपया रिकॉर्ड निचले स्तर पर आ गया, क्योंकि निवेशकों को डर था कि अमेरिकी सीनेट विधेयक में अफगान तालिबान पर प्रतिबंध लगाने की मांग को पाकिस्तान तक बढ़ाया जा सकता है। अखबार 'डॉन' के मुताबिक, सिर्फ एक दिन की राहत के बाद, विक्रेता कार्रवाई में वापस आ गए, जो कि रुपये के बारे में चिंता से भी शुरू हो गया था, क्योंकि बुधवार को केएसई -100 908 अंक गिरकर 44,366.74 पर 2 प्रतिशत नीचे बंद हुआ।
विश्लेषकों ने कहा कि हालांकि निवेशकों के मन में चिंताएं बनी हुई हैं, बुधवार को डॉलर की उच्च मांग और अफगानिस्तान की स्थिति के कारण रुपया ग्रीनबैक के मुकाबले अब तक के सबसे निचले स्तर 170.27 रुपये पर पहुंच गया।
इंटरमार्केट सिक्योरिटीज के कार्यकारी निदेशक रजा जाफरी ने कहा कि अमेरिकी सीनेट में 22 सीनेटरों द्वारा समर्थित एक विधेयक आज गिरावट का मुख्य कारण था। इस विधेयक में पिछले 20 वर्षो में अफगान तालिबान के संबंध में पाकिस्तान की भूमिका की जांच करने के प्रयास की झलक है।
जाफरी ने कहा, "अगर कुछ पाया जाता है, तो वे पाकिस्तान पर प्रतिबंध लगाने की योजना बना रहे हैं और यह एक वर्जित शब्द है और इससे घबराहट होती है। भावना पहले से ही कमजोर थी और फिर वह झुक गई।"
लेकिन, जाफरी के अनुसार, यह केवल एक प्रारंभिक प्रतिक्रिया थी और बिल के वास्तव में पारित होने की संभावना काफी कम है, यही वजह है कि बुधवार को शुरुआती गिरावट के बाद बाजार में कुछ सुधार हुआ।
पाकिस्तान कुवैत इन्वेस्टमेंट कंपनी प्राइवेट लिमिटेड में अनुसंधान और विकास के प्रमुख समीउल्लाह तारिक ने विकास पर इसी तरह की टिप्पणी की थी, जिसमें कहा गया था कि यह अमेरिकी सीनेट बिल से संबंधित प्रतीत होता है जो अफगान तालिबान पर प्रतिबंध लगाने की मांग करता है और जो पाकिस्तान तक बढ़ सकता है।
उन्होंने कहा, "डॉलर समता लगातार बढ़ रही है, क्योंकि चालू खाते के घाटे के कारण डॉलर की मांग अधिक है और अफगान स्थिति भी दबाव बढ़ा रही है।" (आईएएनएस)
इस्लामाबाद/नई दिल्ली, 29 सितम्बर| पाकिस्तान की योजना पर सीनेट की स्थायी समिति के अध्यक्ष सलीम मांडवीवाला ने हाल ही में कहा है कि चीनी राजदूत और कंपनियों ने चीन-पाकिस्तान आर्थिक गलियारे (सीपीईसी) परियोजनाओं पर काम की धीमी गति के बारे में शिकायत की है। उन्होंने खुलासा करते हुए कहा, "वे रो रहे हैं। चीनी राजदूत ने मुझसे शिकायत की है कि आपने (पाकिस्तान) सीपीईसी को नष्ट कर दिया है और पिछले तीन वर्षों में कोई काम नहीं किया गया है।"
इमरान खान के नेतृत्व वाली पाकिस्तान की मौजूदा सरकार से चीनी बहुत नाराज हैं। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, 2015 में शुरू होने के बाद से देश में 77 सीपीईसी परियोजनाओं में से सिर्फ 15 ही पूरी हो सकी हैं। यहां तक कि पाकिस्तान के योजना एवं विकास मंत्री असद उमर ने भी इस तथ्य को स्वीकार किया है कि पाकिस्तान सीपीईसी का पहला चरण ही पूरा कर सकता है और यह दूसरे चरण में प्रवेश कर रहा है।
सीपीईसी को धीमा करने की धारणा को दूर करने के लिए हाल ही में एक जल्दबाजी में बुलाई गई प्रेस कॉन्फ्रेंस में, मंत्री ने दावा किया कि वर्तमान पीटीआई सरकार के कार्यकाल के दौरान कॉरिडोर परियोजनाओं पर प्रमुख काम पूरा हो गया है। हालांकि, उमर ने यह भी माना कि सीपीईसी के लिए अंतरराष्ट्रीय शक्तियों के विरोध और अफगानिस्तान की ताजा स्थिति के कारण देश में सुरक्षा खतरे बढ़ गए हैं।
उन्होंने कहा, "सुरक्षा खतरा बढ़ गया है।" पाकिस्तानी मंत्री ने कहा कि सीपीईसी पर विकास को बड़ी वैश्विक शक्तियों द्वारा घृणा के साथ देखा गया है, जो देश में असंतोष फैलाना चाहते हैं। अफगानिस्तान की अनिश्चित स्थिति के कारण भी चुनौतियां हैं।
उन्होंने कहा, "इसलिए न केवल सुरक्षा चुनौतियां हैं, बल्कि ये एक ऊंचे स्तर पर हैं।"
सीपीईसी चीन की सबसे महत्वाकांक्षी परियोजना बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव (बीआरआई) का एक हिस्सा है, जिसका उद्देश्य दक्षिण पूर्व एशिया के तटीय देशों में देश के ऐतिहासिक व्यापार मार्गों को नवीनीकृत करना है। 2015 में, चीन ने 'चाइना पाकिस्तान इकोनॉमिक कॉरिडोर' (सीपीईसी) परियोजना की घोषणा की थी, जिसकी लागत 60 अरब डॉलर से अधिक बताई गई है।
सीपीईसी के साथ, बीजिंग का लक्ष्य अमेरिका और भारत के प्रभाव का मुकाबला करने के लिए पाकिस्तान और मध्य और दक्षिण एशिया में अपने प्रभाव का विस्तार करना है।
सीपीईसी पाकिस्तान के दक्षिणी ग्वादर बंदरगाह (कराची से 626 किलोमीटर पश्चिम में) को अरब सागर पर चीन के पश्चिमी शिनजियांग क्षेत्र से जोड़ेगा। इसमें चीन और मध्य पूर्व के बीच संपर्क में सुधार के लिए सड़क, रेल और तेल पाइपलाइन लिंक बनाने की योजना भी शामिल है। सीपीईसी बीआरआई पहल का हिस्सा है, जिसे हिंद महासागर क्षेत्र (आईओआर) पर नियंत्रण पाने के लिए चीन की भू-रणनीति के रूप में पेश किया गया है। इसका उद्देश्य विशेष रूप से भारत और इसकी ऊर्जा आपूर्ति को घेरने के साथ ही मध्य पूर्व और मध्य एशियाई क्षेत्र तक पहुंच का विस्तार करना भी है।
हालांकि, भ्रष्टाचार, सुरक्षा लागत और पाकिस्तान के कर्ज संबंधी तनाव के मुद्दों ने चीनी रुख को तेजी से प्रभावित किया है और इसे सीपीईसी में निवेश करने से अनिच्छुक बना दिया है, जिसने चीन-पाकिस्तान की सदाबहार दोस्ती को प्रभावित किया है।
14 जुलाई को उत्तरी पाकिस्तान के खैबर-पख्तूनख्वा के दसू में नौ चीनी कामगारों की हत्या कर दी गई थी। चीनी और पाकिस्तानी श्रमिकों को ले जा रही एक बस में विस्फोट हुआ था, जो सीपीईसी के हिस्से के रूप में चीन द्वारा बनाए जा रहे एक जलविद्युत बांध की साइट पर हुआ था। विस्फोट के बाद से परियोजना पर काम रोक दिया गया है और इस्लामाबाद को पाकिस्तान में इसकी परियोजनाओं की सुरक्षा के बारे में बीजिंग को आश्वस्त करने के लिए बहुत पीड़ा हो रही है।
इसके अलावा, पाकिस्तान भर में सीपीईसी परियोजनाओं के लिए काम करने वाले कई चीनी नागरिकों पर हाल ही में हमला किया गया है।
परियोजनाओं के कार्यान्वयन को लेकर चीन और पाकिस्तान के बीच बढ़ते अविश्वास ने इन प्रमुख पहलों को अधर में डाल दिया है और चीन सीपीईसी निर्माण परियोजनाओं के दूसरे चरण में निवेश करने से हिचक रहा है।
चीनी निवेश के घटने के कई कारण हैं, जैसे कि पाकिस्तान पर बढ़ता कर्ज का बोझ, सीपीईसी प्राधिकरण और पाकिस्तान में रहने वाली चीनी कंपनियों का भ्रष्टाचार आदि। इसके अलावा सीपीईसी परियोजनाओं पर पाकिस्तान सरकार में सैन्य नियंत्रण का विस्तार करने का प्रयास और अंत में, बिगड़ती सुरक्षा भी इसका प्रमुख कारण है, जहां चीनी परियोजनाओं को देश में चीनी निवेश का विरोध करने वाले तत्वों द्वारा लक्षित किया जा रहा है। (आईएएनएस)
जर्मनी को औद्योगिक क्षेत्र का पावरहाउस माना जाता है. किसी भी नई सरकार के लिए उद्योग में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के मुद्दे पर ध्यान देना जरूरी होगा. औद्योगिक महाशक्ति के रूप में जर्मनी की ख्याति दांव पर लगी है.
जर्मनी काफी लंबे समय से विज्ञान व प्रौद्योगिकी में अग्रणी रहा है. अब आने वाले समय में उसे औद्योगिक विकास के लिए आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआई) के विकास पर ध्यान देना होगा. एआई तकनीक दुनिया के आर्थिक तथा औद्योगिक भविष्य की प्रमुख तकनीकों में से एक बनती जा रही है. देश को भविष्य में एआई के अनुरूप तैयार करने बहुत सारी बाधाओं को दूर करना होगा.
