अंतरराष्ट्रीय
अफ़ग़ानिस्तान के पूर्व राष्ट्रपति अशरफ़ ग़नी ने इस साल अगस्त में देश छोड़ने के अपने फ़ैसले को सही बताया है. तालिबान के अफ़ग़ानिस्तान पर कब्ज़ा करने के बाद अशरफ़ ग़नी ने अचानक देश छोड़ दिया था. बाद में उन्होंने कहा था कि काबुल को तबाही से बचाने के लिए ऐसा किया.
बीबीसी रेडियो 4 के साथ एक साक्षात्कार में अशरफ़ ग़नी ने बताया कि जब वे 15 अगस्त की सुबह उठे, तो उन्हें इस बात का अंदाज़ा नहीं था कि अफ़ग़ानिस्तान में ये उनका आख़िरी दिन होगा.
मंगलवार को टुडे प्रोग्राम में गेस्ट एडिटर रहे ब्रिटेन के पूर्व चीफ़ ऑफ़ डिफ़ेन्स स्टाफ़ जनरल सर निक कार्टर से बात करते हुए अशरफ ग़नी ने कहा कि जब उनका विमान काबुल से उड़ा, तब उन्हें अहसास हुआ कि वो मुल्क छोड़ रहे हैं.
इंटरव्यू के दौरान अशरफ़ ग़नी ने बताया कि दिन की शुरूआत में तालिबान के लड़ाकों ने सहमति जताई थी कि वो काबुल में नहीं घुसेंगे. उन्होंने कहा, "लेकिन दो घंटे बाद स्थिति ऐसी नहीं थी."
उन्होंने बताया, "काबुल की दो तरफ से तालिबान के दो अलग-अलग गुट राजधानी की सीमा पर थे. उन दोनों के बीच बड़े पैमाने पर झड़प होने का अंदेशा था. ऐसा होता तो 50 लाख की आबादी वाले शहर की शक्लो-सूरत बदल जाती और आम लोगों को काफी नुक़सान होता."
अशरफ़ ग़नी के मुताबिक़ वो अपने राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार और अपनी पत्नी के पहले काबुल छोड़ने पर सहमत हुए. इसके बाद वो इंतज़ार कर रहे थे कि एक कार आकर उन्हें रक्षा मंत्रालय लेकर जाए.
लेकिन वो कार कभी नहीं आई, लेकिन कुछ देर में राष्ट्रपति के सुरक्षा प्रमुख "डरे हुए" आए और उन्होंने कहा कि अगर राष्ट्रपति के कोई स्टैंड लिया तो "सभी की मौत तय है."
अशरफ़ ग़नी ने बताया, "उन्होंने मुझे सोचने के लिए दो मिनट से ज़्यादा नहीं दिया. मेरा आदेश था कि ज़रूरत पड़ने पर हम खोस्त के लिए निकलने की तैयारी करेंगे. उन्होंने बताया कि खोस्त पर अब तालिबान का कब्ज़ा है, और जलालाबाद भी उनके लड़ाकों के कब्ज़े में जा चुका है."
"मुझे नहीं पता था कि हम कहां जाएंगे. जब हमारा विमान हवा में उड़ा तब जाकर ये साफ़ हुआ कि हम अफ़ग़ानिस्तान छोड़ रहे हैं. ये वाकई आननफानन में हो गया."
अशरफ़ ग़नी के देश छोड़ कर जाने के बाद उनकी हलकों में उनकी आलोचना की गई, यहां तक कि उप-राष्ट्रपति अमीरुल्ला सालेह ने भी उनकी आलोचना की और उनके कदम को "अपमानजनक" बताया था.
अशरफ़ ग़नी ने कहा, "जो कह रहे थे कि अगर मैं कोई कदम उठाता तो वो सब मारे जाते. उनमें मेरी रक्षा करने की क्षमता नहीं थी. राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार डॉक्टर हमदुल्लाह डॉक्टर मोहिब बुरी तरह डरे हुए थे."
अशरफ़ ग़नी ने इससे इनकार किया कि वो पैसा लेकर देश से भागे हैं. उन्होंने कहा कि उनके नाम पर लगा आरोप हटाने के लिए वो इस मामले में अंतरराष्ट्रीय जांच का सामना करने के लिए तैयार हैं.
उन्होंने कहा, "मैं स्पष्ट तौर कर देना चाहता हूं कि मैं कोई पैसा लेकर देश से बाहर नहीं गया. मैं कैसा जीवन जीता हूं ये सभी जानते हैं. मैं पैसों का क्या करूंगा?"
मुल्क पर तालिबान का कब्ज़ा एक दिन में पूरा नहीं हुआ, लेकिन कइयों का कहना है कि 15 अगस्त को अशरफ़ ग़नी से अचानक देश छोड़कर चले जाने से सुनियोजित तरीके से सत्ता हस्तांतरण के लिए दोनों पक्षों के बीच जो समझौता हो सकता था वो नहीं हो सका.
हालांकि समझौता होता या नहीं होतो - दोनों ही सूरतों में सत्ता का तालिबान के हाथों जाना अब तक तय हो चुका था. लेकिन "मौत तक लड़ता रहूंगा" कहने वाले अशरफ़ ग़नी के जाने से देश में अव्यवस्था का माहौल पैदा हो गया.
अगस्त 15 को लिए फ़ैसले के लिए दोषी ठहराने से अधिक उन्हें उससे पहले कुछ न करने के लिए दोषी करार दिया जा रहा है.
ये बात सही है कि समझौते के मामले में अमेरिकियों ने उनके हाथ कमज़ोर किए, लेकिन उन्होंने भी मज़बूती नहीं दिखाई.
अब उन्हें राजनेता के रूप में कम और ऐसे लीडर के रूप में ज़्यादा देखा जा रहा है जो न केवल अमेरिकी राजनीति को समझ पाए और न ही तेज़ी से बदलती उस ज़मीनी हकीकत को भांप पाएं जिसके बारे में तालिबान को खुद भी अंदाज़ा नहीं था.
अभी के दिए उनके बयान पर चर्चा होगी और इसे देर से आया बयान कह कर खारिज कर दिया जाएगा.
अशरफ़ ग़नी ने माना कि ग़लतियां हुई हैं लेकिन उन्होंने ये भी कहा कि उन्हें उम्मीद है कि अंतरराष्ट्रीय समुदाय धैर्य दिखाएगी.
उन्होंने तालिबान के साथ अमेरिका के समझौते का ज़िक्र करते हुए कहा कि 15 अगस्त को जो कुछ उसकी नींव इसी समझौते ने डाली थी. ये समझौते पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के शासन के दौरान हुआ था.
उन्होंने कहा, "शांति प्रक्रिया की जगह हमें पीछे हटने की प्रक्रिया मिली." उन्होंने कहा ये वो समझौता था जिसने "हमें ख़त्म कर दिया."
तालिबान और अमेरिका के बीच हुए समझौते के अनुसार अमेरिका राज़ी हुआ कि वो अफ़ग़ानिस्तान में मौजूद अपने सभी सौनिकों और नैटो देशों के सभी सैनिकों को वहां से निकालेगा. साथ ही युद्धबंदियों की अदला-बदली को लेकर भी सहमति बनी. इसके बाद तालिबान चर्चा में अफ़ग़ान सरकार को शामिल करने पर राज़ी हुआ.
ये चर्चा बेनतीजा रही. इसके बाद साल 2021 की गर्मियों में अमेरिका के नए राष्ट्रपति जो बाइडन ने कहा कि वो 11 सितंबर तक अफ़ग़ानिस्तान में मौजूद सभी सैनिकों की वापसी होगी. इस वक्त तालिबान ने देश में अपने पैर फैलाने शुरू कर दिए थे और उसके लड़ाके एक के बाद एक शहरों को अपने कब्ज़े में लेते जा रहे थे.
अशरफ़ ग़नी कहते हैं, "आख़िर में जो हुआ वो एक हिंसक विद्रोह था, वो न तो राजनीतिक समझौता था और न ही राजनीतिक प्रक्रिया जिसमें लोगों को शामिल किया गया हो."
जिस दिन अशऱफ़ ग़नी ने काबुल छोड़ा उसी दिन काबुल पर तालिबान ने कब्ज़ा कर लिया. तालिबान के सत्ता में आने के बाद अफ़ग़ानिस्तान को मिल रही विदेशी मदद बंद हो गई और अफ़ग़ान सरकार के सभी ऐसेट फ्रीज़ कर दिए गए और देश पर आर्थिक और मानवीय संटक गहराने लगा.
सत्ता से हटने के तीन महीने बाद अशरफ़ ग़नी ने कहा कि जो कुछ हुआ और जिन कारणों से काबुल उनके हाथों से निकल गया वो उसमें से कुछ की ज़िम्मेदारी लेने को तैयार हैं. उन्होंने कहा वो इस बात की ज़िम्म्दारी लेने के लिए तैयार हैं कि उन्होंने "अंतरराष्ट्रीय सहयोग पर भरोसा किया."
हालाँकि उन्होंने ये भी कहा कि "मेरे जीवन भर का का काम तबाह हो गया है. मेरे मूल्यों को रौंद दिया गया और मुझे बली का बकरा बनाया गया." (bbc.com)
नई दिल्ली, 30 दिसम्बर | नागालैंड में सशस्त्र बल विशेष शक्ति अधिनियम (अफस्पा) की समीक्षा के लिए समिति गठित करने के कुछ दिनों बाद, केंद्र ने गुरुवार को पूरे राज्य को 'अशांत क्षेत्र' घोषित कर दिया और अफस्पा को अगले साल 30 जून तक पूरे राज्य में बढ़ा दिया। गृह मंत्रालय (एमएचए) द्वारा जारी गजट अधिसूचना के अनुसार, "केंद्र सरकार की राय है कि पूरे नागालैंड राज्य को मिलाकर पूरा क्षेत्र इतना अशांत और खतरनाक स्थिति में है कि नागरिकों की सहायता के लिए सशस्त्र बलों के उपयोग की आवश्यक है।
अधिसूचना के अनुसार, "अब इसलिए, सशस्त्र बल (विशेष शक्ति) अधिनियम, 1958 (1958 की संख्या 28) की धारा 3 द्वारा प्रदत्त शक्तियों का प्रयोग करते हुए, केंद्र सरकार एतद्दवारा घोषित करती है कि संपूर्ण नागालैंड राज्य को उक्त अधिनियम के प्रयोजन के लिए, 30 दिसंबर, 2021 से छह महीने की अवधि के लिए 'अशांत क्षेत्र' घोषित किया जाता है।"
अफस्पा सुरक्षा बलों को बिना किसी पूर्व वारंट के ऑपरेशन करने और किसी को भी गिरफ्तार करने का अधिकार देता है। अगर वे किसी को गोली मारते हैं तो यह बलों को प्रतिरक्षा भी प्रदान करता है।
इस महीने की शुरूआत में मोन जिले में सेना की एक इकाई द्वारा 14 नागरिकों को विद्रोही समझकर मारे जाने के बाद से नागालैंड के कई जिलों में अफस्पा को वापस लेने के लिए विरोध प्रदर्शनों के बीच यह कदम उठाया गया है।
23 दिसंबर को, केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने नागालैंड में वर्तमान परि²श्य पर चर्चा करने के लिए नागालैंड, असम के मुख्यमंत्रियों और राज्यों और मंत्रालय के अन्य अधिकारियों के साथ एक बैठक की और अफस्पा को वापस लेने पर विचार करने के लिए एक समिति बनाने का निर्णय लिया था। समिति को 45 दिनों में अपनी रिपोर्ट देनी थी।
नागालैंड विधानसभा ने हाल ही में इस अधिनियम को हटाने के लिए एक सर्वसम्मत प्रस्ताव पारित किया है और यह उम्मीद की जा रही थी कि केंद्र स्थानीय लोगों के बीच भारी आक्रोश को देखते हुए सीमावर्ती क्षेत्रों में अफस्पा के अधिकार क्षेत्र को सीमित कर सकता है। (आईएएनएस)
इस साल अफगान सीमा के पास पाकिस्तानी इलाकों में आतंकी हमले बढ़े हैं. अधिकारी और विशेषज्ञ इसके लिए तालिबान के अफगानिस्तान पर कब्जे को जिम्मेदार ठहरा रहे हैं.
