सुबीर भौमिक
कोलकाता, 25 मार्च | सीबीआई की टीमों ने दक्षिण असम के कछार, रामनगर और करीमगंज जिलों बदरपुरघाट में भारतीय खाद्य निगम (एफसीआई) के डिपो में औचक निरीक्षण किया है। डिपो के अधिकारियों द्वारा खाद्यान्न के दुरुपयोग और रिकॉर्ड में हेरफेर करने की शिकायतें मिलने के बाद ऐसा किया गया।
निरीक्षण रिपोटरें में एफसीआई डिपो के बारे में की गई शिकायतों में प्रथम दृष्ट्या 'सच्चाई' सामने आई है।
19 मार्च को सुबह 10.15 बजे एफसीआई डिपो, रामनगर में पहला औचक निरीक्षण किया गया था।
सीबीआई के जो अधिकारी मौजूद थे, उनमें नीरज कुमार सिंह, पुलिस इंस्पेक्टर सीबीआई, एसीबी, शिलांग, मुकेश कुमार, पुलिस इंस्पेक्टर, सीबीआई, एसीबी, शिलांग, शिव कुमार सिंह, पुलिस सब-इंस्पेक्टर, सीबीआई, एसीबी, शिलांग और एफ.ए. संगमा, पीसी, सीबीआई, एसीबी शिलांग शामिल थे।
सीबीआई सूत्रों का कहना है कि औचक निरीक्षण के दौरान उनकी टीम ने पाया कि उस दिन पूरे डिपो परिसर में कोई कर्मचारी मौजूद नहीं था।
इसके अलावा, अधिकारियों ने डिपो के एंट्री गेट पर किसी भी रजिस्टर की अनुपलब्धता, शेडों में अधिकांश सीसीटीवी कैमरों का नॉन-ऑपरेशनल स्थिति में होना, डिपो के शेड स्टैक में स्टैक कार्ड और पल्ला बैग की अनुपल्बधता सहित कई अन्य आश्चर्यजनक तथ्य पाए गए। डिपो के वेब्रिज में डिपो ऑनलाइन सिस्टम और डिपो में अपडेटेड मास्टर लेजर, स्टैक लेजर और सेंट्रल मास्टर लेजर की अनुपलब्धता देखने को मिली।
एफसीआई डिपो, बदरपुरघाट पर जिस टीम ने औचक जांच किया, उसमें प्रदीप दास, सीबीआई, एसीबी, शिलांग, अनिल कुमार राय, सीबीआई, एसीबी, शिलांग और शांतनु पॉल, प्रबंधक (ईएम), एफसीआई (आरओ) शिलांग शामिल थे।
ये अधिकारी 19 मार्च को दोपहर करीब 12.15 बजे डिपो पहुंचे और औचक निरीक्षम किया। सनतोम्बा सिंह ने टीम को बताया कि एफएसडी बदरपुरघाट में खाद्यान्न (चावल और गेहूं) के भंडारण के लिए दो शेड (शेड 1 और शेड 2) शामिल हैं।
निरीक्षण के बाद, यह पाया गया कि शेड -1 में 948 बोरी चावल की कमी थी, जबकि शेड -2 में 523 बोरी चावल की कमी थी। गेहूं की बोरियों की संख्या 1,127 पाई गई जबकि रिकॉर्ड के अनुसार संख्या 1,172 होनी चाहिए थी।
यह रिपोर्ट फाइल किए जाने तक पता नहीं चल पाया था कि डिपो में पाई गई अनियमितताओं के संबंध में क्या कार्रवाई की गई।
असम के कछार और करीमगंज जिलों में एफसीआई डिपो, जो असम की बराक घाटी और मिजोरम और त्रिपुरा राज्यों के लिए है, हमेशा भ्रष्टाचार के लिए सुर्खियों में रहे हैं।
इस घोटाले का पहला बड़ा खुलासा 1992 में सामने आया और कुछ माफियाओं को कांग्रेस के पूर्व रसूखदार मंत्री संतोष मोहन देब से जोड़ा गया। वर्तमान रैकेट के बारे में कहा जाता है कि इसे बराक घाटी में सत्तारूढ़ भाजपा नेताओं का राजनीतिक संरक्षण प्राप्त है।
बराक वैली में गठित एक राजनीतिक दल, बराक डेमोक्रेटिक फ्रंट (बीडीएफ) ने हाल ही में, सिलचर में एफसीआई डिविजनल कार्यालय में भ्रष्टाचार के आरोपों के साथ एसपी, सीबीआई, एसीबी (जोनल ऑफिस), शिलांग को एक पत्र लिखा था।
बीडीएफ ने मामले की सीबीआई जांच की मांग की थी। इसके संयोजक प्रदीप दत्ता रे ने दावा किया कि एफसीआई के सिलचर स्थित कार्यालय में बड़े पैमाने पर भ्रष्टाचार हो रहा है।
दत्ता रे ने आईएएनएस को बताया कि रामनगर और बदरपुरघाट में एफसीआई के डिपो में पाई गई अनियमितताओं से अधिकारियों द्वारा गंभीरता से निपटा जाना चाहिए और भ्रष्टाचार में शामिल सभी लोगों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जानी चाहिए। (आईएएनएस)