वर्ष 2018 से ही संघीय सरकार के पास घरों में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस का उपयोग बढ़ाने की एक योजना है. यूरोपीय स्तर पर भी इसके लिए प्रयास हो रहे हैं. मोबिलिटी, स्वास्थ्य सेवा, उद्योग, पर्यावरण संतुलन और कोरोना वायरस महामारी जर्मन सरकार द्वारा बीते दिसंबर में प्रकाशित सूची के अनुसार प्रमुख कार्य क्षेत्र थे. सरकार देश में इन क्षेत्रों में एआई को शामिल करने की व्यापक संभावनाएं देखती है लेकिन उसने कई सारे अवरोधों की भी पहचान की है.
प्रतिभा के लिए प्रतियोगिता
जर्मनी ने काफी लंबे समय से आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस विषय पर शैक्षणिक शोध पर खासा योगदान दिया है. परंतु ऐसे शक्तियुक्त और गतिशील क्षेत्र में देश को विश्व स्तर पर अलग दिखने के लिए और अधिक करने की जरूरत है. सरकार और इस क्षेत्र के विशेषज्ञ भी इससे सहमत हैं. अंतरराष्ट्रीय स्तर पर इस क्षेत्र में योग्य लोगों को आकर्षित करने के लिए जर्मनी को तकनीक व शोध की स्थिति में सुधार लाने की आवश्यकता है.
साल 2019 में एआई क्षेत्र में नौकरी की 50 प्रतिशत रिक्तियों को या तो भरा नहीं जा सका या फिर कम योग्य लोगों से भर दिया गया. जर्मनी पहले से ही कुशल श्रमिकों की कमी से जूझ रहा है. इस स्थिति में एआई के क्षेत्र में विशेषज्ञों का मिलना मुश्किल होगा.
डीडब्ल्यू से फोन पर बातचीत में जर्मन रिसर्च सेंटर फॉर आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस (डीएफकेआइ) के सीईओ तथा निदेशक डॉ अंटोनियो क्रुइगर कहते हैं, "शिक्षा व उद्योग, दोनों के लिए प्रतिभा का होना बहुत महत्वपूर्ण है. और ऐसे योग्य लोगों को उचित माहौल देना जो उनके लिए आकर्षक हो, जरूरी है."
एसएमई का उन्नयन
सरकार जर्मनी की सभी महत्वपूर्ण लघु तथा मध्यम इकाइयों (एसएमई) में एआई तकनीक के उपयोग को बढ़ावा देना चाहती है. फेडरेशन ऑफ जर्मन इंडस्ट्रीज (बीडीआई) के अनुसार तथाकथित मझौले उद्यम जो जर्मन कंपनियों के टर्नओवर का एक तिहाई उत्पादन करती हैं, उनमें सरकारी प्रयासों के बावजूद एआई का उपयोग काफी धीमा रहा है. आर्थिक मामलों के मंत्रालय द्वारा हाल में किए गए अध्ययन से पता चलता है कि सर्वे में शामिल महज छह फीसद कंपनियों ने ही एआई तकनीक का इस्तेमाल किया है.
क्रुइगर कहते हैं, "मेरा मानना है कि एआई में हुए विकास का इन छोटी कंपनियों द्वारा इस्तेमाल करना निर्णायक होगा." वे कहते हैं, "इसका तात्पर्य आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के लिए कंप्यूटर और यूजर के बीच बेहतर तालमेल, अच्छे टूल्स तथा क्लाउड आधारित बुनियादी ढांचा का होना है. जो इन लघु तथा मध्यम आकार की इकाइयों को अपने उत्पादों में एआई के उपयोग के लिए सक्षम बनाए और एआई तकनीक आधारित डिजिटल सेवा के सहारे उनके उत्पाद को संवर्धित करे."
इस तरह के विकास से जर्मनी डिजिटलाइजेशन के ऐसे क्षेत्र में काफी उन्नति कर सकेगा, जिसमें वह चीन व अमेरिका जैसे देश से काफी पिछड़ गया है.
लोगों तथा डेटा की सुरक्षा
जर्मनी कोरोना वायरस के प्रसार को रोकने में भी एआई को इस्तेमाल करना चाहता है. कोरोना वायरस प्रोत्साहन पैकेज के एक भाग के रूप में संघीय सरकार ने 2025 तक एआई पर खर्च की जाने वाली राशि को तीन अरब यूरो से बढ़ाकर पांच अरब डॉलर करने का वादा किया है. इसकी अधिकांश राशि का उपयोग जर्मनी में सुपर कम्प्यूटिंग टेक्नोलॉजी को विकसित करने में किया जाएगा.
सरकारी रणनीतिकारों का मानना है कि एआई महामारी प्रबंधन में सहायक हो सकता है. उदाहरण के तौर पर यह महामारी के पूर्वानुमान, मॉनीटरिंग, प्रभावकारी उपायों की खोज तथा प्रबंधन, अनुसंधान और यहां तक कि टीका विकसित करने में भी मददगार हो सकता है.
इन उद्देश्यों से जर्मनी में मेडिकल डेटा का समन्वय करना विशेष तौर पर कठिन होगा हालांकि, व्यक्तिगत डेटा यहां काफी हद तक विकेंद्रीकृत तथा संरक्षित है. क्रुइगर कहते हैं, "मेरे विचार से यह एक बड़ी बाधा है. इसकी पहचान हो गई है. यह कुछ ऐसा है जिसे हम जर्मनी में जानते हैं और इसे धीरे-धीरे हमने बदलना शुरू किया है. लेकिन, इसमें काफी समय लग रहा है." वह कम नियंत्रण के लिए नहीं बल्कि इसके बदले सिस्टम के व्यापक एकीकरण की बात कहते हैं.
एआई सीखने और अधिक प्रभावी बनने के लिए बड़ी मात्रा में डेटा पर निर्भर करता है. एआई तकनीक का उपयोग कब और कहां करना है और इसके लिए कितने डेटा की आवश्यकता है, यह पता लगाना भी एक पहेली होगी.
अपनी ओर से संघीय सरकार यह सुनिश्चित करना चाहती है कि एआई के क्षेत्र में सभी स्टेकहोल्डर (हितधारक) मानवाधिकारों का सम्मान करने के लिए अपनी व्यक्तिगत जिम्मेदारी का सम्मान करें. एआई तकनीक को भी ऊर्जावान, संसाधन संपन्न तथा पर्यावरण संरक्षण में योगदान करने वाला होना चाहिए.
एआई के भविष्य पर वोटिंग
संघीय संसद के लिए हुए चुनावों के बाद नई सरकार बनाने की कवायद चल रही है. सरकार कोई भी बने उद्योग में एकआई के इस्तेमाल को बढ़ावा देना उनकी प्राथमिकता में ऊपर होगा. जर्मनी के पांच प्रमुख राजनीतिक दलों ने अपने घोषणापत्र में इस मुद्दे को उठाया है. जबकि जर्मनी की राइट ऑफ सेंटर पार्टियां आर्थिक महाशक्ति तथा उद्योग जगत के नेतृत्वकर्ता के रूप में जर्मनी की स्थिति को बरकार रखने में एआई के महत्व पर जोर दे रहीं हैं, वहीं लेफ्ट ऑफ सेंटर पार्टियां इसके खतरों पर ध्यान दे रहीं हैं. उनका मानना है कि लापरवाही से इस्तेमाल के कारण भेदभाव पूर्ण तरीके से डेटा के उन सुरक्षा मानकों का उल्लंघन हो सकता है, जो जर्मन समाज को काफी प्रिय हैं.
सभी पार्टियां एआई के महत्व को स्वीकार करती हैं यद्यपि उनकी प्राथमिकताएं अलग हैं. सोशल डेमोक्रेट्स का सार्वजनिक क्षेत्र के सामान का प्रावधान, ग्रीन पार्टी के लिए पारिस्थितिकी और जलवायु की निगरानी व पूर्वानुमान में इसका इस्तेमाल तथा क्रिश्चियन-डेमोक्रेट्स एवं लिबरल पार्टी का औद्योगिक प्रतिस्पर्धा पर जोर है.
एमेजॉन कंपनी का नया रोबोट आपको सुन सकता है, देख सकता है और घर में आपके पीछे-पीछे घूम सकता है.
(dw.com)
एमेजॉन ने एक नया रोबोट पेश किया है जिसमें लोगों को देखने, सुनने और उनके साथ चलने की योग्यता है. एस्ट्रो नाम का यह रोबोट किसी टीवी सीरियल में दिखाए गए रोबोट जैसा नहीं है. यह खाना बनाने या सफाई करने जैसे काम नहीं कर सकता. लेकिन यह इतना काबिल है कि देख सकता है कि आप बाहर जाते वक्त गैस स्टोव ऑन तो नहीं छोड़ गए हैं. या फिर, कोई अनजान व्यक्ति घर में घुसा तो आपको चेतावनी भरा मैसेज भी भेज सकता है.
एस्ट्रो में कैमरे, सेंसर और आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस का इस्तेमाल किया गया है जो इसे बेहद सजग और चौकन्ना बनाते हैं. इसीलिए, यह दीवारों या कुत्तों से टकराता नहीं है. एमेजॉन का कहना है कि वक्त के साथ-साथ यह और स्मार्ट होता जाएगा.
एस्ट्रो घर के कुछ काम कर सकता है जैसे आप इसकी पीठ पर स्नैक्स या सोडा कैन रख सकते हैं जिन्हें यह कमरे में ले जाएगा. अमेरिका में इस रोबोट की कीमत एक हजार डॉलर रखी गई है और कुछ ही हफ्तों में इसे खरीदारों को भेजा जाएगा.