पाकिस्तान के दक्षिण पश्चिमी प्रांत बलूचिस्तान में एक साल पहले की तुलना में साल 2021 के दौरान आतंकवादी घटनाओं की संख्या में 90 प्रतिशत की वृद्धि हुई. इस प्रांत के गृह विभाग ने यह जानकारी दी है. आंकड़ों के मुताबिक साल 2021 में अब तक आतंकवाद की 137 घटनाएं सामने आ चुकी हैं, जिनमें 130 से ज्यादा लोग मारे जा चुके हैं. मरने वालों में सुरक्षा बलों के सदस्य भी शामिल थे.
पाकिस्तानी सुरक्षा विश्लेषक आमिर राना ने जर्मन समाचार एजेंसी डीपीए को बताया, "हाल के महीनों में छोटे हमले कई गुना बढ़ गए हैं." उन्होंने कहा कि हमलों के पीछे धार्मिक चरमपंथी और बलूच अलगाववादी थे, जिनके बारे में दावा किया जाता है कि उन्हें अफगानिस्तान में सुरक्षित पनाह मिली हुई थी.
तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान (टीटीपी) ने तालिबान के अफगानिस्तान पर कब्जा करने के बाद से पाकिस्तानी क्षेत्र में सैकड़ों हमले किए हैं. आतंकवादी समूह ने टीटीपी और पाकिस्तानी सरकार के बीच एक महीने के संघर्ष विराम के समाप्त होने के बाद से कम से कम 16 हमलों की जिम्मेदारी ली है. टीटीपी ने 10 दिसंबर को संघर्ष विराम की समाप्ति की घोषणा की.
बलूचिस्तान क्षेत्रफल की दृष्टि से पाकिस्तान का सबसे बड़ा प्रांत है जो आंतरिक विवादों का शिकार है. यह अफगानिस्तान और ईरान के साथ सीमा साझा करता है और अक्सर यहां धार्मिक चरमपंथियों, नस्लवादी समूहों और अलगाववादियों द्वारा हिंसा की जाती है.
अधिकांश हिंसा को विद्रोहियों द्वारा बीजिंग के निवेश की प्रतिक्रिया के रूप में देखा जाता है. चीन की क्षेत्र में निवेश की योजना है, चीन सी-पैक परियोजना के जरिए अपने शिनजियांग प्रांत को बलूचिस्तान प्रांत के जरिए अरब सागर से जोड़ना चाहता है. इसके लिए विशेष रूप से बलूचिस्तान में पाकिस्तानी क्षेत्र में एक सड़क नेटवर्क और अन्य बुनियादी ढांचे का निर्माण किया जा रहा है.
एए/सीके (डीपीए, एएफपी)
रूस के सुप्रीम कोर्ट ने मानवाधिकार समूह मेमोरियल को बंद करने के आदेश दिए हैं. सरकार ने समूह पर विदेश से चंदा लेने के नियमों के उल्लंघन का आरोप लगाया था लेकिन मेमोरियल ने इन आरोपों को राजनीति से प्रेरित बताया है.
सुप्रीम कोर्ट की जज आला नाजारोवा ने फैसला देते हुए कहा कि वो देश के प्रॉसिक्यूटर जनरल के कार्यालय द्वारा दायर किए गए मुकदमे के तहत इंटरनेशनल मेमोरियल हिस्टोरिकल एजुकेशनल सोसायटी को बंद करने की इजाजत देती हैं.
समूह ने इसे "ऐतिहासिक राजनीतिक दमन का सामना करने वाली और मानवाधिकारों के लिए लड़ने वाली एक संस्था को नष्ट करने" का "राजनीतिक फैसला" बताया. मेमोरियल के एक नेता जान रैटशिंस्की ने बताया कि समूह फैसले के खिलाफ लड़ेगा और मामले को यूरोप की मानवाधिकार अदालत में ले जाएगा.
मेमोरियल की रूस और विदेश में भी काफी सराहना की जाती है. पहले भी कई बार रूस की अदालतों ने उस पर जुर्माना लगाया है. समूह हमेशा से कहता आया है कि उसके खिलाफ लगाए गए आरोप राजनीति से प्रेरित हैं.
रूस में हाल ही में एक नया कानून लाया गया था जिसके मुताबिक देश के बाहर से वित्तीय मदद पाने वाले सभी समूहों के लिए "विदेशी एजेंट" के तौर पर पंजीकरण करना अनिवार्य है. मेमोरियल ने ऐसा करवाने से इंकार कर दिया है और बार बार राजनीतिक दमन की शिकायत की है.
अंतरराष्ट्रीय ख्याति
इस संस्था की स्थापना 1980 के दशक में हुई थी. इसका उद्देश्य राजनीतिक बंदियों के अधिकारों को सुनिश्चित करना, स्टालिन काल के बाद से देश के इतिहास पर पुनर्विचार करना और देश में नाजी अत्याचारों की भी समीक्षा करना. राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने अदालत में इस मुकदमे के चलने के दौरान समूह की आलोचना की थी.
उन्होंने कहा था कि मेमोरियल ने आतंकवादियों और चरमपंथियों को समर्थन दिया है. अदालत के फैसले पर अमेरिका, यूरोपीय संघ और कई यूरोपीय सरकारों ने विस्मय जाहिर किया है. अमेरिका के विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकेन ने फैसले को, "दुनिया में हर जगह चल रहे प्रशंसनीय अभियानों और मानवाधिकारों का अपमान" बताया.
यूरोपीय संघ के वरिष्ठ कूटनीतिक योसेप बॉरेल ने कहा कि संघ रूसी सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले की "कड़ी भर्त्सना" करता है. जर्मनी के विदेश मंत्रालय के एक प्रवक्ता ने कहा कि यह फैसला "समझ से परे है और मूल नागरिक अधिकारों की रक्षा करने के अंतरराष्ट्रीय बाध्यताओं के खिलाफ है." चेक गणराज्य और पोलैंड ने भी इसी तरह के बयान जारी किए.
सीके/एए (डीपीए, एएफपी)
मिस्र में फैरो आमेनहोतेप प्रथम की ममी की पट्टियों को डिजिटल तरीके से हटाया गया है. ऐसा करके ममी के मास्क को हटाए बिना उसके रहस्यों पर से पर्दा हटाया गया है.
फैरो आमेनहोतेप प्रथम की ममी की खोज 1881 में हुई थी और यह पहली बार है जब उसके रहस्य खुले हैं. काफी विकसित थ्रीडी इमेजरी तकनीक की मदद से शोधकर्ताओं ने ममी बनाने की उन नई तकनीकों का पता लगाया जिनका इस्तेमाल फैरो के लिए किया गया था.
आमेनहोतेप प्रथम 1500 साल ईसापूर्व से भी पहले मिस्र पर राज किया करते थे. इस शोध का नेतृत्व किया काहिरा विश्वविद्यालय में रेडियोलोजी के प्रोफेसर सहर सलीम और जाने माने मिस्र विशेषज्ञ जाहि हवास ने. हवास मिस्र के प्राचीन कालीन वस्तुओं के मंत्री भी रह चुके हैं.
विकसित तकनीक की मदद
इसी मंत्रालय ने एक बयान में बताया, "सलीम और हवास ने विकसित एक्स-रे तकनीक, सीटी स्कैनिंग और विकसित कंप्यूटर सॉफ्टवेयर कार्यक्रमों का इस्तेमाल कर" ममी को डिजिटल तरीके से खोला. मंत्रालय ने यह भी कहा कि यह सब एक "सुरक्षित, गैर आक्रामक तरीके से किया गया जिसमें ममी को छूने की जरूरत ही नहीं पड़ी."
बयान में यह भी बताया गया कि इस अध्ययन में पहली बार फैरो के "चेहरे, उम्र और स्वास्थ्य" के बारे में पता चला. इसके अलावा इस ममी को बनाने के "अनूठे तरीके और उसे फिर से दफनाने के कई रहस्यों पर से भी पर्दा हटा."
विश्लेषण से पता चला कि आमेनहोतेप प्रथम पहले ऐसे फैरो थे जिन्हें उनकी बाजुओं को मोड़ कर ममी बनाया गया था. इसके अलावा वो आखिरी ऐसे फैरो थे जिनके दिमाग को सिर में से निकला नहीं गया था.
टोमोग्राफी स्कैन में पता चला कि 21 साल के अपने शासन में कई सैन्य अभियान करने वाले इस फैरो की मौत 35 साल में ही हो गई थी. कारण या कोई चोट थी या बीमारी.
दक्षिणी मिस्र के लक्सर में मिली यह ममी एकलौती ऐसी ममी है जिसकी कासी हुई पत्तियों को पुरातत्वविदों ने नहीं हटाया. वो चाहते थे कि इस ममी के मास्क और उसके इर्द गिर्द बालों की तरह फैली फूलों की मालाओं को सुरक्षित रखा जाए.
सलीम ने बताया कि इसी तरीके से 2012 में "हैरम षड़यंत्र" सामने आया था, जिसके तहत रामसेस तृतीय का गाला काट दिया गया था. वो एक पत्नी के द्वारा रचा हुआ षड़यंत्र था को एक प्रतिद्वंदी के पहले बच्चे की जगह अपने बेटे को राजगद्दी पर देखना चाहती थी.
सीके/एए (एएफपी)
कुछ महीने पहले जंग जैसे हालात में भिड़ रहे इस्राएल और फलस्तीन के शीर्ष नेता आपस में मिले. इसके बाद इस्राएल ने 9,500 फलस्तीनियों को पहचान पत्र जारी करने की घोषणा की. व्यापार के मकसद से 500 लोगों को कार परमिट भी जारी होगा.
इस्राएल के रक्षा मंत्री बेनी गांत्स ने फलस्तीन के शीर्ष नेता महमूद अब्बास के साथ मुलाकात की है. इस्राएली रक्षा मंत्रालय के प्रवक्ता ने बताया कि इस बैठक में नागरिक सुरक्षा से जुड़े कई मामलों पर बातचीत हुई है. हाल के सालों में यह एक विरला मौका है, जहां इस्राएल और फलस्तीनियों के बीच इतनी उच्च स्तरीय बैठक हुई हो.
फलस्तीनियों को पहचान पत्र
इस्राएली मीडिया की रिपोर्ट्स के मुताबिक, गांत्स ने तेल अवीव इलाके में स्थित अपने घर पर अब्बास की अगवानी की. इससे पहले दोनों नेताओं के बीच अगस्त 2021 में मुलाकात हुई थी. इस मुलाकात में गांत्स ने अब्बास को "आर्थिक और नागरिक मामलों में भरोसा कायम करने वाले तरीकों पर और आगे बढ़ने" के अपने इरादे के बारे में बताया. बातचीत के बाद, गांत्स ने वेस्ट बैंक में मौजूद 6,000 और गजा पट्टी के 3,500 फलस्तीनियों की पहचान को मानवीय आधार पर पहचान पत्र देने का फैसला किया. इस्राएल की ओर से रोका गया करीब 239 करोड़ रुपये का टैक्स भी फलस्तीनी प्रशासन के सुपुर्द किया जाएगा. इसके अलावा, 500 लोगों को व्यापार के मकसद से इस्राएल में कार ले जाने की अनुमति दी जाएगी.
सन 1967 से वेस्ट बैंक पर इस्राएल का कब्जा है. कुछ ही महीने पहले अक्टूबर में इस्राएल ने वेस्ट बैंक में रहने वाले 4,000 फलस्तीनियों को पहचान पत्र जारी करने की घोषणा की थी, जिसकी मदद से वे चेक नाकों से बेरोक टोक आ जा सकें. आधिकारिक पंजीकरण का यह अभियान बरसों से बंद पड़ा था.
शांति के कितने करीब
फलस्तीनियों ने पिछले कुछ हफ्तों में इस्राएल के कब्जे वाले वेस्ट बैंक और पूर्वी येरूशलम में रहने वाले इस्राएली बाशिंदों पर हमले किए हैं. इसी तरह इस्राएली बाशिंदों की तरफ से फलस्तीनियों पर हमला करने की खबरें भी सामने आई हैं. अमेरिका की मध्यस्थता से दोनों पक्षों के बीच चल रही शांति वार्ता, साल 2014 में अटक गई थी. अमेरिका में राष्ट्रपति जो बाइडेन के चुने जाने बाद अब्बास ने मध्य-पूर्व में शांति कायम करने के लिए दोबारा वार्ता शुरू करने की इच्छा जताई है.
अब्बास के लिए वार्ता का मकसद एक आजाद फलस्तीनी राष्ट्र बनाना है. फलस्तीनी चाहते हैं कि उनका अपना राष्ट्र हो, जिसकी राजधानी पूर्वी येरूशलम बने. दूसरी ओर इस्राएली प्रधानमंत्री नफताली बेनेट फलस्तीनी राष्ट्र के खिलाफ हैं. हालांकि, वह खुद भी वेस्ट बैंक इलाके में संघर्ष कम करने और आम लोगों के लिए हालात बेहतरकरने की बात कह चुके हैं.
