राजनीति
इम्फाल/कोहिमा, 10 नवंबर | सत्तारूढ़ भाजपा के उम्मीदवारों ने मंगलवार को दो विधानसभा सीटों पर अपनी जीत दर्ज की, जबकि पार्टी समर्थित निर्दलीय उम्मीदवार ने मणिपुर में तीसरे सीट पर जीत हासिल की और इसी के साथ ही भाजपा चौथी सीट पर भी आगे रही है, जिसके लिए आधिकारिक परिणाम के खुलासे का अभी इंतजार है। अधिकारियों ने मंगलवार को कहा कि भाजपा के सहयोगी और सत्तारूढ़ एनडीपीपी (नेशनलिस्ट डेमोक्रेटिक प्रोग्रेसिव पार्टी) ने नगालैंड में एक विधानसभा सीट पर जीत दर्ज की है, जहां दूसरी सीट पर एक निर्दलीय उम्मीदवार ने बढ़त हासिल की है, जो उपचुनावों में भी आगे रहा है।
इम्फाल में चुनाव अधिकारियों ने कहा कि भारतीय जनता पार्टी के उम्मीदवार ओइनम लुखोई सिंह ने (वांगोई सीट) पर जीतने के लिए 10,960 वोट हासिल किए हैं। उन्होंने इस मुकाबले में नेशनल पीपुल्स पार्टी (एनपीपी) के अपने निकटतम प्रतिद्वंद्वी खुरईजाम लोकेन सिंह को 257 वोटों से हराया है।
वांगोई सीट पर भाजपा, एनपीपी और कांग्रेस प्रत्याशियों के बीच त्रिकोणीय मुकाबला देखा गया। एनपीपी मणिपुर में भाजपा के नेतृत्व वाली सरकार की सहयोगी है।(आईएएनएस)
लिलोंग सीट पर भाजपा समर्थित निर्दलीय वाई अंतास खान ने निकटतम निर्दलीय प्रतिद्वंद्वी मोहम्मद अब्दुल नासिर को 3,078 वोटों से हराने के लिए 17,106 वोट हासिल किए।
वांगजिंग-टेंटा सीट पर भाजपा प्रत्याशी पौनम ब्रजेन सिंह को कांग्रेस के प्रतिद्वंद्वी मोइरंगहेम हेमंत सिंह को 1,560 वोटों से हराने के लिए 15,147 वोट मिले।
हालांकि चुनाव आयोग द्वारा सीटू सीट पर आधिकारिक रूप से परिणाम घोषित किया जाना बाकी है, लेकिन भाजपा प्रत्याशी नगमथांग हाओकिप अपने कांग्रेस प्रतिद्वंद्वी लामिथांग हाओकिप से 7,661 से अधिक वोटों से जीत की दौड़ में आगे नजर आ रहे हैं।
7 नवंबर को मणिपुर की चार विधानसभा सीटों और 3 नवंबर को नगालैंड की दो विधानसभा सीटों पर उपचुनाव हुए।
भोपाल 10 नवंबर | मध्य प्रदेश में 28 विधानसभा क्षेत्रों मतगणना का दौर जारी है। अब तक 10 नतीजे आए है उनमें भाजपा ने नौ सीटों पर जीत दर्ज की है। वहीं 10 सीटों पर बढ़त हासिल की है। कांग्रेस एक सीट जीत चुकी है और आठ पर आगे चल रही है। निर्वाचन कार्यालय से मिली जानकारी के अनुसार भाजपा ने मांधाता से भाजपा के नारायण सिंह पटेल ने कांग्रेस उम्मीदवार उत्तम पाल को 22129 वोटों की अंतर से शिकस्त दी है। इसी तरह सुवासरा से मंत्री हरदीप सिंह डंग ने कांग्रेस प्रत्याशी राकेश पाटीदार को 29404 से हराया है। इसके अलावा भाजपा के बमौरी से महेंद्र सिंह सिसौदिया, अशोक नगर से जजपाल सिंह जज्जी, मुंगावली से बृजेंद्र सिंह यादव, अनूपपुर से बिसाहू लाल सिंह, सांची से डॉ. प्रभुराम चौधरी, बदनावर से राज्यवर्धन सिंह दत्तीगांव, नेपानगर से सुमित्रा कास्डेकर ने जीत दर्ज की है।
भाजपा जहां एक ओर नौ सीटें जीत चुकी है और दूसरी ओर 10 सीटों पर बढ़त बनाए है। इसके अलावा ब्यावरा से कांग्रेस के रामचंद्र दांगी ने कांग्रेस के उम्मीदवार नारायण सिंह पंवार 12102 वोटों के अंतर से परास्त किया है। इसके अलावा आठ सीटों पर कांग्रेस आगे चल रही है।(आईएएनएस)
मनोज पाठक
पटना, 5 नवंबर | बिहार में तीसरे और अंतिम चरण के विधानसभा चुनाव के लिए सात नवंबर को 78 सीटों के मतदाता मतदान करेंगे। इस चरण का चुनाव तो ऐसे सभी राजनीतिक दलों के लिए महत्वपूर्ण है, लेकिन महागठबंधन में शामिल राष्ट्रीय जनता दल (राजद) और राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) में शामिल जनता दल (युनाइटेड) के लिए जहां अपनी पुरानी सीटों को बचाए रखना चुनौती है वहीं भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के नेता 2010 के चुनाव वाली सफलता दोहराने के लिए मेहनत कर रही है।
इस चरण में भाजपा 35 सीटों पर चुनाव लड़ रही है वहीं उसकी सहयोगी जदयू ने 37 उम्मीदवार चुनावी मैदान में उतारे हैं। इसके अलावा राजग में शामिल विकासशील इंसान पार्टी (वीआईपी) के पांच और हिंदुस्तानी अवाम मोर्चा के एक प्रत्याशाी चुनावी मैदान में है। दूसरी ओर महागठबंधन में राजद 46 सीटों पर जबकि उसकी सहयोगी कांग्रेस 25 सीटों में चुनावी मैदान में है।
पिछले चुनाव में महागठबंधन ने 78 में से 54 सीटें जीत ली थीं, लेकिन इस चुनाव में स्थिति बदल गई है। जदयू और भाजपा के साथ आ जाने के बाद राजद को पुरानी सफलता को बनाए रखना चुनौती है। राजद पिछले चुनाव में इस क्षेत्र से 20 सीटें अपनी झोली में डाली थी। यही हाल जदयू की भी है। जदयू ने पिछले चुनाव में 23 सीटों पर विजय दर्ज की थी।
तीसरे चरण के चुनाव में राजद और जदयू 23 सीटों पर आमने-सामने हैं जबकि 20 सीटों पर राजद का भाजपा से कांटे की लड़ाई है। कांग्रेस भी 14 सीटों पर भाजपा और नौ सीटों पर जदयू के मुकाबले में खड़ी है।
वर्ष 2010 में भाजपा को मिली 91 सीटों में से 27 सीटें इस क्षेत्र से आई थी, यहीं कारण है कि भाजपा इस क्षेत्र में अपने पुराने इतिहास को दोहराने के लिए कड़ी मेहनत कर रही है।
वैसे, कोशी और सीमांचल का चुनाव किसी भी दल के लिए आसान नहीं रहा है। यहां का गणित बराबर उलझा रहा है। सांसद असदुद्दीन ओवैसी की पार्टी ऑल इंडिया मजलिस ए इत्तेहादुल मुस्लिमीन (एआइएमआइएम) पहले से ही इस मुस्लिम बहुल सीमांचल इलाके में अपने प्रत्याशी उतारकर राजद के मुस्लिम वोटबैंक में सेंध लगाने की तैयारी में है।
महागठबंधन में शामिल कांग्रेस के लिए भी इस चरण का चुनाव कम चुनौतीपूर्ण नहीं है। इस चरण में पार्टी के आधे निवर्तमान विधायकों की प्रतिष्ठा दांव पर लगी है। पिछले चुनाव में पार्टी ने 27 सीटों पर चुनाव जीता था, लेकिन उसकी चार सीटिंग सीटें सहयोगी दलों के खाते में चली गई है।
इस चुनाव में कांग्रेस को जो 70 सीटें मिली हैं, उसमें 23 सीटिंग हैं, जिसमें इसी चरण में 11 सीटें हैं, जिनमें फिर से अपने कब्जे में रखना बड़ी चुनौती है।
बहरहाल, सभी दल अपनी स्थिति में सुधार को लेकर कड़ी मेहनत कर रहे हैं, लेकिन मतदाता किसे पसंद करेंगे इसका पता तो 10 नवंबर को ही पता चलेगा, जब मतगणना के बाद परिणाम घोषित किया जाएगा।(आईएएनएस)
मनोज पाठक
पटना, 4 नवंबर| बिहार विधानसभा चुनाव के पहले चरण में 71 और दूसरे चरण में 94 सीटों पर मतदान हो चुके हैं, सात नवंबर को तीसरे और अंतिम चरण के लिए मतदान होना है। तीसरे चरण को लेकर सभी दलों के नेताओं ने अपनी पूरी ताकत झोंक दी है।
अब तक दो चरणों के हुए चुनाव के लिए हुए प्रचार अभियान में जहां सत्ता पक्ष 'जंगलराज' के जरिए एक बार फिर सत्ता तक पहुंचने को लेकर बेताब दिख रही है, वहीं महागठबंधन के मुख्यमंत्री पद के उम्मीदवार तेजस्ती यादव रोजगार के मुद्दे को प्रभावशाली ढंग से उठाकर बिहार में बदलाव की कहानी गढ़ने के लिए खूब पसीना बहा रहे हैं।
तेजस्वी के 10 लाख लोगों को सरकारी नौकरी देने के वादे से लोग महागठबंधन की ओर आकर्षित भी हो रहे हैं, लेकिन सत्ता पक्ष राजद के पुराने शासनकाल को 'जंगलराज' की याद दिलाकर भय भी दिखा रहा है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी हों या मुख्यमंत्री, राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) के नेता अपनी सभी चुनावी सभाओं में जंगलराज की चर्चा कर रहे हैं। हालांकि विपक्षी दलों के महागठबंधन के नेता जंगलराज की चर्चा करने से बच रहे हैं।
राजद ने अपने चुनावी घोषणा पत्र में पहली कैबिनेट की बैठक में दस लाख लोगों को सरकारी नौकरी देने का वादा किया है। इस चुनाव की घोषणा के पूर्व राजग की जीत तय मानी जा रही थी, लेकिन राजद के सरकारी नौकरी के वादे के बाद महागठबंधन की तरफ राज्य के युवाओं का रुझान दिख रहा है।