स्मार्ट है एस्ट्रो
एमेजॉन ने एस्ट्रो के अलावा भी कई आधुनिक गैजेट्स पेश किए लेकिन एस्ट्रो ने सबका ध्यान अपनी ओर खींचे रखा. एमेजॉन के एग्जेक्यूटिव डायरेक्टर डेविड लिंप ने ऑनलाइन दुनियाभर में दिखाए गए इवेंट के दौरान 17 इंच ऊंचे एस्ट्रो को आवाज देकर स्टेज पर बुलाया. उन्होंने उसे बीटबॉक्स करने को भी कहा.
एस्ट्रो को इंसानों जैसा बनाने के लिए उसकी गोल आंखों पर पलकें लगाई गई हैं जिन्हें यह काम करते वक्त खोलता-बंद करता रहता है. कंपनी का कहना है कि सीमित संख्या में ही ये रोबोट बनाए गए हैं. हालांकि उन्होंने संख्या नहीं बताई.
घर के बाहर से भी एस्ट्रो को रिमोट से संचालित किया जा सकता है. यह घर के पालतु जानवरों को संभालने जैसे काम भी कर सकता है. और घर की पहरेदारी तो पूरी मुस्तैदी से करता है वह कुछ असामान्य दिखने पर चेतावनी भेजता है.
एलेक्सा से बढ़कर
एमेजॉन ने कहा कि यह सिर्फ पहियों वाली एलेक्सा नहीं है बल्कि इसे कई तरह की गतिविधियों के लिए प्रोग्राम किया गया है, जिनसे इसका अपना एक व्यक्तित्व बन गया है. कंपनी के मुताबिक यह उन जगहों पर भी जा सकता है, जो आमतौर पर रोबोट्स के लिए नहीं होतीं. इसके अलावा इसे ‘डू नॉट डिस्टर्ब' मॉड पर भी लगाया जा सकता है. इसके अलावा इसके कैमरे और कान बंद करने का भी एक बटन है. हालांकि ऐसा होने पर यह चल फिर नहीं पाएगा.
रोबोट के अलावा एमेजॉन ने फोटो फ्रेम जैसी दिखती एक स्क्रीन भी पेश की. इस स्क्रीन को दीवार पर टांगा जा सकता है. इसमें एलेक्सा भी पहले से फिट की गई है, जो एमेजॉन का वॉइस असिस्टेंट है.
कंपनी को उम्मीद है कि इस स्क्रीन को लोग अपने रसोईघरों की दीवारों पर लगाएंगे, जहां से वे इसे रेसिपी देखने, अपना शेड्यूल जांचने या फिर खाना बनाते वक्त कोई शो देखने के लिए इस्तेमाल करेंगे.
सिएटल स्थित इस कंपनी ने कहा है कि अगले साल एक और आधुनिक गैजेट एको बाजारा में उतारा जाएगा, जो डिज्नी के होटल के कमरों में लगाया जाएगा. इस गैजेट का प्रयोग ग्राहक रूम सर्विस के लिए कर सकेंगे.
वीके/एए (रॉयटर्स)
अमेरिका में ज्यादातर लोग चाहते हैं कि कम सैनिकों को विदेशों में तैनात किया जाए और दूसरे देशो के साथ कूटनीतिक तरीकों से बात की जाए. हाल ही में हुए एक सर्वे में ये नतीजे सामने आए हैं.
एक ताजा सर्वे के मुताबिक अमेरिका में लोग अब अपने सैनिकों को विदेश भेजने से आजिज आ चुके हैं और चाहते हैं कि विदेशों में समस्याओं से निपटने में कूटनीति का सहारा लिया जाए.
यूरेशिया ग्रुप फाउंडेशन ने यह सर्वे किया है जिसके मुताबिक 58.3 प्रतिशत लोग मानते हैं कि अमेरिका को जलवायु परिवर्तन, मानवाधिकार और माइग्रेशन जैसे मुद्दों पर ज्यादा काम करना चाहिए. 27 अगस्त से 1 सितंबर के बीच किए गए इस सर्वे में में 21.6 फीसदी लोगों ने कहा अमेरिका को दूसरे देशों में कम दखलअंदाजी करनी चाहिए. 20.1 फीसदी लोगों की कोई राय नहीं थी.
सर्वेक्षण में 2,168 लोगों ने हिस्सा लिया. इनमें से 42.3 प्रतिशत लोगों ने कहा कि अमेरिका को यूरोप, एशिया और मध्य पूर्व में तैनात अपने सैनिकों की संख्या में कमी करनी चाहिए और दूसरे देशों की रक्षा की अपनी प्रतिबद्धताओं को घटानी चाहिए. ये लोग चाहते हैं कि अमेरिका को धीरे-धीरे क्षेत्रीय सुरक्षा की जिम्मेदारी अपने सहयोगियों को सौंप देनी चाहिए.
अफगानिस्तान का असर
बुधवार को जारी किए गए इस सर्वे में 32 प्रतिशत लोगों ने विदेशों में सेना बढ़ाने या कम से कम मौजूदा स्तर पर बनाए रखने की बात कही है. 25.5 प्रतिशत लोगों की इस बारे में कोई राय नहीं थी.
अमेरिका में अफगानिस्तान में 20 साल चले युद्ध के नतीजों पर लगातार बहस हो रही है. 30 अगस्त को अमेरिका ने अफगानिस्तान छोड़ दिया था लेकिन उससे पहले ही देश पर उस तालिबान ने कब्जा कर लिया, जिसे बीस साल पहले अमेरिका ने हमला कर सत्ता से हटाया था. सर्वे करने वाली संस्था का मानना है कि नतीजों पर इस युद्ध के नतीजों का प्रभाव पड़ा होगा.
यूरेशिया ग्रुप फाउंडेशन के सीनियर फेलो मार्क हाना कहते हैं कि पिछले दो साल में ऐसे लोगों की संख्या बढ़ी है जो चाहते हैं कि अमेरिका की विदेश नीति घरेलू लोकतंत्र की मजबूती पर केंद्रित होनी चाहिए ना कि विदेशों में लोकतंत्र स्थापित करने पर.
हाना कहते हैं, "हमने अपना डेटा तब जमा किया था जबकि अमेरिका अफगानिस्तान से निकल रहा था और सैन्य दखल के जरिए किसी देश को बनाने व वहां लोकतंत्र स्थापित करने में मिली नाकामी स्पष्ट नजर आ रही थी.”
सर्वे के कुछ और नतीजे
सर्वेक्षण में सामने आईं कुछ और बातें हैः
40.3 प्रतिशत लोग चाहते हैं कि अमेरिका का मौजूदा सैन्य खर्च जस का तस बना रहे. 38.6 प्रतिशत लोग इसमें कमी के हक में हैं जबकि 16.4 प्रतिशत लोग चाहते हैं कि यह खर्च बढ़ाया जाए.
62.6 प्रतिशत लोगों ने ईरान के साथ परमाणु मुद्दे पर वार्ता को फिर से शुरू करने का पक्ष लिया. ये लोग चाहते हैं कि एक ऐसा समझौता किया जाए जो ईरान को परमाणु हथियार विकसित करने से रोके. 37.4 प्रतिशत लोग बातचीत के विरोधी हैं और ईरान पर आर्थिक प्रतिबंधों के जरिए दबाव बनाकर उसे परमाणु हथियार बनाने से रोकने के हिमायती हैं.
42.2 प्रतिशत लोग कहते हैं कि अगर चीन ताईवान पर हमला करता है तो अमेरिका को उसकी रक्षा करनी चाहिए. 16.2 प्रतिशत लोग इसके पक्ष में नहीं हैं जबकि 41.6 प्रतिशत लोग इस बारे में कोई राय नहीं बना सके.
यूरेशिया ग्रुप फाउंडेशन ने यह सर्वे ऑनलाइन भागीदारी के जरिए कराया था. इस फाउंडेशन के संस्थापक राजनीतिक विश्लेषक इयान ब्रेमर हैं जिनका यूरेशिया ग्रुप राजनीतिक खतरों के संबंध में सरकारों और नेताओं को परामर्श देने का काम करता है.
वीके/एए (रॉयटर्स)
रिऐलिटी टीवी से लेकर ऑनलाइन खेलों और पॉप संस्कृति तक, चीन ने युवाओं पर नियंत्रण लगाने के लिए एक व्यापक अभियान शुरू कर दिया है. जानकारों का कहना है कि इससे देश पर "वैचारिक नियंत्रण" बढ़ाने की कोशिश की जा रही है.
इस दिशा में चीन की सरकार ने कई कदम उठाए हैं जिनके पीछे उद्देश्य है सरकार जिसे आधुनिक मनोरंजन की अति समझती है उसका नियंत्रण करना. सरकार ने सोशल मीडिया कंपनियों को भी देशभक्ति पूर्ण सामग्री को बढ़ावा देने के लिए कहा है.
सरकार का कहना है कि उसके निशाने पर अस्वस्थ नैतिक मूल्य और "सौंदर्य के अनुचित अनुभव" हैं, लेकिन समीक्षकों का कहना है कि इन कदमों से हर तरह के बाहरी असर पर अंकुश लगाने की और कम्युनिस्ट पार्टी के खिलाफ किसी भी विरोध की संभावनाओं को खत्म करने की कोशिश की जा रही है.
"मूल्यों का पतन"
टेक्सस एएंडएम विश्वविद्यालय में मीडिया अध्ययन पढ़ाने वाले कारा वॉलिस मानते हैं कि ये बदलाव "वैचारिक नियंत्रण को और बढ़ाने की दिशा में काफी संगठित रूप से की हुई कोशिश" का प्रतिनिधित्व करते हैं.
पिछले एक दशक में चीन में काफी रंगीन और काफी अलग मनोरंजन की शुरआत हुई है. इसमें जापानी और कोरियाई पॉप संस्कृति और सेलिब्रिटी गपशप से प्रेरित बूट कैंप जैसे टैलेंट टीवी कार्यक्रम शामिल हैं.
