अंतरराष्ट्रीय

ट्रंप की जीत से वैश्विक अर्थव्यवस्था पर क्या असर होगा?
08-Nov-2024 12:53 PM
ट्रंप की जीत से वैश्विक अर्थव्यवस्था पर क्या असर होगा?

अमेरिका के नए राष्ट्रपति के रूप में डॉनल्ड ट्रंप की वापसी ने वैश्विक अर्थव्यस्था को लेकर नए सवाल जरूर खड़े कर दिए हैं. ट्रंप के कार्यकाल में टैक्स कटौती, टैरिफ और क्रिप्टो करंसी जैसे मुद्दे हावी रहने की उम्मीद है.

डॉयचे वैले पर टिमोथी रुक्स की रिपोर्ट-

अमेरिका में ताजा राष्ट्रपति चुनाव के नतीजों के कारण डॉनल्ड ट्रंप दूसरी बार राष्ट्रपति बनेंगे. इसके अलावा रिपब्लिकलन पार्टी ने अमेरिकी सीनेट में अपनी पकड़ मजबूत की है.

इतनी बड़ी जीत ट्रंप के आगामी कार्यकाल में उन्हें आर्थिक मामलों से जुड़े मजबूत फैसले लेने और कानून पारित कराने में मदद करेगा. अमेरिकी राष्ट्रपति के पास शासन से जुड़ी कई प्रत्यक्ष शक्तियां हैं, लेकिन अमेरिकी संसद के निचले सदन 'हाउस ऑफ रेप्रेजेंटेटिव्स' (प्रतिनिधि सभा) पर नियंत्रण करना जरूरी है.

टैरिफ बढ़ाने का वादा 
ट्रंप की जीत वैश्विक अर्थव्यस्था के मामले में एक नया और कठोर मोड़ जरूर लेकर आएगी. अर्थव्यवस्था से जुड़े उनके कई विचार पहले कार्यकाल जैसे ही हैं. अनुमान है कि इस बार वे ज्यादा सुलझे विचारों के साथ उन्हें आगे बढ़ाने का काम करेंगे.

चुनावों के दौरान उन्होंने अमेरिका की जनता से आयात की जाने वाली सभी चीजों पर 10 से 20 फीसदी टैरिफ और चीन में बनी चीजों पर 60 फीसदी से ज्यादा टैरिफ लगाने का वादा किया था. इसके अलावा, उन्होंने अमेरिकी धरती पर विनिर्माण बढ़ाने, टैक्स में कटौती करने और लाखों अनियमति आप्रवासियों को वापस भेजना का भी वादा किया है.

भले ही उनके कुछ वादे कल्पना से परे लगें, लेकिन महंगाई से जूझ रही अमेरिकी जनता को ट्रंप ये समझाने में कामयाब रहे कि आर्थिक रूप से उनका समर्थन करना ही बेहतर विकल्प है.

वैश्विक बाजार की प्रतिक्रिया
ट्रंप की नीतियों का अमेरिकी अर्थव्यस्था के साथ-साथ दुनिया पर भी बड़ा प्रभाव पड़ेगा. दुनिया भर में मौजूद व्यवसायों ने इन बातों को ध्यान में रखते हुए चुनाव से पहले ही अपनी रणनीति तैयार कर ली थी. अब रिपब्लिकन पार्टी की जीत के बाद बाजार से प्रतिक्रियाएं आनी शुरू हो गई हैं.

चुनाव के बाद सबसे पहली सुगबुगाहट एशियाई शेयर बाजार में दिखी. जापान के निक्केई और ऑस्ट्रेलिया के एसएंडपी/एएसएक्स 200 के शेयर में तेजी दिखी. हांगकांग का हैंग सेंग इंडेक्स नीचे रहा. चीन के कुछ हिस्सों और यूरोप के बाजारों में ज्यादा हलचल नहीं दिखी.

अमेरिकी शेयर बाजार में ट्रंप की जीत का जश्न साफ दिखा. एसएंडपी 500 इंडेक्स, डो जोन्स इंटस्ट्रियल और नैसडेक के शेयरों में रिकॉर्ड उछाल दर्ज की गई और एमएससीआई इंडेक्स में 1.3 फीसदी की वृद्धि हुई. बॉन्ड बाजार को ऐसी वृद्धि की उम्मीद नहीं थी क्योंकि हाल ही में 10 वर्षीय अमेरिकी ट्रेजरी बिल सरकारी घाटे को कम करने के उम्मीद से बेचे गए थे.

