बालको नगर, 20 नवंबर। बालको ने बताया कि हाल ही में देश ने बाल दिवस मनाया। आज के बच्चे कल का भविष्य हैं। देश के निर्माण में युवाओं की भूमिका को देखते हुए भारत एल्यूमिनियम कंपनी लिमिटेड (बालको) ने बच्चों के सर्वांगीण विकास के लिए पोषण, शिक्षा और स्वास्थ्य पहल पर निरंतर कार्य कर रहा है। बचपन के शुरुआती वर्ष बच्चे के भविष्य की नींव होती है। बालको एक स्वस्थ, सुरक्षित और बेहतर भविष्य बनाने के उद्देश्य से विभिन्न परियोजनाओं के माध्यम से समुदाय के बच्चों और युवाओं के सर्वांगीण विकास में सक्रिय रूप से योगदान दे रहा है।
बालको ने बताया कि बेहतर पोषण बच्चे के सर्वांगीण स्वास्थ्य और कल्याण की आधारशिला है, जो उनके शारीरिक और मानसिक विकास को आकार देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। बालको अपने प्रोजेक्ट आरोग्य के तहत मातृ एवं शिशु स्वास्थ्य देखभाल के साथ समुदाय में पोषण के महत्व के बारे में जागरूकता पैदा कर रहा है। कंपनी अपने सामुदायिक विकास परियोजनाओं के माध्यम से बच्चों में कुपोषण को कम करने के लिए स्तनपान और अन्य स्वस्थ प्रथाओं के बारे में जागरूकता को बढ़ावा देती है।
बालको ने बताया कि टेक होम राशन (टीएचआर) के तहत सरकार के पूरक भोजन प्रावधान के साथ माताओं को पौष्टिक व्यंजनों पर प्रशिक्षित कर रही है। सत्रों में पोषण संबंधी जानकारी पर प्रश्नोत्तर सत्र और ऑडियो-विजुअल शोकेस भी शामिल हैं और इससे वित्त वर्ष 2023 में 270 से अधिक बच्चों के स्वास्थ्य में सुधार हुआ है।
बालको ने बताया कि भदरापारा की सावित्री के लिए यह किसी चमत्कार से कम नहीं था। वह अपने 19 महीने के बेटे श्रेष्ठ की कहानी साझा करते हुए कहती हैं कि श्रेष्ठ के पोषण के लिए महंगे पैकेज्ड सप्लीमेंट्स की ओर रुख करने से हमारे ऊपर आर्थिक दबाव पड़ रहा था। बालको प्रशिक्षण सत्र मेरे बच्चे के पोषण के लिए मददगार साबित हुआ।
बालको ने बताया कि आज, श्रेष्ठ का वजन 9 किलोग्राम है, मैं घर ले जाने वाले राशन का उपयोग करके नियमित पोषण संबंधी व्यंजन बनाती हूं। किशोरावस्था बच्चे के विकास में एक महत्वपूर्ण दौर होता है जो शारीरिक, मानसिक और भावनात्मक परिवर्तन का समय होता है। इस प्रारंभिक अवधि के दौरान किशोर लडक़ों और लड़कियों के बीच माहवारी के बारे में जागरूकता पैदा करके बालको युवाओं में स्वच्छ प्रथाओं की स्थापना कर रहा है।
बालको ने बताया कि सामुदायिक विकास पहलों की मदद से कंपनी कम उम्र में लैंगिक संवेदनशीलता और समानता को बढ़ावा दे रहा है। माहवारी संबंधी मिथकों और भ्रांतियों को दूर करते हुए स्वच्छता प्रथाओं को विकसित किया है। बालको ने अपने प्रोजेक्ट नई किरण के तहत छत्तीसगढ़ राज्य में जागरूकता सत्रों के माध्यम से 48,000 से अधिक लोगों को जागरूक किया है।
बालको ने बताया कि आजाद नगर की 16 वर्षीय हर्षिता कहती हैं कि माहवारी जीवन की एक सामान्य प्रक्रिया है और हम इसे आत्मविश्वास के साथ अपना रहे हैं। हम घर पर और साथियों के साथ इस पर खुलकर चर्चा करते हैं।
एक बच्चे की विकासात्मक यात्रा में स्कूली शिक्षा की बहुत महत्वपूर्ण भूमिका होती है।