इसके साथ ही चीन दुनिया का सबसे बड़ा वीडियो गेम बाजार भी बन गया है. नियामकों की समझ में इन सबसे नैतिक मूल्यों का पतन हो रहा है और वो मनोरंजन और गेमिंग उद्योगों पर लगाम लगाना चाह रहे हैं.
उन्होंने कुछ फिल्मी सितारों का उदाहरण बनाने के लिए रिएलिटी कार्यक्रमों को बैन किया है और प्रसारकों को "गैर मर्दाना आचरण वाले" पुरुषों और "अश्लील इन्फ्लुएंसरों" को दिखाना बंद करने का आदेश दिया है.
नियामकों ने बच्चों के रोजाना वीडियो गेम पर बिताए जाने वाले समय पर भी सीमा लगा दी है. एसओएस चीन इंस्टीट्यूट के निदेशक स्टीव सांग ने बताया कि सरकार मनोरंजन की धुन की चमक से खतरा महसूस करती है, क्योंकि उसे लगता है कि इनसे चीनी युवाओं को "पार्टी द्वारा आध्यात्मिक या वैचारिक मार्गदर्शन का विकल्प" मिलता है.
"सीआईए का षड्यंत्र"
पश्चिम के साथ तनाव के बीच चीन ने देश के अंदर राष्ट्रवादी और सैन्यवादी विचारों को भी बढ़ावा दिया है. इनमें एक सख्त मर्दानगी भरे व्यक्तित्व की छवि भी शामिल है जैसा कि "वुल्फ वॉरियर" जैसी एक्शन फिल्मों में दिखाया गया है.
पार्टी द्वारा चलाए जाने वाले टैब्लॉयड अखबार ग्लोबल टाइम्स ने पिछले सप्ताह कहा की "नारी जैसे" मर्द सेलिब्रिटियों के पूर्व एशियाई चलन की जड़ें द्वितीय विश्व युद्ध के बाद जापानी मर्दों को कमजोर करने के सीआईए के षड्यंत्र में हैं.
न्यूकासल विश्ववद्यालय में मीडिया और जेंडर के शोधकर्ता ऑल्टमैन पेंग कहते हैं, "भविष्य में देश की समृद्धि को लेकर एक डर है, वो युवा पीढ़ी की गुणवत्ता से जुड़ा हुआ है." पार्टी का मानना है की युवाओं की गुणवत्ता को देश में फैल चुके मनोरंजन और संस्कृति से खतरा है.
समीक्षकों का कहना है कि सरकार के कदमों के पीछे ऐसे चलनों पर लगाम लगाने की एक चाहत है जिन्हें वो समस्यात्मक समझती है. इसी कड़ी में अब पॉप सितारों के प्रशंसकों पर भी नकेल कसी जा रही है. लेकिन कई चीनी युवा इन नियमों से बचने के रास्ते भी निकाल ले रहे हैं. इनमें वयस्कों के ऑनलाइन खेलों वाले अकाउंट खरीदना शामिल है.
कुछ युवा तो मानते हैं कि नए नियम हद से ज्यादा नियंत्रण लगाने वाले हैं. सेलिब्रिटी रिएलिटी कार्यक्रमों की प्रशंसक 21 वर्षीय सू कहती हैं, "मैं अब एक वयस्क हूं और फैसला करने की मेरी अपनी क्षमता है. इस तरह के नियम विविधता के विकास के लिए अनुकूल नहीं हैं."
सीके/एए (एएफपी)
अफगानिस्तान में तालिबान की वापसी के बाद न केवल महिलाएं और उदारवादी बल्कि एलजीबीटी समुदाय के सदस्य भी अपनी जान बचा रहे हैं. समुदाय अभी भी तालिबान के अतीत से खौफजदा है.
मारवा और उनकी दोस्त दोनों समलैंगिक हैं. अगस्त में काबुल पर तालिबान के कब्जे के दौरान दोनों ने अचानक शादी करने का फैसला किया. कोई औपचारिक समारोह का आयोजन नहीं किया गया था और कोई भी रिश्तेदार या दोस्त खुशी में शरीक नहीं हो पाया. 24 वर्षीय मारवा ने एएफपी को बताया, "मुझे डर था कि तालिबान आकर हमें मार डालेगा."
अफगानिस्तान में समलैंगिकों का गुप्त जीवन
अफगानिस्तान में एलजीबीटी समुदाय अभी भी तालिबान के अतीत से भयभीत है. 1996 से 2001 तक तालिबान का देश पर शासन रहा. उन दिनों समलैंगिकों को पत्थर मारकर मौत के घाट उतार दिया जाता था या फिर उन्हें कमर या छाती तक जमीन में गाड़ दिया जाता है और फिर पत्थर मारा जाता.
तालिबान ने अभी तक समलैंगिकों पर अपनी नीति स्पष्ट नहीं की है, लेकिन पूर्व वरिष्ठ न्यायाधीश गुल रहीम ने एक जर्मन अखबार बिल्ड से कहा कि समलैंगिकों के लिए मौत की सजा बहाल किए जाने की संभावना है. तालिबान ने साफ कर दिया है कि उसके शासन में इस्लामी व्यवस्था लागू होगी. नतीजतन, अफगानिस्तान में एलजीबीटी समुदाय के सदस्य छिप गए हैं और सोशल मीडिया से अपने सभी सबूत मिटा दिए हैं. एक समलैंगिक लड़के को हाल ही में प्रताड़ित किया गया था. हेरात के एक लड़के ने कहा, "जब तालिबान आया, तो हमें अपने घरों में बंद होना पड़ा. मैं दो या तीन हफ्तों से बाहर नहीं गया हूं."
रूढ़िवादी सोच से भरा समाज
अफगानिस्तान एक रूढ़िवादी समाज वाला देश है, लेकिन हाल के सालों में समलैंगिक असहिष्णुता में गिरावट आई है. अकबरी एक प्रसिद्ध अफगान एलजीबीटी कार्यकर्ता हैं जो कुछ साल पहले तुर्की चले गए थे. उन्होंने कहा कि धीरे-धीरे लोग समलैंगिकों को पहचानने लगे हैं, लेकिन जैसे ही तालिबान ने शहरों पर कब्जा कर लिया, अफगानिस्तान में एलजीबीटी समुदाय के सदस्य पाकिस्तान और ईरान भाग गए.
महिलाओं को लेकर भी तालिबान ने सख्त रवैया अपनाया है. उसने महिलाओं को लेकर सितंबर में एक आदेश जारी किया था. तालिबान का कहना है कि महिलाओं को सिर्फ वही काम करने की इजाजत होगी जो पुरुष नहीं कर सकते हैं. यह फैसला अधिकतर महिला कर्मचारियों को काम पर लौटने से रोकेगा.
यही नहीं तालिबान ने विश्वविद्यालय की महिला छात्रों से कहा गया कि वे लड़कों से अलग हटकर बैठेंगी. साथ ही उन्हें सख्त इस्लामी ड्रेस कोड का पालन करने को कहा गया. अमेरिका के समर्थन वाली पिछली सरकार में अधिकतर स्थानों पर विश्वविद्यालयों में सह शिक्षा थी.