पटना के दीघा विधानसभा क्षेत्र में तेजस्वी की एक सभा में पहुंचे दानापुर के एक युवा मतदाता ने कहा कि पहली बार विधनसभा चुनाव में रोजगार मुद्दा बना है। उन्होंने कहा कि बेरोजगारी एक बड़ा मुद्दा प्रारंभ से रहा है, लेकिन कभी किसी राजनीतिक दल ने इस मुद्दे को नहीं उठाया था। उन्होंने कहा कि इसका महागठबंधन को लाभ मिलना भी तय है।
इधर, प्रधानमंत्री और मुख्यमंत्री ने भी अपनी सभी रैलियों में जंगलराज की याद करवाते हैं।
उल्लेखनीय है कि बिहार में 1995 में हुए चुनाव में नीतीश कुमार इसी 'जंगलराज' के नारे पर सवार होकर मजबूत माने जाने वाले लालू प्रसाद को हटाकर सत्ता तक पहुंचे थे। उस समय पटना उच्च न्यायालय ने राज्य में बढ़ते अपहरण और फिरौती के मामलों पर टिप्पणी करते हुए राज्य की व्यवस्था को जंगलराज बताया था, जिसे राजद विरोधियों ने मुद्दा बनाया था।
सत्ता में आने के बाद राजग ने नीतीश सरकार को 'सुशासन' का चेहरा बना दिया।
हालांकि 2015 के चुनाव में नीतीश कुमार की जदयू, राजद और कांग्रेस के साथ चुनाव मैदान में उतरी, उस समय भी भाजपा नेतृत्व वाले राजग ने 'जंगलराज' को मुद्दा बनाने की कोशिश की थी, लेकिन तब यह मुद्दा नहीं बन सका था और महागठबंधन विजयी हुई थी। इस चुनाव में जदयू भाजपा एक साथ चुनावी मैदान में हैं।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इशारों ही इशारों में तेजस्वी यादव को 'जंगलराज का युवराज' तक बताकर जंगलराज कैसा था, इसका भी बखान अपनी चुनावी सभाओं में कर रहे हैं। भाजपा अध्यक्ष जे.पी. नड्डा भी जंगलराज का मुद्दा उठा रहे हैं।
बीबीसी के संवाददाता रहे बिहार के वरिष्ठ पत्रकार मणिकांत ठाकुर भी मानते हैं कि भाजपा ने जिस तरह से इस मुद्दे को उभारा है, उससे उसको फायदा मिलेगा, क्योंकि अभी भी काफी लोग हैं जो उस दौर की वापसी नहीं चाहते हैं।
इधर, सुपौल के नवीन कुमार भी कहते हैं कि रोजगार ठीक है, नौकरी ठीक है। वे यह भी कहते हैं कि क्षेत्र में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के प्रति नाराजगी है, लेकिन जंगलराज की कल्पना करना ही डर पैदा करता है। युवा नवीन कहते हैं, ''जंगलराज की मुझे याद नहीं है, क्यांेकि उस समय सात साल का था, लेकिन उस दौर की कहानियां अजीब है।''
बहरहाल, रोजगार और जंगलराज के बीच बिहार का चुनाव दिलचस्प मोड़ पर पहुंच गया है। मतदाता किसे पसंद कर रहे हैं, यह तो 10 नवंबर को ही पता चलेगा। (आईएएनएस)
ग्वालियर, 3 नवंबर| पूर्व केंद्रीय मंत्री और भाजपा के राज्यसभा सदस्य ज्योतिरादित्य सिंधिया ने मध्य प्रदेश के ग्वालियर में मतदान कर भाजपा की जीत का दावा किया। साथ ही पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह पर तंज भी कसा। राज्य के 28 विधानसभा क्षेत्रों में मतदान हो रहा है, इनमें ग्वालियर पूर्व विधानसभा क्षेत्र भी शामिल है। सिंधिया इसी क्षेत्र से मतदाता हैं, वे यहां के एमआई शिशु मंदिर पहुंचे और मतदान किया। इसके बाद उन्होंने संवाददाताओं से चर्चा करते हुए दावा किया कि इस चुनाव में भाजपा बड़ी जीत दर्ज कर रही है।
सिंधिया से जब पूछा गया कि दिग्विजय िंसंह तो ईवीएम को लेकर सवाल उठा रहे है तो उनका जवाब था कि दिग्विजय सिंह अपने आप पर सवाल उठाएं, उन्होंने प्रदेश का क्या हाल कर रखा था, किस हालत में छोड़ा था।
इससे पहले दिग्विजय सिंह ने ईवीएम पर सवाल उठाए और कहा है कि ईवीएम हैक हो सकती है। उन्होंने मतपत्र से वोटिंग की वकालत की। (आईएएनएस)
मनोज पाठक
पटना, 2 नवंबर| भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के बिहार प्रदेश अध्यक्ष डॉ. संजय जायसवाल इस विधानसभा चुनाव में विपक्ष को कहीं नहीं मानते। उन्होंने विपक्ष के रोजगार देने के वादे को भी भ्रम फैलाने वाला बताते हुए सवाल किया कि पड़ोसी झारखंड में राजद व कांग्रेस भी सरकार में शामिल है, कितनों को रोजगार मिल गया?
भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष ने आईएएनएस के साथ खास बातचीत में विपक्ष के वादे पर सवाल उठाते हुए कहा कि बिहार में 15 साल राजद की सरकार रही है। उस दौर में वेतन भी समय पर नहीं मिलता था।
उन्होंने कहा कि राजद की 15 साल की सरकार में मात्र 90 हजार लोगों को नौकरी दी गई थी, वह आज 10 लाख नौकरी देने की बात कर रहा है, तो इससे बड़ी हास्यास्प्द स्थिति क्या होगी।
उन्होंने कहा, ''राजद झूठ का वादा कर रहा है। राजद और कांग्रेस पड़ोसी राज्य झारखंड में सरकार में है, कितने लोगों को रोजगार मिला? तेजस्वी यादव खुद बिहार सरकार में उपमुख्यमंत्री रहे हैं, कई विभाग के मंत्री रहे, कितनों को रोजगार दिया? देखिए सब वोट पाने को लेकर किया जा रहा है, लेकिन लोगों को इन वादों पर विश्वास नहीं हो पा रहा है।''
दूसरी ओर जायसवाल ने कहा कि भाजपा ने 19 लाख लोगों को नौकरी नहीं रोजगार देने की बात की है। उन्होंने कहा कि इसके लिए भाजपा ने रोडमैप बनाया है। हमने स्पष्ट बताया 4.50 लाख नौकरियां तो शिक्षा-स्वास्थ्य के क्षेत्र में देंगे। इसके अलावा रिक्त पदों पर बहाली होगी। 19 लाख रोजगार के अवसर सृजित किए जाएंगे।
भाजपा के बागियों के चुनाव मैदान में उतर जाने के मुद्दे पर पूछे गए एक प्रश्न के उत्तर में जायसवाल ने कहा कि पहली बार बड़ी संख्या में बागियों पर कार्रवाई हुई है। उन्होंने हालांकि माना कि भाजपा ही नहीं जदयू के बागियों से भी राजग को नुकसान हुआ है।
जायसवाल ने बेबाकी से आईएएनएस को बताया, ''नेता बदलते हैं, कार्यकर्ता और समर्थक नहीं बदलते हैं। कार्यकर्ता और समर्थक पार्टी के साथ होते हैं।''
लोकजनशक्ति पार्टी (लोजपा) के राजग से अलग होने के संबंध में पूछे जाने पर उन्होंने कहा, ''ऐसा नहीं है। लोजपा केंद्र में रहते भी झारखंड सहित अन्य प्रदेशों में अलग चुनाव लड़ चुकी है। लोजपा के संबंध में प्रश्न उनसे ही पूछा जाना चाहिए। यहां राजग में लोजपा नहीं है।''
उन्होंने लोजपाा के भाजपा के सामने प्रत्याशी उतारने के संबंध में पूछे जाने पर कहा, ''राजग में शामिल चार दलों के ही विषय में मैं बता सकता हूं। अन्य दल क्या कर रहे हैं, यह तो उनके नेता ही बता पाएंगें।''
उन्होंने आगे कहा कि इस चुनाव में विपक्ष पूरी तरह बिखरा हुआ है। इस चुनाव में विपक्ष के पांच-पांच मुख्यमंत्री हैं।
भाजपा के अधिक सीट आने पर मुख्यमंत्री पद के उम्मीदवार के विषय में पूछे जाने पर उन्होंने कहा, ''अगर-मगर का प्रश्न ही नहीं उठता। भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष कह चुके हैं कि राजग के मुख्यमंत्री चेहरा नीतीश कुमार हैं, तो इसमें कुछ बचता ही कहां है।''
उन्होंने दावा करते हुए कहा कि राजग इस चुनाव में दो तिहाई बहुमत के साथ विजयी हो रही है। उन्होंने कहा कि तेजस्वी 'जंगल राज' के प्रतीक बने हुए हैं। लोग उस 15 साल के दौर को अभी भी नहीं भूल पाए हैं। आज के युवा भी बिहार में उस राज की कल्पना नहीं कर सकते। (आईएएनएस)
लखनऊ, 1 नवंबर| कांग्रेस की पूर्व सांसद अन्नू टंडन सोमवार को समाजवादी पार्टी (सपा) में शामिल होंगी। उन्होंने गुरुवार को पार्टी से इस्तीफा दे दिया था। टंडन ने पुष्टि की है कि वह सपा प्रमुख अखिलेश यादव की उपस्थिति में पार्टी में शामिल होंगी।
उन्होंने अपने निर्वाचन क्षेत्र उन्नाव के लोगों से बांगरमऊ में समाजवादी पार्टी के उम्मीदवार को वोट देने की भी अपील की है, जहां मंगलवार को उपचुनाव के लिए मतदान होगा।
कांग्रेस महासचिव अंकित परिहार, जिन्होंने पिछले सप्ताह पार्टी छोड़ दी थी, वह भी समाजवादी पार्टी में शामिल होंगे।