हमास की प्रतिक्रिया
फलस्तीनी चरमपंथी समूह, हमास ने इस बैठक में शामिल होने के लिए राष्ट्रपति अब्बास की निंदा की है. हमास के प्रवक्ता हाजेम कासम ने कहा कि फलस्तीनी प्रशासन के इस रवैये ने फलस्तीन की राजनीति में ज्यादा बिखराव ला दिया है. कासम का कहना है कि इससे फलस्तीनी इलाके पर कब्जा करने वालों के साथ स्थिति सामान्य करने के पक्षधर लोग मजबूत होंगे और फलस्तीनियों का प्रतिरोध कमजोर पड़ेगा.
आरएस/आरपी (डीपीए, एपी)
स्पेन में 20 प्रतिशत महिला टैक्सी या बस ड्राइवर के मुकाबले में केवल 4 प्रतिशत महिलाएं ही ट्रक चलाती हैं. सड़क पर महिलाओं के लिए ट्रक चलाना आसान नहीं है क्योंकि उन्हें इस काम के लिए परिवार से दूर जाना होता है.
ट्रक ड्राइवर के रूप में काम करना बेगोना उरमेनेटा के लिए हमेशा आसान नहीं रहा है, लेकिन वे अपने पेशे से प्यार करती हैं और कहती हैं कि स्पेन को उनके जैसे लोगों की पहले से कहीं ज्यादा जरूरत है क्योंकि यूरोप में माल ढुलाई करने वाले ट्रक ड्राइवरों की भारी कमी है.
59 वर्षीय तलाकशुदा, दो बच्चों की मां और दो बच्चों की दादी 26 साल से लंबी दूरी की लॉरी चला रही हैं. वे मछली से लेकर खतरनाक सामानों को पहुंचाती आई हैं. बेगोना उरमेनेटा कहती हैं, "आपको निश्चित रूप से बार-बार खुद को साबित करना होता है. जब मैंने शुरू किया, तो वे कहते थे...बेगोना एक लड़की है, वह फ्रिज नहीं ले जा सकती, वह पैलेट नहीं ढो सकती."
पूर्वी स्पेन के वेलेंसिया की रहने वाली उरमेनेटा कहती हैं, "अगर इससे वे खुश होते हैं, तो उन्हें यह कहने देना चाहिए. क्योंकि अब तक मैं यह सब कर सकती हूं, अगर नहीं कर पाती हूं तो मदद मांगती हूं."
स्पेन में 20 प्रतिशत महिला टैक्सी या बस ड्राइवर के मुकाबले में केवल 4 प्रतिशत महिलाएं ही ट्रक चलाती हैं. सरकार ने अधिक महिलाओं और युवाओं को ऐसे क्षेत्र में आकर्षित करने की दृष्टि से उपायों की समीक्षा करने का आदेश दिया है, जहां काम शारीरिक रूप से मांग वाला और अक्सर अकेले ही काम करना हो सकता है. यह पेशा चालकों को लंबे समय तक घर और परिवार से दूर ले जा सकता है.
स्पेन में अब लॉरी चालक की औसत आयु 50 है. उरमेनेटा का मानना है कि 10 वर्षों के भीतर देश के माल की ढुलाई के लिए कोई भी नहीं होगा. उन्होंने समाचार एजेंसी रॉयटर्स से कहा, "आज स्पेन में 10,000 से 20,000 ट्रक ड्राइवरों की कमी कुछ भी नहीं है, यह हिमशैल का सिरा है."
उरमेनेटा कई-कई घंटे अकेले सड़क पर ट्रक चलाती हैं और इस काम में उन्हें किसी तरह की कोई परेशानी नहीं आती. उन्होंने अपने ट्रक की विंडस्क्रीन पर एक चिन्ह रखा है, जिसमें लिखा है "महिला ट्रक चालक- मेरा पेशा, मेरा जुनून."
ट्रक ड्राइवरों की कमी किसी भी तरह से स्पेन तक ही सीमित नहीं है, जैसा कि पहले अनुभव की गई आपूर्ति श्रृंखलाओं में व्यवधानों से प्रदर्शित होता है, इस साल जब वैश्विक अर्थव्यवस्था कोरोना वायरस महामारी और इसके कारण हुए लॉकडाउन से उभरने में लगी है.
यूरोपियन रोड ट्रक चालक एसोसिएशन के मुताबिक अकेले यूरोप में लगभग 4,00,000 ट्रक ड्राइवरों की कमी है. उरमेनेटा कहती हैं कि उन्हें कम उम्मीद है कि युवा लोगों को ऐसे मांग वाले काम के लिए आकर्षित किया जा सकता है जो अपेक्षाकृत खराब वेतन की पेशकश करते हैं. वे कहती हैं, "कारखाने की नौकरियां बहुत अधिक आकर्षक हैं. लोग रोज शाम घर जा पाते हैं."
एए/वीके (रॉयटर्स)
दुनियाभर में कोविड-19 केस नई ऊंचाई पर पहुंच गए हैं. सात दिन की औसत के हिसाब से बुधवार को दुनिया में कोविड-19 के मामलों का नया रिकॉर्ड बन गया.
ओमिक्रॉन वेरिएंट के बढ़ते मामलों के बीच दुनिया की विभिन्न सरकारें अर्थव्यवस्था को प्रभावित किए बिना महामारी को फैलने से रोकने की कोशिशों में जुट गई हैं. 22 दिसंबर से 28 दिसंबर के बीच दुनियाभर में रोजाना कोविड-19 के औसतन नौ लाख मामले दर्ज किए गए. बीते 24 घंटों में अमेरिका, ऑस्ट्रेलिया, अर्जेंटीना और बोलीविया के अलावा यूरोप में भी कई देशों में कोरोना वायरस संक्रमितों की संख्या नए रिकॉर्ड पर पहुंच गई.
हालांकि कई शोध इस बात को दोहरा चुके हैं कि ओमिक्रॉन वेरिएंट पिछले वेरिएंट से कम घातक है. दक्षिण अफ्रीका में हुए एक शोध में पता चला कि ओमिक्रॉन वेरिएंट को पहचानने और उससे लड़ने में प्रतिरोधी सिस्टम की दूसरी श्रेणी की रक्षापंक्ति यानी टी-कोशिकाएं बहुत प्रभावी होती हैं. इस कारण ओमिक्रॉन शरीर को गंभीर नुकसान नहीं पहुंचा पाता.
फिर भी, इतनी बड़ी संख्या में लोगों का संक्रमित होना स्वास्थ्य व्यवस्था पर अतिरिक्त बोझ डाल सकता है. बहुत से देशों में तो व्यवस्था पूरी तरह चरमरा सकती है. इसके अलावा उद्योगों और व्यापारिक प्रतिष्ठानों को भी फिर से बंदी झेलनी पड़ सकती है.
आ सकती है मामलों की सूनामी
विश्व स्वास्थ्य संगठन के महानिदेशक तेद्रोस अधनोम गेब्रयेसुस ने नए मामलों की सूनामी की चेतावनी दी है. उन्होंने कहा, "ओमिक्रॉन अत्याधिक संक्रामक है और डेल्टा के साथ-साथ फैल रहा है, तो मुझे इस बात की बहुत ज्यादा चिंता है कि मामलों की सूनामी आने वाली है."
इसी कारण विभिन्न सरकारें अलग-अलग उपायों पर विचार कर रही हैं जिनमें कम समय के लिए एकांतवास आदि शामिल हैं. बुधवार को स्पेन ने कहा कि वह क्वॉरन्टीन की अवधि 10 दिन से घटाकर 7 कर रहा है. इटली भी एकांतवास के नियमों में ढील देने की बात कह चुका है.
इसी हफ्ते की शुरुआत में अमेरिका के स्वास्थ्य अधिकारियों ने एकांतवास के लिए नए दिशा-निर्देश जारी किए थे. इनके तहत उन लोगों के लिए एकांतवास की अवधि 10 दिन के बजाय 5 कर दी गई है जिनमें कोविड-19 के कोई लक्षण नहीं हैं.
फ्रांस के स्वास्थ्य मंत्री ओलीविए वेरां ने संसद में बताया कि देश में मामले चकरा देने की तेजी से बढ़ रहे हैं. बीते 24 घंटे में वहां दो लाख आठ हजार केस दर्ज हुए जो एक नया राष्ट्रीय और यूरोपीय रिकॉर्ड है. मंगलवार को ब्रिटेन, इटली, स्पेन, पुर्तगाल, ग्रीस, साइप्रस और माल्टा में भी रिकॉर्ड नए मामले दर्ज हुए.
अस्पतालों में कम भर्ती
यूएस सेंटर्स फॉर डिजीज कंट्रोल ऐंड प्रिवेंशन की रोशेष वालेंस्की ने कहा कि मामले तेजी से बढ़ने के बावजूद अस्पतालों में भर्ती होने वाले लोगों की संख्या और मौतों में ज्यादा वृद्धि नहीं हुई है. उन्होंने कहा, "बीते सात दिन में मामलों का औसत दो लाख 40 हजार 400 है जो पिछले हफ्ते की तुलना में 60 प्रतिशत अधिक है. इसी अवधि के दौरान अस्पताल में भर्ती का औसत 14 प्रतिशत बढ़ा है जबकि मौतों की संख्या 7 प्रतिशत कम हो गई है.”
शायद यही वजह है कि सरकारें अभी भी पूरी तरह लॉकडाउन जैसे कड़े उपायों से बच रही हैं. ब्रिटेन के प्रधानमंत्री बोरिस जॉनसन ने कहा कि वह इस साल इंग्लैंड में नई पाबंदियां लागू नहीं करेंगे. ऑस्ट्रेलिया की सरकार ने भी लॉकडाउन की संभावना को पूरी तरह खारिज कर दिया है.
हालांकि सरकारों में इस बात को लेकर चिंता बढ़ी है कि नए मामलों का आर्थिक असर खतरनाक हो सकता है क्योंकि अधिक संक्रमण का अर्थ होगा कि ज्यादा संख्या में लोगों को एकांतवास में रहना पड़ेगा. फिर भी, सरकारें बहुत संभलकर कदम रख रही हैं.
ऑस्ट्रेलिया के प्रधानमंत्री स्कॉट मॉरिसन ने मीडिया से कहा, "हम हर एक को सर्कुलेशन से सिर्फ इसलिए बाहर नहीं कर सकते कि वे किसी खास वक्त पर किसी खास जगह थे.”
उधर भारत के कई शहरों ने नए साल के जश्न पर पाबंदी लगाते हुए नए नियम लागू कर दिए हैं. दिल्ली और मुंबई में रेस्तरां, जिम, पब आदि को बंद रखने का आदेश दिया गया है. दिल्ली में रात के वक्त कर्फ्यू लागू कर दिया गया है.