एए/सीके (एएफपी)
लंदन, 28 सितंबर| पिछले महीने अफगानिस्तान पर तालिबान का कब्जा होने और अंतर्राष्ट्रीय संगठनों द्वारा धन की निकासी किए जाने बाद से वहां पोलियो, कोविड-19 और अन्य बीमारियों के फिर से पनपने का खतरा बढ़ गया है, जिसके वैश्विक प्रभाव हो सकते हैं। यह बात नेचर की रिपोर्ट में कही गई है। सेंटर ऑफ एक्सीलेंस इन वूमेन एंड चाइल्ड हेल्थ और इंस्टीट्यूट फॉर ग्लोबल हेल्थ एंड डेवलपमेंट के संस्थापक निदेशक जुल्फिकार ए. भुट्टा ने पाकिस्तान के आगा खान विश्वविद्यालय की पत्रिका में लिखा है कि पिछले 20 वर्षो में देश की उपलब्धियों के बावजूद, बच्चों और महिलाओं का स्वास्थ्य 'अनिश्चित' बना हुआ है।
साल 2001 में अमेरिका के नेतृत्व वाले गठबंधन द्वारा तालिबान को उखाड़ फेंके जाने के तुरंत बाद, संयुक्त राष्ट्र एजेंसियों ने देशभर में खसरा-प्रतिरक्षण अभियान शुरू किया, जिसमें 1.7 करोड़ बच्चों को लक्षित किया गया था। उस समय तक तीन में से एक अफगान बच्चे का कोई टीकाकरण नहीं हुआ था।
अभियानों ने 2002 और 2003 में लक्षित आबादी के 96 प्रतिशत का टीकाकरण किया और 2014 तक इसमें और प्रगति की। लेकिन जैसे ही तालिबान ने फिर से घुसपैठ की, पोलियो कार्यकर्ताओं के घर-घर जाने पर प्रतिबंध लगा दिया गया।
भुट्टा ने कहा, "अफगानिस्तान में 2018 और 2020 के बीच पोलियो के मामले तीन गुना हो गए हैं। लगभग 30 लाख बच्चे, जिनमें से एक तिहाई पात्र हैं, टीकाकरण अभियान से बाहर हो गए।"
लेकिन अब, तालिबान के पूर्ण अधिग्रहण के साथ, अफगानिस्तान ने विश्व बैंक और अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष से विकास निधि खो दी है, और अमेरिका ने लगभग '7 अरब डॉलर अफगान सरकार के फंड' को फ्रीज कर दिया है।
इसका अर्थ है बुनियादी स्वास्थ्य सेवाएं प्रदान करने वाले गैर-सरकारी संगठनों (एनजीओ) और स्वास्थ्य देखभाल श्रमिकों को भुगतान करने के लिए पैसा नहीं है।
देश में कोविड-19 टीकों की लगभग 30 लाख खुराक का भंडार है और जल्द ही इसके खत्म होने की संभावना है।
यह सब वैश्विक प्रभाव के साथ एक स्थानीय मानवीय आपदा में बदल सकता है।
भुट्टा ने लिखा, "मुझे डर है कि यह अब और भी बदतर हो जाएगा। अफगानिस्तान में पोलियो और कोविड-19 दोनों संक्रमण पड़ोसी देशों में फैल सकते हैं। जब तक प्रसारण बाधित नहीं होता, पूरी दुनिया खतरे में है।"
भुट्टा ने दुनिया के देशों से पोलियो और अन्य बीमारियों को नियंत्रण में लाने के लिए काबुल के नए शासकों के साथ काम करने का आग्रह किया।
उन्होंने कहा, "अब देश को चलाने वाले तालिबान के पास दुनिया और अफगानिस्तान के लोगों के लिए एक व्यावहारिक, सुधारवादी चेहरा दिखाने का अवसर है। उसे स्वास्थ्य प्रणाली चलाने की जरूरत है, जासूसों और राजनीतिक विरोधियों के बारे में जुनूनी होने के बजाय महिलाओं और बच्चों की सुरक्षा के बारे में अधिक देखभाल करने की जरूरत है।"
तीन में से एक अफगान इस समय भी भूख से जूझ रहा है।
भुट्टा ने कहा, "सर्दियों के दौरान सुरक्षित खाद्य आपूर्ति में मदद करने, बैंकों जैसी वित्तीय सेवाओं को फिर से खोलने और इस साल विस्थापित हुए अनुमानित 500,000 लोगों को उनके घरों में लौटने के लिए धन की तत्काल आवश्यकता है।"
उन्होंने कहा, "देशों को अपने समर्थन को औपचारिक रूप देना चाहिए, और समझौतों में स्वास्थ्य देखभाल के प्रावधानों को शामिल करना चाहिए। वे जरूरत की इस घड़ी में निरंकुश समर्थन के पात्र हैं।" (आईएएनएस)
सैन फ्रांसिस्को, 28 सितम्बर | अमेजन के संस्थापक जेफ बेजोस ने अंतरिक्ष उद्यम ब्लू ओरिजिन को 12 अक्टूबर को न्यू शेपर्ड से अंतरिक्ष में अपनी दूसरी मानव उड़ान की घोषणा की है। यह न्यू शेपर्ड का 18वां मिशन होगा, और अंतरिक्ष के लिए चालक दल की दूसरी उड़ान होगी।
एनएस-18, 12 अक्टूबर को चार अंतरिक्ष यात्रियों को भेजेगी।
लिफ्टऑफ को वर्तमान में पश्चिम टेक्सास में लॉन्च साइट वन से सुबह 8.30 बजे सीडीटी (शाम 7 बजे भारत समय) के लिए लक्षित किया गया है।
कंपनी ने दो अंतरिक्ष यात्रियों के नामों की भी घोषणा की है: इनमें नासा के पूर्व इंजीनियर और प्लैनेट लैब्स के सह-संस्थापक डॉ. क्रिस बोशुइजेन; और ग्लेन डी व्रीस, वाइस-चेयर, लाइफ साइंसेज एंड हेल्थकेयर, डसॉल्ट सिस्टम्स शामिल हैं।
दो अन्य अंतरिक्ष यात्रियों की घोषणा आने वाले दिनों में की जाएगी।
बोशुइजन ने बयान में कहा,यह मेरे बचपन के सबसे बड़े सपने का पूरा होना है। इससे भी महत्वपूर्ण बात यह है कि, हालांकि, मैं इस उड़ान को छात्रों को एसटीईएम में करियर बनाने के लिए प्रेरित करने और अंतरिक्ष खोजकतार्ओं की अगली पीढ़ी को उत्प्रेरित करने के अवसर के रूप में देखता हूं।
डी व्रीस ने कहा,मैंने अपना पूरा करियर लोगों के जीवन के विस्तार करने के लिए काम किया है। हालांकि, पृथ्वी पर सीमित सामग्री और ऊर्जा के साथ, अंतरिक्ष में हमारी पहुंच बढ़ाने से मानव को आगे बढ़ने में मदद मिल सकती है।
अंतरिक्ष में पहले अमेरिकी एलन शेपर्ड के नाम पर पांच मंजिला लंबा न्यू शेपर्ड रॉकेट, अंतरिक्ष के किनारे की ओर आकाश में लगभग 340, 000 फीट की सीटों के साथ एक क्रू कैप्सूल डिजाइन किया गया है।
बूस्टर के ऊपर एक गमड्रॉप के आकार का क्रू कैप्सूल है, जिसमें अंदर छह यात्रियों के लिए जगह और बड़ी खिड़कियां हैं।
कर्मन रेखा पर पहुंचने के बाद, कैप्सूल बूस्टर से अलग हो जाता है, जिससे अंदर के लोग पृथ्वी की वक्रता को देख सकते हैं और भारहीनता का अनुभव कर सकते हैं। (आईएएनएस)
अमेरिका में 2020 में हत्याओं और इरादतन हत्याओं में तेज वृद्धि दर्ज की गई. तीन-चौथाई से अधिक हत्याओं को बंदूक के सहारे अंजाम दिया गया. यह खुलासा एफबीआई की नई रिपोर्ट से हुआ है.
फेडरल ब्यूरो ऑफ इन्वेस्टिगेशन (एफबीआई) के मुताबिक साल 2020 में 77 प्रतिशत हत्याएं बंदूक से की गईं. एफबीआई ने सोमवार को कहा कि अमेरिका में हत्याओं और अन्य इरादतन हत्याओं की संख्या पिछले साल की तुलना में 2020 में 29.4 प्रतिशत बढ़कर 21,500 हो गई.
यह पिछले साल की तुलना में तेज वृद्धि थी, हालांकि ताजा आंकड़े 1980 और 1990 के दशक की शुरुआत में अमेरिका में नियमित रूप से दर्ज किए गए आंकड़ों की तुलना में बहुत कम हैं.
एफबीआई की यूनिफॉर्म क्राइम रिपोर्ट के मुताबिक 77 प्रतिशत हत्याएं बंदूक के साथ की गईं. साल 2019 में यह 74 प्रतिशत था. कुल मिलाकर हिंसक अपराध 2020 में 5.6 प्रतिशत बढ़ गया, जबकि संपत्ति अपराध में 7.8 प्रितशत की गिरावट दर्ज की गई. एफबीआई के मुताबिक देश में हिंसक हमले 12 प्रतिशत बढ़े हैं.
रिपोर्ट में पाया गया कि हत्या में बढ़ोतरी राष्ट्रीय थी, क्षेत्रीय नहीं. लेकिन दक्षिणी राज्य लुजियाना में हत्या की दर देश में सबसे अधिक है.
बंदूक की बिक्री में उछाल
अपराध विशेषज्ञ और पुलिस अधिकारी 2020 में हत्याओं में अचानक हुई तेज वृद्धि के संभावित स्पष्टीकरणों का विश्लेषण कर रहे हैं, लेकिन उन्होंने स्पष्ट कारण नहीं बताया है. हालांकि विशेषज्ञों ने कोरोना वायरस महामारी के अस्थिर प्रभाव और बंदूक की बिक्री में वृद्धि की ओर इशारा किया है.
टेक्सस राज्य के ह्यूस्टन शहर में बंदूक से की जाने वाली हत्याओं में 55 प्रतिशत की वृद्धि देखी गई, जो 2019 में 221 से बढ़कर 2020 में 343 हो गई. ह्यूस्टन में साल 2020 में 400 से अधिक हत्याएं दर्ज की गईं.
विश्लेषकों ने हत्याओं में वृद्धि के लिए अन्य संभावित कारणों पर भी प्रकाश डाला है, जैसे कि बंदूक साथ लेकर चलने में वृद्धि. जॉर्ज फ्लॉयड की हत्या के बाद पुलिस और नागरिकों के बीच अविश्वास बढ़ा है.
एफबीआई ने कहा कि लगभग 16,000 संघीय, राज्य, शहर, विश्वविद्यालय, कॉलेज और आदिवासी एजेंसियों ने अपराध रिपोर्ट में डेटा जमा कराया है.
विकसित देशों में अमेरिकी हत्या दर बहुत है. जी20 सदस्यों में से केवल दक्षिण अफ्रीका, ब्राजील और रूस में प्रति व्यक्ति हत्या की उच्च दर दर्ज की जाती है, जबकि अर्जेंटीना के आंकड़े मोटे तौर पर समान हैं.
एए/सीके (एएफपी)
अरुल लुइस
न्यूयॉर्क , 28 सितम्बर | अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन की पाकिस्तानी प्रधानमंत्री इमरान खान को फोन करने की तत्काल कोई योजना नहीं है, जिन्होंने अफगानिस्तान के तख्तापलट और इस्लामाबाद में इसके नतीजे के लिए वाशिंगटन को जिम्मेदार ठहराया है। इसकी जानकारी अमेरिकी राष्ट्रपति के प्रवक्ता जेन साकी ने दी।
एक रिपोर्टर द्वारा यह पूछे जाने पर कि क्या बाइडन खान को जल्द ही बुलाएंगे, साकी ने सोमवार को कहा, "मेरे पास इस समय अनुमान लगाने के लिए कुछ भी नहीं है।"
अमेरिकी सरकार के विभिन्न स्तरों के अधिकारियों ने अपने पाकिस्तानी समकक्षों से बात की है, लेकिन बाइडन ने व्यक्तिगत रूप से खान से संपर्क नहीं किया है।
रिपोर्टर ने कहा कि जब बाइडन 24 सितंबर को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ 'मध्य-बैठक' कर रहे थे, तो संयुक्त राष्ट्र में खान ने "अफगानिस्तान में अमेरिका के कार्यों की कुछ तीखी आलोचना की और उन्होंने अपने और राष्ट्रपति बाइडन के बीच सीधे जुड़ाव की कमी पर अफसोस जताया।"
उन्होंने पूछा, "राष्ट्रपति ने इस आक्रामक कूटनीति का इस्तेमाल पाकिस्तान के प्रधानमंत्री के उस आह्वान का जवाब देने के लिए सीधे बातचीत में क्यों नहीं किया?"
