विचार / लेख

महिला सशक्तिकरण में बीजेपी के योगदान का आभार..
20-Sep-2020 9:43 PM
महिला सशक्तिकरण में बीजेपी के योगदान का आभार..

-कनुप्रिया 
 
एक बात के लिए बीजेपी की शुक्रगुज़ार हूँ. एक बड़ा वर्ग जो राजनीति को गन्दा समझता था, उससे दूर रहता था, वो वर्ग जिसके लिये सीरियल्स थे और उनके आदमियों के लिये ख़बरें, वो वर्ग जिनकी दुनिया शॉपिंग, गृहशोभा, घर और बच्चों तक सीमित थी, वह वर्ग जिसके लिये वोट का मतलब घरवाले जहाँ कहें वहाँ निशान लगा देना था, राजनीति से उदासीन इस political reservoir को बीजेपी ने tap किया और  अपने political motives का carrier बनाया.
 
BJP IT Cell ने जब अपने ऐतिहासिक झूठ, अश्वत्थामा मर गया जैसे अर्धसत्य और देशभक्ति मतलब हिंदू होने की विचारधारा व्हाट्सएप के जरिये प्रचारित करनी शुरू की तो यह वर्ग उसे फॉरवर्ड करने लगा और "कोई नृप होए हमें क्या हानि" की जगह मोदीजी आने चाहिये जैसा राजनीतिक चुनाव करने लगा.  इन नवभक्तिनों को भक्तों का ख़ूब समर्थन मिला, अब महिलाओं के लिये " तुम्हें राजनीति का क्या " पता जैसे जुमले ग़ायब होने लगे क्योंकि यह राजनीति झुकाव सत्ता के लिये लाभकारी था, इस तरह अनजाने ही किनारे बैठा यह वर्ग राजनीति की मुख्यधारा का किंचित सजग हिस्सेदार बन गया.
 
कँगना को जिस तरह बीजेपी ने हाथों-हाथ लिया वह भी बहुत सकारात्मक है, कँगना एक उन्मुक्त अभिनेत्री रही हैं, उन्होंने अपने रोल्स के चुनाव में किसी संस्कृति को आड़े न आने दिया, न ही अपने जीवन में. मणिकर्णिका का रोल भले ही उन्हें देशभक्ति से जोड़ता हो मगर देशभक्ति को हिन्दूभक्ति की पर्याय मानने वाली विचारधारा के जो स्त्रियों को देखने के cultural resvervations हैं, वो उसके अनुरूप कभी नहीं रहीं. इसका सीधा सा मतलब है कि कंगना का समर्थन और उन्हें राजनीति अगुआई देना कहीं न कहीं उस जीवन शैली का भी स्वीकार है जिसे वो आजतक जीती आई हैं. इस तरह की जीवन शैली जीने वाली अन्य स्त्रियों के लिये कुत्सित शब्द बोलना और महिलाओं को तंग नज़रिए से देखने वाली मानसिकता का प्रदर्शन इतना आसान भी नहीं. स्त्रीद्वेषी दक्षिणपंथियों द्वारा इस खुलेपन के स्वीकार का स्वागत है.
महिलाओं को जिस तरह विरोधियों पर हमले के लिये राजनीतिक टूल के तौर पर इस्तेमाल किया जा रहा है, यह भी स्त्रीवाद के लिये नकारात्मक कहाँ हैं.  पायल घोष का आरोप अनुराग कश्यप पर सच है कि झूठ वो अलग बात है, मगर  ये घोर दक्षिणपंथी जो कहा करते थे कि महिलाएँ झूठे आरोप गढ़ती हैं, 100 में से 90 बलात्कार के केस झूठे होते हैं, $%@ ख़ुद तो जगह जगह मुँह मारती हैं और फँसा आदमियों को देती हैं, अगर वो  इसपर चुप रहते हैं या पायल घोष का समर्थन करते हैं तो भी यह महिलाओं के पक्ष की बात है. आप कीजिये समर्थन, उदाहरण सैट कीजिये, अगली बार किसी मामले में उपरोक्त बातें बोलना आसान नहीं होगा. 
बाक़ी निर्मला सीतारमन तो हैं ही, कारगुज़ारी किसी की गालियाँ वो खा रही हैं, मगर कौन कहता है कि महिलाएँ वित्त नहीं सम्भाल सकतीं, मोदीजी ने उन्हें विभाग दिया है तो सोच समझकर ही दिया होगा. 
मैं बीजेपी की शुक्रगुज़ार हूँ, वो इसी तरह महिलाओं को हर मामले में अपने बचाव के लिये आगे लाती रही, उन्हें अपनी रक्षा की  अग्रिम पंक्ति में जगह देती रही, माने के front fighters,  भले अपने स्वार्थ के लिये ही सही,  इस तरह वो महिलाओं के जाने अनजाने सशक्तिकरण में बड़ा योगदान देती रहेगी.

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