उन्नाव में नेताओं द्वारा कांग्रेस का दामन छोड़ना जारी है और अब तक, उन्नाव में सदर से 42, भगवंतनगर से चार, मोहन से 29, बांगरमऊ से 24, सफीपुर से 18 और पुरवा से 12 पार्टी कार्यकर्ताओं ने इस्तीफा दे दिया है।
कहा जा रहा है कि ये सभी समाजवादी पार्टी में शामिल होने के लिए तैयार हैं। (आईएएनएस)
मनोज पाठक
पटना, 31 अक्टूबर| बिहार विधानसभा चुनाव में तीन चरणों में होने वाले मतदान में पहले चरण का मतदान संपन्न हो चुका है जबकि दूसरे चरण के तहत 3 नवंबर को मतदान होना है। इस चुनाव में मुख्य मुकाबला भाजपा नेतृत्व वाले राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) और राजद नेतृत्व वाले महागठबंधन के बीच माना जा रहा है।
महागठबंधन में ऐसे तो राजद के अलावा, कांग्रेस और वामपंथी दल शामिल हैं लेकिन मोर्चा मुख्यमंत्री के प्रत्याशी तेजस्वी यादव ने खुद संभाल रखी है। तेजस्वी इस चुनाव में अलग नजर आ रहे हैं और अपने पिता तथा राजद के अध्यक्ष लालू प्रसाद के साये से खुद को निकालने के प्रयास में जुटे हैं।
भाजपा नेतृत्व वाले गठबंधन के नेता जहां राजद के 15 साल के शासनकाल के 'जंगलराज' को याद दिलाते हुए लगातार लोगों के बीच पहुंच रहे हैं, वहीं तेजस्वी इस पर कुछ भी चर्चा करने से बच रहे हैं।
तेजस्वी कहते भी हैं, "सत्ता पक्ष के लोग रोजगार, सिंचाई, शिक्षा के मामले में बात हीं नहीं करना चाहते। वे पुरानी फालतू की बातों को कर लोगों को मुद्दा से भटकाना चाह रहे हैं।"
वैसे, तेजस्वी ने इस चुनाव के पहले ही राजद के प्रमुख बैनरों और पोस्टरों से लालू प्रसाद और पूर्व मुख्यमंत्री राबड़ी देवी की तस्वीर हटाकर यह संकेत दे दिए थे कि इस चुनाव में वे अपनी युवा और नई छवि के जरिए लोगों के बीच पहुंचेंगे।
लालू के दौर में राजद के लिए मुस्लिम और यादव (एम-वाई समीकरण) को वोटबैंक माना जाता था, लेकिन तेजस्वी सभी सभा में सबों को साथ लेकर चलने की बात करते हैं। रोहतास की एक सभा में 'बाबू साहब' के बयान को विरोधियों द्वारा मुद्दा बनाए जाने के बाद राजद तुरंत सफाई देने पहुंच गई थी।
भले ही चुनाव के दौरान लालू का निर्देश तेजस्वी सहित राजद के अन्य नेताओं को मिलते रहते हों, लेकिन तेजस्वी चुनावी रणनीतियों में अपनी रणनीति को शामिल कर रहे हैं। राजद के एक नेता भी कहते हैं कि तेजस्वी की सभा में जुट रही भीड़ इस बात के प्रमाण हैं कि उनकी रणनीति इस चुनाव में अब तक सफल रही है।
मंच से हंसी मजाक के बीच अपनी बात कहने वाले लालू की तरह तेजस्वी हंसी मजाक तो नहीं कर रहे हैं, लेकिन भोजपुरी भाषा में बोलकर लोगों से जुड़ने का प्रयास कर रहे हैं।
राजद के एक बुजुर्ग नेता नाम नहीं जाहिर करने की शर्त पर कहते हैं, "लालू प्रसाद
वाला लहजा और अंदाज तो नहीं, लेकिन तेजस्वी यादव को भी जनता की डिमांड समझ में आने लगी है। वे नौजवानो की नब्ज पकड़ने लगे हैं। रैलियों में युवाओं की ताली के लिए क्या बोलना है, तेजस्वी को समझ में आने लगा है। रोजगार देने का वादा कर और सबको साथ लेकर चलने की रणनीति अब तक सफल दिख रही है।"
राजनीतिक समीक्षक फैजान अहमद भी कहते हैं कि तेजस्वी ने पहले ही एक तरह से राजद शासनकाल में किए गए गलतियों के लिए माफी मांगकर अपनी जमीन तैयार कर ली थी और संकेत दिए थे कि वे नए सिरे से राजनीति की शुरूआत करेंगे।
उन्होंने कहा कि इस बीच उन्होंने राजद के पोस्टरों में केवल अपनी तस्वीर लगवाई और बेरोजगार का मुद्दा उछाल दिया। वे कहते हैं, "इसमें कोई शक नहीं तेजस्वी अपने पिता के साये से अलग हटकर अपनी जमीन तलाश करना चाहते हैं, जिसमें उन्हें सफलता मिल रही है और लोगों से कनेक्ट कर रहे हैं।"
हालांकि बीबीसी के संवाददाता रहे और वरिष्ठ पत्रकार मणिकांत ठाकुर राजद के नेता तेजस्वी के विवादास्पद राजद के शासनकाल से अलग छवि पेश करने की तारीफ करते हैं, लेकिन वह यह भी कहते हैं कि कभी-कभार उनके जुबान का फिसलने से लोग में डर पैदा हो जा रहा हे। (आईएएनएस)
मनोज पाठक
पटना, 30 अक्टूबर| बिहार में 3 नवंबर को होने वाले दूसरे चरण के मतदान को लेकर सभी राजनीतिक दलों ने अपनी पूरी ताकत झोंक दी है। लेकिन दूसरे चरण का चुनाव महागठबंधन में शामिल राष्ट्रीय जनता दल (राजद) और राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) में शामिल जनता दल (युनाइटेड) को अपनी सीटें सुरक्षित रखना एक बड़ी चुनौती है।
इस चरण की 94 सीटों में से पिछले चुनाव में करीब एक तिहाई पर राजद ने जीत दर्ज की थी। इसी चरण में महागठबंधन की ओर से मुख्यमंत्री पद के उम्मीदवार और राजद के अध्यक्ष लालू प्रसाद के पुत्र तेजस्वी यादव और उनके भाई तथा पूर्व मंत्री तेजप्रताप यादव सहित कई दिग्गजों की चुनावी किस्मत तय होनी है।
दूसरे चरण में जिन 94 सीटों पर मतदान होना है उनमें से पिछले चुनाव में राजद के 33, जदयू के 30 जबकि कांग्रेस के सात विधायक जीते थे, जबकि राजग को महज 22 सीटों से संतोष करना पड़ा था।
वैसे, पिछले चुनाव से इस चुनाव में परिस्थितियां बदली हैं। पिछले चुनाव में जदयू जहां राजद और कांग्रेस के साथ चुनाव मैदान में उतरी थी जबकि राजग में भाजपा के साथ लोकजनशक्ति पार्टी (लोजपा) और राष्ट्रीय लोकसमता पार्टी (रालोसपा) थी। इस चुनाव में जदयू राजग में आ गई है जबकि लोजपा अकेले तथा रोलासपा के अलग गठबंधन के साथ है।
इस चुनाव में राजद ने 56 सीटों पर अपने प्रत्याशी उतारे हैं जबकि अन्य पर उनके सहयोगी चुनाव मैदान में है। इनमें से 27 सीटों पर भाजपा के साथ राजद का सीधा मुकाबला है जबकि 25 सीटों पर जदयू के साथ आमने-सामने की लड़ाई है। भाजपा ने इस चरण के चुनाव में 46 प्रत्याशी जबकि उसकी सहयोगी पार्टी जदयू ने 43 सीटों पर चुनाव लड़ रही है।
इस चरण के चुनाव में ही राघोपुर और हसनपुर सीट पर भी मतदान होना है जहां से तेजस्वी यादव और तेजप्रताप यादव चुनावी मैदान में है। इसके अलावा भी महागठबंधन के 27 विधायकों की प्रतिष्ठा दांव पर है।
राजद के प्रधान महासचिव आलोक कुमार मेहता उजियारपुर से राजद प्रत्याशी हैं जबकि पूर्व सांसद युवा राजद के अध्यक्ष शैलेश कुमार उर्फ बुलो मंडल बिहपुर सीट से मैदान में हैं। पूर्व सांसद आनंद मोहन के बेटे चेतन आनंद शिवहर सीट से चुनाव मैदान में हैं तो पूर्व सांसद रामा सिंह की पत्नी बीना सिंह वैशाली की महनार सीट से चुनावी भाग्य आजमा रही हैं। अभिनेता और पूर्व सांसद शत्रुघ्न सिन्हा के पुत्र लव सिन्हा का सियासी भविष्य भी इस चरण के मतदाता तय करेंगे।
बहरहाल, दूसरे चरण के मतदान को लेकर सभी दलों के नेता चुनावी मैदान में खूब पसीना बहा रहे हैं, लेकिन जदयू के बिना राजद के लिए पिछले चुनाव का जादू वापस दोहराना बड़ी चुनौती मानी जा रही है। इधर, जदयू-भाजपा 2010 की तरह इस बार वापस एक-साथ मैदान में हैं। ऐसे में दोनों पार्टियों के नेता अपने पुराने गढ़ को फिर से झटकने का प्रयास में खूब पसीना बहा रहे हैं। अब देखना होगा कि मतदाता किसे पसंद करते हैं। (आईएएनएस)
नई दिल्ली, 30 अक्टूबर| मधुसूदन मिस्त्री की अगुवाई वाली कांग्रेस के केंद्रीय चुनाव प्राधिकरण ने पार्टी अध्यक्ष के चुनाव के लिए प्रक्रिया शुरू कर दी है। उन्होंने राज्य इकाइयों से अखिल भारतीय कांग्रेस समिति (एआईसीसी) के सदस्यों के नाम भेजने को कहा है जो पार्टी अध्यक्ष के चुनाव के लिए मतदान करने के लिए पात्र हैं।
गुरुवार को राज्य प्रमुखों को जारी एक आंतरिक ज्ञापन में, मिस्त्री ने लिखा, "आपको सूचित किया जाता है कि एआईसीसी जल्द से जल्द अपनी बैठक बुलाने का इरादा रखता है, और आपको तिथियों और निर्धारित जगह के बारे में अवगत करा दिया जाएगा।"
