राजनीति
मुंबई, 6 दिसंबर | शिरोमणि अकाली दल के एक प्रतिनिधिमंडल ने रविवार को महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे और अन्य नेताओं से मुलाकात की, और मौजूदा किसान आंदोलन के लिए समर्थन मांगा।
पूर्व सांसद और एसएडी के महासचिव प्रेम सिंह चंदूमाजरा के नेतृत्व में, अकाली प्रतिनिधिमंडल ने नए कृषि कानूनों, दिल्ली की सीमाओं पर किसान आंदोलन के बारे में बातचीत की।
उन्होंने ठाकरे से आग्रह किया कि भविष्य की रणनीति तैयार करने के लिए एक पखवाड़े के भीतर नई दिल्ली में देश भर के प्रमुख विपक्षी और क्षेत्रीय दलों की बैठक में शामिल हों।
ठाकरे ने आश्वासन दिया कि वह बैठक में शामिल होंगे और किसानों के कृषि कानूनों के विरोध में सभी कार्यक्रमों में पूरा समर्थन देंगे।
प्रतिनिधिमंडल के एक सदस्य ने कहा, "महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री ने कहा है कि वह किसानों के आंदोलन का समर्थन करेंगे और दिल्ली में भी कुछ हफ्ते बाद आयोजित होने वाले बैठक में भाग लेंगे।"
केंद्र सरकार की निंदा करते हुए शिवसेना के सत्तारूढ़ सहयोगी राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी के अध्यक्ष शरद पवार ने कहा कि जब कृषि विधेयक सितंबर में संसद में पारित हो रहा था, तो विपक्षी दलों ने केंद्र सरकार से आग्रह किया था कि इसमें जल्दबाजी न करें। पवार 9 दिसंबर की शाम को राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद से मुलाकात करने वाले हैं।
प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष और राजस्व मंत्री बालासाहेब थोराट ने कहा, "हम केंद्र सरकार के खिलाफ न्याय के लिए इस करो या मरो की लड़ाई में पूरी तरह से किसानों के साथ हैं।"
शिवसेना के किसान चेहरे किशोर तिवारी ने कथित रूप से चल रहे किसानों के आंदोलन को कुचलने की कोशिश के लिए केंद्र पर निशाना साधा और चेतावनी देते हुए कहा कि इन अप्रिय कृषि कानूनों को रद्द करने के अलावा कोई विकल्प नहीं बचा है।
कांग्रेस सहित कई क्षेत्रीय और राष्ट्रीय विपक्षी दल नए कृषि कानूनों को रद्द करवाने के लिए विभिन्न किसान संगठनों द्वारा बुलाए गए 'भारत बंद' को समर्थन देने की घोषणा पहले ही कर चुके हैं। (आईएएनएस)
भोपाल, 6 दिसंबर | केंद्र सरकार के तीन कृषि कानूनों के खिलाफ चल रहे देशव्यापी किसान आंदोलन के समर्थन में एकता परिषद ने युवाओं से एक दिन के अन्नत्याग का आह्वान किया है। इसी क्रम में मध्यप्रदेश की राजधानी भोपाल में युवाओं का समूह भी सोमवार को एक दिन का अन्नत्याग करेगा। एकता परिषद के राष्ट्रीय संयोजक अनीष कुमार ने बताया कि सात दिसंबर को गांधी भवन में सुबह सात बजे से उपवास किया जाएगा। साढ़े 10 बजे सर्वधर्म प्रार्थना होगी। दोपहर 12 बजे से किसान सत्याग्रह पर एक विचार सत्र का आयोजन होगा। दो बजे से युवा सांस्कृतिक प्रस्तुति देंगे और शाम सात बजे उपवास का समापन किया जाएगा।
पंजाब सहित कई राज्यों के किसान बीते 10 दिनों से दिल्ली के करीब डेरा डाले हुए हैं। किसान बीते चार महीने से आंदोलन कर रहे हैं, सरकार ने जब उनकी बात नहीं सुनी, तो उन्होंने दिल्ली के करीब डेरा डाला है। किसान चाहते हैं कि तीनों कृषि कानूनों को वापस लिया जाए और उन्हें फसल के न्यूनतम समर्थन मूल्य की लिखित गारंटी दी जाए। (आईएएनएस)
नई दिल्ली, 6 दिसंबर | इस वर्ष 9 दिसंबर को द इंडस एंटरप्रेन्योर्स (टीआईई) ग्लोबल समिट में शामिल होने के लिए दिल्ली को आमंत्रित किया गया है। इंडस एंटरप्रेन्योर ग्लोबल समिट विश्व के नेताओं, उद्यमियों, निवेशकों और मेंटर्स का महत्वपूर्ण और अंतर्राष्ट्रीय आयोजन है। मैगसेसे पुरस्कार विजेता मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल इस अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन में दिल्ली का प्रतिनिधित्व करेंगे। दिल्ली सरकार ने इस निमंत्रण को स्वीकार किया है। दिल्ली के मुख्यमंत्री समिट में एक व्यापक ढांचे के निर्माण और इसे एक वैश्विक स्टार्ट-अप डेस्टिनेशन में बदलने को लेकर दिल्ली के प्रयासों को साझा करेंगे।
मुख्यमंत्री कार्यालय ने आधिकारिक जानकारी साझा करते हुए कहा, "दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल भारत के एकमात्र मुख्यमंत्री हैं, जो इस शिखर सम्मेलन में उद्योग जगत के कई दिग्गजों, विश्व के नेताओं और नोबेल पुरस्कार विजेताओं के साथ बात करेंगे। केजरीवाल बताएंगे कि दिल्ली सरकार अपने स्कूलों में एंटरप्रेन्योरशिप मानसिकता पाठ्यक्रम से लेकर प्रोग्रेसिव स्टार्ट-अप पॉलिसी तक दिल्ली को स्टार्ट-अप्स के लिए ग्लोबल डेस्टिनेशन बनाने के लिए आगे रही है।"
इंडस एंटरप्रेन्योर (टीआईई) ग्लोबल समिट विश्व के नेताओं, उद्यमियों, निवेशकों और मेंटर्स का एक वर्चुअल सम्मेलन है। इस शिखर सम्मेलन को सरकारी एजेंसियों, एंजेल इन्वेस्टर्स, वेंचर कैपिटलिस्ट, पीईएस, ग्लोबल इंडस्ट्री लीडर्स, ग्लोबल वेल्थ एंटरप्रेन्योर्स, थॉट लीडर्स, एकेडमिक्स, नोबेल पुरस्कार विजेताओं, नीति निर्माताओं और वैश्विक चैप्टर के टीआईई सदस्यों द्वारा संबोधित किया जाएगा और वे इसमें भाग लेंगे।
इस शिखर सम्मेलन में सीएम अरविंद केजरीवाल दिल्ली को वैश्विक स्टार्टअप डेस्टिनेशन में बदलने के लिए उठाए जाने वाले विभिन्न कदमों के बारे में बात करेंगे। इसमें एक प्रगतिशील स्टार्ट-अप पॉलिसी शुरू करने से लेकर उच्च तकनीक और सेवा उद्योग के लिए सस्ती बुनियादी सुविधाओं तक पहुंच प्रदान करना और उच्च गुणवत्ता वाले कुशल श्रमशक्ति प्रदान करना शामिल है। साथ ही, स्कूली शिक्षा से ही उद्यमशीलता की मानसिकता को पूरा करने और निर्माण पर ध्यान केंद्रित करने के माध्यमों पर भी अपनी बात रखेंगे। (आईएएनएस)
जयपुर, 5 दिसंबर | राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने शनिवार को आरोप लगाया कि भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) एक बार फिर से राज्य में उनकी सरकार गिराने की कोशिश कर रही है। गहलोत ने कहा कि इस साल की शुरुआत में राजनीतिक संकट के दौरान केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने राज्य के बागी विधायकों से मुलाकात की थी।
गहलोत ने कहा कि केंद्रीय गृहमंत्री शाह ने बागी विधायकों से मुलाकात की और उन्हें बताया कि उन्होंने पांच सरकारों को तो गिरा दिया है और जल्द ही छठी सरकार को भी गिरा देंगे।
सिरोही जिले में कांग्रेस पार्टी के कार्यालय का उद्घाटन करते हुए गहलोत ने यह प्रतिक्रिया दी। गहलोत की सरकार पर जुलाई में उस वक्त खतरा उत्पन्न हो गया था, जब सचिन पायलट की अगुवाई में कांग्रेस के एक बागी गुट ने सरकार से अलग होने की चेतावनी दी थी। गहलोत ने कहा कि बैठकों में शामिल विधायकों ने उन्हें सारी जानकारी दी थी।
राजस्थान के मुख्यमंत्री ने कहा, "उन्होंने राजस्थान की सरकार को गिराने की कोशिश की। अमित शाह और धर्मेंद्र प्रधान से मिलने के बाद विधायकों ने उन्हें बताया कि वे शाह को केंद्र के गृहमंत्री के तौर पर देखकर लज्जित हैं।"