वीके/एए (एपी, रॉयटर्स, एएफपी)
बेरुत, 30 दिसम्बर| बेरूत बंदरगाह पर सीमा शुल्क अधिकारियों ने 90 लाख कैप्टागन गोलियों को छिपाने वाले संतरे का एक शिपमेंट जब्त कर लिया है। इसे खाड़ी क्षेत्र में ले जाया जाना था। समाचार एजेंसी सिन्हुआ की रिपोर्ट के अनुसार, लेबनान के गृह मंत्री बासम मावलवी ने बुधवार को बेरूत बंदरगाह का दौरा किया और इसकी जब्ती के तुरंत बाद शिपमेंट का निरीक्षण किया और आश्वासन दिया कि लेबनान इस तरह की घटनाओं को रोकने के लिए गंभीरता से काम कर रहा है।
मावलवी ने खाड़ी देशों को संबोधित करते हुए कहा कि यह ऑपरेशन लेबनान की सुरक्षा एजेंसियों की अपराध और नशीली दवाओं की तस्करी से गंभीरता से निपटने के लिए तत्परता को साबित करता है।
29 अक्टूबर को, सऊदी अरब ने एक घटना के बाद सभी लेबनानी आयातों पर प्रतिबंध लगाने की घोषणा की जिसमें सऊदी सीमा शुल्क ने लेबनान से आयातित अनार के अंदर छिपी हुई 53 लाख कैप्टागन गोलियां जब्त की थी। (आईएएनएस)
जिनेवा, 30 दिसम्बर| विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) ने आगाह किया है कि वर्तमान में संक्रामक डेल्टा वेरिएंट के साथ ओमिक्रॉन राष्ट्रीय स्वास्थ्य प्रणालियों पर अत्यधिक दबाव डालते हुए 'मामलों की सुनामी' की वजह बन सकता है। कोविड -19 महामारी की शुरूआत के बाद से डब्ल्यूएचओ की प्रतिक्रिया को दोहराते हुए, डब्ल्यूएचओ के महानिदेशक ट्रेडोस एडनॉम घेब्येयियस ने बुधवार को एक प्रेस ब्रीफिंग में कहा कि वह अत्यधिक चिंतित हैं कि ओमिक्रॉन अधिक संक्रामक है, यह तेजी से फैलने वाला है।
उन्होंने कहा कि यह स्वास्थ्य कार्यकर्ताओ और स्वास्थ्य प्रणालियों पर भारी दबाव डालेगा और फिर से जीवन और आजीविका को बाधित करेगा। उन्होंने कहा, दबाव का हवाला देते हुए कहा कि न केवल नए कोविड -19 रोगियों को अस्पताल में भर्ती होने की आवश्यकता है, बल्कि कई स्वास्थ्यकर्मी खुद बीमार हो रहे हैं।
समाचार एजेंसी सिन्हुआ की रिपोर्ट के अनुसार, ट्रेडोस ने हाल के एक बयान पर अपनी चिंता दोहराई कि ओमिक्रॉन हल्के या कम गंभीर बीमारियों का कारण बन रहा है। (आईएएनएस)
सैन फ्रांसिस्को, 30 दिसम्बर| लोकप्रिय शॉर्ट वीडियो-शेयरिंग प्लेटफॉर्म टिकटॉक इस साल क्रिसमस के दिन डाउनलोड के चार्ट में सबसे ऊपर है। मोबाइल डेटा और एनालिटिक्स कंपनी एप एनी के अनुसार, आईओएस और गूगल प्ले स्टोर में वैश्विक स्तर पर 25 दिसंबर को टिकटॉक के डाउनलोड की संख्या का अनुमान लगाया गया था।
मोबाइल गेम्स में, 'ब्रेन स्टोरी: ट्रिकी पजल', 'पॉपी रोप गेम', 'मेट्रो पाकौंर', 'फ्री फायर' और 'रोब्लोक्स' डाउनलोड में शीर्ष पांच में स्थान पर हैं।
आईटी सुरक्षा कंपनी क्लाउडफ्लेयर की एक रिपोर्ट के मुताबिक वायरल वीडियो ऐप को यूएस बेस्ड सर्च इंजन के मुकाबले ज्यादा हिट मिलते हैं।
रैंकिंग से पता चलता है कि टिकटॉक ने इस साल फरवरी, मार्च और जून में गूगल को शीर्ष स्थान से पछाड़ दिया।
जून 2020 में, भारत सरकार ने चीन के साथ सीमा तनाव के बीच लोकप्रिय शॉर्ट-फॉर्म वीडियो ऐप टिकटॉक पर प्रतिबंध लगा दिया था। (आईएएनएस)
अमेज़न को अपने वॉयस असिस्टेंट 'एलेक्सा' में आई एक गंभीर गड़बड़ी को दूर करने के लिए अपडेट करने को मजबूर होना पड़ा है. साथ ही उसने इस ख़ामी के लिए लोगों से माफ़ी भी मांगी है.
असल में इसके इको वॉयस असिस्टेंट ने अमेरिका में एक 10 साल की बच्ची को सलाह दी कि वो अपने फ़ोन चार्जर को किसी चालू इलेक्ट्रिक बोर्ड में आधा लगाए और फिर बाहर रह गए हिस्से को सिक्के से छुए.
इससे पहले, उस बच्ची ने किसी 'किए जाने वाले चैलेंज' की मांग एलेक्सा से की थी.
एलेक्सा की इस ख़तरनाक सलाह को उस बच्ची की मां ने सोशल मीडिया पर शेयर किया. उसके बाद सोशल मीडिया पर अमेज़न और उसके इस वर्चुअल असिस्टेंट टेक्नोलॉजी की जमकर आलोचना होने लगी.
विज्ञापन
उस बच्ची की मां क्रिस्टिन लिवडाल ने इस घटना को ट्विटर पर लिखा, "हे भगवान! मेरी 10 साल की बच्ची ने हमारे इको पर एलेक्सा से अभी एक चुनौती देने को कहा, तो देखिए उसने क्या कहा."
उसमें 'एक्टिविटी' सेक्शन में 'मुझे करने के लिए एक चैलेंज दो' के तहत लिखा था, "मैंने वेबसाइट पर इसे पाया. आवरकम्युनिटीनाउडॉटकॉम के अनुसार, चैलेंज साधारण है. अपने फ़ोन चार्जर को किसी चालू इलेक्ट्रिक सॉकेट में आधा लगाकर बाहर रह गए हिस्से को सिक्के से छुएं."
उन्होंने इस बारे में आगे कहा, "हम फिजिकल एजुकेशन के एक टीचर के दिए कुछ फिजिकल चैलेंज कर रहे थे. बाहर का मौसम ख़राब था. मेरी बेटी ने ऐसे ही एक और चैलेंज की मांग की."
उसके बाद एलेक्सा ने किसी वेबसाइट पर पड़े ऐसे चैलेंज को खोजकर उन्हें दे दिया. क्रिस्टीन ने तुरंत एलेक्सा से कहा, "नहीं, एलेक्सा, नहीं."
साल भर पहले वायरल हुआ चैलेंज
मालूम हो कि यह ख़तरनाक चैलेंज क़रीब साल भर पहले 'द पेनी चैलेंज' नाम से टिकटॉक और दूसरे सोशल मीडिया साइटों पर वायरल हुआ था. उसके बाद पूरी दुनिया से इसके चलते हुई दुर्घटनाओं की ख़बरें और तस्वीरें सामने आई थीं.
असल में सिक्का धातु का होता है, जो बिजली का सुचालक होता है. चालू इलेक्ट्रिक बोर्ड में लगे चार्जर में इसे डालने पर जानलेवा झटका, आग और दूसरे हादसे होने के ख़तरे हो सकते हैं.
जानकारों के अनुसार, ऐसे हादसों में उंगलियों या पूरे हाथ के जलने या उसके उड़ने का ख़तरा होता है. अमेरिका के अग्निशमन अधिकारियों ने भी ऐसे जानलेवा चैलेंज का खुलकर विरोध किया है.
उसने माना, "यह घातक हो सकता था. अमेरिका की क्रिस्टीन लिवडाल ने हमें बताया कि उनकी बेटी ने बीते शुक्रवार को एलेक्सा से एक चैलेंज मांगा था, जिसके जवाब में एलेक्सा ने ऐसी सलाह दी."
बीबीसी को भेजे अपने बयान में अमेज़न ने बताया कि भविष्य में एलेक्सा को ऐसी गतिविधियों से दूर रहने के लिए उसने उसे अपडेट कर दिया है. उसके लिए उपभोक्ताओं का भरोसा बहुत मायने रखता है. (bbc.com)
नई दिल्ली, 29 दिसंबर| पाकिस्तान में आने वाले नए साल को लेकर उम्मीदें वैश्विक औसत से कम दर्ज की गई हैं। समा टीवी की रिपोर्ट के अनुसार, हाल ही में किए गए एक सर्वेक्षण में यह निष्कर्ष निकला है। गैलप इंटरनेशनल द्वारा 'द ग्लोबल होप, हैप्पीनेस एंड इकोनॉमिक प्रॉस्पेरिटी इंडेक्स सर्वे' किया गया है।
सर्वेक्षण में 41 देशों के कुल 41,560 उत्तरदाताओं ने भाग लिया। रिपोर्ट में कहा गया है कि पाकिस्तान में सर्वेक्षण गैलप पाकिस्तान द्वारा किया गया है।
सर्वेक्षण तीन प्रमुख कारकों को ध्यान में रखते हुए किया गया है, जिसमें आशा, खुशी और आर्थिक आशावाद शामिल है।
हालांकि अधिकांश उत्तरदाताओं ने खुद को आशावादी और खुश बताया, मगर होप इंडेक्स और हैप्पीनेस इंडेक्स पर उनका स्कोर वैश्विक औसत से कम दर्ज किया गया है। रिपोर्ट में कहा गया है कि हालांकि, पाकिस्तानियों ने आर्थिक आशावाद सूचकांक पर बेहतर प्रदर्शन दिखाया है।
उत्तरदाताओं से पूछा गया - "जहां तक आपका सवाल है, क्या आपको लगता है कि 2022 बेहतर होगा, बदतर होगा या 2021 जैसा ही होगा?"
सवाल के जवाब में, 43 फीसदी पाकिस्तानियों ने कहा कि वे 2022 के बारे में आशावादी हैं, 41 फीसदी ने कहा कि उनका मानना है कि 2022 2021 से भी बदतर होगा, और 9 फीसदी ने कहा कि यह 2021 के जैसा ही होगा। कम से कम 7 प्रतिशत को इस बारे में कुछ पता ही नहीं था कि या वे जवाब नहीं देना चाहते थे।
वैश्विक स्तर पर, 38 प्रतिशत ने कहा कि 2022 2021 से बेहतर होगा, 28 प्रतिशत ने कहा कि यह और भी बुरा होगा। इसके अलावा 27 प्रतिशत ने कहा कि उन्हें लगता है कि यह 2021 जैसा ही होगा, जबकि 7 प्रतिशत ने कोई जवाब नहीं दिया।
गैलप पाकिस्तान की रिपोर्ट के अनुसार, वैश्विक औसत आंकड़े के साथ पाकिस्तान के आंकड़े की तुलना करते हुए, पाकिस्तान की शुद्ध उम्मीद 10 फीसदी की वैश्विक शुद्ध उम्मीद की तुलना में दो फीसदी के साथ काफी कम दर्ज की गई है।
उत्तरदाताओं से पूछा गया कि क्या वे अपने जीवन के बारे में बहुत खुश हैं, केवल खुश हैं या दुखी हैं या फिर बहुत ज्यादा दुखी महसूस करते हैं?
इस सवाल के जवाब में, 38 प्रतिशत पाकिस्तानियों ने कहा कि वे अपने जीवन के बारे में बहुत खुश हैं, 27 प्रतिशत ने कहा कि वे खुश हैं, 12 प्रतिशत ने कहा कि वे न तो खुश हैं और न ही दुखी हैं। 12 प्रतिशत ने कहा कि वह दुखी हैं और 11 प्रतिशत ने कहा कि वे बहुत दुखी हैं।
वैश्विक स्तर पर, 13 प्रतिशत ने कहा कि वे अपने जीवन को लेकर बहुत खुश महसूस करते हैं। पाकिस्तान की शुद्ध रूप से खुशी लगभग वैश्विक आंकड़े के बराबर रही। हालांकि, 11 फीसदी पाकिस्तानियों ने कहा कि वे बहुत नाखुश हैं, जबकि वैश्विक स्तर पर ऐसा सोचने वाले लोगों की संख्या 4 फीसदी दर्ज की गई है। (आईएएनएस)
हांग कांग में पुलिस ने लोकतंत्र समर्थक स्टैंड न्यूज के कार्यालय पर छापा मारा और इसके मौजूदा और पूर्व कर्मचारियों को "देशद्रोही प्रकाशन प्रकाशित करने की साजिश" के लिए गिरफ्तार किया.
अधिकारियों ने बुधवार को कहा कि हांग कांग में पुलिस ने एक ऑनलाइन मीडिया संस्थान के मौजूदा छह पत्रकारों और पूर्व स्टाफ को गिरफ्तार किया है. सरकार ने एक प्रेस विज्ञप्ति में कहा, "देशद्रोही प्रकाशनों को प्रकाशित करने की साजिश" के लिए छह मीडियाकर्मियों को गिरफ्तार किया गया है.
पुलिस ने घर और कार्यालय पर मारे छापे
बुधवार को एक बयान में हांग कांग पुलिस ने कहा कि उन्होंने एक "ऑनलाइन मीडिया कंपनी" की तलाशी ली थी, जिसमें "200 वर्दीधारी और सादे कपड़े में पुलिस अधिकारी" तैनात थे. आधिकारिक पुलिस बयान ने गिरफ्तार किए गए लोगों की पहचान जारी नहीं की, लेकिन कहा कि वे तीन पुरुष और तीन महिलाएं हैं.
हांग कांग के प्रसारक टीवीबी ने कहा कि ये छह लोग लोकतंत्र समर्थक समाचार वेबसाइट स्टैंड न्यूज के वर्तमान या पूर्व कर्मचारी हैं.