प्राधिकरण ने पहचान पत्र जारी करने के लिए एआईसीसी सदस्यों के नाम और फोटो देने को कहा है ताकि वे बैठक में भाग ले सकें।
इसे पार्टी के 23 नेताओं द्वारा लिखे गए पत्र के मद्देनजर एक कदम के रूप में देखा जा रहा है जो ब्लॉक से सीडब्ल्यूसी स्तर तक संगठन में चुनाव और स्थायी अध्यक्ष की नियुक्ति की मांग कर रहे हैं।
अगस्त में 23 कांग्रेस नेताओं द्वारा एक पत्र लिखे जाने के बाद, पार्टी ने एक तूफानी सीडब्ल्यूसी बैठक देखी, जिसमें पूर्व कांग्रेस प्रमुख राहुल गांधी ने पार्टी के असंतुष्टों को निशाना बनाया था और पत्र के समय पर भी सवाल उठाया था।
पार्टी की अंतरिम प्रमुख सोनिया गांधी को भेजे गए पत्र में नेतृत्व में बदलाव की मांग की गई थी। यहां तक कि राजस्थान और छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्रियों ने भी राहुल गांधी से पार्टी प्रमुख के रूप में कार्यभार संभालने का अनुरोध किया।
सोनिया गांधी ने पार्टी के शीर्ष पद से हटने की पेशकश की, लेकिन पूर्व प्रधानमंत्री और दिग्गज कांग्रेसी नेता मनमोहन सिंह ने इसे अस्वीकार कर दिया और उन्होंने उनसे पद पर बने रहने का आग्रह किया था।
कई कांग्रेस नेताओं द्वारा राहुल गांधी को बिना किसी देरी के पार्टी प्रमुख के रूप में वापस लाने की मांग के साथ, पार्टी ने स्पष्ट कर दिया कि सीडब्ल्यूसी की बैठक में इस मुद्दे पर चर्चा होगी।
पत्र में, भाजपा के उदय के साथ चिंता व्यक्त करते हुए, 'पूर्णकालिक' पार्टी अध्यक्ष का आह्वान किया गया था। सोनिया गांधी पिछले साल से अंतरिम अध्यक्ष हैं।
पटना, 29 अक्टूबर | बिहार विधानसभा चुनाव को लेकर नेताओं के बीच आरोप-प्रत्यारोप का सिलसिला जारी है। कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का पंजाब में पुतला जलाए जाने को लेकर दिए गए बयान पर लोक जनशक्ति पार्टी (लोजपा) के अध्यक्ष चिराग पासवान ने राहुल गांधी और मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को एक साथ घेरा है। चिराग ने गुरुवार को कहा कि प्रायोजित तरीके से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को बदनाम किया जा रहा है।
उन्होंने अपने अधिाकरिक ट्विटर हैंडल पर लिखा, ''बिहार की धरती पर राहुल गांधी जी ने प्रधानमंत्री जी के सम्बंध मे पंजाब में हुई निंदनीय घटना का उल्लेख किया और बिहार के मौजूदा मुख्यमंत्री नीतीश कुमार जी खामोश हैं। प्रधानमंत्री के साथ स्टेज शेयर करने को बेताब रहते हैं मगर राहुल गांधी के इस घृणित बयान पर अपना मुंह नहीं खोलते हैं।''
उन्होंने आगे लिखा, ''दशहरा के पावन अवसर पर पंजाब सरकार द्वारा प्रायोजित घटना की निंदा लोजपा करती है जिसमें प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी का पुतला दहन किया गया था। यह पंजाब की संस्कृति नहीं है और ना ही पंजाब के लोगों ने यह किया है। यकीनन इस घृणित कार्य के पीछे पंजाब सरकार का हाथ है।''
उल्लेखनीय है कि बुधवार को राहुल गांधी ने बिहार में चुनावी सभाओं में कहा था कि इस दशहरा में गुस्से के कारण पंजाब में युवाओं और किसानों ने रावण नहीं प्रधानमंत्री का पुतला दहन किया।
लोजपा अध्यक्ष ने मुंगेर में पुलिस और स्थानीय लोगों की हुई हिंसक झड़प में एक व्यक्ति की मौत पर भी सरकार पर निशाना साधा।
उन्होंने अपने अधिकारिक ट्विटर हैंडल पर लिखा, ''मुंगेर में मां दुर्गा के भक्तों के साथ जो हुआ उसे शर्मनाक घटना कहना कम होगा। 'महिसासुर' सरकार के इशारे पर स्थानीय प्रशासन ने कार्रवाई की। गोली बिना आदेश तो नहीं चल सकती। इस महिसासुरी व्यवस्था का वध मां दुर्गा के भक्त 10 तारीख को करेंगे।'' (आईएएनएस)
लखनऊ, 28 अक्टूबर| उत्तर प्रदेश में दस सीटों के लिए राज्यसभा चुनाव होने हैं। लेकिन उससे पहले बहुजन समाज पार्टी में बगावत हो गयी है। बसपा के प्रत्यशी रामजी गौतम के 10 प्रस्तावकों में से 5 प्रस्तावकों ने अपना प्रस्ताव वापस ले लिया है। इसके बाद 5 विधायकों ने सपा मुखिया अखिलेश यादव से मुलाकात की। बगावत करने वालों में बसपा विधायक असलम चौधरी, असलम राईनी, मुज्तबा सिद्दीकी, हाकम लाल बिंद, गोविंद जाटव शामिल हैं। मंगलवार को ही असलम चौधरी की पत्नी ने समाजवादी पार्टी की सदस्यता ली थी। यूपी में दस राज्यसभा सीटों पर चुनाव होना है, जिसके लिए कुल 11 प्रत्याशी मैदान में हैं। भाजपा की ओर से आठ, समाजवादी पार्टी के एक, बहुजन समाज पार्टी के एक और एक निर्दलीय उम्मीदवार चुनावी मैदान में हैं।
बसपा के राज्य सभा प्रत्याशी रामजी गौतम के प्रस्तावक के तौर पर अपना नाम वापस लेने वाले पांच बागी विधायक अखिलेश यादव से मिलने समाजवादी पार्टी कार्यालय पहुंचे। सभी की बंद कमरे में मुलाकात हुई है। कहा जा रहा है कि बसपा के पांचों विधायक समाजवादी पार्टी में शामिल हो सकते हैं। फिलहाल टूट के कगार पर पहुंची बसपा की तरफ से अभी तक कोई आधिकारिक बयान नहीं आया है।
बता दें कि रामजी गौतम ने राज्यसभा के उम्मीदवार के रूप में 26 अक्तूबर को नामांकन किया था, तब उनके साथ पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव सतीश चंद्र मिश्रा व कई अन्य नेता मौजूद थे।
बुधवार को जब प्रस्तावक अपना नाम वापस लेने के लिए विधानसभा आए तो हलचल मच गई।
भिनगा के बसपा विधायक मो. असलम राईन ने कहा कि रामजी गौतम के प्रस्तावक के रूप में उन लोगों ने दस्तखत नहीं किया। उनके फर्जी हस्ताक्षर बनाए गए हैं। राइनी ने कहा कि कूटरचित हस्ताक्षर के लिए वह विधिक कार्रवाई करेंगे। फर्जी हस्ताक्षर की शिकायत करने वाले विधायकों में मुज्तबा सिद्दीकी, हाकिम लाल बिंद व असलम चौधरी हैं।
ज्ञात हो कि सपा से रामगोपाल यादव और बसपा से रामजी गौतम के अलावा भाजपा के आठ उम्मीदवार मैदान में हैं। सूत्रों की मानें तो इन विधायकों ने दो दिन पहले पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव से मुलाकात की थी। (आईएएनएस)
भोपाल, 28 अक्टूबर| मध्य प्रदेश के विधानसभा के उप-चुनाव में बयानों के बाण लगातार तल्ख हेाते जा रहे हैं। कांग्रेस के उम्मीदवारों के पक्ष में प्रचार करने आए आचार्य प्रमोद कृष्णन ने मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान को धार्मिक ग्रंथ के तीन मामा शकुनी, कंस और मरीच का मिश्रण बताए जाने पर सियासी माहौल गर्मा दिया है। कांग्रेस उम्मीदवारों के समर्थन में प्रमोद कृष्णन ने मंगलवार केा शिवपुरी जिले और मुरैना के विधानसभा क्षेत्रों में जनसभाओं को संबोधित किया था। इन सभाओं में कृष्णन के निशाने पर मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान रहे। इस दौरान उन्होंने कहा था कि पहला मामा मरीच जिसने रूप बदलकर सीता माता का हरण कराया था, दूसरा मामा कंस, जिसने अपनी सत्ता को बचाने के लिए बहन के बच्चों को मार दिया था और तीसरा मामा शकुनि जो छल फरेब करके पांडवों का सर्वनाश करना चाहता था। इन तीनों मामाओं को मिला दें तो मामा शिवराज बनता है।
कृष्णन के इस बयान के बाद से राज्य मंे सियासी बवाल मचा हुआ है। भाजपा के प्रदेश प्रवक्ता रजनीश अग्रवाल का कहना है कि, कांग्रेस के अधिकृत स्टार प्रचारक प्रमोद कृष्णन द्वारा जिस प्रकार की अभद्र आपत्तिजनक और शर्मनाक भाषण मुरैना जिले में कांग्रेस के मंच से दिया गया, इसके लिए कांग्रेस अध्यक्ष कमल नाथ जिम्मेदार हैं। कमल नाथ प्रदेश के लाखों भांजे-भांजियों से क्षमा याचना करें और प्रमोद कृष्णन को प्रचार करने पर प्रतिबंध लगाएं।
रजनीश अग्रवाल ने कांग्रेस और कमल नाथ से सवाल किया है कि क्या स्वयं कांग्रेस ऐसी भाषा का विरोध कर निर्वाचन आयोग में शिकायत करेगी?