गहलोत ने कहा, "विधायकों से कहा गया था कि पहले भी पांच सरकारें वे गिरा चुके हैं और यह छठी सरकार होगी, जो गिरेगी। भाजपा इसी तरह साजिशें करती रही है।"
गहलोत ने कहा कि इस घटनाक्रम के दौरान कांग्रेस नेता अजय माकन, रणदीप सुरजेवाला, अविनाश पांडे यहां आकर बैठ गए। इन सभी ने नेताओं को बर्खास्त करने का फैसला किया, तब जाकर सरकार बची।
गौरतलब है कि कुछ महीने पहले ही अशोक गहलोत की सरकार गिरते-गिरते बची थी, जब उप-मुख्यमंत्री सचिन पायलट अपने खेमे के विधायकों के साथ बागी हो गए थे। हालांकि बहुमत परीक्षण से पहले कांग्रेस नेतृत्व ने किसी तरह पायलट को मना लिया था। (आईएएनएस)
लखनऊ, 5 दिसम्बर | भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) आगामी पंचायत चुनावों को लेकर अपनी जमीन मजबूत करने में लग गई है। पंचायत चुनाव में पार्टी की विजय सुनिश्चित करने के लिए आज राष्ट्रीय उपाध्यक्ष व प्रदेश प्रभारी राधा मोहन सिंह ने प्रदेश अध्यक्ष स्वतंत्र देव सिंह की अध्यक्षता में पंचायत चुनाव से जुड़े पार्टी पदाधिकारियों के साथ मंथन किया। इस दौरान प्रदेश महामंत्री संगठन सुनील बसंल भी मौजूद रहे। राधा मोहन सिंह ने पार्टी द्वारा पंचायत चुनाव को लेकर बनाई गई कार्ययोजना पर चर्चा की। उन्होंने कहा कि पंचायत चुनाव से जुड़े सभी पार्टी पदाधिकारी योजनापूर्वक प्रवास कर स्थानीय स्तर पर राजनैतिक व सामाजिक स्थिति का आकलन करें।
उन्होंने कहा कि पंचायत चुनाव में पार्टी के मोचरें, प्रकोष्ठों के कार्यकर्ता भी अपनी सक्रिय भागीदारी का निर्वहन करें। सिंह ने समाज के गणमान्यजनों व सभी जातिवर्ग के लोगों से सम्पर्क व संवाद पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री के नेतृत्व में गांव, गरीब, किसान के कल्याण के लिए पिछले छह वर्षों में किये गए कार्यों और मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व में राज्य की भाजपा सरकार द्वारा किसानों के हितों को ध्यान में रखकर लागू की गई योजनाओं और कार्यकर्ताओंके परिश्रम से पार्टी पंचायत चुनाव में भी अभूतपूर्व सफलता हासिल करेगी।
प्रदेश भाजपा अध्यक्ष स्वतंत्र देव सिंह ने कहा कि पंचायत चुनाव में पार्टी की जीत सुनिश्चित करने के लिए सभी कार्यकर्ता पार्टी की योजनानुसार अपनी सक्रिय भागीदारी सुनिश्चित करें। उन्होंने कहा कि कार्यकर्ता हर बूथ पर जीत का लक्ष्य लेकर केंद्र व राज्य सरकार की उपलब्धियां लेकर गांव-गांव घर-घर में दस्तक देकर पार्टी की विजय का मार्ग प्रशस्त करें।
प्रदेश महामंत्री (संगठन) सुनील बंसल ने पंचायत चुनाव को लेकर अबतक हुई तैयारियों पर चर्चा की। प्रदेश उपाध्यक्ष व पंचायत चुनाव प्रभारी विजय बहादुर पाठक ने बैठक में पंचायत चुनाव को लेकर अबतक हुए कार्यों का लेखा-जोखा प्रस्तुत किया। (आईएएनएस)
नई दिल्ली, 5 दिसंबर | विज्ञान भवन में शनिवार को किसान नेताओं के साथ मोदी सरकार के तीन मंत्रियों की हुई पांचवें राउंड की मीटिंग पहले से अलग रही। इस बार गरमागरम माहौल में बैठक हुई। मोदी सरकार के तीनों मंत्रियों नरेंद्र सिंह तोमर, पीयूष गोयल और सोम प्रकाश का मिजाज भले ही नरम रहा हो, लेकिन किसान नेता मांगों को लेकर मुखर रहे। यहां तक कि बात न बनने पर किसान नेताओं ने विज्ञान भवन से बाहर जाने की बात कह दी। किसान नेताओं की बायकाट की चेतावनी पर मीटिंग बाधित हुई। पूरे पांच घंटे चली मीटिंग में कई मौके ऐसे आए, जब बातचीत पटरी से उतरती दिखी। हालांकि, मंत्रियों ने मामले को संभाल लिया।
विज्ञान भवन में दोपहर दो बजे से पांचवें राउंड की बैठक शुरू हुई। करीब ढाई घंटे बाद लंच ब्रेक हुआ। किसानों ने फिर से सरकारी खाना ठुकराते हुए अपना खाना मंगाकर फर्श पर बैठकर खाया। लंच के बाद जब फिर से दूसरे दौर की बैठक शुरू हुई तो किसानों ने यस-नो का प्लेकार्ड लहराना शुरू कर दिया। किसान नेताओं ने मंत्रियों से कहा, "सरकार कानून वापस लेगी या नहीं, यस या नो में जवाब दीजिए।" जब मंत्रियों ने स्पष्ट कुछ भी कहने से इनकार कर दिया तो सभी 40 किसान नेता, होठों पर अंगुली रखकर मौन हो गए। आधे घंटे तक किसान नेताओं ने एक शब्द नहीं बोला और सिर्फ यस-नो में जवाब मांगने वाले प्ले कार्ड मीटिंग में लहराते दिखे। इससे परेशान हुए तीनों मंत्रियों ने किसानों को समझाते हुए कहा, "बिना वार्ता के कैसे गतिरोध दूर हो सकता है? आप लोग बातचीत में सहयोग करें, जिससे कोई हल निकल सके।"
इस दौरान किसान नेताओं ने कहा कि सरकार बार-बार बैठकों की तारीख देकर मामले को टाल रही है। तीनों कानूनों को वापस लेने की मांग मानने की जगह सरकार टालमटोल कर रही है। अगर बैठक में स्पष्ट आश्वासन नहीं मिलता तो फिर सभी किसान नेता बायकाट कर देंगे। इस पर कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर, वाणिज्य मंत्री पीयूष गोयल ने कहा कि बैठक के बहिष्कार से कोई हल नहीं निकलने वाला है। जो कुछ गलतफहमियां रह गई हैं, उन्हें नौ दिसंबर की बैठक में चर्चा कर सुलझाने की कोशिश होगी। मंत्रियों ने आठ दिसंबर को भारत बंद की अपील वापस लेने की अपील की, लेकिन किसान नेताओं ने स्पष्ट मना कर दिया। उनका कहना था कि जब तक सरकार तीनों कानून वापस नहीं लेगी, आंदोलन जारी रहेगा। (आईएएनएस)
नई दिल्ली, 5 दिसंबर | किसान नेताओं के साथ शनिवार को यहां विज्ञान भवन में हुई पांचवें दौर की बैठक में कृषि और किसान कल्याण मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने कहा कि मोदी सरकार किसानों की सभी शंकाओं का समाधान करेगी। एमएसपी पर कोई खतरा नहीं है। एग्रीकल्चर प्रोड्यूस मार्केटिंग ऐक्ट (एपीएमसी) राज्य का विषय है। राज्य की मंडियों को केंद्र सरकार किसी तरह से प्रभावित नहीं होने देगी। करीब पांच घंटे तक चली बैठक में तीनों कानूनों के सभी प्रावधानों पर चर्चा हुई। कृषि और किसान कल्याण मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर, वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री पीयूष गोयल तथा राज्य मंत्री सोम प्रकाश के साथ किसान संगठनों के प्रतिनिधियों की 5वें दौर की बैठक के बाद सरकार को उम्मीद है कि नौ दिसंबर को होने वाली बैठक में कुछ न कुछ हल निकल सकता है। बैठख में सरकार की ओर से कहा गया कि किसानों की सभी शंकाओं का समाधान किया जाएगा। इसके लिए किसान संगठनों से एक-दो दिन में अपने सुझावों को उपलब्ध कराने को कहा गया। मंत्रियों ने बैठक के दौरान सर्दी और कोविड का हवाला देते हुए किसान नेताओं से आंदोलन खत्म करने और बुजुर्गों-बच्चों को तुरंत घर भेजने की अपील की।
केंद्रीय मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने कहा कि एमएसपी जारी रहेगी, इस पर कोई खतरा नहीं है, इसलिए किसी प्रकार की शंका करना बेबुनियाद है, फिर भी किसी के मन में कोई शंका है तो सरकार समाधान करने को पूरी तरह तैयार है। एपीएमसी राज्य का विषय है, केंद्र सरकार राज्यों की मंडियों को किसी भी प्रकार से प्रभावित नहीं करेगी। एपीएमसी के बारे में भी कोई गलतफहमी हो तो उसका समाधान करने को केंद्र सरकार पूरी तरह तत्पर है। सरकार नौ दिसंबर को होने वाली बैठक में एक बार फिर सभी शंकाओं को दूर करेगी।