डीडब्ल्यू के संवाददाता फोएबे कोंग ने कहा कि हांग कांग पुलिस के राष्ट्रीय सुरक्षा विभाग के अधिकारियों ने हांग कांग पत्रकार संघ के अध्यक्ष रॉनसन चान के घर की तलाशी ली. पुलिस ने एक बयान में कहा कि वह "प्रासंगिक पत्रकारिता सामग्री की तलाशी और जब्ती करने के लिए" अधिकृत वारंट के साथ तलाशी ले रही थी.
स्टैंड न्यूज ने फेसबुक पर पुलिस अधिकारियों का एक वीडियो पोस्ट किया है, जिसमें पुलिस कह रही है कि उनके पास "देशद्रोही सामग्री के प्रकाशन को प्रकाशित करने की साजिश" की जांच के लिए वारंट है. कोंग के मुताबिक पुलिस स्टैंड न्यूज में चान के सहयोगियों के घरों की भी तलाशी ली है.
एक 'खतरनाक चलन'
जॉर्ज टाउन यूनिवर्सिटी के सेंटर फॉर एशियन लॉ में हांग कांग के कानून फेलो एरिक लाई ने डीडब्ल्यू को बताया कि गिरफ्तारी एक "खतरनाक मिसाल" होगी क्योंकि सरकार लोगों को "पूर्व क्रियाकलाप के मुताबिक" गिरफ्तार कर सकती है. लाई ने कहा, "देशद्रोही प्रकाशन का आरोप कुछ महीने पहले बच्चों की किताब प्रकाशित करने वाले यूनियनों पर भी लगाया गया था."
वे कहते हैं, "यह काफी परेशान करने वाला है क्योंकि हांग कांग में देशद्रोही कानून एक तरह का भाषण अपराध है जिसे सरकार जरूरत पड़ने पर इस्तेमाल कर सकती है, जब वे सरकार विरोधी किसी भी अभिव्यक्ति या प्रकाशन की व्याख्या करते हैं."
असहमति पर कार्रवाई
यह पहली बार नहीं है जब हांग कांग पुलिस ने पत्रकारों पर छापे मारे हैं. जून में, सैकड़ों पुलिस ने लोकतंत्र समर्थक अखबार एप्पल डेली के परिसरों पर छापा मारा था. एप्पल डेली के अधिकारियों को "एक विदेशी देश के साथ मिलीभगत" के लिए गिरफ्तार किया गया था. हांग कांग के अभियोजकों ने मंगलवार को एप्पल डेली के संस्थापक जिमी लाई के खिलाफ एक अतिरिक्त "देशद्रोही प्रकाशन" आरोप दायर किया था.
एए/सीके (एएफपी, एपी, डीपीए, रॉयटर्स)
ऑस्ट्रेलिया में हुआ एक अध्ययन कहता है कि जब घर महंगे होते हैं तो लोग कम बच्चे पैदा करते हैं. जबकि जिन लोगों के पास घर हो, उनके बच्चे पैदा करने की संभावना किराये पर रहने वालों से ज्यादा होती है.
डॉयचे वैले पर विवेक कुमार की रिपोर्ट-
ऑस्ट्रेलिया की सिडनी यूनिवर्सिटी के शोधकर्ताओं ने बीस साल के आंकड़ों के अध्ययन के आधार पर निष्कर्ष निकाला है कि जब प्रॉपर्टी मार्किट में तेजी आती है तो लोग कम बच्चे पैदा करते हैं. इसका उलटा भी सच है.
इसी अध्ययन का एक अन्य निष्कर्ष यह है कि जिन लोगों के पास घर नहीं होता उनके बच्चे पैदा करने की संभावना कम होती है.
शोधकर्ताओं ने पहली बार ऑस्ट्रेलिया के लोगों की बच्चे पैदा करने की संभावना की तुलना घरों की कीमतों से की है. सिडनी यूनिवर्सिटी के शोधकर्ताओं की यह स्टडी ‘जर्नल ऑफ हाउसिंग इकॉनोमिक्स' में छपी है.
महंगे हो रहे हैं घर
ऑस्ट्रेलिया में पिछले दो साल में प्रॉपर्टी की कीमतें राष्ट्रीय स्तर पर 20 प्रतिशत बढ़ चुकी हैं. अध्ययन के मुख्य शोधकर्ता एसोसिएट प्रोफेसर स्टीफेन वीलन के मुताबिक 2001 से 2018 तक के आंकड़ों के आधार पर उन्होंने जो निष्कर्ष निकाले हैं वे अब और ज्यादा वाजिब साबित होंगे.
प्रोफेसर वीलन कहते हैं, "घरों की कीमतों और उनके घर खरीदने की असर को लेकर तो यह बहस काफी होती है कि नीतियां किस तरह की होनी चाहिए. लेकिन घरों की कीमतों का लोगों के बच्चे पैदा करने के फैसलों पर असर के बारे में चर्चा ज्यादा नहीं होती है.”
वह कहते हैं कि तेजी से बढ़ती घरों की कीमतों का असर लोगों की बच्चे पैदा करने की इच्छा और असल में बच्चों के पैदा होने पर सीधा होता है. वह कहते हैं, "यह अध्ययन दिखाता है कि तेजी से बढ़तीं घरों की कीमतों का असर लोगों के बच्चे पैदा करने की मंशा पर भी होता है और उन मंशाओं के नतीजों पर भी.”
हैरतअंगेज नहीं नतीजे
शोध कहता है कि घर की कीमत अगर एक लाख ऑस्ट्रेलियाई डॉलर बढ़ती है तो बच्चे पैदा होने की संभावना 18 प्रतिशत बढ़ जाती है. उन शादीशुदा जोड़ों के बच्चे पैदा करने की संभावना ज्यादा होती है जिन्होंने घर के लिए लोन ले रखा है.
प्रोफेसर वीलन कहते हैं कि उन्होंने और उनके साथियों ने जो तथ्य उभारा है वह जरूरी तो है लेकिन बहुत ज्यादा हैरतअंगेज नहीं होना चाहिए. उन्होंने कहा,"बच्चे पालने के खर्च में घर के खर्च का एक बड़ा हिस्सा होता है. तो घर महंगा होने पर ऑस्ट्रेलिया में बच्चे पालना ज्यादा महंगा होता जा रहा है. इस कारण किराये पर रहने वाले वे लोग बच्चे पैदा करने का फैसला टाल सकते हैं जो आर्थिक रूप से कम सुरक्षित होते हैं.”
ऑस्ट्रेलिया में जन्मदर की कमी विशेषज्ञों के लिए चिंता का विषय रही है. 1970 के दशक से देश में जन्मदर ‘रीप्लेसमेंट रेट' से कम रही है, जिसका अर्थ है कि लंबी अवधि में आबादी कम हो रही है. जबकि, इस दौरान घरों की कीमतें तीन गुना से भी ज्यादा बढ़ चुकी हैं. (dw.com)
ये मार्कर कई जगह ऐतिहासिक मसलों पर नए सिरे से छिड़ी बहस का हिस्सा बन गए. कई जगह सिविल वॉर के दौर की मूर्तियां गिराई गईं. संस्थानों-सड़कों के नाम या तो बदले गए या फिर उनके नाम के साथ जुड़े इतिहास पर पुनर्विचार हुआ.
करीब एक सदी से पेनसिलवेनिया इतिहास/ऐतिहासिक स्मारकों से जुड़े स्मृति चिह्न लगाता आ रहा है. मगर अगस्त 2017 में जब वर्जिनिया स्थित शर्लोट्सविले शहर में नस्लीय हिंसा हुई, उसके बाद इन ऐतिहासिक प्रतीकों पर नए सिरे से चर्चा छिड़ी. जनता की ओर से पूछा जाने लगा कि सड़कों के किनारे लगाए गए प्रतीकों के माध्यम से आखिरकार किनकी कहानियां सुनाई जा रही हैं. इन कहानियों की भाषा पर भी सवाल उठे.
सैकड़ों मार्करों की समीक्षा
इन सवालों के कारण पेनसिलवेनिया हिस्टोरिकल ऐंड म्यूजियम कमीशन ने सभी ढाई हजार मार्करों की समीक्षा की. इस समीक्षा में तथ्यात्मक गलतियों, अपर्याप्त ऐतिहासिक संदर्भों और नस्लीय भाषा के इस्तेमाल को रेखांकित करने पर विशेष ध्यान दिया गया. इस समीक्षा के कारण अब तक दो मार्कर हटाए जा चुके हैं. दो में सुधार किया गया है और दो अन्य मार्करों के लिए नई पंक्तियां लिखे जाने का आदेश जारी हुआ है.
ये मार्कर कई जगहों पर गुलामी प्रथा, अश्वेत आबादी को अलग रखे जाने की परंपरा और नस्लीय हिंसा जैसे ऐतिहासिक मसलों पर नए सिरे से छिड़ी बहस का हिस्सा बन गए हैं. इसी लहर के चलते कई जगहों पर सिविल वॉर के दौर की मूर्तियां गिराई गईं. और, संस्थानों-सड़कों के नाम या तो बदले गए, या फिर उनके नाम के साथ जुड़े इतिहास पर बहस हुई.
'जितना सच जानेंगे, उतने बेहतर होंगे'
अलबामा स्थित इक्वल जस्टिस इनिशिएटिव ने नस्लीय लिंचिंग के अध्यायों को याद रखने के लिए दर्जनों ऐतिहासिक मार्कर लगवाए हैं. उसका कहना है कि इतिहास के किन पात्रों को याद रखा जाता है, कौन सी घटनाएं याद रखी जाती हैं, कौन सी चीजें लोगों के दिमाग में छप जाती हैं, ये सभी चीजें बताती हैं कि समाज कैसा है.
फिलाडेल्फिया स्थित टेंपल यूनिवर्सिटी का चार्ल्स एल ब्लॉकसन एफ्रो-अमेरिकन कलेक्शन, अमेरिका की ब्लैक हिस्ट्री से जुड़े साहित्य और बाकी चीजों के सबसे बड़े संग्रहों में से एक है. इसके क्यूरेटर डिएन टर्नर का कहना है कि ऐतिहासिक मार्कर लोगों में जागरूकता बढ़ाते हैं. साथ ही, वे संस्थागत नस्लीय भेदभाव से लड़ने में भी मददगार साबित हो सकते हैं.
टर्नर कहते हैं, 'सबकी कहानी सुना सकने लायक होना समाज के लिए अच्छा है. ऐसी कहानियों को जगह मिलनी चाहिए. क्योंकि हम जितना ज्यादा सच जानेंगे, उतना ही हमारे लिए बेहतर है.'
प्रेसिडेंट विल्सन से जुड़ा विवादित इतिहास
पेनसिलवेनिया हिस्ट्री एजेंसी को ब्रिन मार कॉलेज की अध्यक्ष किंबरले राइट कैसिडी का आग्रह मिला था. इसपर अमल करते हुए एजेंसी ने कॉलेज परिसर के किनारे लगे एक मार्कर को हटा दिया. इस मार्कर पर लिखा था कि प्रेसिडेंट वुड्रो विल्सन ने कुछ समय के लिए कॉलेज में पढ़ाया था.
कैसिडी ने एजेंसी को भेजे अपने पत्र में ध्यान दिलाया कि विल्सन महिलाओं की बौद्धिक क्षमता को नकारने वाली टिप्पणियां करते थे. साथ ही, सरकारी नौकरियों में अफ्रीकन अमेरिकन मूल के लोगों को अलग-थलग रखने की उनकी नीति भी नस्लीय थी.
प्रांतीय सरकार ने पिट्सबर्ग के पॉइंट स्टेट पार्क से भी एक मार्कर को हटाया. इसमें वह जगह दर्ज थी जहां 1758 में ब्रिटिश जनरल जॉन फोर्ब्स को एक सैन्य जीत मिली थी. मार्कर पर लिखा था कि इस जीत ने अमेरिका में एंग्लो-सैक्सन सर्वोच्चता कायम की. कमीशन ने केंद्रीय पेंसिलवेनिया के फुलटॉन काउंटी में लगे मार्करों की भी समीक्षा की. ये मार्कर 1863 में हुई गेटीसबर्ग की लड़ाई के बाद हुई कॉन्फेडरेट आर्मी की गतिविधियों से जुड़े थे.
मार्करों से जुड़ी इस समीक्षा पर राजनैतिक बयानबाजी भी हो रही है. हिस्टॉरिकल ऐंड म्यूजियम कमीशन में नियुक्त किए गए रिपब्लिकन स्टेट प्रतिनिधि पार्क वेंटलिंग ने आलोचना करते हुए लिखा, 'मुझे डर है कि यह कमीशन ऐतिहासिक विवादों में न्यायकर्ता की भूमिका निभाने की जगह जॉर्ज ऑरवेल के मिनिस्ट्री ऑफ ट्रूथ की तरह बर्ताव कर रहा है, जिसमें सरकारी अधिकारी सत्ता में बैठे लोगों की सहूलियत के हिसाब से फिट बैठाने के लिए इतिहास में छेड़छाड़ करते थे.'