वहीं कांग्रेस के प्रवक्ता अजय सिंह यादव ने प्रमोद कृष्णन का बचाव करते हुए कहा कि, आचार्य प्रमोद कृष्णन धार्मिक व्यक्ति है, अब वह जो भी बात करेंगे धर्म आधारित उदाहरणों पर ही करेंगे। मप्र में भाजपा ने अधर्म, अनीति के रास्ते पर चलकर सरकार बनाई है अब ऐसे में इसी तरह के उदाहरण दिए जा सकते हैं। भाजपा के नेताओं को इस प्रकार से बौखलाना नहीं चाहिए। प्रदेश की जनता भी जानती है किस तरह से लोकतंत्र की हत्या करके महापाप कर भाजपा ने सरकार बनाई है। (आईएएनएस)
गया, 28 अक्टूबर| भाजपा के वरिष्ठ नेता और बिहार के कृषि मंत्री प्रेम कुमार वोट डालने के दौरान कमल के फूल की प्रिंट वाला मास्क पहने एक मतदान केंद्र पहुंचने पर विवादों में आने के बाद अब सफाई दी है। इधर, निर्वाचन आयोग ने भी कार्रवाई करने के संकेत दिए हैं। कुमार गया शहर से भाजपा के उम्मीदवार हैं और वे इस सीट से छह बार चुने गए हैं।
कृषि मंत्री प्रेम कुमार बुधवार को गया के स्वराजपुरी के रोड नंबर 120 स्थित मतदान केंद्र अपना वोट डालने साइकिल से पहुंचे थे। प्रेम कुमार ने अपने मताधिकार का प्रयोग किया, लेकिन इस दौरान उन्होंने कमल छाप वाला मास्क पहना रखा था। उन्होंने मतदान के दौरान भी इसे नहीं निकाला और कमल छाप का निशान का मास्क लगाकर ही वोट दिया। इसके बाद यह मामला विवादों में आ गया।
इधर, बिहार के मुख्य निर्वाचन अधिकारी एच आर श्रीनिवास ने कहा कि अगर कोई भी आदर्श आचार संहिता का उल्लंघन करता है, तो कार्रवाई होगी। उन्होंने कहा कि गया के अधिकारी इस मामले को देख रहे हैं।
इधर, मंत्री प्रेम कुमार ने इस मामले में सफाई देते हुए कहा कि गलती से ऐसा हो गया। उन्होंने कहा कि ऐसी उनकी कोई मंशा नहीं थी। उन्होंने कहा, ''मेरी ऐसी कोई मंशा नहीं थी और मुझे किसी ने इस तरफ ध्यान भी नहीं दिलाया। अधिक व्यस्तता के कारण भाजपा का मास्क पहन के मैं वोट देने चला गया था।''
बिहार में 16 जिलों की 71 सीटों पर वोट डाले जा रहे हैं जबकि दो और चरण की वोटिंग 3 और 7 नवंबर को होनी है। बिहार चुनाव के बाद मतों की गिनती 10 नवंबर को होगी। (आईएएनएस)
पटना, 27 अक्टूबर| प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी एक बार फिर बिहार चुनाव के दौरान तीन चुनावी सभाओं को संबोधित करने के लिए बिहार पहुंच रहे हैं। इससे पहले राजद के नेता और महागठबंधन के मुख्यमंत्री पद के उम्मीदवार तेजस्वी यादव ने मंगलवार को उनसे 11 सवाल पूछे हैं। तेजस्वी ने कहा कि दरभंगा एम्स की घोषणा 2015 में हुई लेकिन ऐन चुनाव के पहले ही उसका काम शुरू करने की घोषणा क्यों की गई?
तेजस्वी इस चुनाव में किसी भी मुद्दे को हाथ से नहीं छोड़ना चाहते हैं। यही कारण है कि चुनाव के दौरान उन्होंने मृजफरपुर बालिका गृह में लड़कियों से कथित दुष्कर्म का मामला उठाया है। उन्होंने प्रधानमंत्री से पूछा है, ''प्रधानमंत्री जी, मुजफ्फरपुर भी आ रहे हैं। सत्ता संरक्षण में मुजफ्फरपुर बालिका गृह कांड में 34 अनाथ बच्चियों के साथ हुए दुष्कर्म के मुख्य आरोपी को मुख्यमंत्री ने बचाया ही नहीं बल्कि उसके घर जन्मदिन की पार्टी में भी गए, उसे निरंतर वित्तीय मदद की और चुनाव भी लड़वाया? क्या प्रधानमंत्री जी डबल इंजन सरकार के इस घृणित कार्य पर बोलेंगे?''
तेजस्वी ने दरभंगा और मुजफ्फरपुर में सुपर स्पेशलिटी अस्पताल नहीं बनाने तथा स्किल विश्वविद्यालय नहीं खोलने को लेकर भी प्रधानमंत्री से सवाल पूछे हैं।
उन्होंने बिहार के गंदे शहरों को लेकर भी प्रधानमंत्री से सवाल करते हुए कहा, ''प्रधानमंत्री को बिहारवासियों को बताना चाहिए कि देश के टॉप 10 सबसे गंदे शहरों में बिहार के 6 शहर क्यों हैं? पटना और बिहार की इस बदहाली का जिम्मेवार कौन है?''