कृषि मंत्री तोमर ने कहा है कि किसान संगठनों द्वारा बताए जाने वाले सभी पहलुओं पर विचार होगा। प्रधानमंत्री मोदी की सरकार किसानों के हितों के प्रति पूरी तरह प्रतिबद्ध थी, है और रहेगी। प्रधानमंत्री मोदी के 6 साल के कार्यकाल में आमूलचूल परिवर्तन किया गया है, जिससे किसानों की आय बढ़ी है, किसान हितैषी योजनाएं बढ़ी हैं, कृषि एवं किसान कल्याण का बजट बढ़ा है, किसानों की कृषि उपज की सरकारी खरीद बढ़ी है। किसान महंगी फसलों की ओर आकर्षित हो सके व उनकी समृद्धता बढ़े, इस दिशा में ऐतिहासिक काम किया गया है।
उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि स्कीम के तहत एक साल में 75 हजार करोड़ रूपए सीधे किसानों के खाते में जाते हैं। अभी तक इस स्कीम में किसानों को 1 लाख करोड़ भेजे गए है, वहीं 1 लाख करोड़ रुपये का कृषि इंफ्रास्ट्रक्च र फंड भी लाया गया है। कृषि मंत्री तोमर ने अभी तक अनुशासित माहौल में आंदोलन चलाने के लिए किसान संगठनों का धन्यवाद दिया। (आईएएनएस)
पणजी, 5 दिसम्बर | गोवा में राज्य निर्वाचन आयोग यहां जिला पंचायत के चुनावों के लिए बिहार में हाल ही में संपन्न हुए विधानसभा के चुनावों के लिए अपनाए गए चुनाव आयोग के कोविड-19 के मानकों की कॉपी करेगा। शनिवार को एक शीर्ष अधिकारी ने कहा कि 12 दिसंबर को ये चुनाव होने हैं। इनकी गिनती 14 दिसंबर को होगी।
राज्य चुनाव आयुक्त चोखा राम गर्ग ने पणजी में आयोजित एक संवाददाता सम्मेलन में कहा कि मतदान के आखिरी चरणों में कोविड-19 पॉजिटिव मरीजों को भी मतदान करने की अनुमति दी जाएगी।
राज्य के 48 जिला पंचायत निर्वाचन क्षेत्रों में 7,91,814 मतदाता मतदान करने के योग्य हैं।
गर्ग ने कहा, "हम केंद्रीय स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय द्वारा निर्धारित मानक संचालन प्रक्रियाओं का पालन करेंगे। देश के चुनाव आयोग ने बिहार में हाल ही में चुनाव कराए हैं। हम उन्हीं नियमों को अपनाएंगे।" (आईएएनएस)
पटना, 5 दिसंबर | बिहार की परिवहन मंत्री शीला मंडल ने स्वतंत्रता सेनानी बाबू वीर कुंवर सिंह के बारे में अपने विवादित बयान के लिए माफी मांग ली है। उन्होने कहा था कि स्वतंत्रता संग्राम के दौरान वीर कुंवर सिंह का हाथ कट जाने के बाद वह प्रसिद्ध हो गये थे।
मंडल ने गुरुवार शाम को सीतामढ़ी जिले के मथुरापुर गांव में एक कार्यक्रम में कहा था, "आज बिहार में भोजपुर जिले के वीर कुंवर सिंह का नाम हर कोई जानता है। स्वतंत्रता संग्राम में उनका हाथ कट जाने के बाद ही वे प्रसिद्ध हुए। "
शीला मंडल ने कहा, "स्वतंत्रता सेनानी राम फल मंडल के परिवार के सदस्यों से मिलने के दौरान मुझे हर बार दर्द होता है। वह सम्मान के हकदार थे, लेकिन दुर्भाग्य से उन्हें यह अब तक नहीं मिला।"
सूत्रों ने बताया कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार वीर कुंवर सिंह के बारे में मंडल की टिप्पणी से नाराज थे। (आईएएनएस)
पटना, 5 दिसंबर | दिल्ली के आसपास केंद्र सरकार द्वारा हाल में बनाए गए कृषि कानूनों के विरोध में होने वाले किसान आंदोलन के समर्थन में शनिवार को बिहार के विपक्षी दलों को बिना अनुमति के पटना के गांधी मैदान में प्रदर्शन करना महंगा पड़ गया। बिना अनुमति के प्रदर्शन करने को लेकर राष्ट्रीय जनता दल (राजद) के नेता तेजस्वी यादव सहित 19 लोगों सहित कई अज्ञात लोगों के खिलाफ पटना के गांधी मैदान थाना में एक प्राथमिकी दर्ज कराई गई है।
पुलिस के एक अधिकारी ने शनिवार को बताया कि दंडाधिकारी राजीव दत्त वर्मा के लिखित बयान के आधार पर गांधी मैदान में दर्ज प्राथमिकी में विधानसभा में विपक्ष के नेता तेजस्वी यादव, पूर्व मंत्री श्याम रजक, रमई राम, कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष मदन मोहन झा सहित 19 लोगों को नामजद तथा कई अज्ञात लोगों को आरोपी बनाया गया है।
गांधी मैदान के थाना प्रभारी रंजीत वत्स ने आईएएनएस को बताया कि, "इन सभी लोगों पर भादवि की धारा 188, 145, 269, 279 और 3 एपीडेमिक डिजीज एक्ट के तहत प्राथमिकी दर्ज की गई है। पुलिस पूरे मामले की जांच कर रही है।
इससे पहले राजद की ओर से शनिवार को पटना के गांधी मैदान में महात्मा गांधी की प्रतिमा के पास धरना कार्यक्रम का आयोजन किया जाना था। कार्यकर्ताओं के पहुंचने के बाद जिला प्रशासन ने कार्यकर्ताओं को बाहर निकालकर गांधी मैदान सील कर दिया, जिससे राजद के कार्यकर्ता आक्रोशित हो गए। जिला प्रशासन का कहना है कि गांधी मैदान धरना स्थल नहीं है।
इसके बाद राजद के आक्रोशित कार्यकर्ता गांधी मैदान के गेट नंबर 4 के पास धरने पर बैठ गए। प्रशासन ने गांधी मैदान का छोटा गेट खोल दिया, जिसके बाद तेजस्वी यादव सहित कई नेता महात्मा गांधी की प्रतिमा के पास पहुंचे और किसान आंदोलन में साथ रहने का संकल्प लिया। (आईएएनएस)
जम्मू, 5 दिसंबर | राज्य चुनाव आयुक्त (एसईसी) के.के. शर्मा ने शनिवार को जानकारी दी कि शुक्रवार को जम्मू एवं कश्मीर में पंच और सरपंच की खाली सीटों पर हुए उप-चुनाव 2020 के तीसरे चरण में क्रमश: 61.1 प्रतिशत और 49.25 प्रतिशत मतदान हुआ। एसईसी ने बताया कि तीसरे चरण में 327 निर्वाचन क्षेत्रों में पंच की रिक्त सीटों के लिए उपचुनाव हुए।
पंच उपचुनावों के तीसरे चरण में कुल 52118 मतदाताओं में से 31844 ने मताधिकार का उपयोग किया, जिनमें 16600 पुरुष और 15244 महिलाएं शामिल रहीं। मतदान सुबह सात बजे शुरू हुआ और दोपहर दो बजे खत्म हुआ।
शर्मा ने बताया कि पंच उपचुनावों के तीसरे चरण के दौरान जम्मू संभाग में 79.47 प्रतिशत और कश्मीर संभाग में 59.63 प्रतिशत मतदान हुआ।
वहीं अगर रिक्त सरपंच निर्वाचन क्षेत्रों की बात की जाए तो 66 निर्वाचन क्षेत्रों में तीसरे चरण के दौरान 49.25 फीसदी मतदान दर्ज किया गया। इनमें से कुल 80913 में से 39852 मतदाताओं ने अपने मताधिकार का उपयोग किया। इनमें 21307 पुरुष और 18545 महिलाएं शामिल रहीं।
इसके अलावा, जम्मू संभाग में 74.74 प्रतिशत मतदान हुआ, वहीं कश्मीर संभाग में 42.57 प्रतिशत मतदान हुआ।
जम्मू संभाग में किश्तवाड़ जिले में पंच उपचुनावों के लिए सबसे अधिक 89.55 प्रतिशत मतदान दर्ज किया गया। इसके बाद राजौरी में 88.29 प्रतिशत और रामबन में 86.10 प्रतिशत मतदान हुआ।
इसी तरह से कश्मीर संभाग के कुलगाम जिले में सबसे अधिक 77.11 प्रतिशत मतदान दर्ज किया गया। इसके बाद बड़गाम में 74.21 प्रतिशत और बांदीपोरा में 64.88 प्रतिशत मतदान हुआ। (आईएएनएस)
दिल्ली, 04 दिसम्बर | रजनीकांत की राजनीति में रूचि के बारे में तमिलनाडु के लोगों को पहली बार साल 1996 में पता चला. उस समय जयललिता तमिलनाडु की मुख्यमंत्री थीं. उनके दत्तक पुत्र वीएन सुधाकरण के विवाह समारोह ने देश भर में बेहिसाब ख़र्च की वजह से सुर्ख़ियां बटोरी थीं.