दिसंबर 2021 में ही सीनियर स्टेट हाउस रिपब्लिकन प्रेस सहयोगी स्टीव मिस्किन ने एक ट्वीट में लिखा, 'क्या स्कूली किताबों से भी कन्फेडरेसी को हटा दिया जाएगा? जिन टीवी कार्यक्रमों और फिल्मों में कन्फेडरेसी का जिक्र है, क्या उसे सेंसर कर दिया जाएगा?'
मार्करों की भाषा पर मतभेद
ऐतिहासिक मार्करों की भाषा कैसी हो. उन्हें लगाया जाए भी या नहीं, हालिया सालों में इन सवालों को लेकर काफी मतभेद रहा है. पेनसिलवेनिया में कमीशन ने अपने नियंत्रण वाले सभी ढाई हजार मार्करों की समीक्षा की. इसका फोकस यह देखना था कि इन मार्करों में अफ्रीकी अमेरिकी और मूल अमेरिकी लोगों की जिंदगी, उनकी आपबीतियों को किस तरह पेश किया गया है.
करीब एक साल पहले कमीशन ने 131 ऐसे मार्करों की पहचान की, जिनमें बदलाव की जरूरत है. इनमें से 18 मार्कर ऐसे हैं, जिनपर तत्काल ध्यान दिए जाने की जरूरत बताई गई. इतिहासकार इरा बैकरमैन ने हाल ही में ब्लैक और मूल अमेरिकी इतिहास से जुड़े पेनसिलवेनिया के मार्करों से जुड़ा एक शोध प्रकाशित किया.
इस मुद्दे पर बात करते हुए उन्होंने कहा, 'किसने कौन सी लड़ाई शुरू की, इसपर बहुत शोर हो रहा है. अगर सेटलरों ने शुरू की, तो वह एक युद्ध था और लड़े जाने योग्य था. अगर मूल निवासियों ने प्रतिक्रिया स्वरूप हिंसा की, तो फिर वह नरसंहार और क्रूरता थी.' बैकरमैन के मुताबिक, पेनसिलवेनिया के 348 मूल निवासी ऐतिहासिक मार्कर नस्लीय भेदभाव और श्वेत राष्ट्रवाद से जुड़ा सटीक इतिहास बताते हैं.
एसएम/वीके (एपी)
कोयले की खेप कहां भेजी जा रही है, इसकी जानकारी कंपनी ने नहीं दी है. ऑस्ट्रेलिया के क्वींसलैंड में स्थित कारमाइकल खान संभावित तौर पर देश में आखिरी नई थर्मल कोयला खान है. ऑस्ट्रेलिया दुनिया का सबसे बड़ा कोयला निर्यातक है.
कानूनी लड़ाइयों के चलते हुई करीब सात साल की देरी के बाद भारत का अडानी ग्रुप ऑस्ट्रेलिया स्थित विवादित कोयला खदान से पहली खेप रवाना करने की तैयारी कर रहा है. कंपनी की ऑस्ट्रेलियाई शाखा 'ब्रावुस माइनिंग एंड रिसोर्सेज' ने एक बयान जारी कर पहली खेप के निर्यात की जानकारी दी.
कंपनी ने बताया कि कारमाइकल खदान से निकाले गए उच्च गुणवत्ता वाले कोयले की पहली खेप उत्तरी क्वींसलैंड एक्सपोर्ट टर्मिनल पर असेंबल की जा रही है. यहीं से इसे एक्सपोर्ट किया जाएगा. यह खेप कहां जाएगी, अभी कंपनी ने यह नहीं बताया है. उसने इतना जरूर कहा है कि कारमाइकल खदान से सालाना जो एक करोड़ टन कोयला निकाला जाएगा, उसके लिए पहले ही बाजार खोजा जा चुका है.
शुरुआती योजना क्या थी?
क्वींसलैंड स्टेट स्थित कारमाइकल खान संभावित तौर पर ऑस्ट्रेलिया में बनी आखिरी नई थर्मल कोयला खान है. ऑस्ट्रेलिया दुनिया का सबसे बड़ा कोयला निर्यातक है. माना जा रहा है कारमाइकल खदान से निकला कोयला भारतीय पावर प्लांट जैसे आयातकों के लिए कोयले की आपूर्ति का बड़ा स्रोत होगा.
अडानी ग्रुप ने 2010 में यह परियोजना खरीदी थी. यह परियोजना गैलिली बेसिन में प्रस्तावित कई प्रोजेक्टों में से एक थी. उस समय अडानी ग्रुप की योजना यहां छह करोड़ टन सालाना क्षमता वाली एक खदान बनाने की थी. साथ ही, इस परियोजना के लिए 400 किलोमीटर लंबी रेलवे लाइन बिछाने का भी प्रस्ताव था. इस प्रोजेक्ट की अनुमानित लागत तब करीब 82 हजार करोड़ रुपये आंकी गई थी.
खदान का विरोध
पर्यावरण कार्यकर्ताओं ने इस परियोजना के विरोध में 'स्टॉप अडानी' नाम का एक अभियान शुरू कर दिया. इसके चलते निवेशकों, बीमा कंपनियों और बड़े इंजीनियरिंग फर्मों ने प्रोजेक्ट से अपने हाथ खींचने शुरू कर दिए. इसका असर परियोजना पर हुआ. 2018 में इसकी क्षमता घटाकर एक करोड़ टन सालाना कर दी गई.
इस कम क्षमता वाली खदान की लागत क्या है, इसका खुलासा कंपनी ने अभी नहीं किया है. ना ही कंपनी ने अपने द्वारा बिछाई गई 200 किलोमीटर लंबी रेलवे लाइन की ही लागत बताई है. मगर अनुमान है कि इस प्रोजेक्ट की लागत करीब 11 हजार करोड़ रुपये है. कंसल्टिंग ग्रुप एएमई के मैनेजिंग डायरेक्टर लॉयड हेन ने कहा, "यह काफी खुशी की बात है. यह खदान ऑस्ट्रेलिया की आखिरी ग्रीनफील्ड थर्मल कोयला खदान होगी."
विवाद की वजह
अडानी ग्रुप की यह परियोजना विवादों में घिरी रही है. इसकी मुख्य वजह पर्यावरण से जुड़ी चिंताएं हैं. पर्यावरण कार्यकर्ता खदान परियोजना के चलते होने वाले संभावित कार्बन उत्सर्जन पर चिंता जता रहे हैं. साथ ही, उन्हें ऑस्ट्रेलिया की ग्रेट बैरियर रीफ को भी नुकसान पहुंचने की आशंका है. इन आशंकाओं की वजह ग्लोबल वॉर्मिंग तो थी ही. साथ ही, ऐबट पॉइंट पोर्ट में ड्रेजिंग से भी खतरा था.
इसके चलते पर्यावरण कार्यकर्ताओं ने खदान को दी गई सरकारी मंजूरी को चुनौती देते हुए कई मुकदमे दर्ज कर दिए. 2019 में हुए ऑस्ट्रेलियाई चुनाव के समय यह अभियान एक बड़ा मुद्दा बन गया. इस मुद्दे ने नौकरी बनाम पर्यावरण के संघर्ष की शक्ल ले ली. स्कॉट मॉरिसन के नेतृत्व वाला लिबरल-नेशनल गठबंधन वापस सत्ता में लौटा. जानकारों के मुताबिक, इसकी एक बड़ी वजह गठबंधन की कोयला-समर्थक नीतियां थीं.
क्या कह रहे हैं आलोचक?
पर्यावरण कार्यकर्ता सात सालों तक इस परियोजना को लटकाए रखने में सफल रहे. साथ ही, उनके विरोध के चलते अडानी ग्रुप को अपना नाम बदलकर ब्रावुस भी करना पड़ा. इसके बावजूद पर्यावरण कार्यकर्ता खुद को कामयाब नहीं मान रहे हैं.
परियोजना का विरोध करने वाले एक कार्यकर्ता ऐंडी पेने ने बताया, "यह खदान अभी भी काम कर रही है, यह शर्म की बात है. मगर खदान के शुरू होने का मतलब यह नहीं कि जमीन के नीचे दबा सारा कोयला बाहर निकाल लिया जाएगा. जितना अधिक-से-अधिक संभव हो सके, उतना कोयला जमीन में ही दबा रहने देने के लिए हम अभियान चलाते रहेंगे."
कोयला टर्मिनल बनाने में भी हुआ भारी निवेश
कारमाइकल खदान से निकाला गया कोयला ऐबट पॉइंट पोर्ट के एक टर्मिनल से निर्यात किया जाएगा. अडानी ने 2011 में इस टर्मिनल को लगभग 15 हजार करोड़ रुपये में खरीदा था. कंपनी ने इसका नया नाम रखा, नॉर्थ क्वींसलैंड एक्सपोर्ट टर्मिनल. जानकारों के मुताबिक, अडानी का खदान में खुदाई करने का फैसला तर्कसंगत लगता है. कोयला टर्मिनल बनाने में कंपनी ने काफी निवेश किया था. जब से यह टर्मिनल अडानी के पास आया है, तब से यह अपनी क्षमता से आधे पर काम कर रहा है.
ऐसे में खदान के भीतर काम शुरू होने से कंपनी को अपने निवेश पर रिटर्न मिलेगा. इस बारे में बात करते हुए इंस्टिट्यूट ऑफ एनर्जी इकोनॉमिक्स एंड फाइनैंशियल एनालिसिस (आईईईएफए) के निदेशक टिम बकले ने बताया, "इसका मकसद रेलवे लाइन में किए गए निवेश पर रिटर्न पाना और ऐबट पॉइंट से आने वाले मुनाफे को बढ़ाना है." टिम के अनुसार कोयले की कीमतें गिरने पर कारमाइकल खदान मुनाफे का सौदा नहीं रहेगी. मगर जब टर्मिनल को आपूर्ति करने वाली बाकी खदानों में उत्पादन बंद होने पर शायद अडानी को यह फायदा मिले कि वह बंदरगाह से सामानों की आवाजाही बनाए रखने के लिए खदान का उत्पादन बढ़ाकर दो करोड़ टन सालान कर पाएं.
एसएम/एमजे (रॉयटर्स)
फरवरी 2021 में सत्ता से बर्खास्त म्यांमार की राजनेता आंग सान सू ची पर अवैध तरीके से वॉकी-टॉकी रखने के मुकदमे में अंतिम फैसला फिर टाल दिया गया है. इस बीच ताजा हिंसा में 35 नागरिकों की मौत होने की खबर है.
म्यांमार की एक सैन्य अदालत ने आंग सान सू ची पर सरकार प्रमुख रहते हुए अवैध रूप से वॉकी-टॉकी रखने के एक मामले में अंतिम फैसला कुछ दिनों के लिए टाल दिया है. राजधानी नेपिदाव की एक अदालत में चल रहे इस मामले पर अब 10 जनवरी 2022 को फैसला आ सकता है. मामले से जुड़े एक कानून अधिकारी के मुताबिक, कोर्ट ने फैसला टालने की कोई वजह नहीं बताई है. 1 फरवरी 2021 को सेना ने लोकतांत्रिक तरीके से चुनी गई सरकार का तख्तापलट कर दिया था और सू ची समेत कई राजनेताओं को गिरफ्तार कर लिया था.
क्या है पूरा मामला
म्यांमार के आयात-निर्यात कानून के तहत सू ची पर गलत तरीके से वॉकी-टॉकी सेट आयात करने के आरोप लगे हैं. सू ची को जेल में रखने के लिए शुरुआत में इसी आरोप को आधार बनाया गया था. कुछ समय बाद, सू ची पर अवैध तरीके से रोडियो रखने के आरोप भी लगाए गए. ये रेडियो सेट तख्तापलट के दिन सू ची के अंगरक्षकों और घर के मुख्य दरवाजे से बरामद किए गए थे. बचाव पक्ष ने कोर्ट में दलील दी कि सू ची इन रेडियो सेटों का निजी इस्तेमाल नहीं कर रही थीं, बल्कि उनकी सुरक्षा के लिए वैध तरीके से इनका उपयोग किया जा रहा था. लेकिन कोर्ट ने बचाव पक्ष के तर्क नहीं माने.