साकी ने उत्तर दिया, "राष्ट्रपति ने इस समय सभी विदेशी नेताओं के साथ बात नहीं की है, यह बिल्कुल सच है। लेकिन निश्चित रूप से, उनके पास एक टीम है। एक विशेषज्ञ टीम को ठीक ऐसा करने के लिए तैनात किया गया है।"
खान ने भी ऐसा ही रिएक्शन दिया जब एक इंटरव्यूअर ने उनसे बाइडन की चुप्पी के बारे में पूछा।
इस महीने की शुरूआत में सीएनएन के एक साक्षात्कारकर्ता द्वारा बाइडन के साथ व्यक्तिगत बातचीत नहीं करने के बारे में पूछे जाने पर, खान ने कहा, "मुझे लगता है कि वह बहुत व्यस्त हैं, लेकिन अमेरिका के साथ हमारा रिश्ता सिर्फ एक फोन कॉल पर निर्भर नहीं है, इसमें बहुआयामी संबंध होने की जरूरत है।"
सोमवार की ब्रीफिंग में, साकी ने कहा, "हम पाकिस्तान में विदेश विभाग, रक्षा विभाग और प्रशासन के अन्य प्रमुख घटकों के नेताओं के साथ उच्च स्तर पर संपर्क में हैं।"
विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकन ने पिछले हफ्ते न्यूयॉर्क में पाकिस्तान के विदेश मंत्री शाह महमूद कुरैशी से मुलाकात की और उनके साथ फोन पर बातचीत की।
रक्षा सचिव लॉयड ऑस्टिन पाकिस्तान के सेना प्रमुख जनरल कमर जावेद बाजवा से भी कई बार बात कर चुके हैं।
उप विदेश मंत्री वेंडी शेरमेन अगले महीने पाकिस्तान की यात्रा पर जाने वाली हैं फिर वह भारत भी आएंगी।
24 सितंबर को, खान ने मोदी और जापान के प्रधानमंत्री योशीहिदे सुगा और ऑस्ट्रेलिया के स्कॉट मॉरिसन के साथ बाइडन के क्वाड शिखर सम्मेलन के ठीक बाद संयुक्त राष्ट्र में बात की।
पाकिस्तानी नेता ने पूछा, "अमेरिका में दुभाषियों और अमेरिका की मदद करने वाले सभी लोगों की देखभाल करने के बारे में बहुत चिंता है। हमारे बारे में क्या?"
खान ने अपने देश के प्रति अमेरिका की गलतियों की एक लंबी सूची दी और इसे तालिबान द्वारा अफगानिस्तान पर कब्जा करने के तरीके के लिए जिम्मेदार ठहराया।
"हमारा इतना नुकसान उठाने का एकमात्र कारण यह था कि हम अफगानिस्तान में युद्ध में अमेरिका, गठबंधन के सहयोगी बन गए थे। अफगान धरती से पाकिस्तान में हमले किए जा रहे हैं। कम से कम प्रशंसा का एक शब्द होना चाहिए था। लेकिन प्रशंसा के बजाय, कल्पना करें कि जब हम अफगानिस्तान में घटनाओं के मोड़ के लिए दोषी ठहराए जाते हैं तो हम कैसा महसूस करते हैं।"
उन्होंने याद किया कि अफगान मुजाहिदीन को अमेरिका द्वारा प्रशिक्षित और समर्थित किया गया जब वे सोवियत संघ से लड़ रहे थे।
खान ने कहा कि 2006 में उन्होंने बाइडन से मुलाकात की, जो उस समय एक सीनेटर थे और उनसे कहा कि अफगानिस्तान में एक सैन्य समाधान संभव नहीं है और एक राजनीतिक समाधान का अनुरोध किया। (आईएएनएस)
मैड्रिड, 28 सितम्बर | स्पेन के कैनरी द्वीपसमूह के ला पाल्मा द्वीप पर स्थित कंब्रे विएजा ज्वालामुखी में भूकंपीय गतिविधि कुछ देर की खामोशी के बाद फिर से सक्रिय हो गई है। समाचार एजेंसी सिन्हुआ की रिपोर्ट के अनुसार, जियोलॉजिकल माइनिंग इंस्टीट्यूट ऑफ स्पेन (आईजीएमई) ने कहा कि ज्वालामुखी विलुप्त नहीं हुआ, यह उसकी गतिविधि में एक सामान्य ठहराव था।
समाचार एजेंसी सिन्हुआ की रिपोर्ट के अनुसार, दो लावा प्रवाह अब समुद्र से लगभग एक किलोमीटर दूर हैं, कैनरी द्वीप ज्वालामुखी संस्थान (ईनवोल्कन) ने चेतावनी दी है कि मैग्मा और पानी के बीच थर्मल शॉक क्षेत्र के लोगों के लिए खतरा बन गया है।
ज्वालामुखी शुरू में 19 सितंबर को फटा था।
साथ ही सोमवार को, प्रधानमंत्री प्रेडो सांचेज ने पुष्टि की कि ला पाल्मा द्वीप के लिए सहायता उपायों के पहले पैकेज को मंगलवार की कैबिनेट बैठक के दौरान मंजूरी दी जाएगी।
सांचेज ने कहा कि ला पाल्मा का पुनर्निर्माण केंद्र सरकार, कैनरी द्वीप क्षेत्रीय सरकार और स्थानीय अधिकारियों द्वारा संयुक्त रूप से किया जाएगा।
कई प्रभावित नगर पालिकाओं के निवासियों को सलाह दी गई कि लावा के समुद्र में पहुंचने पर निकलने वाली जहरीली गैसों के खतरे के कारण अपने घरों से बाहर न निकलें।
सांताक्रूज डी ला पाल्मा और ब्रेना कस्बों में स्कूलों को अगली सूचना तक बंद कर दिया गया है।
द्वीप की 80,000 से अधिक आबादी के 6,000 से अधिक लोगों को निकाला गया है।
ज्वालामुखी के तीन पिछले रिकॉर्ड किए गए विस्फोट 1971 में 24 दिन, 1949 में 47 दिन और 1712 में 56 दिन के लिए हुए थे। (आईएएनएस)
जर्मनी की ग्रीन्स पार्टी की दो ट्रांसजेंडर महिलाओं ने हाल ही में हुए संसदीय चुनावों में जीत हासिल की है. वो दोनों देश के इतिहास में पहली ट्रांसजेंडर महिला सांसद होंगी.
टेस्सा गैंसरर और नाइके स्लाविक दोनों ग्रीन्स पार्टी की सदस्य हैं. पार्टी ने चुनावों में तीसरा स्थान हासिल किया है और 2017 में हुए पिछले चुनावों में 8.9 प्रतिशत मतों के मुकाबले इस बार 14.8 प्रतिशत मत हासिल किए हैं.
पार्टी अब एक नई गठबंधन सरकार बनाने में निर्णायक भूमिका अदा करने वाली है. 44 वर्षीय गैंसरर कहती हैं, "ये ग्रीन्स के लिए एक ऐतिहासिक जीत तो है ही, साथ ही ट्रांस लोगों के उद्धार से संबंधित आंदोलन और पूरे क्वीर समाज के लिए भी ऐतिहासिक जीत है."
अविश्वसनीय नतीजे
गैंसरर ने यह भी कहा कि ये नतीजे एक खुले और उदार समाज का प्रतीक भी हैं. वो इसके पहले 2013 में बवेरिया की प्रांतीय संसद की सदस्य भी रह चुकी हैं. बतौर सांसद उनकी प्राथमिकताओं की सूची में पहचान पत्रों पर लिंग के बदलाव को प्रमाणित करने की प्रक्रिया को सरल बनाना सबसे ऊपर है.
गैंसरर दो बेटों की मां भी हैं. वो कानून में ऐसे बदलाव भी चाहती हैं जिनकी मदद से समलैंगिक माताओं को बच्चे गोद लेने की अनुमति मिल सके. 27 साल की स्लाविक कहती हैं कि चुनावों के नतीजे अविश्वसनीय थे. उन्होंने नार्थ राइन-वेस्टफेलिया राज्य से संसदीय चुनाव जीता.
उन्होंने इंस्टाग्राम पर लिखा,"मैडनेस! मैं अभी भी इस पर विश्वास नहीं कर पा रही हूं, लेकिन इस ऐतिहासिक चुनावी नतीजे के साथ मैं निश्चित ही बुंडेसटाग की सदस्य बन जाऊंगी."
बढ़ता होमोफोबिया
स्लाविक ने समलैंगिक और ट्रांस लोगों के विरोध के खिलाफ एक राष्ट्रव्यापी कार्य योजना, आत्म-निर्णय के अधिकार का एक कानून और भेदभाव की रोकथाम करने वाले केंद्रीय कानून में सुधार की मांग की है.
जर्मनी में समलैंगिकता को 1969 में ही अपराध माने जाने से मुक्त कर दिया गया था और समलैंगिक विवाह को 2017 में कानूनी मान्यता मिल गई थी. लेकिन पुलिस के आंकड़ों के मुताबिक एलजीबीटी प्लस लोगों के लिए खिलाफ नफरत के अपराधों में पिछले साल 36 प्रतिशत उछाल आया.
ये जर्मन समाज के कुछ हिस्सों में होमोफोबिया के प्रचलन में हो रहे इजाफे को चिन्हांकित करता है.
सीके/एए (रॉयटर्स)
अपदस्थ अफगान सरकार और कार्यकर्ता समूहों ने संयुक्त राष्ट्र के मानवाधिकार संगठन से तालिबान द्वारा योजनाबद्ध हत्याओं की जांच की मांग की है.