रजनीकांत ने तब खुलकर कहा था कि सरकार में बहुत भ्रष्टाचार है और इस तरह की सरकार को सत्ता में नहीं होना चाहिए.
वैसे साल 1995 में रजनीकांत ने पहली बार किसी राजनीतिक मुद्दे पर अपनी राय ज़ाहिर की थी. एमजीआर कड़गम पार्टी के नेता आरएम वीरप्पन की मौजूदगी में एक समारोह में रजनीकांत ने तमिलनाडु में 'बम-कल्चर' के बारे में बात की. उन्होंने कहा कि तमिलनाडु में फैले 'बम-कल्चर' की ज़िम्मेदारी राज्य की सरकार को लेनी चाहिए.
साल 1996 में मूपनार ने कांग्रेस छोड़कर तमिल मनीला कांग्रेस नामक पार्टी बनाई. उस समय केंद्र में कांग्रेस की सरकार थी जिसकी बागडोर पीवी नरसिंह राव के हाथ में थी. कांग्रेस पार्टी तमिलनाडु में एआईएडीएमके के साथ गठजोड़ करना चाहती थी. इसके विरोध में मूपनार ने अपनी तमिल मनीला कांग्रेस पार्टी बनाई, जिसने डीएमके के साथ हाथ मिलाया.
चुनाव में समर्थन
रजनीकांत ने इस गठजोड़ का खुलकर समर्थन किया. ये पहला मौक़ा था जब रजनीकांत ने किसी पार्टी के लिए अपने समर्थन का एलान किया.
एआईएडीएमके की सरकार के प्रति उस समय लोगों के मन में काफ़ी असंतोष था. इससे डीएमके को राज्य के चुनाव में शानदार जीत मिली और वो सत्ता में आई. कहा जाता है कि इस जीत में रजनीकांत के समर्थन ने अहम भूमिका अदा की थी. उनके फ़ैंस ने चुनावों के दौरान डीएमके गठबंधन और मूपनार पार्टी के उम्मीदवारों के समर्थन में काम किया.
साल 1998 में रजनीकांत ने संसदीय चुनावों के दौरान डीएमके गठबंधन का समर्थन किया. लेकिन उन्हें पहले जैसा समर्थन नहीं मिला. एआईएडीएमके ने भारी बहुमत से जीत दर्ज की. इसके बाद धीरे-धीरे रजनीकांत ने सत्तारूढ़ एआईएडीएमके पार्टी की आलोचना करना कम कर दिया.
फिर जब साल 2002 में कावेरी जल विवाद चरम पर था, कुछ राजनीतिक दलों ने कहा कि रजनीकांत कर्नाटक से आते हैं, इसलिए इस मामले पर अपनी राय ज़ाहिर नहीं करते हैं. इस आरोप के बाद रजनीकांत ने तमिलनाडु फ़िल्म इंडस्ट्री की ओर से आयोजित भूख-हड़ताल में अपनी मौजूदगी दर्ज कराई और एलान किया कि उनका समर्थन तमिलनाडु के लोगों के लिए है. उन्होंने इस मुद्दे पर अपनी ओर से एक करोड़ रुपये दान देने की घोषणा भी की थी.
साल 2004 में जब बाबा फ़िल्म बनी, उसमें रजनीकांत के धार्मिक नेतृत्व और पॉलिटिक्स में एंट्री को दिखाया गया. लेकिन डॉक्टर रामदॉस के नेतृत्व में पीएमके पार्टी ने इस फ़िल्म की स्क्रीनिंग में बाधा डाली.
कई जगहों पर पार्टी समर्थकों और रजनीकांत के फै़ंस के बीच झड़पें हुईं. तब रजनीकांत ने चेन्नई के राघवेंद्र मैरिज हॉल में अपने फ़ैंस के साथ बैठक की और पीएमके के ख़िलाफ़ वोट डालने के लिए कहा. लेकिन इसका असर नहीं हुआ और पीएमके उम्मीदवार चुनाव में जीत गए.
राजनीतिक राय से दूरी बनाई
यही वो समय था जब रजनीकांत ने राजनीति में दख़ल और राजनीतिक राय ज़ाहिर करने से बचना शुरू कर दिया. हालांकि साल 2004, 2006 और साल 2008 की हर प्रेस मीट में उनसे राजनीतिक हालात के बारे में पूछा गया. लेकिन उन्होंने कभी सीधा जबाव नहीं दिया और कहा- "समय आने दीजिए, समय ही हमें जबाव देगा." इससे लोगों में उम्मीदें जगीं और अगले छह साल इसी तरह बीत गए.
फिर साल 2014 में नेशनल डेमोक्रेटिक एलायंस ने संसदीय चुनावों में नरेंद्र मोदी का नाम प्रधानमंत्री पद के उम्मीदवार के तौर पर आगे बढ़ाया. मोदी ने चेन्नई में रजनीकांत के आवास पर मुलाक़ात की.
मुलाक़ात के बाद रजनीकांत ने कहा, "मोदी एक ग्रेट लीडर और अच्छे प्रशासक हैं. मैं उन्हें चुनाव में सफल होने के लिए शुभकामना देता हूं." हालांकि रजनीकांत ने भारतीय जनता पार्टी का नाम नहीं लिया.
साल 2014 में ही तत्कालीन मुख्यमंत्री जयललिता को जब आय से अधिक सम्पत्ति के मामले में 14 दिन के लिए जेल भेजा गया, इस बारे में उनकी राय पूछे जाने पर रजनीकांत ने बस एक शब्द कहा और वो शब्द था- "हैप्पी".
करुणानिधि और जयललिता का निधन
पांच दिसंबर 2017 को बीमारी की वजह से जयललिता का निधन हो गया. करुणानिधि ख़राब सेहत की वजह से सक्रिय राजनीति से दूर होने लगे और सात अगस्त 2018 को उनका भी निधन हो गया.
रजनीकांत ने 31 दिसंबर 2017 को करुणानिधि से मुलाक़ात की थी और प्रेस को बताया था कि उन्होंने राजनीति में आने के बारे में करुणानिधि से चर्चा की है. उन्होंने ये भी बताया था कि करुणानिधि ने उन्हें अपनी शुभकामनाएं दी हैं. तब इससे संकेत मिला था कि रजनीकांत सक्रिय राजनीति में आ रहे हैं, लेकिन फिर बात आई-गई हो गई.
साल 2019 में जब रजनीकांत से उनके राजनीतिक समर्थन के बारे में पूछा गया तो उन्होंने कहा कि वो किसी का समर्थन नहीं कर रहे हैं और उनका फ़ैन क्लब इस चुनाव में नहीं लड़ेगा. उन्होंने ये भी कहा कि वो साल 2021 में तमिलनाडु के आगामी विधानसभा चुनाव में सभी सीटों पर चुनाव लड़ेंगे. लेकिन उसके बाद उनके इर्द-गिर्द पार्टी की कोई गतिविधि नज़र नहीं आई और राजनीतिक दलों ने उनकी आलोचना भी की.
तमिलनाडु के मुख्यमंत्री ईके पलानीसामी, राज्य के मंत्री, बीजेपी नेता और डीएमके नेता भी अक्सर ये कहते रहे, "पहले उन्हें पार्टी तो बनाने दीजिए फिर हम इस बारे में बात करेंगे. पार्टी बनाने का हक़ हर किसी को है."
तमिलनाडु के कुछ मंत्री तो यहां तक कहते थे कि ये वैसा ही है जैसे कि बच्चे के पैदा होने से पहले ही उसका नाम रख दिया जाए.