सू ची की पार्टी ने 2020 के आम चुनाव में भारी बहुमत से जीत दर्ज की थी. लेकिन सैन्य नेतृत्व ने चुनाव नतीजों को मानने से इनकार कर दिया और चुनाव में धांधली के आरोप लगाए. सेना के इन दावों पर स्वतंत्र पर्यवेक्षक शक जताते हैं. सू ची के समर्थकों और स्वतंत्र पर्यवेक्षकों का मानना है कि सू ची पर लगे सारे आरोप राजनीति से प्रेरित हैं, जिनका मकसद सत्ता हासिल करना और उन्हें दोबारा सत्ता में आने से रोकना है.
सू ची पर चल रहे मुकदमे
तख्तापलट के बाद से सू ची पर कई मुकदमे चलाए गए हैं. एक अनुमान के मुताबिक, अगर सभी आरोप साबित हो जाते हैं तो 76 वर्षीय सू ची को 100 साल कैद की सजा हो सकती है. इसी साल 6 दिसंबर को सू ची पर कोविड-19 पाबंदियां तोड़ने के आरोप में चार साल की सजा हुई थी. जिसे बाद में सैन्य सरकार के प्रमुख सीनियर जनरल मिन आंग हिलांग ने घटाकर 2 साल कर दिया था. सू ची पर भ्रष्टाचार के पांच मामले चल रहे हैं और दोषी पाए जाने पर हर एक मामले में 15 साल की सजा का प्रावधान है. हेलिकॉप्टर खरीद के एक मामले में पूर्व राष्ट्रपति विन मियांट और सू ची, दोनों पर भ्रष्टाचार के आरोप हैं. इस मामले का ट्रायल अभी बाकी है.
सू ची पर गोपनीयता कानून के उल्लंघन का भी आरोप है. अगर दोषी पाई गईं तो 14 साल की सजा हो सकती है. सैन्य नियंत्रण में काम कर रहे म्यांमार के चुनाव आयोग ने सू ची और अन्य राजनेताओं के खिलाफ चुनाव धांधली के आरोप लगाए हैं. अगर आरोप साबित होते हैं तो सू ची की पार्टी भंग हो सकती है, जिसका दूसरा अर्थ है कि सेना के वादे के मुताबिक, उनके सत्ता संभालने के दो साल के अंदर होने वाले चुनाव में सू ची की नेशनल लीग फॉर डेमोक्रेसी पार्टी नहीं लड़ पाएगी.
सरकारी चैनल की एक रिपोर्ट के मुताबिक, सैन्य सरकार ने सू ची को एक अज्ञात जगह पर कैद किया हुआ है जहां वो बची हुई सजा भुगतेंगी. सू ची जेल की ओर से दिए गए सादे कपड़े पहनकर ही सुनवाई में शामिल हो रही हैं. अक्टूबर 2021 में सू ची की कानूनी टीम को जानकारियां जारी ना करने के सख़्त आदेश दिए गए थे. सू ची पर चल रहे मुकदमों की मीडिया रिपोर्टिंग पर भी रोक लगा दी गई है.
म्यांमार में ताजा हिंसा
म्यांमार में तख्तापलट के बाद से सेना के विरोधियों और कई जातीय समूहों की गुरिल्ला सेनाओं ने हथियार उठा लिए हैं. ये समूह लंबे समय से स्वायत्तता की मांग कर रहे थे. पूर्वी राज्य काया में कथित रूप से हुई एक मुठभेड़ में करीब 35 नागरिकों की मौत होने की खबर आई है. विरोधी इसका इल्जाम सैन्य सरकार पर लगा रहे हैं. वहीं सरकारी मीडिया के जरिये सेना का दावा है कि उसने 'हथियारबंद आतंकियों' को मारा है. सरकारी मीडिया ने नागरिकों की मौत पर कोई टिप्पणी नहीं की है.
संयुक्त राष्ट्र के मानवीय संकट और आपातकालीन राहत मामलों के संयोजक मार्टिन ग्रिफ्थ ने बताया कि कम से कम एक बच्चे समेत नागरिकों की मौत की जानकारी विश्वसनीय थी. घटना की आलोचना करते हुए उन्होंने नागरिकों पर हो रहे हमलों को अंतरराष्ट्रीय मानवीय कानूनों का उल्लंघन बताया है. फरवरी में सेना के सत्ता हथियाने के खिलाफ देशभर में लगातार अहिंसक प्रदर्शन हुए थे, जिन्हें सशस्त्र बलों ने क्रूरता से कुचल दिया था. असिस्टेंस असोसिएशन फॉर पोलिटिकल प्रिजनर्स की एक विस्तृत सूची के मुताबिक, इस संघर्ष में अब तक 1400 से ज्यादा नागरिकों की मौत हो चुकी है. 11 हजार से ज्यादा नागरिक आज भी जेल में बंद हैं.
आरएस/एमजे (एपी, एएफपी, रॉयटर्स)
नई दिल्ली, 28 दिसम्बर | चीन ने पिछले 24 घंटों में 162 घरेलू प्रसारण के साथ 200 नए कोविड -19 मामले दर्ज किए, जो लगभग 20 महीनों में सबसे बड़ी दैनिक वृद्धि है। यह जानकारी ग्लोबल टाइम्स ने दी है।
162 घरेलू मामलों में से 150 शांक्सी प्रांत की राजधानी शीआन में दर्ज किए गए।
9 दिसंबर से सोमवार तक, शीआन में पुष्टि किए गए मामलों की कुल संख्या 635 थी। शीआन स्वास्थ्य आयोग के उप निदेशक झांग बो ने सोमवार को एक संवाददाता सम्मेलन में यह जानकारी दी।
सोमवार की प्रेस कॉन्फ्रेंस के अनुसार, शीआन ने सोमवार को 12 मिलियन लोगों के घर पर न्यूक्लिक एसिड परीक्षण का एक नया दौर शुरू किया, और अपने सभी निवासियों को परीक्षा परिणामों की सटीकता की गारंटी देने के लिए घर पर रहने की आवश्यकता के कारण इसके लॉकडाउन को कड़ा कर दिया।
रिपोर्ट में कहा गया है कि 23 दिसंबर से शहर बंद है, लेकिन प्रत्येक परिवार दैनिक आवश्यकताओं की खरीदारी के लिए हर दो दिन में एक बार एक व्यक्ति को बाहर भेज सकता है।
कोविड का प्रकोप चीन के कई शहरों में फैल गया है, जिसमें डोंगगुआन, ग्वांगडोंग प्रांत और बीजिंग शामिल हैं, जहां 2022 शीतकालीन ओलंपिक 4 फरवरी से शुरू होंगे।
हालांकि रिपोर्ट में कहा गया है कि इस कोविड -19 के प्रकोप ने चीन के लिए रोकथाम के दबाव को बढ़ा दिया है। स्वास्थ्य विशेषज्ञों ने कहा कि देश एक सुरक्षित अंतरराष्ट्रीय खेल आयोजन सुनिश्चित करेगा क्योंकि यह स्थानीय प्रकोपों को रोकने में पिछले अनुभव से सीखे गए सबक पर आकर्षित हो सकता है।
(आईएएनएस)
दुनियाभर में मौसमी आपदाओं की वजह से इस साल 170 अरब डॉलर का आर्थिक नुकसान हुआ है. करोड़ों लोगों को प्रभावित करने वाली आगजनी, तूफान, चक्रवात, बाढ़ और सूखे जैसी आपदाओं ने दुनिया के हर महाद्वीप में अपना असर दिखाया है.
साल 2021 की 10 बड़ी मौसमी आपदाओं में 170 अरब डॉलर से ज्यादा का आर्थिक नुकासन हुआ है. ब्रिटेन की चैरिटेबल संस्था क्रिश्चियन ऐड के मुताबिक, ये आंकड़ा बीते साल के मुकाबले 20 अरब डॉलर बढ़ा है. क्रिश्चियन ऐड ने आगजनी, बाढ़, तूफान, सूखा और गर्म हवाओं जैसी मौसमी आपदाओं से हुए आर्थिक नुकसान के ये आंकड़े बीमा राशि के आधार पर गिने हैं. यानी असल आर्थिक नुकसान के आंकड़े इससे भी बड़े हैं. क्रिश्चियन ऐड का कहना है कि बढ़ती मौसमी आपदाएं इंसानी दखल से जलवायु में हो रहे परिवर्तनों को दिखाती हैं. रिपोर्ट के मुताबिक, इस साल की 10 बड़ी आपदाओं में 1075 से ज्यादा लोगों की मौत हुई है और 13 लाख से ज्यादा लोग विस्थापित हुए हैं.
अमेरिका में हरिकेन
अमेरिका के पूर्वी हिस्से अगस्त 2021 में इडा हरिकेन से बुरी तरह प्रभावित हुए थे. ये इस साल की सबसे ज्यादा आर्थिक नुकसान करने वाली मौसमी आपदा थी, जिसमें करीब 65 अरब डॉलर का नुकसान हुआ है. हरिकेन इडा से न्यूयॉर्क शहर समेत आसपास के इलाके में पानी भर गया था और 95 लोगों की मौत हो गई थी. अमेरिका के ही टेक्सस प्रांत में फरवरी 2021 में सर्द तूफान आया था, जिसने बड़े स्तर पर बिजली का संकट पैदा कर दिया था. इससे करीब 23 अरब डॉलर का नुकसान हुआ था.
जुलाई 2021 में मध्य और पश्चिमी यूरोप के कई हिस्सों में बाढ़ आई थी. अकेले जर्मनी में बाढ़ से 240 लोगों की मौत हुई थी और करीब 43 अरब डॉलर का नुकसान हुआ था. इसी समय जर्मनी, फ्रांस, नीदरलैंड्स, बेल्जियम जैसे देशों में सामान्य से कहीं ज्यादा बारिश हुई थी. वैज्ञानिक वैश्विक तापमान में बढ़ोतरी को इस बाढ़ का कराण मानते हैं.
एशिया में चक्रवात
एशिया में मौसमी आपदाओं से 24 अरब डॉलर का नुकसान हुआ है. मई 2021 में भारत और बांग्लादेश ने यास चक्रवात का सामना किया था. इससे कुछ ही दिनों में 3 अरब डॉलर का नुकसान हो गया था. इस आपदा की वजह से विस्थापन का बहुत बड़ा संकट खड़ा हो गया था. करीब 12 लाख लोगों को तटीय इलाकों से सुरक्षित इलाकों की ओर ले जाना पड़ा था.
चीन में आई बाढ़ ने 17.6 अरब डॉलर से ज्यादा का नुकसान किया था. मौजूद आंकड़ों के मुताबिक, बाढ़ से 302 लोगों की मौत भी हुई थी. हेनान प्रांत की राजधानी जेंगजाओ में सिर्फ तीन दिन में पूरे साल जितना पानी बरस गया था. भयंकर बाढ़ से यहां का भूमिगत यातायात जलमग्न हो गया था.
इसके अलावा कनाडा में भी बाढ़ से काफी नुकसान हुआ था. फ्रांस में शीतलहर से अंगूरों की फसल को भारी नुकसान पहुंचा था. इस रिपोर्ट ने माना है कि "जुटाए गए आंकड़ों का प्राथमिक आधार बीमा क्लेम की राशि के आंकड़े ही हैं. इसलिए बेहतर बीमा व्यवस्था वाले समृद्ध देशों के नुकसान का मोटामोटी अंदाजा लगाया जा सका है. पिछड़े देशों में हुए आर्थिक नुकसान का सही अंदाजा लगाना मुश्किल है. जैसे कि दक्षिण सूडान में, जहां 8 लाख से ज्यादा लोग बाढ़ से प्रभावित हुए, लेकिन आंकड़ों में आर्थिक नुकसान स्पष्ट नहीं है."
रिपोर्ट के मुताबिक, मौसमी आपदाओं का बड़ा नुकसान पिछड़े देशों को सहना पड़ा है, जबकि जलवायु परिवर्तन में उनका नाममात्र योगदान है. लगभग हर साल चक्रवात और बाढ़ की मार सहने वाले बांग्लादेश में क्रिश्चियन ऐड की अधिकारी नुसरत चौधरी ने कहा कि साल 2022 में, खतरे की दहलीज पर खड़े देशों की ओर से आपदा में होने वाले नुकसान और तबाही का खर्च वहन करने के लिए नया फंड बनाने की मांग एक वैश्विक प्राथमिकता होनी चाहिए.
आरएस/एए (थॉमसन रॉयटर्स फाउंडेशन, एएफपी)
महीनों से चले आ रहे पोलैंड के मीडिया बिल विवाद पर देश के राष्ट्रपति ने सख्त रुख अपनाया है. आंद्रे दूदा ने कहा है कि वह मीडिया बिल को रोकने के लिए वीटो शक्ति का इस्तेमाल करेंगे.