उल्लेखनीय है कि बुधवार को नरेंद्र मोदी बिहार में तीन चुनावी सभाओं को संबोधित करने आ रहे हैं। प्रधानमंत्री बुधवार को दरभंगा, मुजफरपुर और पटना में रैली को संबोधित करेंगें।
बता दें कि बुधवार को ही बिहार में पहले चरण में 71 सीटों पर मतदान होना है। (आईएएनएस)
ग्वालियर, 27 अक्टूबर| पूर्व केंद्रीय मंत्री और कांग्रेस पार्टी के स्टार प्रचारक सचिन पायलट मध्य प्रदेश में होने जा रहे 28 विधानसभा उपचुनाव के प्रचार के लिए आ रहे हैं। पायलट अपने दो दिवसीय प्रवास के दौरान शिवपुरी, मुरैना, भिण्ड और ग्वालियर जिले की विभिन्न विधानसभाओं में कांग्रेस उम्मीदवारों के पक्ष में जनसभाएं करेंगे। कांग्रेस के ग्वालियर-चंबल इलाके के मीडिया प्रभारी के.के. मिश्रा ने बताया कि पायलट मंगलवार को शिवपुरी जिले की करैरा विधानसभा के नरवर, पोहरी विधानसभा के सतनबाड़ा, मुरैना जिले की जौरा विधानसभा के कैलारस, ग्वालियर एवं ग्वालियर पूर्व विधानसभा क्षेत्र में चुनावी सभा लेंगे। उनका रात्रि विश्राम ग्वालियर में रहेगा।
पायलट 28 अक्टूबर को मुरैना के रनचोली, भिण्ड जिले की मेहगांव विधानसभा, गोहद विधानसभा, ग्वालियर जिले की डबरा विधानसभा क्षेत्र में कांग्रेस प्रत्याशी के समर्थन में चुनावी सभा को संबोधित करेंगे। (आईएएनएस)
औरंगाबाद (बिहार), 26 अक्टूबर| भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के राष्ट्रीय अध्यक्ष जे.पी. नड्डा ने सोमवार को यहां राष्ट्रीय जनता दल (राजद) के 10 लाख लोगों को रोजगार देने के वादे पर कटाक्ष करते हुए कहा कि सत्ता में रहने पर नौकरी छीनने वाले आज रोजगार देने की बात कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि उस दौर में नौकरी करने वाले नौकरी छोड़कर भाग गए थे।
औरंगाबाद में एक चुनावी सभा को संबोधित करते हुए भाजपा अध्यक्ष ने महागठबंधन में राजद के वामपंथी दलों के साथ गठबंधन को विध्वंसक बताते हुए कहा कि इन दोनों बिहार में अराजकता ही फैलाई है।
उन्होंने कहा कि उजाले के महत्व का पता तब ही चलता है, जब अंधेरे का पता हो। मैं कहना चाहता हूं कि विकास का पता तब ही चलता है जब वह दिन याद हो।
भाजपा अध्यक्ष ने खुद को बिहार में रहने की बात कहते हुए कहा कि पहले क्या स्थिति थी बिजली की। बिजली आती नहीं थी कि चली जाती थी। मुश्किल से 24 घंटे में दो घंटे रहती थी। किसानों को डीजल पंप से सिंचाई करना पड़ता था। आज किसानों के लिए अलग फीडर लग रहा है।
नड्डा ने प्रधानमंत्री मोदी की तारीफ करते हुए कहा, पहले जब बिहार में कोई चुनावी सभा करता था तो जाति, धर्म की बात होती थी, समाज को बांटने की बात होती थी, लेकिन चुनाव में आज हमारे उम्मीदवार विकास की बात करते हैं, सरकार की उपलब्धियां बताते हैं, ये बदलाव आया है। जब नरेंद्र मोदी आए हैं उन्होंने राजनीति का चाल, चरित्र बदल दिया है। इसे हमें याद रखना होगा।
नड्डा ने कोरोना काल की चर्चा करते हुए कहा कि पहले देश में एक भी पीपीई किट नहीं बनता था लेकिन आज देश पीपीई किट दूसरे देशों को दे रहा है। आज देश में तीन लाख से ज्यादा वेंटिलेटर है।
उन्होंने राजग के प्रत्याशी को वोट देने की अपील करते हुए कहा, राजद का चरित्र अभी तक नहीं बदला है। मैं व्यक्तिगत रूप से बिहार की मिट्टी को पहचानता हूं और इसीलिए कह सकता हूं कि डबल इंजन की सरकार बिहार के लिए जरूरी है। (आईएएनएस)
मनोज पाठक
पटना, 26 अक्टूबर| केंद्र में राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) के कंधे से कंधा मिलकार चल रही लोक जनशक्ति पार्टी (लोजपा) ने बिहार चुनाव में अकेले चुनाव मैदान में उतरकर ऐसा सियासी दांव चला है, जिसमें भाजपा के सहयोगी जनता दल (युनाइटेड) का खेल बिगाड़ कर रख दिया है। कल तक बिहार में ''बडे भाई'' की भूमिका में दंभ भरने वाले जदयू की हालत ऐसी हो गई है कि भाजपा ने भी समाचार पत्रों में दिए गए विज्ञापनों में नीतीश कुमार की तस्वीर नहीं लगाई है, जिससे कई तरह की संभावनाओं को बल मिल रहा है।
दीगर बात है कि राजग नीतीश कुमार को मुख्यमंत्री पद का उम्मीदवार घोषित कर चुनावी मैदान में है।
लोजपा अध्यक्ष चिराग पासवान ने पार्टी की कमान संभालते ही अलग स्टैंड लिया, जिससे पार्टी को मजबूती से स्थापित किया जा सके। अब वे खुद को स्थापित करने की जद्दोजहद में हैं। यही वजह है कि कई मौकों पर उन्होंने अपना स्टैंड जदयू से अलग दिखाया।
चुनाव के पहले से ही चिराग पासवान सरकार की कई योजनाओं के क्रियान्वयन व अफसरशाही पर सवाल उठाने से पीछे नहीं रहे। जब जदयू ने समय पर चुनाव कराने की बात की तो चिराग ने चुनाव आयोग को पत्र के जरिये कोरोना संक्रमण के चलते अभी चुनाव नहीं कराने की मांग कर दी। उस समय ही यह आशंका को बल मिल गया कि चिराग कोई बड़ा निर्णय लेंगे।
चिराग ने इस चुनाव में कुल 136 प्रत्याशी मैदान में उतार दिए, जिनमें दो का मखदुमपुर और फुलवारी में नामांकन रद हो गया। इस तरह अब 134 उम्मीदवार मैदान में हैं। इनमें से अधिकांश प्रत्याशी जदयू के खिलाफ चुनावी मैदान में उतरे हैं। लोजपा का हालांकि गोविदंगज, लालगंज, भागलपुर, राघोपुर, रोसड़ा और नरकटियागंज में भी प्रत्याशी है जहां से भाजपा चुनावी मैदान में है।
लोजपा के प्रवक्ता और अल्पसंख्यक प्रकोष्ठ के प्रमुख अशरफ असांारी कहते हैं कि गोविंदगंज और लालगंज उनकी सीटिंग सीट थी, शेष चार पर भाजपा के साथ उनका दोस्ताना संघर्ष है। उन्होंने दावा करते हुए कहा कि इस चुनाव के बाद लोजपा भाजपा के साथ बिहार में सरकार बनाने वाली है।
इधर, चिराग ने भी उन सभी सीटों पर भाजपा प्रत्याशी को जीताने की अपील की है, जहां से लोजपा के प्रत्याशी नहीं हैं। हालांकि भाजपा और जदयू लगातार लोजपा को अलग होने की बात करते हुए बयान दे रही है।
कहा जा रहा है कि लोजपा इस चुनाव में नरेंद्र मोदी की छवि का प्रचार करके कम से कम 10-15 सीटें जीतना चाहती है, ऐसे में अगर भाजपा और जदयू मिलकर 122 के सरल बहुमत आंकड़े को हासिल करने में पीछे रह जाते हैं तो लोजपा की भाजपा के सहयोगी के तौर पर महत्वपूर्ण भूमिका हो सकती है।
राजग की ओर से जदयू जहां 115 सीटों पर चुनाव लड़ रही है वहीं भाजपा 110 सीटों पर चुनाव मैदान में है। भाजपा ने अपने हिस्से की 11 सीटें राजग में शामिल विकासशील इंसान पार्टी को दी है जबकि जदयू अपने हिस्से की सात सीटें हिंदुस्तानी अवाम मोर्चा (हम) को दी है।
इधर, भाजपा द्वारा समाचार पत्रों में दिए गए विज्ञापनों में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की तस्वीर तो है, लेकिन नीतीश कुमार की तस्वीर को स्थान नहीं दिया गया है। हाल ही में विभिन्न एजेंसियों द्वारा जारी किए गए सर्वे में नीतीश की लोकप्रियता में कमी को दशार्या गया है।
हालांकि भाजपा के अध्यक्ष संजय जायसवाल कहते हैं कि भाजपा चुनावी मैदान में मुख्यमंत्री नीतीश के नेतृत्व में उतरी है, इसमें किसी को असमंजस में नहीं रहना चाहिए।
इधर, जदयू के अजय आलोक कहते हैं कि कई 'युवराज' चुनावी मैदान में अपने अस्तित्व को बचाने के लिए हैं, 10 नवंबर को सबकुछ स्पष्ट हो जाएगा। (आईएएनएस)
संदीप पौराणिक
भोपाल, 26 अक्टूबर| मध्यप्रदेश में विधानसभा के उपचुनाव कांग्रेस में हुई बगावत के कारण हो रहे हैं, मगर उसके बाद भी कांग्रेस में बगावत का दौर थमने का नाम नहीं ले रही है। आगामी लगभग एक हफ्ते में उप-चुनाव के लिए मतदान होने वाला है और इस बीच कांग्रेस को कई और झटके लगने के आसार बने हुए हैं।
राज्य में लगभग सात माह पूर्व कांग्रेस के तत्कालीन 22 विधायकों के विधानसभा की सदस्यता से इस्तीफा दिए जाने और भाजपा में शामिल होने से कांग्रेस की कमल नाथ के नेतृत्व वाली सरकार गिर गई थी। उसके बाद से कांग्रेस छोड़कर भाजपा में जाने वालों का सिलसिला थमा नहीं है। पहले एक-एक कर तीन विधायकों ने सदस्यता छोड़ी और भाजपा का दामन थामा तो चुनाव से ठीक पहले दमोह से कांग्रेस विधायक राहुल लोधी ने रविवार को विधानसभा की सदस्यता से इस्तीफा देकर भाजपा का दामन थाम लिया।