साल 1991 से राजनीति में रुचि का रजनीकांत का जो सफ़र शुरू हुआ, वो वर्ष 1996 में चुनावी राजनीति में दिलचस्पी तक जा पहुंचा. लेकिन उसे परिपक्व और आधिकारिक घोषणा तक पहुंचने में साल 2020 तक का वक़्त लग गया.(bbc.com/hindi)
अमरावती, 04 दिसंबर | आंध्र प्रदेश विधानसभा के शीतकालीन सत्र के पांचवें दिन यानी शुक्रवार को विधानसभा अध्यक्ष ने विपक्षी तेलुगु देशम पार्टी (तेदेपा) के छह विधायकों को उपद्रव मचाने पर निलंबित कर दिया। सत्र के अंतिम दिन निम्मला रामानायडू, बुचैया चौधरी, जोगेश्वर राव, सत्य प्रसाद, अशोक और रामाराजू को निलंबित कर दिया गया, जिसके बाद विपक्ष के नेता और पूर्व मुख्यमंत्री नारा चंद्रबाबू नायडू भी सदन से वॉक आउट कर गए।
सदस्यों के डेयरी उद्योग पर चर्चा करने के साथ-साथ सत्ताधारी और विपक्षी विधायकों में गर्मागर्मी के कारण उपद्रव शुरू हो गया।
मुख्यमंत्री वाईएस जगनमोहन रेड्डी ने कहा कि उन्होंने डेयरी उद्योग पर चर्चा के दौरान नायडू के मौजूद रहने की उम्मीद की थी, लेकिन उन्होंने दुर्भाग्य से अपनी पार्टी के सदस्यों को स्पीकर के मंच पर चढ़ने और स्वार्थी उद्देश्यों के लिए अराजकता पैदा करने के लिए चुना।
रेड्डी ने आरोप लगाया कि विपक्षी नेता ने मीडिया साक्षात्कार दिए थे और सदन से बाहर निकलने के बाद झूठ फैला रहे हैं।
स्पीकर तम्मीनेनी सीताराम ने विधानसभा में विपक्षी सांसदों के आचरण पर आपत्ति जताई। उन्होंने कहा, "हर दिन, आप सदन के कामकाज को रोक रहे हैं। मैं हर दिन आपको निलंबित करने के लिए दुखी हूं। उनके व्यवहार को देखते हुए, मेरे पास कोई दूसरा विकल्प नहीं है।"
आईएएनएस
चेन्नई, 3 दिसंबर| अभिनेता रजनीकांत ने गुरुवार को कहा कि तमिलनाडु के भाग्य को बदलने का समय आ गया है। राज्य में राजनीतिक और सरकारी बदलाव महत्वपूर्ण है और यह समय की मजबूरी है। अभिनेता ने सत्तारूढ़ अन्नाद्रमुक सरकार के साथ-साथ प्रमुख विपक्षी दल द्रमुक के खिलाफ भी अपना चुनावी बिगुल फूंक दिया।
रजनीकांत ने कहा कि वह जनवरी 2021 में अपनी राजनीतिक पार्टी को सामने लाएंगे और इस संबंध में एक घोषणा 31 दिसंबर, 2020 को की जाएगी।
रजनीकांत ने यहां संवाददाताओं से बात करते हुए कहा, "तमिलनाडु की किस्मत बदलने का समय आ गया है। राज्य में राजनीतिक और सरकार परिवर्तन महत्वपूर्ण है। यह निश्चित रूप से बदल जाएगा। राजनीतिक परिवर्तन महत्वपूर्ण है और समय की मजबूरी है। यदि अभी नहीं, तो यह कभी संभव नहीं होगा। सब कुछ बदलना होगा। हम सब कुछ बदल देंगे।"
उन्होंने बदलाव लाने के लिए सभी से उनका समर्थन करने की अपील की।
उन्होंने कहा, "मैं बदलाव में सिर्फ एक छोटा सा इंस्ट्रमेंट हूं। अगर मैं जीतता हूं तो यह लोगों की जीत होगी।"
उन्होंने कहा कि 2017 में उन्होंने सभी 234 विधानसभा सीटों पर राजनीति में उतरने और चुनाव लड़ने की घोषणा की थी।
उनके अनुसार, हालांकि डॉक्टरों ने रैलियां आयोजित नहीं करने की सलाह दी थी, अगर उनका जीवन लोगों की भलाई के लिए चला जाता है, तो वे इसके बारे में चिंतित नहीं हैं।
रजनीकांत ने यह भी कहा कि उनकी फिल्म अन्नाथे की 40 प्रतिशत शूटिंग लंबित है, जिसे वह पूरा करेंगे। (आईएएनएस)
नई दिल्ली, 2 दिसम्बर | दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के मुताबिक इन दिनों केंद्र सरकार उनसे काफी नाराज है। इस नाराजगी का कारण है दिल्ली आए किसानों को बंद करने के लिए दिल्ली के स्टेडियमों को जेल बनाने की इजाजत न देना। इसके साथ ही अरविंद केजरीवाल ने केंद्र सरकार से मांग की है कि एमएसपी की गारंटी को कानून में डाला जाए। सीएम अरविंद केजरीवाल ने कहा, "जब से मैंने दिल्ली के 9 स्टेडियम को जेल बनाने से रोका है, तब से केंद्र की भाजपा सरकार मुझसे ज्यादा नाराज है। दिल्ली आने पर किसानों को इन स्टेडियमों में डालने की योजना थी। लेकिन हमने यह इजाजत नहीं दी। मेरी केंद्र सरकार से अपील है कि किसानों की सभी मांगे मानी जाएं और एमएसपी की गारंटी को कानून में डाला जाए।"
दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने कहा, "पूरा देश देख रहा है कि देश का किसान ठंड की रात में आसमान के नीचे सो रहा है। कोई भी देशभक्त यह देखकर चैन की नींद नहीं सो सकता है। यह लड़ाई सिर्फ किसान भाइयों की नहीं है, बल्कि हम सब की लड़ाई है। जरा सोचिए, जो दो वक्त की रोटी हम खाते हैं, वह हमारे किसानों की मेहनत की उगाई हुई होती है। हम सब को इस लड़ाई में अपने किसानों का साथ देना है।"
केजरीवाल ने बुधवार को कहा कि, "मुझे पता है कि स्टेडियम को जेल बनाने के लिए मुझ पर काफी दबाव आया था। किस-किस के फोन नहीं आए थे, लेकिन जिंदगी में कुछ मौके ऐसे भी आते हैं, जब आप अपने जमीर की सुनते हैं, नतीजे की परवाह नहीं करते हैं।"
सीएम अरविंद केजरीवाल ने कहा कि, "अभी कुछ दिन पहले पंजाब के एक किसान सरदार कुलवंत सिंह दिल्ली की सरहद पर बैठे हुए थे और खबर आई कि उनका 22 साल का जवान बेटा सुखवीर सिंह बॉर्डर पर देश के लिए शहीद हो गया। इस सबके बीच जब कुछ लोग आए दिन किसानों को आतंकवादी बुलाते हैं, देशद्रोही कहते हैं, तो मैं सोचता हूं कि बॉर्डर पर इन जवानों पर क्या बीतती होगी, जिनके किसान मां- बाप को आतंकवादी कहा जा रहा है। आज हम सबको भी तय करना होगा कि हम देश के किसानों के साथ हैं या उन्हें आतंकवादी कहने वालों के साथ हैं।"
सीएम अरविंद केजरीवाल ने कहा कि, "मेरी सभी से अपील है कि किसानों का साथ दें। मेरी सभी आम आदमी पार्टी के लोगों से अपील है कि कोई राजनीति नहीं करनी है। सभी पार्टियों के लोगों के साथ मिलके भारतीय बन कर किसानों की सेवा करनी है।"
--आईएएनएस
चंडीगढ़, 2 दिसंबर | भारत में कोविड-19 वैक्सीन का ट्रायल अंतिम चरण में होने के साथ, मुख्यमंत्री अमरिंदर सिंह ने बुधवार को कहा कि इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च (आईसीएमआर) द्वारा मंजूरी मिलते वह पंजाब में वैक्सीन का पहला डोज लेंगे। मुख्यमंत्री ने यह घोषणा कोविड स्थिति और वैक्सीन को लॉन्च करने की राज्य की तैयारियों पर चर्चा के लिए एक प्रेजेंटेशन के दौरान वर्चुअल कैबिनेट मीटिंग में की।
मीटिंग में कहा गया कि टीकाकरण के लिए भारत सरकार की रणनीति के अनुरूप, पंजाब स्वास्थ्य कर्मियों, फ्रंटलाइन वर्कर्स, बुजुर्गो की आबादी (50 वर्ष से अधिक आयु) के टीकाकरण को तरजीह देगा।
पंजाब के स्वास्थ्य सचिव हुसन लाल ने कहा कि राज्य में 1.25 लाख सरकारी और निजी स्वास्थ्य कर्मचारियों का डेटा संकलित है, जिनका पहले चरण में टीकाकरण किया जाना है।
उन्होंने कहा कि राज्य की आबादी जो लगभग 3 करोड़ है, इसके 23 प्रतिशत (70 लाख) का टीकाकरण प्राथमिकता पर भारत सरकार के दिशानिर्देशों के अनुसार किया जाएगा।
