विचार / लेख
-कृष्ण कांत
यूपी के विधानसभा अध्यक्ष हृदय नारायण दीक्षित महात्मा गांधी की तुलना राखी सावंत से कर रहे हैं। उनका कहना है, ‘गांधी जी कम कपड़े पहनते थे, धोती ओढ़ते थे। गांधी जी को देश ने बापू कहा। अगर कोई कपड़े उतार देने भर से महान बन जाता तो राखी सावंत महान बन जातीं।’
कितना दुर्भाग्यपूर्ण है कि जो लोग इस लायक भी नहीं हैं कि वे अपने मुंह से गांधी का नाम ले सकें, वे गांधी के बारे में ऐसी टिप्पणियां कर रहे हैं। ये किस स्तर की निकृष्ट राजनीति है कि गांधी की हत्या पर मिठाई बांटने वाले लोग आज 70 साल बाद भी गांधी की चरित्रहत्या पर आमादा हैं।
गांधी वे शख्स हैं जिन्हें सुभाष चंद्र बोस ने ‘राष्ट्रपिता’ घोषित किया। गांधी वे शख्स हैं जिन्हें रवींद्रनाथ टैगोर ने ‘महात्मा’ नाम दिया। गांधी वे शख्स हैं जिन्होंने भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन को जनता का आंदोलन बनाया। यह न सिर्फ गांधी जी का, बल्कि सुभाष चंद्र बोस, रवींद्रनाथ टैगोर और पूरे स्वतंत्रता आंदोलन का अपमान है। यह विक्षिप्तता और आपराधिक मानसिकता से उपजा बयान है। यह वही मानसिकता है जिसके तहत गांधी-नेहरू के खिलाफ वॉट्सएप विषविद्यालय में अभियान चलाया जाता है।
गांधी उस शख्सियत का नाम है जो आर्थिक संकट के समय किसी लुटेरे की तरह 8000 करोड़ के जहाज से नहीं घूमता था। गांधी उस शख्सियत का नाम है जो उद्योगपतियों के हाथ देश बेचने पर आमादा नहीं था। गांधी उस शख्सियत का नाम है जिसने 50 सालों तक निर्विवाद रूप से सबसे ताकतवर रहकर भी एक धोती में जिंदगी गुजारी। गांधी उस शख्सियत का नाम है जिसने अपने देश की जनता को नंगा और भूखा देखा तो अपना बैरिस्टर का लिबास उतारकर उनके साथ आ गया और जिंदगी एक धोती में काट दी।
हृदय नारायण दीक्षित को ये समझना चाहिए कि वे जिस संगठन और पार्टी की दलाली कर रहे हैं, वह दशकों तक अंग्रेजों की दलाली करती थी। हृदय नारायण को समझना चाहिए कि वे इस लायक भी नहीं हैं कि वे अपनी जबान पर महात्मा गांधी का नाम भी ला सकें।
हृदय नारायण दीक्षित यूपी की विधानसभा में अध्यक्ष की कुर्सी पर बैठकर उस कुर्सी को कलंकित कर रहे हैं। वे एक सम्मानजनक पद पर हैं। भारत के स्वतंत्रता सेनानियों, भारतीय आजादी के नायकों और देश के शहीदों का अपमान करना देश की आत्मा में छुरा घोंपने जैसा जघन्य अपराध है। यह राष्ट्रीय आंदोलन के साथ उसी किस्म की गद्दारी है जो उस समय आरएसएस कर रहा था। ये बेहद शर्मनाक और अक्षम्य है।
माननीय अध्यक्ष जी! मैं आपसे कहना चाहता हूं कि आपकी फौज ऊंचे पदों पर बैठकर चाहे जितना नीचे गिर ले, गांधी अपने जीवन में ही विश्वपुरुष थे, हैं और रहेंगे। उनकी महानता को अंग्रेज भी नहीं लीप सके तो आप किस खेत की मूली हैं? आप तो उस कलंकित कुनबे के एक अदना प्रतिनिधि हैं जिनसे आजादी आंदोलन तक के साथ गद्दारी की हो!
महात्मा गांधी इस देश का गर्व हैं! यकीन न हो तो नरेंद्र मोदी से पूछ लीजिए। विदेशी धरती पर जाकर वे भी कलेजे पर पत्थर रखकर कहते हैं कि मैं गांधी के देश से आया हूं।
महात्मा गांधी के बारे में ऐसी बातें करके आप आसमान पर थूक रहे हैं जो हर हाल में लौटकर आपके चेहरे पर आएगा और शर्म की तरह चिपक जाएगा।