विचार / लेख

पुत्र पर अधिकार किसका ?
19-Apr-2025 4:03 PM
पुत्र पर अधिकार किसका ?

एक गाँव में एक गरीब आदमी रहता था। उसकी शादी हो गई।

कुछ दिनों बाद वह पत्नी से बोला- मैं बाहर व्यापार करने जा रहा हूँ, आज ही के दिन एक बरस बाद लौट आऊँगा!! ऐसा कहकर वह चला गया!

पति वहाँ व्यापार में व्यस्त हो गया. पत्नी यहाँ अकेली थी, जो रोज सुबह नहा-धोकर पैदल ही सब्जी खरीदने जाती थी।

उसी बाजार में एक धनवान पुरूष भी रोज कार से सब्जी खरीदने आता था, वह रोज इस महिला को आते हुए देखता था. एक दिन वह उस महिला से बोला- आओ मैं आपको घर तक छोड़ दूँगा।

नहीं! मै चली जाऊँगी.!

डरो मत !! मेरा घर भी अगली गली में है, मैं आपको सकुशल पहुँचा दूँगा।

वह स्त्री कार में बैठ गई। उस पुरूष ने शांति-शालीनता के साथ उस स्त्री को उसके घर के सामने उतारा और चला गया।

 

अब यह रोज का क्रम बन गया।

एक दिन उस पुरूष ने उस स्त्री से स्नेह तथा आदर से कहा- आओ चाय पीकर चली जाना। स्त्री ने उसका आग्रह स्वीकार कर लिया तथा चाय पीकर चली गई। सिलसिला आगे बढ़ा भोजन भी होने लगा, उन दोनों के मध्य प्रेम उत्पन्न हो गया और परिणाम हुआ-एक सुन्दर पुत्र।

वह स्त्री अपने पुत्र को उस पुरूष के घर ही रखती व नित्य एक बार जाकर उसे लाड़-प्यार से दूध पिलाकर लौट आती।

एक बरस पूरा हो गया। पति के लौट आने की तारीख़ आ गई!! पति आ गया.!! पत्नी का ध्यान पुत्र में होने के कारण वह पति की बातों पर ध्यान न दे पा रही थी। उसे अशांत व खिन्न देखकर पति ने उससे पूछा - सच-सच बताओ क्या हुआ?

पत्नी ने सब बात कह दी और पुत्र की याद आना बताया!!

पति बोला- अपना पुत्र है! जा ले आ!!

पत्नी गई और जाकर उस पुरूष से बोली कि मेरे पति आ गये हैं और मैं अपना पुत्र लेने आई हूँ !

वह पुरूष बोला- पुत्र नही दूँगा, वह मेरा है।

अब स्त्री और उसका पति दोनों पुत्र माँग रहे हैं तथा वह पुरूष पुत्र को अपने पास रखना चाहता है। मामला न्यायालय में गया। न्यायाधीश के समक्ष सबने अपने तर्क सुनाए।

(1) पति ने कहा- जब मेरी शादी हुई तो मेरे पास जमीन थी। मैं व्यापार करने परदेश गया तथा यह कहकर गया कि जब बोवनी का समय आएगा तब आ जाऊँगा। परन्तु यदि किसी कारण न आ पाऊँ तो तू किसी से खेत बुआ लेना, बरसात शुरू हो गई और मैं न आ पाया तो मेरी पत्नी ने मेरा खेत दूसरे से बुआ लिया, अब बोने वाला व्यक्ति कह रहा है कि फसल मेरी है!! तो फसल तो खेत मालिक की ही रहेगी!! बुआई करने वाला चाहे तो मजदूरी ले ले!! परन्तु फसल पर अधिकार तो खेत मालिक का ही रहेगा।

(2) उस पुरूष ने कहा- मैं एक रोज सैर करने गया, सडक़ पर मुझे एक खाली डिब्बी पड़ी मिली, मैंने इधर-उधर देखा- मुझे कोई डिब्बी का मालिक दिखाई न दिया, डिब्बी सुन्दर थी!

मैंने डिब्बी उठा ली तथा अपने जेब से एक हीरा निकाल कर डिब्बी में रख दिया, दूसरे दिन मुझे एक आदमी मिला, वह कहने लगा यह डिब्बी तो मेरी है!! मैंने डिब्बी में से हीरा निकाल कर अपने पास रख लिया और डिब्बी उसके मालिक को लौटा दी। अब वह आदमी कहता है कि हीरा भी मुझे दो!! हीरा तो मैंने रखा था तो हीरा तो मैं ही रखूँगा, उसकी डिब्बी मैं वापस देने को तैयार हूँ पर हीरे का मालिक तो मैं ही हूँ!!

(3) पत्नी ने कहा- जब मेरी शादी हुई तो मेरे पिता ने एक भैंस दी थी, भैंस दूध देती थी, एक दिन मेरे पास जामन नहीं था, मैंने एक पड़ौसी से माँगकर जामन ले लिया, दूध जमा लिया फिर उस दही को मथकर घी निकाला! अब वह जामन देने वाला कह रहा है कि घी मेरा है!! घी तो उसका ही रहेगा जिसका दूध था!! जरा सा जामन दे देने से घी उसका कैसे हो सकता है? वह चाहे तो जामन के पैसे ले ले?

तीनों के अपने अपने किस्से व तर्क थे, तीनों की बात सुनकर न्यायाधीश महोदय ने सन्यास ले लिया।

अब पुत्र किसे मिलना चाहिये? है क्या जवाब किसी के पास.!

(सोशल मीडिया)

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