पार्टी सूत्रों की माने तो कांग्रेस के कई और विधायक भाजपा के संपर्क में है और संभावना इस बात की है कि मतदान के कुछ दिन पहले भी कुछ विधायक कांग्रेस छोड़कर भाजपा में शामिल हो सकते हैं। भाजपा ऐसा करके कांग्रेस के मनोबल को गिराने के साथ जनता के बीच यह संदेश देना चाह रही है कि कांग्रेस की किसी भी सूरत में सत्ता में वापसी संभव नहीं है। ऐसा जनमानस के बीच संदेश जाने पर भाजपा को बड़ी जीत हासिल हो सकती है और उसी के अनुसार भाजपा आगे बढ़ रही है।
राज्य की विधानसभा की स्थिति पर गौर करें तो पता चलता है कि वर्तमान में कुल 29 स्थान रिक्त है, उनमें से 28 स्थानों पर उप-चुनाव हो रहे हैं। इस तरह राज्य में जिस भी दल के पास 115 विधायक होंगे, वही सरकार बना लेगा। भाजपा के पास 107 विधायक पहले से ही हैं, उसे पूर्ण बहुमत के लिए आठ विधायकों की जरुरत है। उसे चार निर्दलीय विधायकों ने अपना समर्थन पहले ही दे दिया है। वहीं सपा-बसपा के भी विधायक सरकार के साथ खड़े नजर आ रहे हैं। इस तरह भाजपा को एक विधायक की जरुरत है। बाहर से समर्थन देने वालों को अलग कर दिया जाए तो भाजपा को ज्यादा से ज्यादा आठ सीटों पर जीत जरूरी है। कांग्रेस के पास 87 विधायक हैं और उसे पूर्ण बहुमत के लिए 28 विधायकों की जरुरत है। इस तरह उसे उप-चुनाव में सभी स्थानों पर जीत जरुरी है। वहीं निर्दलीय और सपा-बसपा के विधायकों का समर्थन हासिल करने पर कांग्रेस को कम से कम 21 सीटें जीतना जरुरी है।
राजनीतिक विश्लेशक शिव अनुराग पटेरिया का कहना है कि राज्य के विधानसभा के उप-चुनाव में कांग्रेस के पक्ष में न तो माहौल है और न ही अंक गणित। भाजपा इस बात को मतदाता ही नहीं अपने दल के नेताओं के बीच भी स्थापित करना चाहती है। साथ ही दल बदल करने की सोच रहे नेताओं को भी साफ संदेश दिया जा रहा है। इसी रणनीति पर भाजपा काम कर रही है। यही कारण है कि कांग्रेस के नेता को जोड़ने में परहेज नहीं किया जा रहा है। आने वाले दिनों में कुछ और विधायक भाजपा में आ जाएं तो किसी को अचरज नहीं हेाना चाहिए। (आईएएनएस)
भोपाल, 25 अक्टूबर| मध्य प्रदेश में कांग्रेस को रविवार को एक और झटका लगा जब दमोह विधानसभा क्षेत्र के विधायक राहुल लोधी ने विधानसभा की सदस्यता से इस्तीफा दे दिया।
प्रोटेम स्पीकर रामेश्वर शर्मा ने रविवार को संवाददाताओं को बताया कि दमोह से विधायक राहुल लोधी ने दो दिन पहले इस्तीफा देने की बात कही थी, जिस पर उन्हें सोच विचार करने को कहा गया था, राहुल लोधी ने शनिवार को फिर अपना इस्तीफा देने की इच्छा जाहिर की। रविवार को नवरात्रि के नवमीं के दिन राहुल लोधी ने इस्तीफा दे दिया।
ज्ञात हो कि राज्य में तत्कालीन 22 विधायकों ने अपनी विधानसभा की सदस्यता से इस्तीफा देकर भाजपा का दामन थामा था, जिससे कमल नाथ की सरकार गिर गई थी। उसके बाद तीन और विधायकों ने इस्तीफा दिया और अब राहुल लोधी ने विधानसभा की सदस्यता से इस्तीफा दे दिया। (आईएएनएस)
पटना, 24 अक्टूबर| बिहार विधानसभा चुनाव के पहले चरण का मतदान 28 अक्टूबर को होना है, इससे चार दिन पहले शनिवार को राष्ट्रीय लोक समता पार्टी (रालोसपा) ने घोषणा पत्र जारी की। घोषणा पत्र को 'वचन पत्र' बताते हुए रालोसपा ने रोजगारों को रोजगार देने का वादा किया है। रालोसपा के प्रमुख और पूर्व केंद्रीय मंत्री उपेंद्र कुशवाहा द्वारा जारी घोषणा पत्र में 'उपेंद्र हैं, तो उम्मीद है' का नारा देते नौजवानों को रोजगार, विद्यार्थियों को अच्छी शिक्षा का वादा किया गया है।
उन्होंने नारा देते हुए कहा, 'न 15 साल वाली ये सरकार, न 15 साल वाली वो सरकार। अबकी बार शिक्षा और रोजगार वाली सरकार।'
रालोसपा के घोषणा पत्र में 25 सूत्री कार्यक्रम की रूपरेखा तैयार की गई है, जिसमें दवाई, कड़ाई, कमाई, सिंचाई, कार्रवाई, सुनवाई को सम्मिलित किया गया है। शहर में वार्ड क्लिनिक और गांवों में 2,000 की आबादी पर एक क्लिनिक खोलने का वादा किया गया है जबकि नवोदय विद्यालय की तर्ज पर सभी जिलों में स्कूल की स्थापना करने और मुफ्त शिक्षा देने का वादा किया गया है।
घोषणा पत्र में 'युवा आयोग' का गठन करने का वादा भी किया गया है। सम्राट अशोक, चंद्रगुप्त मौर्य और चाणक्य की प्रतिमा स्थापित करने का भी वादा लोगांे से किया गया है।
राष्ट्रीय लोक समता पार्टी ग्रैंड डेमोक्रेटिक सेक्युलर फ्रंट (जेडीएसएफ) के बैनर तले चुनाव लड़ रही है। इस मोर्चे में मायावती की पार्टी बसपा और असदुद्दीन ओवैसी की एआईएमआईएम के अलावा अन्य पार्टियां शामिल हैं। (आईएएनएस)
नवादा, 23 अक्टूबर| बिहार विधानसभा चुनाव में सत्ता तक पहुंचने के लिए सभी राजनीतिक दलों ने अपनी पूरी ताकत झोंक दी है। इसी क्रम में शुक्रवार को महागठबंधन के दो दिग्गज कांग्रेस के राहुल गांधी और राजद के तेजस्वी यादव एक मंच पर पहुंचे और विरोधियों पर जमकर निशाना साधा। नवादा के हिसुआ में एक चुनावी सभा को संबोधित करते हुए तेजस्वी ने कोरोना काल के दौरान मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के मुख्यमंत्री आवास से बाहर नहीं निकलने को लेकर आड़े हाथों लिया और करारा सियासी हमला बोला।
उन्होंने आरोप लगाया कि जब लोगों को उनकी जरूरत थी तब वे 'घर में कैद थे' और आज बाहर निकलकर वोट मांग रहे हैं। उन्होंने कहा कि जब प्रवासी मजदूर अन्य राज्यों से लौट रहे थे तब भी कोरोना काल था और आज भी कोरोना काल है। उस समय मुख्यमंत्री घर से नहीं निकले, लेकिन आज जब वोट मांगना हुआ तो रैली कर रहे हैं।
उन्होंने कहा, नीतीश कुमार 144 दिनों तक मुख्यमंत्री आवास में बंद थे। लेकिन अब वो घर से बाहर आ गए हैं, क्यों? तब भी कोरोना था, अब भी कोरोना है। लेकिन अब उनको आपका वोट चाहिए, तो उनको बाहर आना पड़ा है।
उन्होंने कहा कि प्रवासी मजदूरों को अब भी रोजगार नहीं मिला है। आम लोग अभी भी बेरोजगार हैं।
तेजस्वी ने भोजपुरी भाषा में लोगों में जोश भरते हुए कहा कि अगर वे सत्ता में आए तो पहली कैबिनेट की बैठक में 10 लाख लोगों को रोजगार देने के प्रस्ताव को मंजूर करेंगे।
उन्होंने कहा कि आज बजट की आधी राशि खर्च नहीं की जाती है, वह सब वापस लौट जाता है। उन्होंने कहा कि पर्यटन क्षेत्रों का विकास कर भी रोजगार दिया जाएगा।
इस रैली को कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी ने भी संबोधित किया और केंद्र और राज्य सरकार पर निशाना साधा। राहुल गांधी ने कृषि कानूनों को लेकर मोदी सरकार पर हमला बोलते हुए कहा कि ये कानून किसानों पर आक्रमण करने के लिए लाए गए हैं।
बिहार चुनाव में शुक्रवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी तीन रैली को संबोधित कर रहे हैं। (आईएएनएस)
लखनऊ, 23 अक्टूबर| उत्तर प्रदेश में राज्यसभा की दस सीटों के लिए सभी पार्टियों में जोर आजमाईश शुरू हो गयी है। भाजपा ने उम्मीदवारों के चयन के लिए मंथन तेज है। ऐसे में बहुजन समाज पार्टी द्वारा अपना उम्मीदवार उतारने के फैसले से निर्विरोध निर्वाचन की संभावना खत्म होती दिख रही है। पार्टी ने अपने नेशनल कोआर्डिनेटर रामजी गौतम को चुनाव मैदान में उतारने का फैसला लिया है। बसपा की इस चाल से भाजपा के नौ सदस्यों के जीतने की राह जहां कठिन होगी वहीं, सपा और कांग्रेस के सामने भी पशोपेश के हालत हो सकते हैं।
दरअसल, विधायकों की संख्या के आधार पर होने वाले इस चुनाव में भाजपा के आठ व सपा के एक सदस्य की जीत तय है। भाजपा का एक और सदस्य तब ही जीत सकता है जब विपक्ष साझा प्रत्याशी न खड़ा करे। न बसपा और न ही कांग्रेस खुद के दम पर अपना प्रत्याशी जिता सकती है। विधानसभा में मौजूदा सदस्य संख्या के आधार पर जीत के लिए किसी भी प्रत्याशी को 36 वोटों की आवश्यकता होगी। भाजपा ने अभी अपने पत्ते नहीं खोले हैं, लेकिन उसके आठ उम्मीदवारों की जीत तय है। बसपा द्वारा उम्मीदवार उतारने का फैसला किए जाने से ऊहापोह की स्थिति बन गई है।