पोलैंड के राष्ट्रपति आंद्रे दूदा ने कहा है कि वह प्रस्तावित विवादित मीडिया बिल को रोकने के लिए अपनी विशेष शक्तियों का इस्तेमाल करेंगे. इस बिल पर महीनों से विवाद चल रहा था जिसे मीडिया की आजादी और असहमति पर लगाम कसने की कोशिश के रूप में देखा जा रहा है.
हाल ही में पोलैंड की संसद के निचले सदन से एक बिल पास हुआ है जिसके तहत गैर यूरोपीय कंपनियों को पोलैंड में किसी मीडिया चैनल में 50 फीसदी से ज्यादा हिस्सेदारी रखने पर पाबंदी लगा दी गई है. अमेरिकी कंपनी डिस्कवरी की देश के सबसे बड़े समाचार चैनल टीवीएन में सर्वाधिक हिस्सेदारी है.
अमेरिकी कंपनी पर होता असर
दूदा ने कहा कि यह बिल बहुत से नागरिकों को पसंद नहीं आ रहा है और उनके देश की छवि को नुकसान पहुंचाएगा. उन्होंने कहा, "मुझे लगता है कि जब विदेशी पूंजी की बात आती है तो आमतौर पर मीडिया कंपनियों में हिस्सेदारी को सीमित करने की संभावना समझदारी भरी है. मैं इस बात से भी सहमत हूं कि इसे पोलैंड में लागू किया जाना चाहिए, लेकिन भविष्य में.”
इस कानून के चलते डिस्कवरी को समाचार चैनल TVN24 में अपनी हिस्सेदारी का अधिकतर भाग बेचना पड़ सकता है. टीवीएन की अनुमानित कीमत एक अरब अमेरिकी डॉलर यानी लगभग 75 अरब रुपये है, जो पोलैंड में अमेरिका का सबसे बड़ा एकमुश्त निवेश है.
इस कानून को अमेरिका ने मीडिया की आजादी पर हमला बताया था. सत्ताधारी पोलिश पार्टी के विरोधियों ने भी इसे मीडिया की स्वतंत्रता को कुचलने की कोशिश बताया जबकि लॉ एंड जस्टिस पार्टी का तर्क है कि विदेशी कंपनियों का देश के मीडिया उद्योग में बहुत ज्यादा दखल है जिस कारण जनता के बीच चल रही बहस बिगड़ रही है.
अभिव्यक्ति की आजादी का मुद्दा
इंटरनेशनल प्रेस इंस्टीट्यूट ने भी पोलैंड के इस कदम को गलत बताते हुए मीडिया अधिकारों पर चिंता जताई थी. दूदा ने कहा कि इस बिल से उन लोगों में भी चिंता है जो पहले से ही देश के बाजार में मौजूद हैं. पोलिश राष्ट्रपति ने कहा, "मीडिया में विविधता और अभिव्यक्ति कि स्वतंत्रता का मुद्दा भी है. अपना फैसला लेते हुए मैंने इस विषय पर भी गंभीरता से विचार किया है.”
इस महीने की शुरुआत में देश के कई शहरों में बड़े विरोध प्रदर्शन हुए थे जिनमें हजारों लोगों ने दूदा से मीडिया लॉ को वीटो करने की मांग की थी. प्रदर्शनकारियों ने इस बिल का विरोध करते हुए कहा था कि यह टीवीएन24 समाचार चैनल को खामोश करने की कोशिश है. चैनल सरकारी नीतियों को लेकर आलोचनात्मक रहता है.
अमेरिका ने इस बिल की तीखी आलोचना की थी और पोलैंड को इसके खिलाफ चेतावनी भी दी थी. अमेरिकी विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकेन ने अगस्त में कहा था कि वह इस प्रस्ताव से बहुत नाखुश हैं और वॉरसा को इस पर पुनर्विचार करना चाहिए.
वीके/एए (एपी, रॉयटर्स)
नई दिल्ली, 28 दिसम्बर| सिख फॉर जस्टिस (एसएफजे) के शीर्ष सदस्य जसविंदर सिंह मुल्तान को जर्मनी में लुधियाना जिला अदालत परिसर में 23 दिसंबर को हुए विस्फोट के सिलसिले में गिरफ्तार किया गया है। इस हमले में एक व्यक्ति की मौत हो गई थी जबकि 5 अन्य घायल हो गए। यह जानकारी सूत्रों ने दी। भारत द्वारा बर्लिन में आतंकवाद रोधी एजेंसियों को सबूत साझा करने के बाद उसे विस्फोट के मुख्य साजिशकर्ता के रूप में गिरफ्तार किया गया।
एक सूत्र ने कहा, "हमने उन सभी सबूतों को साझा किया जो हमने विस्फोट वाली जगह से इक्ठ्ठे किए और यह भी बताया कि कैसे मुल्तान ने साजिश रची थी।"
मुल्तान अंतर्राष्ट्रीय सीमा के रास्ते भारत में पाकिस्तान से और विस्फोटक लाने की साजिश कर रहा था और देश के अन्य हिस्सों में भी इसी तरह के विस्फोट करने की योजना बना रहा था।
यह भी आरोप है कि इस साल अक्टूबर में पंजाब के तरनतारन जिले के खेमकरण इलाके में हथियार भेजने के पीछे मुल्तान का भी हाथ था।
पंजाब पुलिस और सीमा सुरक्षा बल (बीएसएफ) ने 20 अक्टूबर को खेमकरण इलाके में भारत-पाकिस्तान सीमा के पास हथियारों का एक बड़ा जखीरा बरामद किया था। उन्होंने 22 पिस्तौल, 44 मैगजीन और 100 राउंड गोला-बारूद हथियार और एक किलो हेरोइन भी बरामद की थी।
सूत्र ने कहा कि पाकिस्तान की इंटर सर्विसेज इंटेलिजेंस (आईएसआई) मुल्तान के संपर्क में थी।
लुधियाना में 23 दिसंबर को दोपहर करीब 12.22 बजे जिला एवं सत्र न्यायालय परिसर की दूसरी मंजिल के एक वॉशरूम में धमाका हुआ था।
घटना की जांच कर रही आतंकवाद रोधी एजेंसियों ने दावा किया कि यह पंजाब पुलिस के पूर्व हेड कांस्टेबल गगनदीप सिंह थे, जिसने अदालत परिसर में बम लगाया था और अचानक विस्फोट के कारण उनकी मौके पर ही मौत हो गई।
पूर्व पुलिस हेड कांस्टेबल गगनदीप सिंह को ड्रग्स डीलर से संबंध होने के कारण सेवा से बर्खास्त कर दिया गया। उस पर एनडीपीएस एक्ट के तहत मामला दर्ज किया गया और इस सिलसिले में 2019 में दो साल के लिए जेल में बंद था।
जांच एजेंसियों ने यह भी पाया है कि विस्फोट के पीछे पाकिस्तानी आईएसआई का हाथ था और गगनदीप सिंह के संपर्क में था। इस जांच के दौरान, पुलिस को एसएफजे सदस्यों हरविंदर सिंह और जसविंदर सिंह मुल्तान की भूमिका की सूचना मिली, जो जर्मनी में रहता है। दोनों एसएफजे के अध्यक्ष अवतार सिंह पन्नू और हरमीत सिंह के संपर्क में भी था। (आईएएनएस)
त्रिपोली, 28 दिसम्बर| लीबिया के तट से बीते सप्ताह 969 अवैध प्रवासियों को बचाया गया और वे सभी लीबिया वापस लौट आए हैं। ये जानकारी इंटरनेशनल ऑर्गनाइजेशन फॉर माइग्रेशन (आईओएम) ने दी।
आईओएम ने कहा, "दिसंबर 19-25 के बीच 969 प्रवासियों को बचाया गया या उन्हें समुद्र में रोका गया, जिससे सभी लीबिया लौट आए।"
संगठन के अनुसार, इस साल अब तक कुल 32,425 अवैध प्रवासियों को बचाया गया है, जबकि 573 की मौत हो गई और 933 मध्य भूमध्य मार्ग पर लीबिया के तट से लापता हो गए हैं।
समाचार एजेंसी सिन्हुआ की रिपोर्ट के अनुसार, लीबिया 2011 में दिवंगत नेता मुअम्मर गद्दाफी के पतन के बाद से असुरक्षा और अराजकता का सामना कर रहा है, जिससे उत्तरी अफ्रीकी देश अवैध प्रवासियों के लिए प्रस्थान का पसंदीदा स्थान बन गया है, जो भूमध्य सागर को पार करके यूरोपीय तटों की ओर जाना चाहते हैं। (आईएएनएस)
फ़्रांस ने कोरोना वायरस के ओमिक्रॉन वेरिएंट पर चिंताओं के बीच सख़्त कोविड प्रतिबंधों की घोषणा की है.
3 जनवरी से देश में रिमोट वर्किंग अनिवार्य हो जाएगी,ये उन सभी पर लागू होगी जो रिमोट वर्किंग कर सकते हैं. इनडोर कार्यक्रमों के लिए सार्वजनिक सभा 2,000 लोगों तक सीमित होगी.
फ़्रांस में शनिवार को 100,000 से अधिक नए संक्रमण दर्ज किए- महामारी शुरू होने के बाद से अब तक ये देश में सबसे अधिक संक्रमण की संख्या है.
लेकिन इसके बावजूद सरकार ने नए साल की पूर्व संध्या पर कर्फ़्यू नहीं लगाने का फ़ैसला लिया है.
प्रधानमंत्री कार्यालय के अधिकारी ज्यां कास्टेक्स ने संवाददाताओं से कैबिनेट की बैठक के बाद कहा,ऐसा लगता है ये महामारी"कभी ना ख़त्म होने वाली एक फ़िल्म की तरह" है. इस बैठक के बाद उन्होंने नए सुरक्षा उपायों की जानकारी दी.
फ़्रांस के स्वास्थ्य मंत्री ओलिवियर वेरन ने कहा कि कोरोनोवायरस संक्रमण हर दो दिन में दोगुना हो रहा है,उन्होंने देश में कोरोना के "मेगा वेव" की चेतावनी दी.
नए नियमों में आउटडोर होने वाले सार्वजनिक समारोहों की सीमा भी शामिल है,5,000 लोग ही किसी आउटडोर समारोह में शामिल हो सकेंगे और लंबी दूरी के परिवहन के दौरान खाने-पीने की सुविधा पर भी प्रतिबंध लगाया गया है.
अगले आदेश तक नाइट क्लब बंद रहेंगे और कैफ़े व बार में केवल टेबल सर्विस ही दी जा सकेगी. घर से काम करने वाले कर्मचारियों को सप्ताह में कम से कम तीन दिन घर से ही काम करना होगा. शहर में घूमते समय मास्क पहनना अनिवार्य होगा.
सरकार ने आख़िरी टीके के चार महीने बाद बूस्टर लेने की अवधि को छोटा कर दिया है और अब तीन महीने बाद ही बूस्टर दिए जाएंगे.
फ़्रांस वैक्सीन पास बनाने की तैयारी कर रहा है. इसके बाद सार्वजनिक स्थानों पर जाने के लिए वैक्सीन के प्रमाण की आवश्यकता होगी,न कि केवल एकनेगेटिव टेस्ट की. यदि संसद में इस मसौदा विधेयक को मंज़ूरी मिल जाती है तो देश में 15 जनवरी से वैक्सीन पास प्रभावी होगा. (bbc.com)
दमिश्क, 27 दिसम्बर| सीरिया में इस वर्ष बारूदी सुरंग और अन्य विस्फोटक सामग्रियों की चपेट में आने से कुल 241 नागरिक मारे गए हैं। समाचार एजेंसी सिन्हुआ ने यूके स्थित सीरियन ऑब्जर्वेटरी फॉर ह्यूमन राइट्स के हवाले से कहा कि विस्फोटों की चपेट में आने से 114 बच्चे और 19 महिलाओं की मौत हो गई।
वॉचडॉग ने संबंधित अंतर्राष्ट्रीय संगठनों से सीरिया से युद्ध के बचे हुए अवशेषों को हटाने में मदद करने और ऐसी सामग्रियों के खतरे के बारे में सीरियाई लोगों में जागरूकता बढ़ाने का आह्वान किया।
राज्य समाचार एजेंसी सना ने कई घटनाओं की सूचना दी है जिसमें बारूदी सुरंगों से नागरिकों की मौत हो गई थी। (आईएएनएस)