उपलब्ध सुविधाओं की समीक्षा के बाद, राज्य ने कुछ अतिरिक्त कोल्ड चेन उपकरणों के लिए केंद्र से अनुरोध किया है, जिनमें वैक्सीन वैन, डीप फ्रीजर, आइस-लाइनड रेफ्रिजरेटर, कोल्ड बॉक्स, वैक्सीन कैरियर, आइस पैक और स्टेबलाइजर्स शामिल हैं।
आईएएनएस
नई दिल्ली, 2 दिसंबर | किसान आंदोलन और कृषि कानूनों को लेकर अब दिल्ली और पंजाब के मुख्यमंत्री के बीच जुबानी जंग शुरू हो गई है। पंजाब के मुख्यमंत्री आरोप लगा रहे हैं कि दिल्ली सरकार ने इन कानूनों के खिलाफ प्रस्ताव पास नहीं किया। वहीं अरविंद केजरीवाल का कहना है कि कैप्टन अमरिंदर सिंह केंद्रीय जांच एजेंसी ईडी के दबाव में हैं। दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने कहा, "कैप्टन साहब आप मुझ पर झूठे आरोप लगा रहे हैं। बीजेपी के साथ दोस्ती निभा रहे हैं या फिर कोई दबाव है। क्योंकि आपके परिवार पर ईडी के केस चल रहे हैं। आजकल आपके रिश्तेदारों को ईडी के नोटिस भी आ रहे हैं।"
केजरीवाल ने कहा, "पंजाब के मुख्यमंत्री ने मुझ पर आरोप लगाया है कि दिल्ली में मैंने यह काले कानून पास कर दिए। इतने नाजुक मौके पर भी इस तरह की गिरी हुई राजनीति कैप्टन कैसे कर सकते हैं। यह तो तीनों कानून केंद्र के कानून हैं। जिस दिन राष्ट्रपति के तीनों कानूनों पर दस्तखत हुए थे, उसी दिन ये कानून पूरे देश में लागू हो गए। अब यह किसी राज्य सरकार के ऊपर नहीं है कि उसे लागू करेगा या नहीं। अगर राज्य सरकारों पर होता तो पूरे देशभर से किसान बात करने केंद्र सरकार के पास क्यों आते।"
केजरीवाल ने कहा कि, "जब कैप्टन अमरिंदर सिंह को यह बात पता है तो फिर उन्होंने मुझ पर यह झूठे आरोप क्यों लगा रहे हैं। इसका बहुत बड़ा कारण है, जब से हमने दिल्ली के 9 स्टेडियम को जेल बनाने से रोका है तब से केंद्र की भाजपा सरकार मुझसे बहुत ज्यादा नाराज है। केंद्र सरकार का पूरा प्लान था कि जब किसान दिल्ली आएंगे तो उन्हें स्टेडियम में डाल देंगे। हमने स्टेडियम को जेल बनाने की इजाजत नहीं दी तो वह लोग मुझसे बहुत नाराज हैं। मुझे पता है कि स्टेडियम को जेल बनाने के लिए मुझ पर कितना दबाव आया था। किस किस का फोन नहीं आया।"
केजरीवाल ने पंजाब के मुख्यमंत्री पर आरोप लगाते हुए कहा कि, "कैप्टन साहब के पास यह बिल रोकने के कई मौके आए। पंजाब के लोग पूछ रहे हैं कि तब कैप्टन साहब ने इन्हें क्यों नहीं रोका। 2019 में केंद्र सरकार ने यह तीनों काले कानून बनाने के लिए कमेटी बनाई थी। उस कमेटी में कैप्टन साहब थे। कैप्टन साहब पंजाब के लोग आपसे पूछ रहे हैं कि आपने उस कमेटी में इस कानूनों को क्यों नहीं रोका। आपने कमेटी में एक बार भी इन कानूनों का विरोध क्यों नहीं किया। आपने बाहर आकर लोगों को क्यों नहीं बताया कि केंद्र सरकार इतने खतरनाक कानून बनाने जा रही है।"
आईएएनएस
नई दिल्ली, 2 दिसंबर | युवा कांग्रेस को आखिरकार एक साल से अधिक समय के बाद आधिकारिक अध्यक्ष मिल गया है। सोनिया गांधी ने बुधवार को बी.वी. श्रीनिवास को कांग्रेस की युवा इकाई का अध्यक्ष नियुक्त किया। विवादों में घिरे केशव चंद यादव के पद से इस्तीफा देने के बाद श्रीनिवास अंतरिम प्रमुख के रूप में अपने कर्तव्यों का निर्वहन कर रहे थे। हालांकि, यादव ने 7 जुलाई, 2019 को अपने त्यागपत्र में कहा कि लोकसभा चुनाव में पार्टी की हार के कारण वह इस्तीफा दे रहे हैं। यादव उत्तर प्रदेश के देवरिया के रहने वाले हैं।
सूत्रों ने कहा कि श्रीनिवास को महामारी और प्रवासी संकट के दौरान उनकी कड़ी मेहनत के लिए इनाम के तौर पर इस पर नियुक्त किया गया है।
वह कर्नाटक के शिमोगा जिले से हैं। इसी जिले के शिकारीपुरा से मुख्यमंत्री बी.एस. येदियुरप्पा विधायक हैं।
दिग्गज कांग्रेस नेता अहमद पटेल के निधन के बाद सोनिया गांधी ने यह पहली बड़ी नियुक्ति की है।
--आईएएनएस
मुंबई, 2 दिसंबर| शिवसेना में शामिल हुईं अभिनेत्री से राजनेता बनी उर्मिला मातोंडकर का कहना है कि अभिनेत्री कंगना रनौत के साथ शाब्दिक लड़ाई में उलझने में उनकी कोई दिलचस्पी नहीं है। साथ ही कहा कि कंगना जितनी योग्य हैं, उन्हें उससे कहीं अधिक महत्व दिया गया है। आईएएनएस से बात करते हुए उर्मिला ने आगे कहा कि शिवसेना की महिला शाखा मजबूत थी और वह इसी विंग के साथ काम करना पसंद करेगी।
कुछ समय पहले ही कंगना ने उर्मिला को एक 'सॉफ्ट पोर्न स्टार' कहा था, लेकिन उर्मिला का कहना है कि उसकी नई राजनीतिक स्थिति का मतलब यह नहीं है कि वह वापस नहीं आएंगी। उर्मिला ने कहा, "मैं निश्चित तौर पर उनके साथ शाब्दिक लड़ाई में नहीं पड़ना चाहती। ना मैं उनकी प्रशंसक हूं और मुझे लगता है कि हम सभी ने उनके बारे में बहुत ज्यादा बातें की हैं जबकि वो इतने योग्य नहीं हैं। हमारे देश में सभी नागरिकों को अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का अधिकार है, इसलिए उन्हें वही करना चाहिए जो वे करना चाहते हैं।"
बता दें कि ये विवाद कुछ महीने पहले तब पैदा हुआ जब एक न्यूज चैनल से बात करते हुए कंगना ने उर्मिला के एक इंटरव्यू पर प्रतिक्रिया दी थी। उर्मिला ने कंगना के उस मकसद पर सवाल उठाया था, जिसमें वे बॉलीवुड के कथित 'ड्रग-माफिया' पर आरोप लगा रहीं थीं। इस पर कंगना ने कहा कि उर्मिला उनके संघर्षों का 'मजाक बना रहीं हैं', साथ ही उन्होंने उर्मिला को 'सॉफ्ट पोर्न स्टार' कहकर खारिज कर दिया था।
उर्मिला ने कहा, "मैं बता दूं कि मैंने उनकी आलोचना करने के लिए इंटरव्यू नहीं दिया था, वह उसका एक हिस्सा था और मुझे लगता है कि हमें इसके बारे में और बात नहीं करनी चाहिए।"
यह पूछे जाने पर कि वह किन मुद्दों पर ध्यान देंगी, इस पर उर्मिला ने कहा, "शिवसेना की महिला शाखा वास्तव में मजबूत है, इसलिए मैं उनके साथ काम करके खुश होउंगी। महाराष्ट्र में महिलाओं और लड़कियों की सुरक्षा और सशक्तीकरण के लिए काम करुंगी। देश-दुनिया से लोग अपना करियर बनाने के लिए मुंबई और महाराष्ट्र आते हैं। मुझे लगता है कि इन लड़कियों के माता-पिता उन्हें इस राज्य में बहुत विश्वास के साथ भेजते हैं क्योंकि मुंबई दुनिया के सबसे सुरक्षित शहरों में से एक है। इसलिए मुझे मुंबईकर होने पर गर्व है।"
मंगलवार को ही उर्मिला पार्टी प्रमुख और महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे की उपस्थिति में शिवसेना में शामिल हुई हैं। पार्टी में आने से पहले ही उन्हें महाराष्ट्र विधान परिषद (एमएलसी) में नामित कर दिया गया था। (आईएएनएस)
आंध्र प्रदेश, 01 दिसम्बर | सुप्रीम कोर्ट ने आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री जगनमोहन रेड्डी को उनके पद से हटाने की माँग करने वाली याचिका को ख़ारिज कर दिया है.