समाजवादी पार्टी ने अपना एक उम्मीदवार प्रो. रामगोपाल यादव का नामांकन कराकर स्पष्ट कर दिया कि उसके पास दस वोट अतिरिक्त होने के बावजूद वह किसी और को खड़ाकर करने का संकेत नहीं दे रही है। सपा द्वारा केवल उम्मीदवार खड़ा करने से भाजपा को निर्विरोध निर्वाचन की आश थी। भाजपा को भरोसा था कि पर्याप्त वोट न मिलने से विपक्षी दलों की एकता को झटका लगेगा। ऐसे में भाजपा अपने 9 सदस्यों को राज्यसभा की दहलीज तक पहुंचाने में कामयाब हो जाएगी। ऐसी स्थिति में बसपा की प्रमुख मायावती पार्टी के नेशनल कोआर्डिनेटर रामजी गौतम को चुनाव लड़ाकर एक तीर से कई निशाना साधना चाह रही हैं।
बसपा विधानमंडल दल के नेता लालजी वर्मा ने बताया कि पार्टी ने बिहार के प्रभारी रामजी गौतम को अपना प्रत्याशी बनाया है। 26 अक्टूबर को उनका नामांकन किया जाएगा। विधानसभा में बसपा के पास 18 विधायक हैं। पार्टी को एक सीट निकालने के लिए करीब 39 प्रतिशत मतों की जरूरत होगी। इससे साफ है कि उसे दूसरे दलों से सहयोग लेना पड़ेगा।
गौरतलब है कि बहुजन समाज पार्टी के विधायकों की संख्या वैसे तो 18 ही हैं, लेकिन इनमें भी मुख्तार अंसारी, अनिल सिंह सहित दो-तीन और के वोट उसे मिलने की उम्मीद नहीं है। फिर भी मायावती प्रत्याशी उतारकर, भाजपा के नौवें उम्मीदवार के निर्विरोध निर्वाचित होने की संभावना को खत्म कर बड़ा संदेश देना चाह रही हैं। बसपा नेताओं का कहना है कि मायावती के इस फैसले से कांग्रेस, सपा व अन्य विपक्षी दलों द्वारा पार्टी को भाजपा की बी-टीम के रूप में प्रचार करने पर खुद-ब-खुद ब्रेक भी लग जाएगा।
दूसरी तरफ अगर बसपा प्रत्याशी को सपा व कांग्रेस समर्थन नहीं देंगी तो पार्टी को पलटवार करने का मौका मिलेगा। बसपा प्रत्याशी के हारने की स्थिति में पार्टी नेताओं द्वारा जनता के बीच यह सवाल उठाया ही जाएगा कि आखिर भाजपा का मददगार कौन है। वैसे सूत्रों का कहना है कि भाजपा को हराने के लिए सपा, कांग्रेस के साथ ही सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी के अलावा कई निर्दलीय का भी बसपा को समर्थन मिल सकता है। बसपा की नजर भाजपा के असंतुष्टों पर भी है। (आईएएनएस)
मनोज पाठक
पटना, 23 अक्टूबर| ऐसे तो आम तौर पर किसी भी चुनाव के पहले राजनीतिक दलों द्वारा वादों की झड़ी लगाई जाती रही है, लेकिन बिहार में इस साल हो रहे विधानसभा चुनाव में राजनीतिक दल नौकरियों की बारिश कर रहे हैं। अगर सच में राजनीतिक दल इतनी नौकरियां उपलब्ध करा दें तो बिहार में पलायन की समस्या ही दूर हो जाए।
वैसे, सबसे मजेदार बात है कि पिछले 30 साल से बिहार में राष्ट्रीय जनता दल (राजद), कांग्रेस, जनता दल युनाइटेड और भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) सत्ता में रही है, लेकिन आज भी यहां के युवाओं को शिक्षा या नौकरी के लिए अन्य राज्यों में पलायन करना पड़ता है।
इस चुनाव में यही राजनीतिक दल अपने-अपने घोषणा पत्र में नौकरी और रोजगार की झड़ी लगाकर, युवाओं को आकर्षित करने में जुड़े हैं। हालांकि इस दौरान सभी राजनीतिक दल 'खुद की कमीज दूसरों से सफेद' बताने को लेकर एक-दूसरे की आलोचना करते हुए सवाल भी उठा रहे हैं।
महागठबंधन में शामिल होकर साथ में चुनाव मैदान में उतरे राजद और कांग्रेस ने जहां बिहार के 10-10 लाख युवाओं को नौकरी देने का वादा किया है वहीं, भाजपा ने 19 लाख युवाओं को रोजगार देने का वादा अपने घोषणा पत्र में किया है।
भाजपा की नेता और केन्द्रीय मंत्री निर्मला सीतारमण ने गुरुवार को पटना में भाजपा के '5 सूत्र, एक लक्ष्य, 11 संकल्प' के विजन डाक्यूमेंट को जारी किया। इस घोषणा पत्र में बीजेपी ने 19 लाख युवाओं को रोजगार देने का वादा किया है।
भाजपा ने अपने घोषणापत्र में वादा किया है कि एक हजार नए किसान उत्पाद संघों को आपस में जोड़कर राज्यभर के विशेष सफल उत्पाद जैसे- मक्का, फल, सब्जी, चूड़ा, मखाना, पान, मशाला, शहद, मेंथा, औषधीय पौधों के लिए सप्लाई चेन विकसित करेंगे जिससे 10 लाख रोजगार के अवसर उपलब्ध होंगे। इसके अलावा स्वास्थ और शिक्षा क्षेत्रों में भी रोजगार देने का वादा किया गया है।
इससे पहले काग्रेंस ने बुधवार को अपना घोषणा पत्र जारी किया था। कांग्रेस के इस घोषणा पत्र में 10 लाख युवाओं को रोजगार और जिन लोगों को रोजगार नहीं मिलेगा, उन्हें 1500 रुपये मासिक बेरोजगारी भत्ता देने का वादा किया गया है।
इधर, जदयू ने भी कौशल विकास कर लोगों को रोजगार देने का वादा किया है।
इधर, राजद नेता तेजस्वी यादव ने पार्टी का घोषणा पत्र जारी करते हुए संकल्प लिया है कि उनकी सरकार बनते ही पहली कैबिनेट में युवाओं को 10 लाख रोजगार देने पर मुहर लगेगी। इस मामले को वे सभी चुनावी सभाओं में जिक्र भी कर रहे हैं।
तेजस्वी के रोजगार देने के वादे को लेकर मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और उपमुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी ने सवाल उठाए कि आखिर इतना पैसा कहां से आएगा।
सुषील मोदी ने कहा, यदि वास्तव में दस लाख लोगों को सरकारी नौकरी दी जाए तो राज्य के खजाने पर 58,415.06 करोड़ रुपये का अतिरिक्त बोझ पड़ेगा। इसके अलावा पूर्व से कार्यरत 12 लाख से ज्यादा कर्मियों के वेतन मद में होने वाले खर्च 52,734 करोड़ को इसमें जोड़ लें तो यह राशि 1,11,189.06 करोड़ होती है।
उन्होंने राजद के वादे को ढपोरशंखी तक बता दिया।
इधर, भाजपा के घोषणा पत्र में 19 लाख रोजगार देने को लेकर राजद नेता तेजस्वी यादव ने सवाल उठाए हैं। उन्होंने कहा कि राजद के 10 लाख नौकरियों पर सवाल उठाने वाले अब 19 लाख लोगों को रोजगार देने की बात कर रहे हैं। उन्होंने इसे छलावा बताते हुए कहा कि हमारे निर्णय के बाद इन्हें रोजगार देने की चिंता सता रही है।
इधर, सुशील मोदी कहते हैं, भााजपा और दूसरे दलों में यही फर्क है कि दूसरे जहां तारे तोड़ लाने जैसे वादे कर केवल सत्ता हथियाना चाहते हैं, वहां भाजपा सिर्फ वही बात करती है, जिसे जमीन पर लागू किया जा सके।
उन्होंने आगे कहा, हम कोरा वादा नहीं, सेवा का संकल्प करते हैं, इसलिए घोषणा पत्र में 19 लाख लोगों को रोजगार देने का निश्चय किया है। हमने इसका ब्योरा भी दिया है कि ये अवसर लोगों को कैसे दिलाएंगे।
बहरहाल, इस चुनाव में नौकरियों की बारिश हो रही है, अब देखने वाली बात है किस राजनीतिक दल के वादों पर लोग ज्यादा विश्वास करते हैं और उन्हें सत्ता तक पहुंचाते हैं। (आईएएनएस)
पटना, 22 अक्टूबर| राष्ट्रीय जनता दल (राजद) के अध्यक्ष लालू प्रसाद भले ही चारा घोटाला के मामले में सजा काट रहे हों, लेकिन अपने ट्विटर हैंडल से वे बिहार विधानसभा चुनाव में लगातार अपनी उपस्थिति दर्ज करा रहे हैं। लालू के ट्विटर हैंडल से लगातार विरोधियों पर निशाना साधा जा रहा है। इसी क्रम में गुरुवार को लालू के ट्विटर हैंडल से किए गए ट्वीट से बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को मुख्य 'मौका' मंत्री और उप मुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी को उप मुख्य 'धोखा' मंत्री बताया गया है।
लालू के ट्विटर हैंडल से एक कार्टून भी पोस्ट किया गया है, जिसमें नीतीश, सुशील मोदी को मौका मांगते दिखाया गया है, जबकि जनता उनसे कितना मौका देने की बात कह रही है।
लालू ने कार्टून के साथ ट्वीट करते हुए लिखा, ''मुख्य-मौका मंत्री जी और उप मुख्य-धोखा मंत्री जी, जनता ने बहुत दिया आपको मौका और आप ने दिया जनता को धोखा।''
उल्लेखनीय है कि लालू ट्विटर के जरिए लगातार विरोधियों पर निशाना साध रही है। लालू चारा घोटाला के मामले में जेल में बंद हैं। फिलहाल स्वास्थ्य कारणों से वे रांची के रिम्स में भर्ती हैं। (आईएएनएस)