नई ऊंचाई पर बिटक्वॉइन
ट्रंप ने अमेरिका को समूचे ग्रह की 'क्रिप्टो राजधानी' बनाने का वादा किया है. क्रिप्टो करेंसी से जुड़े उद्योगों को उनसे बहुत उम्मीद है. 6 नवंबर को बिटक्वॉइन ने रिकॉर्ड तेजी हासिल की. एक बिटक्वॉइन की कीमत 75,000 डॉलर (69,800 यूरो) से अधिक पहुंच गई.

इलॉन मस्क जैसे क्रिप्टो करेंसी के कई समर्थक ट्रंप को राष्ट्रपति के रूप में देखना चाहते थे. बहुत सी क्रिप्टो कंपनियों और उनके समर्थकों ने इसी वजह से अपनी पसंद के उम्मीदवारों का समर्थन करने के लिए करोड़ों का डोनेशन भी दिया है.

अमेरिकी डॉलर का रुतबा बढ़ेगा
बिटक्वॉइन में आए उछाल के चलते कई देशों की मुद्राओं का प्रदर्शन अमेरिकी डॉलर के मुकाबले फीका रहा. यूरोपीय संघ, चीन, जापान और मेक्सिको जैसे देश फिलहाल टैरिफ को लेकर परेशान हैं.

7 नवंबर को अमेरिकी डॉलर के मुकाबले कई देशों की मुद्राओं का मूल्य कम हुआ. मेक्सिको की मुद्रा पेसो में तीन महीने में सबसे बड़ी गिरावट दर्ज की गई क्योंकि अमेरिकी टैरिफ देश की मुद्रा पर गहरा असर डालते हैं. मेक्सिको का सबसे ज्यादा व्यापार अमेरिका के साथ ही होता है.

डॉलर महंगा होगा, तो लोगों के लिए अमेरिकी सामान और महंगा हो जाएगा. इससे वैश्विक स्तर पर उन चीजों की कीमतें बढ़ जाएंगी, जिनके दाम डॉलर में तय होते हैं. तेल इसका सबसे बड़ा उदाहरण है.

यूरोप का डर और उम्मीदें
कई पूर्वी यूरोपीय देशों को डर है कि ट्रंप अमेरिका द्वारा नाटो को दिए जाने वाले सहयोग को कमजोर कर सकते हैं. इसने यूक्रेन युद्ध के भविष्य और उसको दी जाने वाली आर्थिक सहायता पर भी सवालिया निशान लगा दिए हैं. यही वजह है कि हंगरी की मुद्रा हंगेरियन फोरिंट समेत कई यूरोपीय मुद्राओं में गिरावट दर्ज की गई है.

ट्रंप को अगर खुश करना है, तो यूरोप को अपना रक्षा खर्च और यूक्रेन को दिया जाने वाला समर्थन बढ़ाना होगा. इसके अलावा ट्रंप की कई नीतियां अमेरिका को मुद्रास्फीति की तरफ ले जा सकती हैं और दूसरे देशों से पैसे उधार लेने की क्षमता को भी नुकसान पहुंचा सकती हैं.

ब्लूमबर्ग से बात करते हुए विश्लेषक पियोटर मैटिस ने कहा, "ऐसी नीतियों का विशेष रूप से मेक्सिको, यूरोजोन और इसके साथ मध्य और पूर्वी यूरोपीय क्षेत्रों पर नकारात्मक असर पड़ेगा."

जर्मन मैकेनिकल इंजीनियरिंग उद्योग एसोसिएशन के प्रमुख थीलो ब्रोडटमान ने कहा, "डॉनल्ड ट्रंप के पहले कार्यकाल की तुलना में उनका दूसरा कार्यकाल जर्मन और यूरोपीय उद्योगों के लिए एक बड़ी चुनौती होगी."

उन्होंने कहा, "हमें विशेष रूप से टैरिफ को लेकर की जाने वाली घोषणाओं को गंभीरता से लेना चाहिए." ब्रोडटमान का मानना है कि टैरिफ से वैश्विक व्यापार पर असर पड़ेगा और चीन व यूरोपीय देशों को अपनी आर्थिक नीतियों को मजबूत करने की जरूरत पड़ेगी. (dw.com)

अन्य पोस्ट

chhattisgarh news

cg news

english newspaper in raipur

hindi newspaper in raipur
hindi news