अधिकार कार्यकर्ता समूहों ने यूएन की मानवाधिकार एजेंसी से अफगानिस्तान में लक्षित हत्याओं, महिलाओं पर प्रतिबंध और अभिव्यक्ति की आजादी पर रोक जैसी रिपोर्ट की जांच की मांग की है. यह अपील ऐसे समय में आई है जब यूरोपीय संघ अफगानिस्तान पर मसौदा प्रस्ताव पेश करने की तैयारी कर रहा है. इस अपील को अफगानिस्तान के स्वतंत्र मानवाधिकार आयोग का समर्थन हासिल है. आयोग के प्रमुख का कहना है कि देश में उनकी कई गतिविधियों को निलंबित कर दिया गया है.
अफगानिस्तान पर तालिबान के कब्जे के बाद पिछले महीने संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार परिषद ने एक आपातकालीन सत्र आयोजित किया था, लेकिन कार्यकर्ताओं ने कहा कि पाकिस्तान के नेतृत्व वाला प्रस्ताव जो अपनाया गया था वह बहुत कमजोर था. उसके बाद संयुक्त राष्ट्र में मानवाधिकार प्रमुख मिशेल बैचलेट को कुछ शक्तियों के साथ दोबारा रिपोर्ट करने को कहा गया था.
बैचलेट ने 13 सितंबर को मंच को बताया कि तालिबान ने महिलाओं को घर पर रहने का आदेश देकर और अपने पूर्व दुश्मनों की घर-घर तलाशी लेकर वादों को तोड़ा है.
इस सत्र में प्रसारित यूरोपीय संघ का मसौदा प्रस्ताव जिसे रॉयटर्स ने देखा है उसमें प्रदर्शनकारियों और मीडिया के खिलाफ हिंसा की निंदा की गई है. अगर यह मसौदा अपना लिया जाता है तो प्रतिवेदक नियुक्त किया जाएगा लेकिन घटनाओं की पूर्ण जांच नहीं की जाएगी.
जेनेवा में संयुक्त राष्ट्र में अफगानिस्तान के स्थायी प्रतिनिधि नासिर अहमद अंदीशा के मुताबिक, "हम परिषद के सदस्यों से परिषद के जनादेश के अनुरूप अफगानिस्तान में मानवाधिकार की स्थिति की निगरानी के लिए एक समर्पित और प्रभावी तंत्र की स्थापना के लिए एक प्रस्ताव को अपनाने का आग्रह करते हैं जो जवाबदेही और रोकथाम के लिए जरूरी है."
कार्यकर्ताओं का कहना है कि एक विशेष प्रतिवेदक- स्वतंत्र विशेषज्ञ जिनके पास आमतौर पर पूर्णकालिक नौकरी होती है, काफी नहीं होगा.
ह्यूमन राइट्स वॉच के कार्यकारी निदेशक केन रॉथ के मुताबिक, "संयुक्त राष्ट्र से कुछ सहायता के साथ मात्र एक विशेष प्रतिवेदक पर्याप्त नहीं है."
वे आगे कहते हैं, "देश की जटिलता को देखते हुए एक जांच तंत्र को समर्पित संसाधनों और स्पष्ट जनादेश के साथ एक पूर्ण टीम की जरूरत होती है."
इस बीच एक स्थानीय सरकारी अधिकारी ने शनिवार को कहा कि पश्चिमी अफगान शहर हेरात में तालिबान ने चार कथित अपहरणकर्ताओं को मार डाला और दूसरों को रोकने के लिए उनके शवों को सार्वजनिक रूप से लटका दिया.
एए/वीके (रॉयटर्स)
-अरुल लुइस
संयुक्त राष्ट्र, 28 सितंबर| पिछले सप्ताह उच्चस्तरीय महासभा सत्र में भारत और पाकिस्तान के बीच जोरदार आदान-प्रदान के बावजूद, संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंटोनियो गुटेरेस को उम्मीद है कि उनके बीच बातचीत संभव है।
दैनिक ब्रीफिंग में तीखे बयानों के बारे में पूछे जाने पर उन्होंने कहा, "हमने टिप्पणियों को सुना, और मुझे लगता है कि टिप्पणियों के स्वर और सामग्री के बावजूद, हम हमेशा आशान्वित रहते हैं कि बातचीत हो सकती है, शायद ऐसी जगह पर जो सुर्खियों में नहीं है।"
पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान ने शुक्रवार को भारत पर जोरदार हमला करते हुए भाजपा और खासकर आरएसएस पर निशाना साधा।
उनके जवाब में, भारत के संयुक्त राष्ट्र मिशन में पहली सचिव स्नेहा दुबे ने आतंकवाद को लेकर पाकिस्तान को निशाने पर लेते हुए कहा था, "एक आगजनी करने वाला है, जो खुद को अग्निशामक के रूप में पेश कर सच को छिपाता है।"
उन्होंने कहा था, "यह एक ऐसा देश है, जिसे राज्य की नीति के तहत आतंकवादियों को खुले तौर पर समर्थन, प्रशिक्षण, वित्तपोषण और हथियारों से लैस करने वाले देश के रूप में मान्यता दी गई है। यह संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद द्वारा प्रतिबंधित आतंकवादियों की सबसे बड़ी संख्या की मेजबानी करने का अपमानजनक रिकॉर्ड रखता है।"
उन्होंने बंग मुक्ति संग्राम के दौरान और उससे पहले बांग्लादेश में पाकिस्तान द्वारा किए गए कम से कम 300,000 लोगों के संहार को भी याद किया।
बातचीत के लिए परिदृश्य बताते हुए, स्नेहा दुबे ने कहा था, "हम पाकिस्तान सहित अपने सभी पड़ोसियों के साथ सामान्य संबंध चाहते हैं। हालांकि, यह पाकिस्तान के लिए एक अनुकूल माहौल बनाने की दिशा में ईमानदारी से काम करना है, जिसमें विश्वसनीय, सत्यापन योग्य और अपरिवर्तनीय कार्रवाई करना शामिल है। अपने नियंत्रण वाले किसी भी क्षेत्र को किसी भी तरह से भारत के खिलाफ सीमा पार आतंकवाद के लिए इस्तेमाल करने की अनुमति दें।"
अगले दिन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पाकिस्तान के साथ सीधे तौर पर बात नहीं की, लेकिन आतंकवाद के खतरों के बारे में बात की, जो स्पष्ट रूप से इस्लामाबाद के आतंकवाद का संरक्षण होने की ओर इशारा था। (आईएएनएस)
नई दिल्ली, 27 सितम्बर| अंतरराष्ट्रीय आपराधिक अदालत (आईसीसी) के नए अभियोजक ने 2003 से अफगानिस्तान में तालिबान और इस्लामिक स्टेट के समर्थकों द्वारा किए गए मानवता के खिलाफ कथित अपराधों की जांच फिर से शुरू करने के लिए अदालत से गुहार लगाई है। द गार्जियन ने अपनी एक रिपोर्ट में यह दावा किया है। करीम खान का यह कदम न केवल अतीत बल्कि मानवता के खिलाफ समकालीन अपराधों की जांच के लिए अंतरराष्ट्रीय कानून का उपयोग करने का ²ढ़ संकल्प दिखाता है। रिपोर्ट में कहा गया है कि हेग स्थित आईसीसी ने नीदरलैंड में अफगानिस्तान के दूतावास के माध्यम से तालिबान को सूचित किया है कि वह एक जांच फिर से शुरू करना चाहता है।
अशरफ गनी की तत्कालीन अफगान सरकार द्वारा आईसीसी वकीलों के सहयोग से सबूत इकट्ठा करने के लिए समय दिए जाने के अनुरोध के बाद अप्रैल 2020 में एक पिछली आईसीसी जांच को टाल दिया गया था।
एक ब्रिटिश क्यूसी खान ने आईसीसी अभियोजक के तौर पर कहा, घिनौने और आपराधिक कृत्यों को तुरंत बंद कर देना चाहिए और नूर्मबर्ग में 75 साल पहले स्थापित किए गए सिद्धांतों की पुष्टि करने और मानवता की बुनियादी जिम्मेदारी का सम्मान करने के लिए जांच शुरू होनी चाहिए।
उनके निवेदन में कहा गया है कि अफगानिस्तान के भीतर अपराधों की वास्तविक और प्रभावी घरेलू जांच की अब कोई संभावना नहीं है।
द गार्जियन ने बताया, तालिबान द्वारा अफगानिस्तान के क्षेत्र का वर्तमान वास्तविक नियंत्रण, और इसके निहितार्थ (अफगानिस्तान में कानून प्रवर्तन और न्यायिक गतिविधि सहित), वर्तमान आवेदन की आवश्यकता वाली परिस्थितियों में एक मौलिक परिवर्तन का प्रतिनिधित्व करता है।
वह बताते हैं कि विश्वसनीय रिपोटरें से पता चलता है कि तालिबान ने बगराम एयरबेस हिरासत सुविधाओं से कथित रूप से अल-कायदा और आईएस आतंकवादी समूहों से जुड़े हजारों कैदियों को रिहा कर दिया है। यह कार्रवाई इस धारणा का समर्थन नहीं करती है कि क्या तालिबान वास्तव में अभी या भविष्य में अनुच्छेद 5 अपराधों की जांच करेगा।
नरसंहार प्रतिक्रिया के लिए गठबंधन ने घोषणा का स्वागत करते हुए कहा कि हाल के महीनों में हजारा समुदाय के खिलाफ नरसंहार सहित अत्याचार अपराधों के गंभीर जोखिम देखे गए हैं।
इसमें कहा गया है कि आईसीसी के उच्च-स्तरीय अपराधियों पर मुकदमा चलाने का जनादेश जहां राज्य असमर्थ या अनिच्छुक रहते हैं, उन्हें लगातार लागू किया जाना चाहिए और इसे बिना किसी डर या पक्षपात के अमल में लाया जाना चाहिए। (आईएएनएस)