सुप्रीम कोर्ट के वकील जीएस मणि और प्रदीप कुमार यादव ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर कर अपील की थी कि जगनमोहन रेड्डी के बयान की हाईकोर्ट के किसी वरिष्ठ न्यायाधीश या सीबीआई से जाँच के आदेश दिए जाएं.
याचिका में दूसरी अपील थी कि जगनमोहन रेड्डी को उनके पद से हटाने के आदेश दिए जाएं क्योंकि उन्होंने इस कुर्सी पर रहते हुए सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ जज के ख़िलाफ़ा सार्वजनिक रूप से बयान दिया है.
जगनमोहने रेड्डी ने छह अक्टूबर को सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश जस्टिस एसए बोबडे को पत्र लिखकर कहा था कि लोकतांत्रिक रुप से चुनी गई उनकी सरकार को अस्थिर करने के लिए आंध्र प्रदेश हाईकोर्ट का इस्तेमाल किया जा रहा है और सुप्रीम कोर्ट के दूसरे सबसे वरिष्ठ जज जस्टिस एनवी रमन्ना इस मामले में मदद कर रहे हैं.
मंगलवार को याचिका पर सुनवाई करते हुए जस्टिस एस के कौल, जस्टिस दिनेश महेश्वरी और जस्टिस हृषिकेश रॉय की बेंच ने कहा कि दूसरी माँग क़ानूनी तौैर पर सही नहीं है और जहां तक पहली माँग का सवाल है, ऐसा लगता है कि याचिकाकर्ता को ख़ुद स्पष्ट नहीं है कि वो क्या चाहते हैं. लेकिन जहां तक मुख्यमंत्री और मुख्य न्यायाधीश के बीच बातचीत को सार्वजनिक करने का मामला है, सुप्रीम कोर्ट की एक दूसरी बेंच इस मामले को देख रही है. इसलिए मौजूदा याचिका को ख़ारिज किया जाता है. (बीबीसी)
मनोज पाठक
पटना, 28 नवंबर| बिहार विधानसभा अध्यक्ष के चुनाव में राज्य की मुख्य विपक्षी पार्टी राष्ट्रीय जनता दल (राजद) की रणनीति भले ही असफल हो गई हो लेकिन राजद किसी भी हाल में सियासत के खेल में सत्ता पक्ष को खुला मैदान देना नहीं चाहती है। राजद राज्यसभा के लिए भी अलग रणनीति बनाने में जुटी है। राजद राज्यसभा उपचुनाव में अपना उम्मीदवार उतारने पर विचार कर रही है। दीगर बात है कि विधानसभा में संख्या बल के द्वारा राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) के प्रत्याशी के रूप में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने पूर्व उपमुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी का नाम घोषित कर दिया है।
केंद्रीय मंत्री राम विलास पासवान के निधन से खाली हुई राज्यसभा सीट से भाजपा ने सुशील मोदी का नाम तय कर उन्हें राष्ट्रीय राजनीति में लाने के कयासों पर अपनी मुहर लगा दी है। संख्या बल को देखते हुए सुशील मोदी का चुना जाना भी तय माना जा रहा है। इस रिक्त हुए सीट के लिए तीन दिसंबर तक नामांकन होगा। वहीं 14 दिसंबर को चुनाव होगा।
राजद के सूत्रों का कहना है कि राजद में राज्यसभा के लिए दो नामों की चर्चा तेज है। पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष जगदानंद सिंह और वरिष्ठ नेता अब्दुल बारी सिद्दिकी को पार्टी राज्यसभा भेजना चाहती है। सिद्दिकी हाल ही में विधानसभा चुनाव हार गए थे। दोनों नेता राजद अध्यक्ष लालू प्रसाद के विश्वास पात्र माने जाते हैं।
वैसे सूत्र यह भी कह रहे हैं राजद दिग्गज नेताओं के अलावा, अन्य नेता को भी चुनाव मैदान में उतार सकती है, जिससे हारने की स्थिति में आलोचना से बचा जा सके।
वैसे, राजद ने अभी पत्ते नहीं खोले हैं। संख्या बल के हिसाब से देखा जाए राजग का पलड़ा भारी है। राजग के पास जहां 125 विधायक हैं वहीं राजद नेतृत्व वाले महागठबंधन के पास 110 विधायक है। दो दिन पूर्व बिहार विधानसभा अध्यक्ष के पद पर भी महागठबंधन ने अपना उम्मीदवार खड़ा किया था, जिसे हार का मुंह देखना पड़ा था।
इधर, भाजपा के प्रवक्ता मनोज शर्मा कहते हैं, "सुशील कुमार मोदी अनुभवी नेता रहे हैं। बिहार की उन्होंने काफी दिनों तक सेवा दी है अब पार्टी उनके अनुभव को राष्ट्रीय स्तर पर लेना चाहती है। उन्होंने कहा कि विपक्ष लाख कोशिश कर ले, लेकिन उसे कुछ मिलने वाला नहीं है, उनकी हार तय है।"
इधर, राजद के एक नेता कहते हैं कि पार्टी इस मामले पर विचार कर रही है।
उल्लेखनीय है कि केंद्रीय मंत्री राम विलास पासवान के निधन के बाद इस खाली हुई सीट पर लोक जनशक्ति पार्टी (लोजपा) पासवान की पत्नी रीना पासवावन को भेजने की मांग की गई थी। बिहार चुनाव में लोजपा के अकेले चुनाव मैदान में उतर जाने के बाद इस स्थिति में लोजपा के बदले भाजपा ने मोदी को भेजने का निर्णय लिया है। (आईएएनएस)
शैरोन थम्बाला
अमरावती, 27 नवंबर| ऐसे समय में जब आंध्र प्रदेश और तेलंगाना में कांग्रेस के नेता पार्टी छोड़ रहे हैं, राजमुंदरी के पूर्व सांसद हाल ही में पार्टी में फिर से शामिल हो गए।
अमालपुरम के पूर्व सांसद 61 साल के हर्ष कुमार केरल के पूर्व मुख्यमंत्री ओमान चांडी, आंध्र प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष शैलजानाथ, तेलंगाना कांग्रेस के नेता वी. हनुमंत राव की उपस्थिति में दूसरी बार कांग्रेस में शामिल हुए और गांधी परिवार के प्रति अपनी निष्ठा जताई।
उन्होंने पार्टी में वापसी के दौरान कहा, "मैं कांग्रेस का प्रॉडिगल बेटा हूं। यह सच है और पार्टी ने मुझे ऐसे अपनाया जैसे वह प्रॉडिकल बेटे का पिता हो।"
उन्होंने कहा कि सुलह में राव ने सक्रिय भूमिका निभाई है, इसके बाद राजू ने भी उनके प्रति बहुत प्यार दिखाया, जो राहुल गांधी के करीबी माने जाते हैं।
अनुसूचित जाति (एससी) आरक्षित निर्वाचन क्षेत्र के दो बार के सांसद ने कहा, "कोप्पुला राजू, मैं उनके प्यार को नहीं भूल सकता। उनके प्रोत्साहन से मैं पार्टी में वापस आ सका।"
कुमार के अनुसार, 2014 में कांग्रेस के सत्ता गंवाने के बाद, देश में गरीब लोग मुश्किलों से गुजर रहे हैं।
कुमार आंध्र प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री वाई.एस. रेड्डी की विरासत को कमजोर करने के लिए राव के साथ कांग्रेस के पहले व्यक्तियों में से एक थे, जिन्होंने अपनी लंबी पदयात्रा के साथ राज्य में कांग्रेस को पुनर्जीवित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी।
इसके बाद, 2 सितंबर, 2009 के बाद, जब रेड्डी की एक हेलिकॉप्टर दुर्घटना में मौत हो गई, तो कुमार ने दावा किया कि उन्होंने रेड्डी की फोटो के साथ नहीं बल्कि सोनिया गांधी की तस्वीर के साथ अमलापुरम संसदीय चुनाव जीता था।
बाद में कुमार जयसमैक्यआंध्र पार्टी में शामिल हो गए।
हालांकि, तेलुगु देशम पार्टी (टीडीपी) ने 2014 के चुनावों में कुमार की तरह कई उम्मीदवारों को हराते हुए जीत हासिल की।
2019 चुनावों से पहले, कुमार ने फिर से पार्टी बदल ली और तेदेपा में शामिल हो गए। कुमार ने नारा चंद्रबाबू नायडू के पैर छुए और उनका आशीर्वाद लिया।
