रायपुर, 4 फरवरी। हर साल 4 फरवरी को मनाए जाने वाले विश्व कैंसर दिवस का महत्व व्यक्तियों और संगठनों के बीच कैंसर के बारे में जागरूकता बढ़ाना, कैंसर की जांच, रोकथाम और निदान को बढ़ावा देना और बेहतर उपचार के अवसरों की वकालत करना है।
रायपुर के रामकृष्ण केयर अस्पताल में मेडिकल ऑन्कोलॉजिस्ट, डॉ. रवि जयसवाल कहते हैं, कैंसर सिर्फ एक चिकित्सा निदान से कहीं अधिक है - यह गहराई से एक व्यक्तिगत मामला है। कैंसर के साथ हर अनुभव अनोखा होता है, और यही कारण है कि हम सभी को एकजुट होने की जरूरत है, एक ऐसी दुनिया बनाने के लिए जहां हम बीमारी से परे देखें और रोगी से पहले व्यक्ति को देखें। जागरूकता को बढ़ावा देने के लिए हर साल एक नई थीम चुनी जाती है। इस वर्ष की थीम यूनाइटेड बाय यूनिक है, जो कैंसर के खिलाफ एक व्यक्तिगत और जन-केंद्रित दृष्टिकोण है।
भारतीय संदर्भ -भारत में हर साल लगभग 20 लाख नए कैंसर के मामले सामने आते हैं। इनमें ब्रेस्ट, सर्वाइकल और ओरल कैंसर प्रमुख हैं। उनमें से अधिकांश उन्नत चरण में मौजूद हैं जिससे इलाज की दर कम हो जाती है। स्तन, गर्भाशय ग्रीवा, मौखिक, फेफड़े, कोलोरेक्टल और प्रोस्टेट कैंसर के लिए कैंसर स्क्रीनिंग उपलब्ध है ताकि इलाज की दरों को बढ़ाकर और उपचार की लागत को कम करके प्रारंभिक चरण में उनका पता लगाया जा सके। भारत में कैंसर की जांच के लिए प्रमुख चुनौती जागरूकता की कमी, सामाजिक कलंक और विशेष रूप से ग्रामीण भारत में कम सुविधाएं हैं; अक्सर देर से निदान, अधिक उपचार लागत और उच्च मृत्यु दर में योगदान देता है।
टार्गेटेड थेरेपी और इम्यूनोथेरेपी जैसे कैंसर के उपचार और रोबोटिक्स और छोटे चिरे वाले सर्जरी के साथ बेहतर सर्जिकल परिणाम से देखभाल अधिक व्यक्तिगत हो गई है और उत्तरजीवीता बढ़ गई है। डॉ. जयसवाल आगे जोर देकर कहते हैं, मैं रोगी केंद्रित दृष्टिकोण में विश्वास करता हूं; कोई भी दो कैंसर एक जैसे नहीं होते हैं और प्रत्येक रोगी एक ही प्रकार के कैंसर पर अलग-अलग प्रतिक्रिया करता है; इसलिए उत्तरजीवीता बढ़ाने के लिए रोग जीवविज्ञान की बेहतर समझ महत्वपूर्ण है। आइए इस विश्व कैंसर दिवस पर कैंसर के खिलाफ शिक्षित करने, समर्थन करने और लडऩे का संकल्प लें, जब तक कि हम इस बीमारी से मुक्त दुनिया नहीं देख लेते। एक साथ हम मजबूत हैं। हम सभी मिलकर कुछ अलग कर सकते हैं।