नई दिल्ली, 27 सितम्बर। काबुल में हालिया बदलाव के बाद बलूच राष्ट्रवादियों, टीटीपी और आईएसके-पी वाले पाकिस्तान विरोधी सशस्त्र मिलिशिया समूह पाकिस्तान में भाग गए हैं और इनके बलूचिस्तान में फिर से संगठित होने और भर्ती होने की बात कही गई है। द न्यूज ने अपनी एक रिपोर्ट में पाकिस्तान के सुरक्षा अधिकारियों के हवाले से यह जानकारी दी है।
अधिकारियों का कहना है कि बलूचिस्तान की सीमा से लगे ईरान के सिस्तान प्रांत में कुछ सेकंड टियर और मास्टरमाइंड देखे गए हैं। एक सुरक्षा अधिकारी ने पुष्टि करते हुए कहा, डॉ. अल्लाह नजर, बशीर जेब और गुलजार शंबे जाली ईरानी, अफगान यात्रा दस्तावेजों और तजकारा, सीमा दरें का उपयोग करके बलूचिस्तान की सीमा से लगे ईरानी प्रांत में पहुंच गए हैं।
रिपोर्ट में कहा गया है कि विभिन्न बलूच संगठनों और दाएश/आईएसके-पी प्रकोष्ठों के लगभग 200 एक्टिविस्ट को मस्तुंग की नागो पहाड़ियों और क्वेटा के बाहरी इलाके में मार्गाट में और उसके आसपास देखा गया है।
रिपोर्ट में कहा गया है कि बीएलए मिलिशिया के सदस्यों ने डॉ. अल्लाह नजर गुट के एक प्रमुख प्रमुख मुल्ला अमीन के आतंकवादियों के साथ सेना में शामिल हो गए होंगे, जो अपने 70-80 सशस्त्र कैडरों के समूह के साथ नागू हिल्स, मस्तुंग में छिपे हुए हैं। बीएलए की तुरबत और आवारन के अलावा खारन, सिबी, बोलन और मच में मजबूत उपस्थिति है और सभी सुरक्षा लेंस के तहत भी हैं।
लेकिन इस समूह का प्रमुख अमीर/मास्टरमाइंड मौलवी अफगान है, जिसके बारे में इलाके में होने की सूचना है और उसका पीछा किया जा रहा है।
मस्तुंग लंबे समय से बीएलए और दाएश दोनों के लिए गुरुत्वाकर्षण का केंद्र रहा है और वास्तव में जून-जुलाई में हाई प्रोफाइल सुरक्षा बलों के ऑपरेशन का गवाह रहा है। पहाड़ी ट्रैक और सुरंगों के अलावा, खानाबदोश आबादी को शिफ्ट करने के अलावा क्षेत्र को मिलिशिया के लिए एक आदर्श मैदान बनाते हैं।
सुरक्षा विशेषज्ञ विश्लेषण कर रहे हैं और उनका कहना है कि मिलिशिया और यहां तक कि उनके परिवारों को भी बिना किसी संदेह के इस क्षेत्र में बसना और घूमना आसान लगता है। 100-150 मीटर ऊंची पहाड़ियों से आसपास के कई किलोमीटर के क्षेत्र पर नजर रखने के लिए स्थलाकृति भी आदर्श है, जिससे सुरक्षा बलों द्वारा किसी भी तरह की आश्चर्यजनक आवाजाही मुश्किल हो जाती है। इस क्षेत्र में अतीत में, बीएलए और दाएश अपने शिविरों और ठिकाने, संसाधनों को साझा करते हुए सह-अस्तित्व में थे और इसमें कोई आश्चर्य नहीं कि यह पहले से ही एक बार फिर हो रहा है।
पुलिस खुफिया सूत्रों के अनुसार, बलूचिस्तान में टीटीपी का बड़े पैमाने पर पुनरुत्थान हो रहा है जो एक चिंताजनक और बड़ी चुनौती है। वे भर्ती के साथ भी आक्रामक रूप से आगे बढ़ रहे हैं।
अफगानिस्तान के स्पिन बोल्डक से वापस ऐनुजमन अखुंदजादा के नेतृत्व में भागे हुए टीटीपी के लोग, काबुल में 15 अगस्त को तालिबान सरकार की स्थापना से पहले, जोब और लोरलाई में काफी समय से फिर से संगठित और भर्ती कर रहे हैं और प्रतिशोध के साथ हड़ताल करने की तैयारी कर रहे हैं। टीटीपी प्रमुख, नूरवाली महसूद ने अमेरिका से बाहर निकलने और काबुल में अफगान तालिबान के कार्यभार संभालने के बाद तत्कालीन आदिवासी क्षेत्र को फिर से लेने की योजना की घोषणा करके अपनी महत्वाकांक्षाओं को उजागर किया है। महसूद ने कहा, एक मुस्लिम की जीत निश्चित रूप से दूसरे मुस्लिम के लिए मददगार है।
पाक सुरक्षा विशेषज्ञ इस समय टीटीपी नोड्स को सबसे बड़ा खतरा मानते हैं। रिपोर्ट में कहा गया है कि इंटरसेप्ट्स ने सिंध और बलूचिस्तान में सुरक्षा नेतृत्व को आश्वस्त किया है कि पुनर्गठन समूहों ने सक्रिय और स्लीपर सेल के माध्यम से कराची, लाहौर और इस्लामाबाद और क्वेटा पर नजर रखी है।
सुरक्षा और खुफिया जानकारों का मानना है कि क्वेटा फिलहाल शांत दिख रहा है, लेकिन स्थिति कभी भी बदल भी सकती है।
सिंध एलईए और पुलिस के शीर्ष सूत्रों ने भी सुक्कुर और कराची में मिलिशिया के संबंध में रिपोर्ट की पुष्टि की है। शीर्ष समिति की बैठक में सिंध के मुख्यमंत्री को सूचित किया गया था कि सिंध में परिष्कृत, सैन्य ग्रेड हथियारों से लैस कशमोर, घोटकी, खैरपुर और सुक्कुर के दुर्गम नदी क्षेत्रों में छिपे कुछ डकैत गिरोह बलूचिस्तान से आने वाले मिलिशिया को ठिकाने प्रदान कर सकते हैं।
बीजिंग, 27 सितम्बर | हर साल के 29 सितंबर को विश्व पैदल दिवस मनाया जाता है। इस दिवस की स्थापना अंतर्राष्ट्रीय मास फिटनेस स्पोर्ट्स एसोसिएशन द्वारा वर्ष 1992 में की गयी। ठीक उसी साल रियो डी जनेरियो में आयोजित वैश्विक शिखर सम्मेलन में पहला विश्व पैदल दिवस मनाया गया। इसके बाद यह दिवस तेजी से विश्व में फैल गया और लोकप्रिय बना। वर्ष 2005 के विश्व पैदल दिवस पर 72 देशों ने इस दिवस से जुड़ी गतिविधियों में भाग लिया है। साथ ही विश्व पैदल दिवस को विश्व स्वास्थ्य संगठन से भी बड़ा समर्थन मिला। वह विश्व स्वास्थ्य संगठन द्वारा आयोजित किये गये स्वास्थ्य के लिये कसरत करने के कार्यक्रमों से जुड़ गया है। हर साल लाखों करोड़ों लोग इस दिवस के संबंधित गतिविधियों में भाग लेते हैं। यह विश्व में सबसे प्रभावित खेल गतिविधियों में से एक बन गयी है। गौरतलब है कि इस दिवस की गतिविधियां विश्व के विभिन्न देशों की जनता के उन्मुख हैं। चाहें आप विकलांग हों या स्वस्थ हों, बुजुर्ग हों या युवा हों। सभी लोग इसमें भाग ले सकते हैं। साथ ही पैदल मार्ग की कुल लंबाई 12 किमी. से कम होनी चाहिये। और रास्ते की स्थिति अच्छी व सुरक्षित होने के साथ उचित तापमान भी जरूरी होता है।
पैदल चलना मानव के स्वास्थ्य के लिये बहुत लाभदायक माना जाता है। वह लोगों की याददाश्त को बढ़ा सकता है। उम्र बढ़ने के साथ लोगों की याददाश्त भी कमजोर हो जाती है। पर पैदल चलने से इसकी गति धीमी हो सकती है। पैदल चलना मानव के दिल की कार्यक्षमता को भी बढ़ा सकता है। नियमित रूप से पैदल चलने से कार्डियक इस्केमिक लक्षण खत्म हो जाता है और उच्च रक्तचाप कम होगा। यह शरीर की थकान दूर करता है, प्रसन्नता का अनुभव कराता है, और धड़कन को राहत देता है। डॉक्टर के अनुसार पैदल चलने से रक्त वाहिका की लोच बढ़ सकती है और रक्त वाहिका के फटने की संभावना कम हो जाती है। साथ ही पैदल चलना मांसपेशियों की ताकत को बढ़ा सकता है, रक्त परिसंचरण को बढ़ा सकता है, आंत के रोगों को कम कर सकता है और एक सुंदर शरीर भी बनाए रख सकता है।
गौरतलब है कि चीन सरकार लोगों के स्वास्थ्य पर बड़ा ध्यान देती है, और देश भर में कसरत करने की राष्ट्रीय रणनीति को लागू करती है। हर साल चीन में विश्व पैदल दिवस की संबंधित गतिविधियां आयोजित की जाती हैं। जैसे चीनी राष्ट्रपति शी चिनफिंग ने कहा था कि खेल लोगों के स्वास्थ्य में सुधार करने का एक महत्वपूर्ण तरीका है, लोगों के बेहतर जीवन बिताने की इच्छा को पूरा करने और लोगों के सर्वांगीण विकास को बढ़ावा देने का एक महत्वपूर्ण साधन है। साथ ही वह आर्थिक और सामाजिक विकास के लिए एक महत्वपूर्ण प्रेरक शक्ति होने के साथ देश की सॉफ्ट पावर को प्रदर्शित करने के लिए एक महत्वपूर्ण मंच भी है। (आईएएनएस)
(चंद्रिमा - चाइना मीडिया ग्रुप, पेइचिंग)