हालांकि वह 2019 के चुनाव में तेदेपा के टिकट के लिए आतुर थे लेकिन नायडू ने उनका साथ नहीं दिया।
2019 के चुनाव के लगभग डेढ़ साल बाद, कुमार ने कांग्रेस में वापस आने का मन बना लिया और आखिरकार घर वापसी कर ली।(आईएएनएस)
कोलकाता, 25 नवंबर| पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने बुधवार को भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) पर तीखा हमला बोला और अपनी कट्टर प्रतिद्वंद्वी पार्टी को चुनौती देते हुए कहा कि वह तृणमूल कांग्रेस की जीत हर हाल में सुनिश्चित करेंगी, भले ही उन्हें जेल क्यों न भेज दिया जाए। बांकुड़ा जिले में एक रैली में ममता ने कहा कि भाजपा कोई राजनीतिक पार्टी नहीं, बल्कि ये तो महज एक 'झूठ का कचरा' है।
उन्होंने कहा, "अगर भाजपा में हिम्मत है, तो उन्हें मुझे गिरफ्तार करने दीजिए। मैं जेल से ही चुनाव में तृणमूल की जीत सुनिश्चित करूंगी। मैं उन्हें स्पष्ट बता दूं कि मैं उनसे और उनकी एजेंसियों से नहीं डरती।"
ममता ने राष्ट्रीय जनता दल (राजद) प्रमुख और बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री लालू प्रसाद का जिक्र करते हुए कहा कि जेल में बंद होने के बावजूद उनकी पार्टी ने हाल ही में संपन्न बिहार विधानसभा चुनावों में अच्छा प्रदर्शन किया है।
मुख्यमंत्री ने कहा, "लालू प्रसाद को सलाखों के पीछे डाल दिया गया, लेकिन उन्होंने अपनी पार्टी के अच्छे चुनावी प्रदर्शन को सुनिश्चित किया। बिहार में भाजपा की जीत सरासर चालाकी से हुई है, न कि किसी लोकप्रिय जनादेश के जरिए।"
ममता ने किसी का नाम लिए बिना कहा कि भाजपा तृणमूल नेताओं और विधायकों को प्रलोभन देने की कोशिश कर रही है, क्योंकि कुछ लोग इस भ्रम में हैं कि भाजपा बंगाल में सत्ता में आएगी और इसीलिए वे मौके की तलाश में हैं।
उन्होंने कहा, "चुनाव के समय वे तृणमूल नेताओं को डराने-धमकाने के लिए नारद स्टिंग ऑपरेशन और शारदा चिटफंड घोटाले जैसे मुद्दों को सामने लाते हैं। वे हमारे नेताओं को पैसे का लालच दे रहे हैं।"
ममता ने कहा, "आपको एक बात याद रखनी होगी कि वे बाहरी हैं। सत्ता में आने पर वे बंगाल को लूट लेंगे। इसीलिए उन्होंने बंगाल में कांग्रेस और मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (माकपा) के साथ सांठगांठ की है।"
उन्होंने कहा कि भाजपा के पास राज्य में सत्ता में आना का कोई भी मौका नहीं है। ममता बोलीं, "हम एक बार फिर बंगाल के लोगों के जनादेश के साथ सत्ता में आएंगे।"
294 सीटों वाली पश्चिम बंगाल विधानसभा के लिए चुनाव अगले साल अप्रैल-मई में होने वाले हैं।
ममता बनर्जी की अगुवाई वाली तृणमूल कांग्रेस वर्ष 2011 से लगातार राज्य में सत्तारूढ़ है। कांग्रेस से निकली हुई इस पार्टी ने बंगाल में 34 साल से सत्ता पर काबिज वाम मोर्चे को मात दी थी। (आईएएनएस)
भोपाल 23 नवंबर | मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने उप-चुनाव के बाद हर वर्ग का दिल जीतने की जुगत में लग गए हैं। बीते दस दिनों में मुख्यमंत्री ने कई महत्वपूर्ण फैसले लेने के साथ जनता के करीब पहुंचने का अभियान शुरू कर दिया है। लगभग दो साल पहले हुए विधानसभा के चुनाव में भाजपा को हार का सामना करना पड़ा था। कांग्रेस की सरकार बनी, लेकिन तत्कालीन कांग्रेस विधायकांे की बगावत के कारण भाजपा को फिर से सत्ता मिल गई। बहुमत में रही कसर उप-चुनाव के नतीजों से पूरी हो गई है।
उप-चुनाव के नतीजे आने के बाद से मुख्यमंत्री चौहान नए अंदाज में हैं। एक तरफ नई योजनाओं को अमली जामा पहना रहे हैं। उनका सारा ध्यान रोजगार, किसान और महिला सशक्तिकरण पर केंद्रित है। साथ ही वे जमीनी हकीकत को जानने के अभियान में लग गए हैं।
मुख्यमंत्री चौहान ने सोमवार को राजधानी में विभिन्न कार्यालयों तक पहुंचे। उन्होंने भोपाल नगर के निरीक्षण में सबसे पहले कलेक्ट्रेट स्थित लोक सेवा केंद्र पहुंचकर आमजन से भेंट की। आवेदकों से भी चर्चा की, जिसमें जानकारी प्राप्त हुई कि उनके कार्य एक दिन में हो रहे हैं, लेकिन दस्तावेज की प्रति के लिए पांच रुपये प्रति दस्तावेज शुल्क भी देना होता है।
मुख्यमंत्री चौहान ने कहा कि लोक सेवा केंद्रों पर लगने वाले इस शुल्क में कमी के लिए नई नीति बनाई जाएगी। लोक सेवा केंद्रों का उद्देश्य आमजन की समस्याओं का त्वरित निराकरण करने के साथ ही आमजन को इन कार्यो पर लगने वाले शुल्क के आर्थिक बोझ से भी बचाना है।
मुख्यमंत्री चौहान ने भोजताल के पास कोहेफिजा अहमदाबाद क्षेत्र में नवनिर्मित सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट का निरीक्षण किया। उन्होंने प्लांट की निर्माण अवधि में विलंब की जानकारी प्राप्त की, जिसमें यह तथ्य प्रकाश में आया कि इसका निर्माण वर्ष 2019 में पूर्ण होना था।
मुख्यमंत्री चौहान ने रायसेन रोड स्थित कोकता क्षेत्र में नगर-निगम भोपाल द्वारा प्रधानमंत्री आवास योजना के अंतर्गत निर्मित किए जा रहे आवास गृहों का भी निरीक्षण किया। उन्होंने कहा कि झुग्गीवासियों को भी स्वच्छ आवास में रहकर मुस्कराने का अधिकार है। आवास हर आदमी की जरूरत है। प्रदेश में सभी गरीबों को अपनी छत देने का लक्ष्य पूर्ण किया जाना है। पूर्व सरकार द्वारा प्रधानमंत्री आवास योजना के क्रियान्वयन के प्रति गंभीर रुख न अपनाने से कई स्थानों पर आवासों के निर्माण में देरी हुई है।
मुख्यमंत्री चौहान ने कोरोना से बचाव के लिए जनता को जागरूक करने के लिए भोपाल की अब्बास नगर बस्ती जाकर बच्चों और बड़ों को मास्क वितरित किए।
बताया गया है कि चौहान आने वाले दिनों में विभिन्न नगरों और ग्रामीण इलाकों में पहुंचकर लोगों से सीधे संवाद करेंगे और उनकी समस्या से रूबरू होंगे। (आईएएनएस)
धारवाड़, 22 नवंबर | कर्नाटक में दीपावली के बाद 17 नवंबर को डिग्री कॉलेजों को फिर से शुरू कर दिया गया है। राज्य के स्वास्थ्य मंत्री के. सुधाकर ने रविवार को कहा कि अगर राज्य में कोरोनावायरस मामलों में वृद्धि होती है तो इसे फिर से बंद कर दिया जाएगा। सुधाकर ने पत्रकारों से कहा, "जैसा कि डिग्री, इंजीनियरिंग और पॉलिटेक्निक कॉलेजों ने अंतिम वर्ष के छात्रों के लिए आठ महीने से अधिक समय के बाद कॉलेजों को खोला है। यदि राज्य में कोरोनावायरस के मामले बढ़ते हैं तो इसे फिर से बंद कर दिया जाएगा, क्योंकि छात्रों और शिक्षकों की सुरक्षा ऑफलाइन कक्षाओं की तुलना में अधिक महत्वपूर्ण है।" कॉलेजों को फिर से खुलने के बाद इसमें प्रवेश से पहले छात्रों के लिए आरटी-पीसीआर की निगेटिव रिपोर्ट के अलवा माता-पिता से सहमतिपत्र और फेस मास्क का उपयोग अनिवार्य है। (आईएएनएस)